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स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार

स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार
देखा जाए तो स्टॉक मार्केट एक तरह से सब्जीमंडी की तरह है। जैसे कि यदि मुनाफाखोर यदि प्याज को स्टॉक कर लेंगे तो क्या होगा स्वाभाविक है उसका दाम बढ़ेगा। ठीक वैसे ही शेयर मार्किट में कहीं बार कुछ लोग शेयर को बेचते नहीं है। इससे उनकी डिमांड बढ़ जाती है। पढ़े – जीवन बीमा कविता

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अमित कुमार दुबे

पैसा कमाना हर किसी को अच्छा लगता है. कहा जाता है कि शेयर बाजार में बहुत पैसा है. कुछ लोगों को उदाहरण दिया जाता है कि इन्होंने महज 5000 रुपये से निवेश की शुरुआत की थी, और आज शेयर बाजार से करोड़ों रुपये बना रहे हैं. आखिर उनकी सफलता का राज क्या है, आज हम आपको बताएंगे? (Photo: Getty Images)

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दरअसल, आप भी कुछ आसान टिप्स को फॉलो कर शेयर बाजार से पैसे बना सकते हैं. शेयर बाजार में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप लखपति से करोड़पति बन सकते हैं. लेकिन अक्सर लोग पैसे बनाने की होड़ में नियम और रिस्क को भूल जाते हैं, या फिर कहें जानबूझकर नजरअंदाज कर देते हैं. और फिर उनकी उनकी शिकायत होती है कि शेयर बाजार से बड़ा नुकसान हो गया. (Photo: Getty Images)

Sensex और Nifty के बारे में क्यों होती है इतनी बात, क्या है इनके कैलकुलेशन का तरीका, जानिए कई दिलचस्प सवालों के जवाब

Sensex और Nifty के बारे में क्यों होती है इतनी बात, क्या है इनके कैलकुलेशन का तरीका, जानिए कई दिलचस्प सवालों के जवाब

सेंसेक्स और निफ्टी दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्सेज हैं जो देश के दो प्रमुख स्टॉक्स एक्सचेंजेज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंजेज से जुड़ा हुए हैं.

Know How Sensex and Nifty are Calculated: कारोबार की खबरें पढ़ने के दौरान कुछ शब्द बार-बार सामने आते हैं जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख हैं. खबरों के जरिए पता चलता है कि सेंसेक्स ने रिकॉर्ड स्तर छुआ या सेंसेक्स में गिरावट के चलते निवेशकों का करोड़ों का नुकसान हुआ, ऐसे में आम लोगों के मन में दिलचस्पी उठना स्वाभाविक हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं जिससे लोगों के स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार करोड़ो का नफा-नुकसान जुड़ा हुआ है. इसके अलावा अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो भी इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है.

Sensex क्या है?

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स है. इसीलिए इसे बीएसई सेंसेक्स भी कहा जाता है. सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है. हिंदी में कुछ लोग इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं. इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 विभिन्न क्षेत्रों की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाता है. इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.

  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है. इसके लिए कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या को शेयर के भाव से गुणा करते हैं. इस तरह जो आंकड़ा मिलता है, उसे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन या हिंदी में बाजार पूंजीकरण भी कहते हैं.
  • अब उस कंपनी के फ्री फ्लोट फैक्टर की गणना की जाती है. यह कंपनी द्वारा जारी किए कुल शेयरों का वह परसेंटेज यानी हिस्सा है जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है. जैसे कि किसी कंपनी ABC के 100 शेयरों में 40 शेयर सरकार और प्रमोटर के पास हैं, तो बाकी 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे. यानी इस कंपनी का फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.
  • बारी-बारी से सभी कंपनियों के फ्री फ्लोट फैक्टर को उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन से गुणा करके कंपनी के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है.
  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को जोड़कर उसे बेस वैल्यू से डिवाइड करते हैं और फिर इसे बेस इंडेक्स वैल्यू से गुणा करते हैं. सेंसेक्स के लिए बेस वैल्यू 2501.24 करोड़ रुपये तय किया गया है. इसके अलावा बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है. इस गणना से सेंसेक्स का आकलन किया जाता है.

निफ्टी 50 क्या है ?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 भी एक प्रमुख मार्केट इंडिकेटर है. निफ्टी शब्द नेशनल और फिफ्टी को मिलाने से बना है. नाम के अनुरूप इस इंडेक्स में 14 सेक्टर्स की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड है. बीएसई की तरह ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को ट्रैक करता है. इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है.

  • निफ्टी की गणना लगभग सेंसेक्स की तरह ही फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन के आधार पर होती है लेकिन कुछ अंतर भी है.
  • निफ्टी की गणना के लिए सबसे पहले सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है, जिसके लिए आउटस्टैंडिंग शेयर की संख्या को वर्तमान भाव से गुणा करते हैं.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंवेस्टेबल वेट फैक्टर (RWF) से गुणा किया जाता है. RWF पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों का हिस्सा है.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंडिविजुअल स्टॉक को एसाइन किए हुए वेटेज से गुणा किया जाता है.
  • निफ्टी को कैलकुलेट करने के लिए सभी कंपनियों के वर्तमान मार्केट वैल्यू को बेस मार्केट कैपिटल से डिवाइड कर बेस वैल्यू से गुणा किया जाता है. बेस मार्केट कैपिटल 2.06 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है और बेस वैल्यू इंडेक्स 1 हजार है.

इतने खास क्यों हैं Nifty और Sensex ?

भारतीय शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का संकेत देने वाले सिर्फ यही दो इंडेक्स नहीं हैं. इसके अलावा भी तमाम इंडेक्स मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल शेयरों की चाल को समझने के लिए किया जाता है. इनमें ज्यादातर इंडेक्स किसी खास सेक्टर या कंपनियों के किसी खास वर्गीकरण से जुड़े हुए हैं. मिसाल के तौर पर किसी दिन के कारोबार के दौरान 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों की औसत चाल का संकेत देने वाला Bank Index या सिर्फ सरकारी बैंकों के शेयरों का हाल बताने वाला PSU स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार Bank Index, स्टील, एल्यूमीनियम और माइनिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों के चाल का संकेत देने स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार वाला मेटल इंडेक्स या फार्मा कंपनियों के शेयरों का फार्मा इंडेक्स, वगैरह-वगैरह.

ये सभी इंडेक्स बाजार में स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार पैसे लगाने वाले निवेशकों या उन्हें मशविरा देने वाले ब्रोकर्स या सलाहकारों के लिए बेहद काम के होते हैं. लेकिन अगर एक नजर में बाजार का ओवरऑल रुझान समझना हो या उसके भविष्य की दशा-दिशा का अंदाज़ा लगाना हो, तो उसके लिए सबसे ज्यादा सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स पर ही गौर किया जाता है. इन्हें मोटे तौर पर मार्केट सेंटीमेंट का सबसे आसान इंडिकेटर माना जाता है.

स्टॉक मार्केट क्या है : Share Bazar Kya Hai | 2 Stock Market

स्टॉक मार्केट क्या है : Share Bazar Kya Hai | Stock Market – यहाँ स्टॉक मार्किट से जुडी सभी बेसिक जानकारी उपलब्ध है। तो चलिए जानते हैं स्टॉक मार्किट के बारे में और आपको यहाँ इन्वेस्ट करना चाहिए या नहीं।

Table of Contents

स्टॉक मार्केट क्या है | Stock Market in Hindi

हमने कहीं बार शेयर बाजार के बारे में सुना है। शेयर बाजार कहो या स्टॉक मार्केट बात एक ही है। शेयर का मतलब होता है हिस्सेदारी।

हर कंपनी के अपने शेयर होते हैं। जब आप इन शेयर को खरीदते तो हो आप उस कंपनी को एक इकनोमिक बूस्ट देते हो। और कंपनी बदले में आपको डिविडनड देती है। यह डिविडनड ठीक वैसे ही है जैसे आप आपको बैंक में फिक्स डिपाजिट कराने पर इंटरेस्ट प्राप्त होता है। हालांकि डिविडेंड दिया जायेगा या नहीं यह कंपनी के ऊपर निर्भर करता है।

स्टॉक मार्केट को सट्टा बाजार भी कहा जाता है और कुछ लोग तो इसे सट्टा बोलकर इसमें पैसा लगाने से परहेज करते हैं बल्कि दूसरों को भी इससे दूर रहने की सलाह देते हैं। किन्तु यह अधूरा सच है।

इसमें कोई शक नहीं कि स्टॉक मार्किट एक प्रकार से सट्टा बाजार है। क्योंकि इसमें पैसा आने और जाने का बिलकुल साफ साफ़ जोखिम है। किन्तु यदि हम इसे लॉन्ग टर्म बेस पर देखें तो यह जोखिम ना होकर के एक प्रकार का बिज़नेस है।

शेयर बाज़ार क्या है | Share Bazar Kya Hai

किसी भी कंपनी जो कोई शुरू करता है अर्थात जो उसमें पैसा लगाता है। उसे प्रमोटर्स कहते हैं। यह प्रमोटर्स शुरुआत में एक या उससे अधिक हो सकते हैं। प्रमोटर भी किसी भी शेयर की फेस वैल्यू तैय करते हैं। फेस वैल्यू का अर्थ है शेयर की स्टार्टिंग प्राइस।

शुरुआत में एक कम्पनी प्राइवेट कंपनी होती है। फण्ड की जरूरत पड़ने पर बाद में यह कंपनी पब्लिक स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार लिमिटेड कंपनी बन जाती है फिर इससे आगे जाने पर यह लिस्टेड कंपनी बन जाती है। लिस्टेड स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार कंपनी बनने पर कोई भी व्यक्ति इसके शेयर खरीद सकता है। क्यों कि फिर यह पूरी तरह से ओपन मार्किट होता है।

स्टॉक एक्सचेंज वह प्लेटफार्म है जहाँ जाकर एक इन्वेस्टर किसी शेयर को खरीदता व बेचता है। स्टॉक एक्सचेंज एक प्रकार से उसका सिक्योरिटीज प्रदान करता है। भारत में तीन प्रकार के स्टॉक एक्सचेंज है। – 1. BSE (Bombay Stock Exchange) 2. NSE National Stock Exchange और 3. MSEI (Metropolitan Stock Exchange of India)

Share Market Kya Hai | शेयर मार्केट क्या है

मार्किट दो तरह के होते हैं 1 Primary Market और 2. Secondary Market. प्राइमरी मार्किट वह मार्किट होता है जब कोई कंपनी फर्स्ट टाइम स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होने को आती है यहाँ कंपनी से सीधे सीधे एक इन्वेस्टर शेयर खरीदता है।

सेकेंडरी मार्किट हमारे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज व नेशनल स्टॉक एक्सचेंज हैं। यहाँ एक इन्वेस्टर से दूसरा इन्वेस्टर शेयर का लेन देन करता है।

किसी भी प्राइवेट कंपनी में ज्यादा से ज्यादा 200 भागीदार हो सकते हैं। इसके बाद उसे पब्लिक लिमिटेड कंपनी और उससे आगे उसे लिस्टेड कंपनी बनना होता है।

जब कोई प्राइवेट कंपनी पब्लिक लिमिटेड बनती है तो वह अपने शेयर IPO के तहत इन्वेस्टर्स को प्रोवाइड करवाती है। ताकि ज्यादा से ज्यादा वह फंडिंग करवा सके। इस कमपनी को Issuer कंपनी कहते हैं। जो कंपनी IPO के तहत आती है उसे ही प्राइमरी मार्किट कहते हैं। IPO का अर्थ है Initial Public Offer.

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