कॉमर्स का इतिहास

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ई-कॉमर्स तथा भारत में इसकी संभावनाओं के संबंध में संक्षिप्त परिचय
प्रश्न: ई-कॉमर्स क्षेत्रक विगत कुछ वर्षों से भारत में तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में प्रस्तावित ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नीति के आलोक में इसके विनियमन की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए। साथ ही, इस क्षेत्रक द्वारा वर्तमान में सामना की जाने वाली चुनौतियों की पहचान कीजिए। (250 शब्द)
- ई-कॉमर्स तथा भारत में इसकी संभावनाओं के संबंध में संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- उन कारणों को सूचीबद्ध कीजिए जो एक ई-कॉमर्स नीति की आवश्यकता को इंगित करते हैं।
- ई-कॉमर्स क्षेत्रक द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियों की चर्चा कीजिए।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
ई-कॉमर्स एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म (मुख्यतः इन्टरनेट आधारित) है जिसके माध्यम से वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय-विक्रय अथवा फण्ड या डेटा का प्रसारण किया जाता है। इसने भारत में व्यवसाय के तरीके को परिवर्तित कर दिया है। वर्तमान में यह अनुमानित 25% की वृद्धि दर के साथ 53 बिलियन डॉलर का व्यवसाय बन गया है तथा इस उद्योग के 2020 तक 100 अरब डॉलर से भी अधिक हो जाने का अनुमान किया गया है।
ई-कॉमर्स उद्योग के विनियमन की आवश्यकता इस क्षेत्र से उत्पन्न या भविष्य में उत्पन्न होने वाली विशिष्ट चुनौतियों के कारण प्रकट हुई है। इन चुनौतियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- उपभोक्ताओं का शोषण: उपभोक्ताओं को ऑनलाइन विक्रेताओं की संभावित धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करने हेतु उपभोक्ता संरक्षण मानदंडों की आवश्यकता है।
- घरेलू खुदरा बाजार: अमेज़न और फ्लिप्कार्ट जैसे बड़े ऑनलाइन विक्रेताओं द्वारा किया जाने वाला अनुचित मूल्य निर्धारण ( Predatory pricing) स्थानीय खुदरा विक्रेताओं को हानि पहुंचाता है जबकि खुदरा विक्रेताओं द्वारा बड़ी संख्या में श्रमबल को नियोजित किया जाता है।
- प्रतिस्पर्धा: कुछ ई-रिटेलर्स लाखों छोटे खुदरा विक्रेताओं (मुख्यत: दुकान) की तुलना में खुदरा बाजार में गैर-आनुपातिक रूप से बड़ी हिस्सेदारी का लाभ उठाते हैं। व्यावसायिक गुटबंदी, विलय, अधिग्रहण या अन्य तरीकों से उनके पास बाजार मूल्यों को निर्धारित करने तथा प्रतिस्पर्धा को समाप्त करने की शक्ति होती है।
- उपभोक्ता डेटा: लेन-देन से संबंधित डेटा को डेटा सुरक्षा हेतु स्थानीयकृत करना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति उद्देश्यों के लिए सरकार को इस डेटा तक पहुंच की आवश्यकता हो सकती है।
- स्थानीय भुगतान प्रणालियाँ: वित्तीय लेन-देन से संबंधित लागतों को कम करने हेतु राज्य-संचालित रूपे (RuPay) भुगतान, भीम (BHIIM) ऐप इत्यादि को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- MSME की सहभागिता: ऑनलाइन खुदरा व्यापार में MSME की सहभागिता में वृद्धि करने की भी आवश्यकता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को ऐसे तरीके से विनियमित किया जाना चाहिए जो मेक इन इंडिया पर ध्यान केंद्रित करते समय विदेशी और घरेलू अभिकर्ताओं के लिए व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि करें।
ecommerce company basically उस company को कहते जो online या internet-based business करती है
Ecommerce को 40 साल पहले introduce किया गया था. Internet के इतिहास में सबसे पहली ecommerce transaction 1994 में की गयी थी. वो व्यक्ति जिसका नाम Phil Brandenberger था. उस व्यक्ति ने अपने credit card का इस्तेमाल करके एक किताब को ख़रीदा था.
1995 में jeff Bezos ने amazon की शुरु वात की थी उस समय amazon सिर्फ किताबें ही बेचा करती थी
1998 PayPal ने ecommerce payment system की शुरु वात की थी इसके founder थे peter Thiel, Max Levhin, ken Howery, like Nosek. बाद में इसको सन 2000 में Elon Musk की online banking company में merge कर दिया गया था. जिसके बाद paypal का कारोबार व नाम बहुत अधिक बढ़ गया था
1999 में jack मा ने Alibaba की स्थापना की जो की एक online marketplace थी
बस ये ही ecommerce की शुरु वात थी और बाद में एक के बाद एक कई नए innovations होते गए जिन्होंने ecommerce को और मजबूत कर दिया
ई कॉमर्स के कितने प्रकार होते हैं?
ecommerce business को इस आधार पर divide किया जा सकता है की वो किस के बीच हो रहा है
- B2B (Business to Business)-
जब एक बिज़नस किसी दूसरे बिज़नस को माल बेचता है तो उसको B2B ( Business to Business )
कहते है उद्धरण के लिए जैसे कोई कार के पार्ट्स बनाने वाली company है वो कार बनाने वाली company को सामान बेचे तो वो Business to Business कहा कहलायेगा
- B2C (Business to Consumer)-
जब कोई business अपना सामान किसी individual consumer को बेचता है तो वो business B2C ( Business to Consumer ) based होता है
- C2B (Consumer to Business)-
जब कोई individual consumer या person अपनी goods या services किसी company को sale करता है तो ऐसा business C2B (Consumer to Business) कहलाता है
ई कॉमर्स साइट कौन सी है
वैसे तो लाखों ecommerce sites है India और पूरी दुनिया में लेकिन हम यहाँ आपको कुछ famous ecommerce sites के बारे में ही बता रहे है कुछ famous ecommerce sites है flipkart, amazon, jiomart, Walmart. लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है की केवल online shopping sites ही ecommerce sites होती है.
जैसा की हम ऊपर भी बता चुके है की कोई भी online website जो online या internet कॉमर्स का इतिहास पर व्यापार कर रही है व व्यापार करने में मदद करती है वो ecommerce site होती है
ई-कॉमर्स क्या है ई-कॉमर्स कितने प्रकार के होते हैं?
क्या कभी आपने इंटरनेट के माध्यम से कुछ सामान खरीदा है? या कुछ बेचा हो? अगर हाँ तो इसका मतलब आपने ई-कामर्स क्या इलेक्ट्रानिक वाणिज्य में भाग लिया है। ई-कामर्स एक ऐसी कार्यप्रणाली है जिसके द्वारा इंटरनेट का प्रयोग करते हुए सामान खरीदते तथा बेचते हैं। वाणिज्य का प्रयोग सदियों से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीददारी के लिए जाना जाता है परन्तु आज के युग में इसका स्वरूप पूर्णतया बदल चुका है। इसे अब आन लाइन सुविधा के साथ अच्छी तरह से किया जा रहा है। इस तरह के ऑनलाइन वाणिज्य को ई-काॅमर्स या ‘‘इलेक्ट्रानिक कामर्स’’ कहा जाता है। इसके द्वारा हम घर बैठे ही राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय वस्तुओं का आसानी से खरीद और बेच कर सकते हैं। आज यह सभी देशों के बाजारों का महत्वपूर्ण अंग है।
ई-कामर्स का प्रारम्भ 1990 का दशक माना जाता है और आज इसका प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इस समय लगभग हर कम्पनी की अपनी अलग ऑनलाइन उपस्थिति हैं तथा वह अपनी दमदार पहचान बनाने में जुटी है, देखा जाए तो ई-कामर्स एक आवश्यकता भी बन गई है। आज घरेलू सामान से लेकर, कपड़ा, किताबें, फर्नीचर, बिल्स, फोन चार्ज यात्रा टिकट मनोरंजन, सब कुछ ऑनलाइन है। आज बड़ी-बड़ी कम्पनियां जैसे पेटीएम अमेजाॅन, फ्लिपकार्ट इस प्रकार की सुविधाएं दे कर रही है। जिसमें आप जहां चाहे वहां सामान मंगवा सकते हैं। इस तरह से ई-कामर्स के जरिये धन का आदान प्रदान भी किया जा सकता है।
ई-कॉमर्स क्या है
इलेक्ट्रानिक कामर्स एक प्रकार की बिक्री-खरीददारी का माडल है जिसमें इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। इसके दो आधारभूत प्रकार है: व्यवसाय से व्यवसाय (B.2.B) और व्यवसाय से उपभोक्ता (B.2.C), B.2.B में कम्पनियाँ अपने आपूर्तिकर्ताओं, वितरकों एवं दूसरे सहयोगियों के साथ इलैक्ट्रानिक नेटवर्क के माध्यम से व्यापार करती है एवं B.2. में कम्पनियाँ अपने उत्पादों एवं सेवाओं को अपने उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रानिक नेटवर्क के माध्यम से उपलब्ध कराती है या बेचती है। हालांकि इसके बाद कई दूसरे तरह के ई-कामर्स माॅडल भी चर्चा में है जैसे कि C.2. C (उपभोक्ता-से-उपभोक्ता), C.2.B (उपभोक्ता-से-व्यवसाय), सी .2.A (बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन) एवं C.2.A (उपभोक्ता-से-एडमिनिस्ट्रेशन) आदि।
ई-कामर्स की अवधारणा का आशय इंटरनेट अर्थव्यवस्था एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था से है। इंटरनेट अर्थव्यवस्था का आशय ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसमें राजस्व उत्पन्न करने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। जबकि डिजिटल अर्थव्यवस्था कम्प्यूटर, साफ्टवेयर और डिजिटल नेटवर्क जैसी डिजिटल तकनीकों पर आधारित है। ई-कामर्स का विकास इलेक्ट्रानिक डाटा इंटरचेज के बाद हुआ। पहले कंपनियां इसका उपयोग व्यावसायिक दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए करती थी। धीरे-धीरे इसका प्रारूप बदला और कम्पनियों में इसका उपयोग सामान खरीदने एवं बेचने के लिए करना आरम्भ कर दिया। अब यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया।
ई-कॉमर्स के प्रकार
जब हम ई-कामर्स की बात करते हैं, तो हमारे मन में जो छवि उभरती है वह उत्पादक व उपभोक्ता के मध्य आनलाइन व्यापारिक लेन-देन की ही होती है जो कि कुछ हद तक सही भी है, ई-कामर्स को छह प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया गया है जिनकी अपनी-अपनी कुछ विशेषताएं हैं-
- व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस
- व्यापार-टू-उपभोक्ता (B 2 C) या बिजनेस-टू-कस्टूमर
- उपभोक्ता-टू-उपभोक्ता (कॉमर्स का इतिहास कॉमर्स का इतिहास C 2 C) या कस्टूमर-टू-कस्टूमर
- उपभोक्ता-टू-व्यवसाय (C 2 B) या कस्टूमर-टू-बिजनेस
- व्यापार-टू-प्रशासन (B 2 A) या बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन
- उपभोक्ता-टू-प्रशासन (C 2 A) या कस्टूमर-टू-एडमिनिस्ट्रेशन
1. व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस
जब दो या दो से अधिक कम्पनियाँ आपस में सामान अथवा सेवाओं का लेन-देन इलेक्ट्रानिक तरीके से करते हैं तो इस तरह के ई-कामर्स को व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस कहते हैं।
इलेट्रीबी समूह
El-Etreby गट आप नील और एक उपयुक्त जलवायु के तट पर उपजाऊ भूमि कहां मिल सकता है विशेष रूप से डेल्टा क्षेत्र में मिस्र में कृषि फसलों के लिए सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। प्राचीन मिस्र उनकी फसलों को उगाने के लिए इस भूमि का इस्तेमाल किया। इस खेती की जा सकती है कि प्राचीन कॉमर्स का इतिहास मिस्र में केवल भूमि थी। उसके मालिक Mr.Abdullsamei अल Etreby द्वारा 1996 में अल-Etreby समूह की नींव के बाद कंपनी इष्टतम गुणवत्ता, उत्पादकता के उच्चतम डिग्री तक पहुंचने के लिए कृषि भूमि सुधार और सतत सुधार पर काम किया गया है और की क्षमता में वृद्धि करने वाले वैश्विक बाजारों को लक्षित सबसे आसान शिपिंग तरीकों के साथ सबसे अच्छा उत्पाद निर्यात।.
भारत में ई-कॉमर्स लेनदेन का कराधान
भारत और विश्व स्तर पर, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के विस्तार के साथ वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति और खरीद में डिजिटल रूप से तेजी से वृद्धि हुई है। दरअसल, ई-कॉमर्स अब वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में काफी तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय कर प्राधिकरण लगातार नए विकास का जायजा ले रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए भारतीय कराधान कानूनों में आवश्यक बदलाव कर रहे हैं कि डिजिटल लेनदेन पर उचित रूप से कर लगाया जाए। ऐसा ही एक बदलाव अनिवासी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी कर की वसूली है।
वित्त अधिनियम, 2016 ने शुरू में यह प्रावधान किया था कि भारत में एक व्यवसाय/पेशे पर रहने वाला निवासी, या भारत में एक स्थायी प्रतिष्ठान (पीई) रखने वाला अनिवासी राशि पर 6% ('2016 लेवी') के बराबर लेवी की कटौती करेगा। एक अनिवासी सेवा प्रदाता को कुछ निर्दिष्ट सेवाओं (जैसे कॉमर्स का इतिहास विज्ञापन) के लिए भुगतान / देय, यदि निर्दिष्ट सेवा के लिए प्रतिफल की कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में INR 100,000 से अधिक है।
क्रेस्टन ग्लोबल नेटवर्क थाईलैंड में नई सदस्य फर्म का स्वागत करता है
क्रेस्टन ग्लोबल ने क्रेस्टन नेटवर्क में नई सदस्य फर्म क्रेस्टन जीएसआईए थाईलैंड का स्वागत किया है।
क्रेस्टन एसएनआर, भारत, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन के लिए ज्ञान भागीदार
क्रेस्टन एसएनआर अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन 2022 में भाग लेंगे - भारत में हरित हाइड्रोजन के अवसर, 30 और 31 अगस्त 2022 को बर्गन, नॉर्वे में आयोजित होने वाले हैं।