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मार्किट आर्डर

मार्किट आर्डर
जब निवेशक का आर्डर एक्सचेंज मार्किट में पूरा हो जाता है तो निवेशक के डीमैट अकाउंट में खरीद आर्डर या बेच आर्डर में स्वतः ही देखने लगता है। इस तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों के शेयर के लेन देन को पारदर्शी बनता है। डीमैट अकाउंट किसी भी स्टॉक ब्रोकर के द्वारा ओपन किया जा सकता है जो ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है। जो ट्रेडिंग सिस्टम में ऑर्डर देते हैं। एनएसई द्वारा घोषित छुट्टियों को छोड़कर, एक्सचेंज मार्केट सप्ताह में पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक उपलब्ध रहता है।

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उत्पादन में तेजी: नए ऑर्डर मिलने से विनिर्माण गतिविधियां बढ़ीं, फरवरी में 54.9 पहुंच गया

उत्पादन में तेजी (सांकेतिक तस्वीर)

नए आर्डर की संख्या बढ़ने और उत्पादन में तेजी से देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में बढ़ गईं। मांग की अनुकूल स्थिति से इन गतिविधियों को समर्थन मिला है। इससे बुधवार को जारी आएचएस मार्किट का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी में बढ़कर 54.9 पहुंच गया।

पीएमआई का यह आंकड़ा क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है। जनवरी में विनिर्माण पीएमआई 54.0 पर था। पीएमआई का 50 से ऊपर रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है। आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा कि बिक्री में निरंतर वृद्धि से फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी को बल मिला।

विस्तार

नए आर्डर की संख्या बढ़ने और उत्पादन में तेजी से देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में बढ़ गईं। मांग की अनुकूल स्थिति से इन गतिविधियों को समर्थन मिला है। इससे बुधवार को जारी आएचएस मार्किट का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी में बढ़कर 54.9 पहुंच गया।

पीएमआई का यह आंकड़ा क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है। जनवरी में विनिर्माण पीएमआई 54.0 पर था। पीएमआई का 50 से ऊपर रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है। आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा कि बिक्री में निरंतर वृद्धि से फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी को बल मिला।

विनिर्माण का आंकड़ा फरवरी, 2022 में कंपनियों की परिचालन स्थिति में सुधार दर्शाता है। खरीद संबंधी गतिविधियां जारी रहने के साथ उत्पादन और नए ऑर्डर की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि, कुछ ऐसी प्रमुख चिंताएं हैं, जो वृद्धि के लिए खतरा बनी हुई हैं। कच्चे माल की कमी के कारण लागत का दबाव ऊंचा बना हुआ है, जबकि आपूर्ति का समय एक बार फिर बढ़ गया। विनिर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बिक्री कीमतों में मामूली वृद्धि है। पिछले बकाया ऑर्डर की वजह से भारतीय विनिर्माताओं पर दबाव बढ़ा है। इससे मांग में तेजी के बावजूद रोजगार घटा है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य

दोस्तों, क्या आप जानते है शेयर मार्किट में एनएसई (NSE) क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ा? इसके क्या फायदे है? यह कैसे काम करता है? आईये आज हम इसके विस्तार से जानते है। एनएसई (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता लाना है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)

एनएसई (NSE) का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड मार्किट आर्डर है यह भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश कर सके। सन 1994 में एनएसई (मार्किट आर्डर NSE) ने पहली बार भारतीय शेयर बाजार में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुवात किया।

1992 के प्रसिद्ध घोटाले के बाद, जिसमें एक प्रसिद्ध निवेशक ने भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर किया गया था। तब वित्त मंत्रालय ने भारत सरकार तहत, निवेशकों तक शेयर बाजार को आसानी से पहुंचने के उद्देश्य से एनएसई की स्थापना का निर्णय लिया गया था। इसकी संस्था की स्थापना की सिफारिस M.J. शेरवानी समिति ने भी किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से एक विकसित स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना सन 1992 में 25 करोड़ पूँजी के साथ मुंबई में किया गया। एनएसई का प्रमुख सूचकांक, निफ्टी 50 है, इसके अंतर्गत 50 कम्पनियाँ रजिस्टर्ड है। सूचकांक में सम्मिलित कंपनियों का समय-समय का आकलन किया जाता है और पुरानी कंपनियों के स्थान पर वे नयी सर्वोत्तम कम्पनीयों को शामिल किया जाता है | इसका उपयोग निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर भारत और दुनिया भर में भारतीय पूंजी बाजार के बैरोमीटर के रूप में किया जाता है। एनएसई (NSE) द्वारा 1996 में NIFTY 50 इंडेक्स आरम्भ किया गया था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का उद्देश्य

एनएसई (NSE) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है।

  1. सभी निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने तथा शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करना |
  2. सभी निवेशक सामान रूप से प्रतिभूति को खरीद और बेच सके।
  3. शेयर बाजार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाना।
  4. ख़रीदे और बेचे गए शेयर को अल्प समय में हस्तानांतरित करना।
  5. प्रतिभूति बाजार को अंतरास्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप स्थापित करना।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्य

दोस्तों ,अब हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रणाली के बारें में विस्तार से जानेंगे।

अगर कोई निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो सबसे पहले उसको मार्किट आर्डर के द्वारा आर्डर देना होता है , और कंप्यूटर ट्रेडिंग जो एक स्वचालित प्रक्रिया है के माध्यम से आपके आर्डर का मिलान किया जाता है। जब कोई निवेशक मार्किट आर्डर देता है तो उसे एक नंबर दिया जाता है जिसको यूनिट नंबर कहा है। कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। खरीदने वाले व्यक्ति को बेचने वाले व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं रहता है और बेचने वाले व्यक्ति को खरीदने वाले व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं रहता है।

जब आपका आर्डर को कोई मिलान नहीं मिलता है तो आर्डर के क्रम को मिलाने के लिए आर्डर सूची से जोड़ा जाता है, और यह प्राइस टाइम (Price time) के प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सर्वोत्तम मूल्य के आर्डर को पहले प्राथमिकता दिया जाता है और एकसमान मूल्य वाले आर्डर को पहले आर्डर के आधार पर प्राथमिकता दिया जाता है।

HSBC मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई जून में घटा

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  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2015,
  • (अपडेटेड 01 जुलाई 2015, 1:45 PM IST)

भारत के मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में जून के दौरान नरमी दर्ज हुई है. HSBC का बुधवार को जारी सर्वेक्षण के मुताबिक ऐसा कंपनियों द्वारा नई नौकरियों के संबंध में सतर्कता बरतने के मद्देनजर नए कारोबारी आर्डर में बढ़ोतरी कम होने के कारण हुआ.

सितंबर 2014 से अब तक की नए आर्डर में सबसे सुस्त बढ़ोतरी के बीच HSBC इंडिया का खरीद प्रंबंधक सूचकांक (पीएमआई) जून में 51.3 पर आ गया जो मई में 52.6 पर था. यह आंकड़ा तैयार करने वाली संस्था मार्किट की अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा मई में उत्पादन और नए आर्डर में बढ़ोतरी के बाद जून का पीएमआई आंकड़ा भारत की आर्थिक वृद्धि में नरमी का संकेत देता है.

देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में बढ़ी : पीएमआई

आएचएस मार्किट भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी माह में बढ़कर 54.9 अंक पर पहुंच गया। एक महीना पहले जनवरी में यह 54.0 पर था। यह क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है।

पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ है क्षेत्र में विस्तार हुआ है जबकि 50 से नीचे रहने का मतलब इसमें गिरावट आई है।

सर्वेक्षण में कहा गया कि बिक्री में मार्किट आर्डर निरंतर वृद्धि से फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी को बल मिला।

आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा, ‘‘भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए ताजा पीएमआई आंकड़ा फरवरी 2022 में कंपनियों की परिचालन स्थिति में सुधार दर्शाता है। खरीद संबंधी गतिविधियां जारी रहने के साथ उत्पादन और नए ऑर्डर की संख्या में वृद्धि हुई है।’’

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