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क्या है कोरोना का 'S' gene फैक्टर, कैसे Omicron वैरिएंट का लग रहा इससे पता?
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) का खौफ धीरे-धीरे फैल रहा है. लेकिन उसके संक्रमण की गति काफी ज्यादा तेज है. दुनिया भर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ कह रहे हैं कि जब ओमिक्रॉन से पीड़ित व्यक्ति की जांच की जाए तो यह जानना जरूरी है कि क्या एस जीन (S Gene) ड्रॉप आउट हुआ है. यानी वायरस में S जीन मौजूद है या नहीं. क्योंकि इससे पता चलता है कि ये ओमिक्रॉन वैरिएंट हैं या कोरोना के पुराने किसी वैरिएंट में से एक. आइए समझते हैं कि ओमिक्रॉन की जांच पद्धत्ति में S आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है Gene फैक्टर पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है. (फोटोः गेटी)
भारत में कई महाराष्ट्र समेत राज्यों की सरकारों ने निर्देश दिया है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से आने वाले लोगों आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है की RTPCR जांच से लिए गए सैंपल में S Gene फैक्टर का इन्वेस्टिगेशन जरूर करें. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी दुनिया भर की प्रयोगशालाओं और जीनोम सिक्वेंसिंग करने वाली वैज्ञानिक संस्थाओं को S Gene फैक्टर की जांच करने का निर्देश दिया है. ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट कितनी तेजी से फैल रहा है? इससे ओमिक्रॉन के संक्रमण से संबंधित शुरुआती और पुख्ता जानकारी मिलने लगेगी. (फोटोः गेटी)
S Gene पर क्या कहना है WHO का?
WHO ने कहा है कि फिलहाल ओमिक्रॉन (Omicron) की जांच के लिए जरूरी किट का विकास किया जा रहा है. तब तक जीनोम सिक्वेंसिंग का सहारा लेना पड़ेगा. इसकी जांच के लिए किट में RNaseP और बीटा एक्टिन की जरूरत होगी. जैसे ही S Gene टारगेट फेल्योर (SGTF) का पता चलेगा, यानी वायरस के वैरिएंट की बाहरी परत पर मौजूद S Gene की गैर-मौजूदगी की जानकारी होगी, तुरंत यह पता चल जाएगा कि यह ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट है. (फोटोः गेटी)
कैसे होती है Omicron की जांच?
कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट की जांच के लिए भी पीसीआर टेस्ट (PCR Test) होगा. उसके बाद स्वैब के सैंपल को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाएगा. यहां पर इस बात की पुष्टि होगी कि सैंपल देने वाले व्यक्ति को संक्रमण है या नहीं. अगर होता है तब सभी पॉजिटिव सैंपल में से कुछ को लेकर जीनोम सिक्वेंसिंग करने वाली लैब जांच करेंगी. अगर सैंपल में S Gene मिसिंग है यानी आपको ओमिक्रॉन का संक्रमण हो चुका है. नहीं तो आपको पुराने कोरोना वायरस वैरिएंट में से किसी एक दबोच रखा है. (फोटोः PTI)
कैसे पता चलता है कि कौन से वैरिएंट का संक्रमण फैला है?
ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट में 30 से ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं. यानी यह वुहान से निकले पहले कोरोना वायरस अल्फा (Alpha) से बहुत अलग है. इसमें ऐसे बदलाव हुए हैं, जो आजतक देखे ही नहीं गए हैं. ज्यादातर कोरोना वायरस वैरिएंट्स ने म्यूटेशन के बाद अपनी बाहरी कंटीली प्रोटीन परत यानी स्पाइक प्रोटीन में बदलाव किया था. इसी स्पाइक प्रोटीन को कमजोर करने के लिए दुनियाभर की दवा कंपनियों आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है ने वैक्सीन बनाई. जो आपने और हमने लगवाई. लेकिन यही चिंता की बात है कि अगर कोई वैरिएंट ऊपरी कंटीली परत को ही कमजोर, ताकतवर या खत्म कर दे तो आपकी वैक्सीन वायरस के स्पाइक पर कहां हमला करेगी. यानी जब स्पाइक प्रोटीन या उसके कांटे होंगे ही नहीं तो असर कहां होगा. (फोटोः गेटी)
ओमिक्रॉन (Omicron) में क्या कंटीली परत पर आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है होता है S Gene?
अगर आप कोरोना वायरस की इस तस्वीर को ध्यान से देखेंगे तो आपको यहां पर उसके हर हिस्से की जानकारी मिलेगी. तस्वीर में बाईं तरफ सबसे ऊपर लिखा है स्पाइक (S) यानी यही वो कंटीला प्रोटीन है जो हमारे शरीर के ACE2 प्रोटीन (दाईं तरफ) के साथ मिलकर कोशिका के अंदर प्रवेश करता है. इसी को वैज्ञानिक S Gene फैक्टर कह रहे हैं. सबसे ज्यादा म्यूटेशन कोरोना वायरस की इसी परत पर हुई है. वैज्ञानिक जीनोम सिक्वेंसिंग के दौरान सबसे ज्यादा जिन तीन जीन का अध्ययन करते हैं वो हैं- स्पाइक (S), न्यूक्लियोकैप्सिड (N) और एनवेलप (E). क्योंकि ज्यादातर वैरिएंट्स ने इसी में म्यूटेशन किया है. इन जीन्स में होने वाले बदलावों के अंतर से ही वैरिएंट का पता चलता है. (फोटोः InvivoGen)
क्या S Gene का नहीं होना ओमिक्रॉन (Omicron) की पहचान है?
वैज्ञानिकों का दावा है कि ये जरूरी नहीं कि सभी ओमिक्रॉन (Omicron) वायरसों से S Gene लापता ही हो. इसके लिए पूरे जीनोम सिक्वेंसिग की जरूरत होगी. जो अभी तक किसी भी देश में नहीं हो पाई है. ओमिक्रॉन (Omicron) और डेल्टा वैरिएंट (Delta) में फिलहाल वैज्ञानिकों को जो सबसे बड़ा अंतर समझ में आ रहा है वो ये है कि ओमिक्रॉन में S Gene नहीं है. जबकि, डेल्टा वैरिएंट में यह मौजूद था. आज भी दुनियाभर में डेल्टा वैरिएंट के मामले सबसे ज्यादा है. (फोटोः गेटी)
RTPCR में कैसे पता चलता है कि कौन सा वैरिएंट है?
RTPCR जांच के दौरान वैज्ञानिक प्रयोगशाला में सैंपल के तीन जीन्स यानी S, N और E पर फोकस करते हैं. लेकिन ओमिक्रॉन (Omicron) के म्यूटेशन की वजह से रूटीन RTPCR किट में S Gene का पता नहीं चल पा रहा है. इसलिए वैज्ञानिकों को आशंका है कि ये ओमिक्रॉन है, क्योंकि इसके पहले सभी 12 कोरोना वैरिएंट्स में इस जीन का पता चल जाता था. अब जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए ही इसकी पुष्टि होगी और उसके बाद आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है RTPCR टेस्ट किट में थोड़े बहुत बदलाव किए जा सकते हैं. (फोटोः गेटी)
जीनोम सिक्वेंसिंग से क्या पता चलेगा?
जब जीनोम सिक्वेंसिंग होती है तब वैज्ञानिक यह पता आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है करने की कोशिश करते हैं कि सैंपल में मिले कोरोना वायरस का जेनेटिक मैटेरियल यानी DNA या RNA का स्ट्रक्चर कैसा है. फिर इसके अंदरूनी हिस्सों की जांच की जाती है. यह पता किया जाता है कि इस नए वैरिएंट ने कोरोना वायरस के आधारभूत संरचना में म्यूटेशन के जरिए कहां-कहां बदलाव किया है. उसने स्पाइक को छेड़ा है या न्यूक्लियोकैप्सिड को या फिर एनवेलप को बिगाड़ा है. ये तीन बेसिक हिस्से हैं जहां पर कोरोना वायरस के वैरिएंट सबसे ज्यादा म्यूटेशन यानी बदलाव करते हैं. (फोटोः गेटी)
आपको होती है हाथ कांपने की समस्या? इन 5 एक्सरसाइज से होगी दूर
बहुत बार ऐसा देखा गया है कि लोगों को हाथ कांपने की समस्या की वजह से बहुत परेशानी उठानी पड़ती है लेकिन अब आप इन आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है एक्सरसाइजों से इस दिक्कत को दूर कर सकते हैं
By: ABP Live | Updated at : 08 Apr 2022 11:03 AM (IST)
बढ़ती उम्र के साथ अक्सर यह देखा जाता है कि लोगों के हाथ कांपने लगते हैं लेकिन आज के समय में हाथ कांपने की समस्या किसी उम्र में भी हो सकती है. हाथ कांपने की समस्या पार्किंसन रोग में भी हो सकती है. कम उम्र में हाथ कांपने की समस्या को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर आपको अचानक हाथ कांपने की समस्या का अनुभव होता है तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए. लेकिन अगर यह बढ़ती उम्र की वजह से हो रहा है तो ऐसी कुछ एक्सरसाइज हैं जिनको करके आप अपनी इस समस्या को खत्म कर सकते हैं.
माइंडफुलनेल मेडिटेशन- माइंडफुलनेस मेडिटेशन इस समस्या में बहुत फायदेमंद मानी जाती है. इस तरह के मेडिटेशन में सांसों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. इस मेडिटेशन में जैसे ही आप सांस लेते हैं, उसके बाद आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है आपको अपनी सांसों पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करना होता है. इस दौरान आपके दिमाग में तरह-तरह के विचार नहीं आएंगे आपके तन-मन और आत्मा का पूरी तरह से सांसों पर ही फोकस रहेगा. इस मेडिटेशन का अभ्यास करने से आपके तनाव, चिंता को कम करने और डिप्रेशन में फायदा मिलता है जिसकी वजह से हाथ कांपने की समस्या में भी फायदा होता है.
कलाई एक्सटेंशन- कलाई एक्सटेंशन एक्सरसाइज करके आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं. यह एक्सरसाइज आपकी बांह के अंदरूनी हिस्से की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने के लिए है. यह एक बहुत आसान व्यायाम है, आप इसे तब कर सकते हैं जब आपको लगे कि आपकी कलाई लंबे समय से एक ही स्थिति में है. इसे करने के लिए अपने एक हाथ को अपने शरीर के सामने सीधे अपने कंधे के स्तर पर पकड़ें. अपने हाथ को फर्श के समानांतर रखें. अब अपनी कलाई को धीरे-धीरे पीछे की तरफ मोड़ें. इस दौरान झटका देने से बचें. इस स्थिति में आप 10-15 सेकेंड तक रुकें. फिर हाथों को आराम दें. इस एक्सरसाइज का अभ्यास करने से आपको हाथ कांपने की समस्या में फायदा मिलेगा.
डंबल एक्सरसाइज- डंबल एक्सरसाइज का अभ्यास करने के लिए कंधों को सीधे आपकी कलाई के ऊपर, पैरों को कूल्हे की चौड़ाई से अलग बढ़ाएं. इसके बाद आप एक हाथ से डंबल को अपनी छाती की तरफ उठाएं और अपनी कोहनी को अपने धड़ के पास रखें और फिर डंबल सहित हाथ को नीचे ले आएं और फिर एक पुशअप करें. ध्यान रहे कि इस स्थिति में आपको बिल्कुल सीधी स्थिति में रहना होगा ऐसा ही आप दूसरे हाथ से करें.
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हैंडग्रिप एक्सरसाइज- हैंड ग्रिप एक्सरसाइज का अभ्यास हाथ कांपने की समस्या में बहुत उपयोगी होता है. ग्रिप स्ट्रेंथ में सुधार करने से आपको इस समस्या में बहुत फायदा मिलता है. इसके लिए आप हैंड ग्रिप की सहायता से एक्सरसाइज का अभ्यास कर सकते हैं. सबसे पहले एक हैंड ग्रिप लेकर अपने हाथ में पकड़ें और इसे दो से तीन सेकेंड तक प्रेशर के साथ दबाएं और यही प्रक्रिया कुछ देर तक करते रहें.
बॉल प्रेस एक्सरसाइज- बॉल प्रेस एक्सरसाइज का नियमित अभ्यास करने से आपके हाथ मजबूत होंगे और हाथ कांपने की समस्या में फायदा मिलेगा. इसके लिए सबसे पहले आप एक बॉल ले लीजिये और बैठकर इसे हाथ की उंगलियों से कुछ देर तक प्रेस करते रहें.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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Published at : 08 Apr 2022 11:03 AM (IST) Tags: Health Tips हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
MRI Test : एमआरआई टेस्ट क्या है?
वहीं एक खास तरह की एमआरआई भी की जाती है, जिसे फंक्शनल एमआरआई (fMRI) कहते हैं। इस तरह की एमआरआई दिमागी गतिविधियों की निगरानी करती हैं। इस टेस्ट में खून के प्रवाह से देखा जाता है कि किसी खास काम को करने के दौरान आपके दिमाग का कौनसा हिस्सा काम करता है। इसकी मदद से कई दिमागी समस्याओं का उपचार किया जा सकता है।
सावधानियां और चेतावनी
एमआरआई टेस्ट कराने से पहले ये बातें भी जान लें
एमआरआई टेस्ट के पहले आपको कुछ सवालों के सही-सही जवाब देने होते हैं। इन प्रश्नों के जवाबों के माध्यम से डॉक्टर आपके बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और आपकी सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाते हैं। इन सवालों के माध्यम से रेडियोलॉजिस्ट ये भी जान लेते हैं कि पहले आपकी किसी तरह की सर्जरी तो नहीं हुई या कोई डिवाइस आपके शरीर में लगाया तो नहीं गया। क्योंकि एमआरआई के दौरान ऐसी स्थिति में समस्या पैदा हो सकती है।
एमआरआई स्कैनर तस्वीरें लेते वक्त बहुत आवाज करता है और यह बेहद सामान्य है। हो सकता है डॉक्टर इस दौरान आपको किसी तरह के हैडफोन लगाने के लिए दे सकता है या आप गाने भी सुन सकते हैं।
अगर इस टेस्ट में डाई या कॉन्ट्रास्ट की मदद होती है तो इसे इंजेकशन के माध्यम से आपकी नसों में डाला जा सकता है। इससे ठंडक जैसा अहसास होता है। डाई के माध्यम से शरीर के कुछ अंग ठीक तरह से तस्वीर में नजर आते हैं।
याद रखें कि डॉक्टर ने आपको एमआरआई की सलाह इसलिए दी है, जिससे शरीर के बारे में कुछ जरूरी जानकारियां जुटाई जा सकें। अगर आपको इसकी प्रक्रिया को लेकर कोई और सवाल हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में जरूर पूछें।
प्रक्रिया
कैसे होती है एमआरआई टेस्ट की तैयारी?
इस टेस्ट के लिए यूं तो किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती, पर टेस्ट के पहले आपको हॉस्पिटल गाउन पहनना होता है। इसके अलावा इस बात का ख्याल रखा जाता है कि आपके पास किसी तरह आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है का धातु ना हो, क्योंकि इस तकनीक में बेहद शक्तिशाली चुंबक का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में ज्वैलरी उतारने की भी सलाह दी जाती है।
इसके अलावा डॉक्टर जरूरत पड़ने पर आपके शरीर में डाई या कॉन्ट्रास्ट का इंजेक्शन लगाता है, जिससे कई बॉडी टिशू और अंग साफ नजर आएं। इसके बाद मरीज को एमआरआई स्कैनर में लेटने के लिए मदद की जाती है।
जानिए क्या होता है
क्या होता है एमआरआई टेस्ट के दौरान?
स्कैनर पर आपको लिटाए जाने के बाद बेल्ट से कसकर बांध दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे आप स्कैनिंग के दौरान हिलें नहीं। इस दौरान आपके शरीर को कोई खास हिस्सा या पूरा शरीर स्कैनर के अंदर किया जा सकता है।
इसके बाद एमआरआई मशीरन आपके शरीर के अंदर एक बेहद शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र बना देती है। इसके बाद इन तरंगों के माध्यम से कंप्यूटर शरीर के अंदर का नक्शा तैयार करता है।
आप इस दौरान मशीन की जोर से आवाज सुन सकते आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है हैं। यह आवाज इसलिए आती है क्योंकि मशीन फोटो लेने के लिए अत्यधिक चुंबकीय उर्जा बनाती है। इसी वजह से ईयरफोन लगाए जा सकते हैं।
टेस्ट के दौरान आपको शरीर में खिंचाव जैसे महसूस हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एमआरआई मशीन नसों को उत्तेजित करती है। यह सामान्य है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं।
यह पूरी प्रक्रिया 20 मिनट से 90 मिनट के बीच पूरी हो जानी चाहिए।
क्या होता है एमआरआई के बाद?
एमआरआई के बाद रेडियोलॉजिस्ट प्राप्त तस्वीरों का परीक्षण करता है। इसमें यह तय किया जाता है कि कहीं और एमआरआई की आवश्यक्ता तो नहीं है। अगर रेडियोलॉजिस्ट तस्वीरों से संतुष्ट हो जाता है, तो पेशेंट घर जा सकता है। इसके बाद रेडियोलॉजिस्ट इसपर एक रिपोर्ट तैयार कर डॉक्टर को देता है। डॉक्टर आपको अंदरूनी जानकारी कैसे मिलती है रिपोर्ट के साथ दोबारा मरीज से मिलता है।
क्या कहते हैं एमआरआई टेस्ट के नतीजे?
रेडियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट डॉक्टर तक पहुंचने के बाद डॉक्टर इसका बारीकी से अध्ययन करता है। इसके बाद वो आपको आपके एमआरआई परिणाामों के बारे में बताता है। इसमें शरीर में किसी भी विकार, समस्या या उपचार के बाद लक्षणों के बारे में जानकारी मिलती है।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की मेडिकल सलाह, निदान या सारवार नहीं देता है न ही इसके लिए जिम्मेदार है।