विदेशी मुद्रा व्यापार मास्टर

विदेशी मुद्रा व्यापार में संकेतों का उपयोग कैसे किया जाता है?
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Independence Day 2021: आजादी के बाद से रुपये में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिला, आज हालत पस्त
Independence Day 2021: बीते 75 वर्षों में रुपया गिरते-गिरते गुरुवार को बाजार बंद होने तक 74.2655 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। आइए जानने की कोशिश करते है कि 1947 से लेकर आज तक रुपये में कब-कब भारी गिरावट दर्ज की गई।
Independence Day 2021: हम आजादी की 75 वीं सालरिगरह (15 August 2021) को मनाने जा रहे हैं। बीते 74 सालों में हमारे देश ने काफी प्रगति की है। मगर देश की मुद्रा लगातार गिरावट को ओर जा रही है। वह लगातार टूटती जा रही है। गुरुवार बाजार बंद होने तक भारतीय पैसा 74.2655 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया। बीते साल भी रुपये की कीमत इसी के आसपास थी।
इस साल कोरोना महामारी के कारण पूरे देश के कारोबार पर असर देखने को मिला। कई महीनों के लॉकाडाउन के कारण बाजार में पैसे का फ्लो नहीं हो सका। इस कारण मंदी छाई रही। वहीं पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के कारण पूरे देश में महंगाई का असर दिखा। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो उस समय भारत में एक डॉलर की कीमत 4.16 रुपये थी। इसके बाद दो ऐसे मौके आए जब यह फासला तेजी से बढ़ा।
देश को दो बार आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा
आजादी के बाद से भारत को दो बार आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा। यह साल थे 1991 और 2008। वर्ष साल 1991 में आई आर्थिक मंदी के पीछे आंतरिक कारण थे। मगर 2008 में वैश्विक मंदी के कारण भारत में अर्थव्यस्था पर असर दिखाई दिया था। 1991 में भारत के आर्थिक संकट में फंसने की बड़ी वजह भुगतान संकट था। इस दौरान आयात में भारी कमी आई थी, जिसमें देश दोतरफा घाटे में था।
देश के अंदर व्यापार संतुलन बिगड़ चुका था। सरकार बड़े राजकोषीय घाटे पर चल रही थी। खाड़ी युद्ध में 1990 के अंत तक, स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से तीन सप्ताह के आयात लायक बचा था। सरकार पर भारी कर्ज था जिसे चुकाने में वह असमर्थ थी।
बजट नहीं पेश कर थी सरकार
विदेशी मुद्रा भंडार घटने से रुपये में काफी तेज गिरावट आई थी। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार फरवरी 1991 में बजट नहीं पेश कर सकी। कई वैश्विक क्रेडिट-रेटिंग एजेंसियों ने भारत को डाउनग्रेड कर दिया था। यहां तक की विश्व बैंक और आईएमएफ ने सहायता रोक दी। इसके बाद सरकार के पास देश के सोने को गिरवी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इसकी मुख्य वजह रुपये की कीमत में तेजी से गिरावट आना और भारत पर निवेशकों का घटता भरोसा था।
वहीं 2008 में आर्थिक मंदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को उतना नुकसान नहीं पहुंचाया था, जितना अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओ को झेलना पड़ा। 2008 की मंदी के बाद भारत का व्यापार वैश्विक जगत से काफी घट गया था। आर्थिक विकास घटकर छह फीसदी तक चली गई थी।
बीते 75 साल में डॉलर के मुकाबले रुपया
- वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब भारत में एक डॉलर की कीमत 4.16 रुपये तक थी।
- वर्ष 1950 से 1965 तक करीब 15 वर्षों के लंबे अंतराल तक रुपया 4.76 रुपये प्रति डॉलर पर स्थिर बना रहा।
- वर्ष 1966 में अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय मुद्रा की कीमत में अचानक तेज गिरावट दर्ज की गई। एक डॉलर की कीमत 6.36 रुपए तक हो गई।
- वर्ष 1967 से लेकर 1970 के बीच एक डॉलर की कीमत स्थिर रही। ये 7.50 रुपये पर बनी रही।
- वर्ष 1974 में रुपये में बड़ी गिरावट दर्ज करी गई। यह डॉलर के मुकाबले 8.10 रुपये स्तर पर पहुंच गई।
- इमरजेंसी के समय यानी 1975 में रुपया 28 पैसा तक गिरा। इस समय एक डॉलर की कीमत 8.38 रुपये हो गई।
- वर्ष 1983 में रुपया गिरकर 10.1 रुपये के स्तर पर पहुंच गया। वहीं वर्ष 1991 के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव के कार्यकाल में देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई। उस समय रुपये में जोरदार गिरावट दर्ज की गई थी। डॉलर मजबूत हो गया। इस समय एक डॉलर की कीमत 22.74 रुपये हो चुकी थी।
- वर्ष 1993 में डॉलर के मुकाबले रुपया 30.49 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। वर्ष 1994 से लेकर 1997 तक यह 31.37 रुपये प्रति डॉलर से लेकर 36.31 रुपये प्रति डॉलर का उतार चढ़ाव देखा गया।
- वर्ष 1998 में देश में गैर-कांग्रेसी सरकार बनने की आहट के साथ ही रुपये में एक बार फिर जोरदार गिरावट देखगी गई। एक डॉलर की कीमत 41.26 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गई।
- वर्ष 2012 में रुपये में जोरदार गिरावट हुई और डॉलर के मुकाबले इसकी कीमत 53.44 रुपये हो गई। इसके बाद वर्ष 2014 में जब देश में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो रुपये में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। यह डॉलर के मुकाबले 62.33 रुपये प्रति डॉलर तक टूट। वर्ष 2018 में एक बार जोरदार गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान डॉलर के मुकाबले कीमत 70.09 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंची।
मास्टर प्लान में और 79 गांव होंगे शामिल
38 हजार हेक्टेयर एरिया और बढ़ेगा इंदौर के निवेश क्षेत्र में
नगर एवं ग्राम निवेश विभाग जल्द ही बुलाएगा दावे-आपत्ति
इन्दौर। कमलेश्वरसिंह सिसौदिया
देश (country) में लगातार अग्रणी बनता जा रहा प्रदेश के सबसे बड़े इन्दौर शहर (indore city) में अब निवेश (investment) का क्षेत्र तकरीबन 40 फीसदी और ज्यादा विस्तार (extension) होने जा रहा है। इन्दौर शहर के निवेश क्षेत्र अब 88 हजार 105 हेक्टेयर का हो जाएगा। इसमें 79 गांवों को शामिल किया जा रहा है। इसके लिए नोटिफिकेशन (notification) हो चुका था। इन्दौर मास्टर प्लान (master plan) 2021 ( इन्दौर विकास योजना) के लिए नगर एवं ग्राम निवेश विभाग (village investment department) दावे और आपत्ति बुलाने की प्रक्रिया को जल्द ही अमल में लाएगा।
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इन्दौर शहर (indore city) से सीमा के समीप 79 गांव अब नए मास्टर प्लान (master plan) में शामिल किए जाएंगे। इससे इन गांवों में आधार भूत सुविधाएं मिलेगी और शहर का निवेश क्षेत्र भी बढ़ेगा। इससे विकास की विभिन्न योजनाएं और लोगों को आधार भूत सुविधाओं के साथ जमीन भी मिलेगी। पहले इन्दौर निवेश क्षेत्र 50 हजार 525 हेक्टेयर का था, जो अब इन 79 गांवों के शामिल होने के बाद 88 हजार 105 हेक्टेयर का हो जाएगा। यह मास्टर प्लान (master plan) 2035 को ध्यान में रखते हुए नगर एवं ग्राम निवेश विभाग तैयार कर रहा है, जिसके लिए संभवत: अक्टूबर विदेशी मुद्रा व्यापार मास्टर के पहले या दूसरे सप्ताह में दावे या आपत्ति के लिए प्रकाशन किया जा सकेगा।
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यह गांव शामिल होंगे मास्टर प्लान में
मास्टर प्लान (master plan) 2021 में जारी नोटिफिकेशन के अंतर्गत आमलीखेड़ा ( amlikheda), सगवाल, खजूरियां (khajurian), काकरिया, बोर्डिया, कदवाली बुजुर्ग, पलासिया, पानोट, कुपड़ीनाका, बिसनखेड़ी, बुरआनाखेड़ी, अर्जुन बरोदा, खिमाणा, विदेशी मुद्रा व्यापार मास्टर चौहान खेड़ी, पीपल्यागारी, हासा खेड़ी, कपाल्या खेड़ी, सोनवाय, धमनाय, मुंदला दस्ता, राजधारा, तिल्लौर खुर्द, असरावद खुर्द, उमरिया खेड़ा, मोरोद, माचल, राऊ, नावदा, उमरिया, पिगडंबर, रंगवासा, सिंदौड़ी, श्रीराम तलावली, पीपल्या झगरू, बोरिया, राजपुरा, नौगांवा, सिंगादा, मोहम्मदपुरा, गुर्दाखेड़ी, राजपुरा, फूलकोडिय़ा, पीरकराडिय़ा, बरलाई तोड़ी, कांकरोड़, पंचडेरिया, बड़ौदिया, मुरादपुरा आदि गांव को लिया गया है।
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ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेंगी शहर जैसी सुविधाएं
79 गांवों को मास्टर प्लान एरिया (master plan area) में शामिल करने के बाद यहां के बांशिदों को शहर जैसी सुविधाऐं मिलेंगी। दरअसल इन्दौर के आसपास इन गांवों में नई कालोनियों (new colonies), टाउनशिप (township) का निर्माण लंबे समय से बेतरतीब हो गया था, लेकिन यहां बड़े निर्माण और विकास की अनुमति ग्राम निवेश से ही लेना अब आसान हो जाएगी। यहां पर सडक़ें, बगीचे, ग्रीन बेल्ट आदि की जमीनों को भी मास्टर प्लान में शामिल किया जाएगा।
-एस.के. मुद्गल , संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश
देश का विदेशी मुद्रा भंडार एक अरब डॉलर बढ़कर 429.60 अरब डॉलर पर पहुंचा
मुंबई/भाषा। देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह सितंबर को समाप्त सप्ताह में 1.004 अरब डॉलर बढ़कर 429.60 अरब डालर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां बढ़ने से सकल विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई। रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 44.60 करोड़ डॉलर घटकर 428.60 अरब डॉलर रह गया था। देश विदेशी मुद्रा व्यापार मास्टर का सकल विदेशी मुद्रा भंडार इस साल अगस्त माह में 430.57 अरब डॉलर के अब तक के सर्वोच्च स्तर को छू चुका है।
आंकड़ों के मुताबिक छह सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में प्रमुख भागीदारी रखने वाली विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में 1.20 अरब डालर की वृद्धि हुई और यह 397.20 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस दौरान स्वर्ण आरक्षित भंडार 19.90 करोड़ डॉलर घटकर 27.35 अरब डॉलर रह गया।
आंकड़ों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास विशेष आहरण अधिकार इस दौरान 1.434 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। विदेशी मुद्रा व्यापार मास्टर इस दौरान कोष के पास देश का आरक्षित भंडार मामूली 20 लाख डॉलर बढ़कर 3.62 अरब डॉलर पर पहुंच गया।