विदेशी निवेश

छष्ठम, भारत को विश्वसनीय संयुक्त उद्यम साझीदार पाने में एक मुश्किल देश माना जाता है। फिर चाहे यह कंपनी सार्वजनिक हो या निजी क्षेत्र की। कुछेक भारतीय कंपनियों की साख और विश्वसनीयता की वजह से विदेशी निवेशक साझेदारी बनाने में दिलचस्पी उन तक केंद्रित रखते हैं। यह मसला सरकारें नहीं सुलझा सकेंगी। यह निजी क्षेत्र का मामला है और विगत में ऐसे बहुत से संयुक्त उद्यम हुए हैं, जो ‘सांस्कृतिक भिन्नता’ की वजह से टूट गए। इसलिए आगे की राह में सावधानी रखना ही सबसे सही होगा और दृष्टिकोण लंबी अवधि वाला रखना जरूरी है।
FDI: भारत में बिजनेस करना हुआ बेहद आसान, FY23 में 100 अरब डॉलर का होगा विदेशी निवेश – केंद्र सरकार
FDI: भारत की अर्थव्यवस्था (Economy of India) को लेकर एक अच्छी खबर सामने आ रही है। केंद्र सरकार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत 100 अरब डॉलर का विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment – FDI) आकर्षित कर सकता है। केंद्र सरकार का कहना है कि देश में FDI तेजी से बढ़ रहा है और यह चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। भारत में FDI निवेश को सरल और सुगम बनाने पर सरकार ने अच्छा विदेशी निवेश विदेशी निवेश प्रयास किया है।
101 देशों से आया FDI
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (commerce and industry ministry) ने कहा कि देश को 2021-22 में अब तक का सबसे ज्यादा 83.6 अरब डॉलर विदेशी निवेश का विदेशी निवेश मिला था। देश में FDI 101 देशों से आया है। जिसे 31 केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में और 51 सेक्टर्स में निवेश किया गया है। अपने आर्थिक सुधारों और कारोबार करने में सुगमता बढ़ाने के प्रयासों के बूते भारत चालू वित्त वर्ष में 100 अरब डॉलर का FDI पाने की दिशा में बढ़ रहा है। सुधार के कदम, अनावश्यक बोझ को कम करने, लागत घटाने की कोशिश की गई है। बता दें कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में इक्विटी FDI कम हो कर 16.6 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इसी अवधि में 6 फीसदी कम है।
विदेशी निवेश एक बार फिर Share Market का सेंटीमेंट बिगाड़ने पर तुले, दो महीने में इतने हजार करोड़ निकाले
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: October 23, 2022 12:37 IST
Photo:FILE FPI inflows
Highlights
- अक्टूबर में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपये की निकासी की
- सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ की निकासी की
- डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो अब तक का सबसे निचला स्तर
Share Market से विदेशी निवेशक लगातार दूसरे महीने बिकवाली कर रहें हैं। सितंबर के बाद अक्टूबर में भी विदेशी निववेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि वे एक बार विदेशी निवेश फिर से भारीतय बाजार का सेंटीमेंट बिगाड़ने पर तुले हुए हैं। इससे पहले लगातार नौ महीने बिकवाल रहने के विदेशी निवेश बाद जुलाई में विदेशों निवेशों ने पैसा लगााना शुरू किया था। देशी निवेशकों ने इस महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
विदेशी निवेशकों को भारत पसंद: विदेश से आया रिकॉर्ड तोड़ 83.57 अरब डॉलर का निवेश, इस सेक्टर में बंपर इन्वेस्टमेंट
FDI Inflow: जहां एक तरफ महंगाई के मोर्चे पर लगातार बुरी खबर आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ विदेशी निवेश (Foreign investment) के मामले में भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है। विदेशी निवेशक देश में जमकर निवेश कर रहे हैं। निवेश के लिए भारत पसंदीदा देश बनता जा रहा है। दरअसल, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में देश में रिकॉर्ड तोड़ विदेशी निवेश आया है। इसकी जानकारी कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय ने दी है। मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई (FDI) हासिल किया है, जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है।
विदेशी निवेश और आर्थिक सुरक्षा में हो समन्वय
इस वक्त विश्व का हर मुल्क उतार-चढ़ाव और अत्यंत चुनौतीपूर्ण एवं अनिश्चितता भरे समय का सामना कर रहा है। वह देश जिनके पास काबिलियत है, अपने विकास और आर्थिकी को उच्चतम संभावित स्तर पर ले जाने की खातिर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में बाहरी स्रोत पाना चाहते हैं। भारत भी विदेशी निवेश की चाहत रखता है, जिससे कि नई तकनीक और रोजगार मिलें और अतिरिक्त स्रोत पैदा हों। अनुमान लगाया गया है कि भारत के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति विदेशी प्रत्यक्ष निवेश लगभग 60 डॉलर है। यह अच्छा है विदेशी निवेश और फिलहाल भारत वह देश है, जिसकी विकास दर इस मामले में सबसे ऊंची है।
लेकिन करोड़ों की संख्या में नए रोजगार पैदा करने, गरीबी से निजात पाने और भारत को जिस तरह की अनेकानेक समस्याएं दरपेश हैं, उनका हल निकालने के लिए प्रति व्यक्ति प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 100 डॉलर होना जरूरी हो जाता है। किंतु प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में हमारा स्थान अच्छा रहने के बावजूद क्या हम यह स्तर पा सकेंगे? और ऐसी दुनिया में यह संभव है जहां आज विदेशी निवेश पाने में भारी प्रतिस्पर्धा हो और सभी देश पूंजी लगाने वालों को बेहतर आकर्षक प्रोत्साहन देकर रिझाने में लगे हैं। प्रतिस्पर्धा जिंदगी का एक रोचक अवयव भी है, यह दबाव पैदा करती है और नूतन विचारों और रणनीति का उद्भव होता है। भारत आगे बढ़ सकता है मगर कुछ कारकों पर ध्यान देना जरूरी है।
विदेशी निवेश
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विदेशी निवेश को आकर्षित करने क .
Solution : विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत की केंद्र एवं राज्य सरकारों ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं
(i) औद्योगिक क्षेत्र या विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की है। इन क्षेत्रों में विश्व स्तरीय सुविधाएँ-बिजली, पानी, सड़क, परिवहन, भंडारण, मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
(विदेशी निवेश ii) इन क्षेत्रों में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कंपनियों को पहले के पाँच वर्षों तक कोई कर नहीं देना पड़ता।
(iii) श्रम कानूनों को लचीला बनाया गया है। कंपनियाँ श्रमिकों को छोटी अवधि के लिए नियुक्त कर सकती है।