बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन

वर्ष 2022 में उच्च रिटर्न देने वाले भारत में शीर्ष 10 सर्वश्रेष्ठ इन्वेस्टमेंट प्लान
उच्च रिटर्न प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ इन्वेस्टमेंट विकल्प
उच्च रिटर्न प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ इन्वेस्टमेंट विकल्प
निवेश भारत में संपत्ति बनाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है. यह महंगाई को हराने, फाइनेंशियल लक्ष्यों को पूरा करने और अपने आर्थिक भविष्य को स्थिर बनाने में मदद करता है. अपने बैंक अकाउंट में पैसे को रखने की बजाय, आप स्टॉक्स, शेयर्स, म्यूचुअल फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे विभिन्न विकल्पों में इन्वेस्ट कर सकते हैं.
यह आपको फाइनेंशियल लक्ष्यों को प्राप्त करने और भारत के टॉप इन्वेस्टमेंट विकल्पों में इन्वेस्ट करके सुरक्षित जीवन जीने के लिए, भविष्य के लिए फाइनेंशियल सुरक्षा बनाने में मदद कर सकता है.
मार्केट में कुछ इन्वेस्टमेंट प्लान हैं, जिनमें उच्च स्तर के जोखिम होते हैं और अन्य एसेट क्लास की तुलना में लॉन्ग-टर्म में लाभकारी रिटर्न जनरेट करने की क्षमता होती है.
कई इन्वेस्टमेंट प्लान उपलब्ध होने के कारण, सही विकल्प चुनना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. नीचे कुछ इन्वेस्टमेंट प्लान दिए गए हैं, जो सेविंग को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.
भारत में सर्वश्रेष्ठ इन्वेस्टमेंट प्लान
अगर आप सोच रहे हैं कि पैसे कहां इन्वेस्ट करें, तो यहां कुछ प्रकार के इन्वेस्टमेंट दिए गए हैं जिन्हें आप चुन सकते हैं:
स्टॉक्स
स्टॉक किसी कंपनी या इकाई के स्वामित्व में हिस्सेदारी को दर्शाते हैं. स्टॉक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर के लिए ज़्यादा रिटर्न प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ इन्वेस्टमेंट विकल्पों में से एक हैं. लेकिन, ये मार्केट के उतार-चढ़ाव से जुड़े होते हैं, इसलिए पूंजी की हानि का जोखिम हमेशा बना रहता है.
फिक्स्ड बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन डिपॉजिट
जोखिम से बचने वाले इन्वेस्टर के लिए, फिक्स्ड डिपॉजिट एक आदर्श इन्वेस्टमेंट विकल्प है. एफडी आपके डिपॉजिट पर सुरक्षित रिटर्न प्रदान करती है और इस पर मार्केट के उतार-चढ़ाव का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. उच्च-जोखिम लेने वाले इन्वेस्टर भी अपने पोर्टफोलियो को स्थिर बनाने के लिए एफडी, आरईआईटीएस और क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने का विकल्प चुनते हैं.
म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड, फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किए जाने वाले इन्वेस्टमेंट टूल्स हैं, जो लोगों के पैसे को संग्रह करते हैं और विभिन्न कंपनियों के स्टॉक और बॉन्ड में इन्वेस्ट करते हैं, ताकि रिटर्न मिल सके. आप शुरुआत में छोटी डिपॉजिट राशि से शुरू करके भी अच्छा-खासा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं.
सीनियर सिटीज़न सेविंग स्कीम
रिटायर हो चुके लोगों के लिए सीनियर सिटीज़न सेविंग स्कीम एक लॉन्ग-टर्म सेविंग विकल्प है. यह उन लोगों के लिए एक आदर्श विकल्प है जो रिटायरमेंट के बाद एक स्थिर और सुरक्षित आय प्राप्त करना चाहते हैं.
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड
पीपीएफ भारत में एक विश्वसनीय इन्वेस्टमेंट प्लान है. इन्वेस्टमेंट प्रति वर्ष मात्र रु. 500 से शुरू है और इन्वेस्ट किए गए मूलधन, अर्जित ब्याज़ और मेच्योरिटी राशि पर टैक्स से छूट दी जाती है. इसका लॉक-इन पीरियड 15 वर्षों का है, जिसमें विभिन्न पड़ावों पर आंशिक निकासी की अनुमति दी जाती है.
एनपीएस
एनपीएस, लाभदायक सरकार समर्थित इन्वेस्टमेंट विकल्पों में से एक है, जो पेंशन के विकल्प प्रदान करता है. आपके बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन फंड बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटीज़, स्टॉक और अन्य इन्वेस्टमेंट विकल्पों में इन्वेस्ट किए जाते हैं. लॉक-इन अवधि इन्वेस्टर की आयु द्वारा निर्धारित की जाती है, क्योंकि जब तक इन्वेस्टर 60 वर्ष की आयु का नहीं होता, तब तक यह स्कीम मेच्योर नहीं होती है.
रियल एस्टेट
रियल एस्टेट, भारत के सबसे तेज़ी से बढ़ते सेक्टर्स में से एक है, जिसमें बेहतरीन संभावनाएं हैं. भारत के कई इन्वेस्टमेंट विकल्पों में से फ्लैट या प्लॉट खरीदना भी सर्वश्रेष्ठ विकल्प में से एक है. क्योंकि प्रॉपर्टी की दर हर छह महीने में बढ़ सकती है, इसलिए जोखिम कम होता है और रियल एस्टेट एक ऐसे एसेट के रूप में काम करता है, जो लंबे समय में उच्च रिटर्न प्रदान करता है.
गोल्ड बॉन्ड्स
सोवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकारी सिक्योरिटीज़ हैं, जो सोने के ग्राम में मूल्यांकित किया जाता है. रिज़र्व बैंक, भारत सरकार की ओर से फिज़िकल गोल्ड रखने के विकल्प के रूप में बांड जारी करता है. इन्वेस्टर को कैश में इश्यू प्राइस का भुगतान करना होता है, और मेच्योरिटी पर बॉन्ड को कैश में रिडीम किया जा सकता है.
आरईआईटीएस
आरईआईटी, या रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, ऐसी कंपनियां होती हैं, जो कई प्रॉपर्टी सेक्टर में, आय प्रदान करने वाले रियल एस्टेट का मालिक होती हैं या फाइनेंस करती है. इन रियल एस्टेट कंपनियों को आरईआईटी के रूप में पात्रता प्राप्त करने के लिए कई आवश्यकताओं को पूरा करना होता है. अधिकांश आरईआईटी प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होता है, जो इन्वेस्टर को कई लाभ प्रदान करता है.
क्रिप्टो
क्रिप्टोकरेंसी, या क्रिप्टो, करेंसी का एक रूप है, जो डिजिटल या वर्चुअल रूप से मौजूद है और ट्रांज़ैक्शन सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग होता है. क्रिप्टोकरेंसी के पास केंद्र द्वारा जारी होने या विनियमित किए जाने वाला प्राधिकरण नहीं है; बल्कि ट्रांजैक्शन को रिकॉर्ड करने और नई यूनिट जारी करने के लिए डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम का उपयोग किया जाता है.
आपको अपने पैसे कहां इन्वेस्ट करने चाहिए?
अपनी जोखिम क्षमता के आधार पर, आप या तो मार्केट-लिंक्ड या मार्केट से अप्रभावित रहने वाले इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करने बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन का विकल्प चुन सकते हैं. मार्केट से जुड़े इन्वेस्टमेंट में अधिक रिटर्न मिलते हैं, लेकिन ये हमेशा सर्वश्रेष्ठ इन्वेस्टमेंट प्लान नहीं होते क्योंकि इनमें पूंजी खोने का जोखिम रहता है. तुलना में, फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे इन्वेस्टमेंट टूल, फंड की अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं. बजाज फाइनेंस एक ऐसा फाइनेंसर है जो उच्च एफडी दरों और फंड की सुरक्षा का दोहरा लाभ प्रदान करता है.
जोखिम उठाने की क्षमता आपके इन्वेस्टमेंट के विकल्पों को किस तरह प्रभावित करती है
अधिकांश इन्वेस्टमेंट विकल्पों में कुछ अस्थिरता होती है, और आमतौर पर जब जोखिम का स्तर अधिक होता है, तो इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न भी अधिक होता है. इसलिए, अक्सर इन्वेस्टमेंट के निर्णय इन्वेस्टर्स की जोखिम क्षमता के आधार पर लिए जाते हैं.
कम जोखिम वाले इन्वेस्टमेंट: फिक्स्ड-इनकम विकल्पों में बॉन्ड, डिबेंचर, फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम, और सरकारी सेविंग स्कीम शामिल हैं.
मध्यम-जोखिम वाले इन्वेस्टमेंट: डेट फंड, बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड, और इंडेक्स फंड इस कैटेगरी में आते हैं.
अधिक जोखिम वाले इन्वेस्टमेंट: अस्थिरता वाले इन्वेस्टमेंट में स्टॉक और इक्विटी म्यूचुअल फंड जैसे विकल्प शामिल हैं.
बजाज फाइनेंस एफडी सर्वश्रेष्ठ इन्वेस्टमेंट विकल्पों में से एक क्यों है
- प्रति वर्ष 7.95% तक की उच्च ब्याज़ दरें. द्वारा एफएएए और इकरा द्वारा एमएएए की उच्चतम सुरक्षा रेटिंग के साथ समय-समय पर भुगतान का विकल्प
- समय से पहले निकासी से बचने के लिए एफडी पर लोन
बजाज फाइनेंस एफडी में इन्वेस्ट करना अब पहले से भी आसान है. हमारी एंड-टू-एंड ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्रोसेस के साथ अपने घर के आराम से अपनी इन्वेस्टमेंट यात्रा शुरू करें.
इन्वेस्टमेंट ऑप्शन: ELSS और गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश आपको दे सकता है शानदार रिटर्न, जानिए कहां निवेश करना रहेगा फायदे का सौदा
अगर आप कहीं ऐसी जगह निवेश करने का प्लान बना रहे हैं, यहां से आपको बेहतर रिटर्न मिले सके तो आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS या गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। ये दोनों ही ऑप्शन लॉन्ग टर्म निवेश के लिए सही माने जाते हैं। हम आपको इन दोनों योजनाओं के बारे में बता रहे हैं ताकि आप अपने हिसाब से सही जगह निवेश कर सकें।
ELSS में मिलता है टैक्स छूट का फायदा
- 3 साल का लॉक-इन: ELSS में 3 साल का लॉक-इन पीरियड रहता है यानी आप जो पैसा इसमें इन्वेस्ट करेंगे वो 3 साल बाद ही निकाल सकेंगे। यह इस स्कीम का एक बहुत ही अच्छा फीचर है। अन्य स्कीम्स की तुलना में इसका लॉक-इन पीरियड काफी कम है।
- 500 रुपए से कर सकते हैं निवेश की शुरुआत: ELSS में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP या सिप) के जरिए 500 रुपए से भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है। वहीं अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। निवेशकों को इन फंड में दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं। इनमें पहला है ग्रोथ और दूसरा है डिविडेंड पे आउट। ग्रोथ ऑप्शन में पैसा लगातार स्कीम में रहता है।
- दो तरह से ले सकते हैं फायदा: डिविडेंड ऑप्शन में कंपनियां समय-समय पर लाभांश के रूप में फायदा बांटती रहती हैं। डिविडेंड ऑप्शन वाली योजनाओं में साल में एक बार डिविडेंड मिल सकता है। हालांकि कुछ योजनाओं ने तो साल में एक बार से ज्यादा डिविडेंड दिया है।
- सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट: एक वित्त वर्ष में आप 1.5 लाख रु तक निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। इसके बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन अलावा ELSS में निवेश पर होने वाला लाभ और रिडम्पशन (निवेश यूनिट को बेचना) से मिलने वाली राशि भी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है।
- 1 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं: म्यूचुअल फंड से एक साल में मिलने वाले 1 लाख रुपए तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को आयकर से छूट है। यानी आपको 1 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं देना होता है। इस सीमा से अधिक लाभ पर 10% की दर से टैक्स देना होता है।
गोल्ड म्यूचुअल फंड में कम पैसों के साथ कर सकते हैं शुरुआत
- इसमें गोल्ड ETF में ही होता है निवेश: गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF का ही एक प्रकार है। ये ऐसी योजनाएं हैं जो मुख्य रूप से गोल्ड ETF में निवेश करती हैं। गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे भौतिक सोने में निवेश नहीं करते हैं, लेकिन उसी स्थिति को अप्रत्यक्ष रूप से लेते हैं। गोल्ड म्यूचुअल फंड ओपन-एंडेड निवेश प्रोडक्ट है जो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में निवेश करते हैं और उनका नेट एसेट वैल्यू (NAV) ETFs के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है।
- 500 रुपए से कर सकते हैं निवेश की शुरुआत: आप मासिक SIP के माध्यम से 500 के साथ गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं। इसके निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती है। आप किसी भी म्यूचुअल फंड हाउस के माध्यम से इसमें निवेश की शुरुआत कर सकते हैं।
- लॉन्ग टर्म गेन पर देना होगा 20% टैक्स: गोल्ड म्युचुअल फंड में 3 साल से अधिक के निवेश को लॉन्ग-टर्म माना जाता है और इसके लाभ को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) कहा जाता है। सोने पर LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट (प्लस सरचार्ज, अगर कोई हो और सेस) के साथ 20% की दर से कर लगाया जाता है, जबकि शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर निवेशक को लागू स्लैब दर के अनुसार टैक्स देना होता है।
- 1 साल का एग्जिट लोड: गोल्ड म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड हो सकता है जो आम तौर पर 1 साल तक होता है। म्यूचुअल फंड हाउस एग्जिट लोड तब लगाते हैं जब आप एक निश्चित अवधि से पहले ही अपने निवेश का मुनाफा वसूलना चाहते हैं। एग्जिट लोड निवेशकों को बाहर जाने से रोकने के लिए लगाया जाता है। अलग-अलग म्यूचुअल फंड का एग्जिट लोड लगाने का समय भिन्न होता है। एग्जिट लोड आपकी NAV का छोटा सा हिस्सा होता है, तो आपके बाहर जाने पर काटा जाता है।
किसने दिया कितना रिटर्न (5 बेस्ट ELSS Vs 5 बेस्ट गोल्ड म्यूचुअल फंड )
1 साल में रिटर्न
ELSS | रिटर्न (%) | गोल्ड म्यूचुअल फंड | रिटर्न (%) |
क्वांट टैक्स सेवर फंड | 56.4 | IDBI गोल्ड फंड | 12.8 |
मिराए एसेट टैक्स सेवर | 31.8 | कोटक गोल्ड फंड | 12.4 |
BOI AXA टैक्स एडवांटेज फंड | 29.6 | ICICI प्रुडेंशियल रेगुलर बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन गोल्ड सेविंग फंड | 12.1 |
केनरा रोबेको इक्विटी टैक्स सेवर | 29.1 | SBI गोल्ड फंड | 11.9 |
एक्सिस लॉन्ग टर्म इक्विटी | 18.9 | एक्सिस गोल्ड फंड | 10.3 |
5 साल में रिटर्न
ELSS | रिटर्न (%) | गोल्ड म्यूचुअल फंड | रिटर्न (%) |
क्वांट टैक्स सेवर फंड | 22.8 | कोटक गोल्ड फंड | 9.5 |
मिराए एसेट टैक्स सेवर | 24.3 | SBI गोल्ड फंड | 9.1 |
BOI AXA टैक्स एडवांटेज फंड | 20.1 | ICICI प्रुडेंशियल रेगुलर गोल्ड सेविंग फंड | 9.0 |
केनरा रोबेको इक्विटी टैक्स सेवर | 19.8 | एक्सिस गोल्ड फंड | 8.1 |
एक्सिस लॉन्ग टर्म इक्विटी | 18.1 | IDBI गोल्ड फंड | 7.3 |
सोर्स: फिनकैशडॉटकॉम और वैल्यू रिसर्च
डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश जोखिम के अधीन होते हैं। इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें।
Mutual Funds में करते हैं निवेश तो आज जान लीजिए डिविडेंड फंड और ग्रोथ फंड में कौन बेहतर?
अगर डिविडेंड ऑप्शन का चयन करते हैं तो समय-समय पर आपको डिविडेंड मिलेगा, लेकिन फाइनल रिटर्न कम रहता है.
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इन्वेस्टमेंट स्कीम का रिटर्न महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान में महंगाई दर 5-6 फीसदी के बीच है. ऐसे में अगर निवेश के परंपरागत साधनों में निवेश करते हैं तो नेट रिटर्न कम होगा. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा शेयर बाजार में भी निवेश होता है जिसके कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है और आपका नेट रिटर्न ज्यादा होगा.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी
Updated on: Jan 26, 2022 | 8:20 AM
अगर आप Mutual Funds में निवेश करते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन और डिविडेंड ऑप्शन में कौन बेहतर है, यह सामान्य सवाल है. आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि आपका पोर्टफोलियो कैसा होना चाहिए साथ ही इसमें म्यूचुअल फंड का कितना योगदान होना चाहिए. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि अगर आप करियर के शुरू में निवेश की शुरुआत करते हैं तो 75 फीसदी तक इक्विटी में निवेश किया जा सकता है. इक्विटी में डेट फंड के मुकाबले ज्यादा रिफंड मिलता है. अगर आप इक्विटी मार्केट में लंबे समय के लिए निवेश करते हैं तो हर हाल में बंपर रिटर्न मिलेगा.
बाजार में दर्जनों इक्विटी फंड उपलब्ध हैं जिसमें किसी का भी NAV खरीदा जा सकता है. जैसे टाटा इंडेक्स सेंसेक्स फंड, एचडीएफसी इंडेक्स सेंसेक्स फंड, मीरे असेट इमर्जिंग ब्लूचिप फंड, पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश किया जा सकता है.
आप इन फंड्स में SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के तहत भी निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा कई ऐसे फंड भी हैं जिसमें निवेश करने पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है.
ग्रोथ और डिविडेंड में किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं
जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन के अलावा डिविडेंड ऑप्शन मिलता है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर डिविडेंड ऑप्शन का चयन करते हैं तो समय-समय पर आपको डिविडेंड मिलेगा, लेकिन फाइनल रिटर्न कम रहता है. ऐसे में शॉर्ट टर्म की जरूरतों के लिए म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा डिविडेंड ऑप्शन वाला होना चाहिए. हालांकि डिविडेंड इनकम पर आपको डिविडेंड टैक्स चुकाना पड़ता है. निवेश के समय इस बात को भी याद रखना चाहिए. वहीं, लॉन्ग टर्म के लिए ग्रोथ फंड का सलेक्शन करना चाहिए. इसमे आपका निवेश तेजी से बढ़ता है. आपका म्यूचुअल फंड जितना रिटर्न पा रहा है, वह दोबारा निवेश कर दिया जाता है. कम्पाउंडिंग नेचर के कारण यह मल्टीबैगर रिटर्न देता है.
इक्विटी एक असेट क्लास है
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इक्विटी एक असेट क्लास है. यह काफी वोलाटाइल रहता है. शुरुआत में इसमें निवेश करने पर आपका पोर्टफोलियो नेगेटिव रिटर्न दे सकता बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह कई गुना रिटर्न देगा. वहीं, अपनी शॉर्ट टर्म जरूरतों को पूरा करने के लिए पोर्टफोलियो में कुछ हिस्सा डेट फंड में भी जमा करें. यह डेट फंड 5 सालों तक का हो सकता है. इसके अलावा इमरजेंसी फंड भी तैयार रखें.
कम समय के लिए करना है म्युचुअल फंड में निवेश, तो ये हैं 3 बेस्ट ऑप्शन
म्युचुअल फंड में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. ऐसे में अगर आप भी म्युचुअल फंड में निवेश करने की सोच रहे हैं और आपको पता नहीं है कि कौन सा फंड आपके लिए बेहतर होगा, तो चिंता की जरूरत नहीं. हम आपको 6 ऐसे फंड के बारे में बता रहे हैं, जिनमें से आप अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. ये फंड आपको न सिर्फ अच्छा रिटर्न देंगे, बल्कि आप इसमें अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश भी कर सकेंगे.
विकास जोशी
- नई दिल्ली,
- 20 नवंबर 2017,
- (अपडेटेड 20 नवंबर 2017, 1:41 PM IST)
म्युचुअल फंड में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. ऐसे में अगर आप छोटी अवधि के लिए निवेश करने की सोच रहे हैं, तो कई विकल्प मौजूद हैं. इनमें से अगर आपको पता नहीं है कि कौन सा फंड आपके लिए बेहतर होगा, तो चिंता की जरूरत नहीं. हम आपको 3 ऐसे फंड के बारे में बता रहे हैं, जिनमें से आप अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. ये फंड आपको न सिर्फ अच्छा रिटर्न देंगे, बल्कि आप इसमें अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश भी कर सकेंगे.
फंड्सइंडिया में म्युचुअल फंड रि सर्च की उपप्रमुख भावना ने Aajtak.in से बातचीत में ऐसे 3 फंड्स के बारे में बताया है, जो आपको आपकी जरूरत को पूरा करने के लिए बेहतर रिटर्न दे सकते हैं. यहां आपको फिलहाल सिर्फ डेट फंड्स में निवेश को लेकर जानकारी दे रहे हैं. इनके जरिये आप बैंक की फिक्स्ड डिपोजिट से ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
डेट फंड्स ट्रेजरी बिल्स और सरकारी बॉन्ड्स के साथ ही कॉरपोरेट बॉन्ड्स में ज्यादातर निवेश करते हैं. आम तौर पर डेट फंड की तय मैच्योरिटी डेट होती है. अगर आप कम समय के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो ये फंड आपका चुनाव हो सकते हैं. क्योंकि ये कम समय में बेहतर रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं.
ये हैं बेस्ट डेट फंड्स
एचडीएफसी मीडियम टर्म अपॉर्च्यूनिटी
अगर आप तीन साल तक ही निवेश करना चाहते हैं और इस दौरान फिक्स्ड डिपोजिट से ज्यादा रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, तो यह फंड आपका चुनाव हो सकता है. यह कम जोखिम के साथ आपको बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद करता है.
9.2 फीसदी तक मिलेगा रिटर्न
एचडीएफसी मीडियम टर्म अपॉर्च्यूनिटी की बात करें, तो यह आपको 9.1 फीसदी तक रिटर्न (5 साल के निवेश पर ) दे सकता है. वहीं, अब तक की परफॉर्मेंस के आधार पर देखें तो एक साल के निवेश पर इस फंड ने 7.7 फीसदी और तीन साल के निवेश पर 9.2 फीसदी रिटर्न दिया है.
यूटीआई बैंकिंग और पीएसयू डेट
आप एक से दो बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन साल के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो ये फंड आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. यह फंड लघु अवधि की डिपोजिट्स और लघु से मध्यम अवधि के सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करता है. दूसरों के मुकाबले यह बेहतर रिटर्न देने वाला साबित हुआ है.
9 फीसदी रिटर्न
इस फंड ने 3 साल के निवेश पर 9.2 फीसदी और एक साल के निवेश पर 8.1 फीसदी का रिटर्न दिया है.
आईसीआईसीआई प्रोड्यूंशियल फ्लेक्जिबल इनकम
6 महीने से लेकर एक साल के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो यह फंड आप चुन सकते हैं. यह फंड लघु अवधि के कॉरपोरेट पेपर्स और बैंक डिपोजिट्स में निवेश करता है. इसके अलावा यह ट्र्रेजरी बिल्स में भी निवेश करता है. इस फंड का एक साल का औसत रिटर्न इस कैटेगरी के दूसरे फंड से काफी ज्यादा बेहतर रहा है.
यहां भी मिलेगा बेहतर रिटर्न
इस फंड से 5 साल के निवेश पर 9.1 फीसदी रिटर्न का औसत है. इसके अलावा तीन साल के निवेश पर आपको 8.6 और एक साल के निवेश पर 7.7 फीसदी रिटर्न दिया है. (नोट : तीनों फंड्स के रिटर्न के आंकड़े 23 अक्टूबर, 2017 तक के हैं. एक साल से ऊपर के फंड का रिटर्न सालाना दर के तौर पर लिया गया है.)
क्या होते है मनी मार्केट फंड, जानिए इससे जुड़ी सभी काम बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन की बातें
मनी मार्केट फंड बेस्ट ऑप्शन है.(Investment Planning) मनी मार्केट फंड Mutual Fund की एक कैटेगरी है. इसे लिक्विड फंड भी कहा जाता है. इसमें कंपनी इन्वेस्टर्स से लिया हुआ पैसा सेफ और शॉर्ट-टर्म स्कीम में लगाती है.
मनी मार्केट फंड बेस्ट ऑप्शन है.(Investment Planning) मनी मार्केट फंड Mutual Fund की एक कैटेगरी है. इसे लिक्विड फंड भी कहा जाता है. इसमें कंपनी इन्वेस्टर्स से लिया हुआ पैसा सेफ और शॉर्ट-टर्म स्कीम में लगाती है. इसमें Treasury Bill, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कमर्शियल पेपर से लेकर रीपर्चेज एग्रीमेंट शामिल हैं. आइए जानते हैं इसका पूरा प्रोसेस. मनी मार्केट फंड अन्य सभी डेट योजनाओ में यह घोषित लक्ष्य रखते हैं कि वे प्राथमिक रूप से मनी मार्केट साधनों में निवेश करेंगे. फंड मैनेजर 1 साल तक की मैच्योरिटी टेन्योर वाले साधनों में निवेश का लचीलापन रखते हैं, यह प्रचलित बाजार दर और क्रेडिट स्प्रेड के माहौल पर निर्भर करता है. अब चूंकि ये साधन 1 साल तक की परिपक्वता वाले साधनों में निवेश करते हैं, इसलिए आपको इन फंडों के लिए न्यूनतम एक साल की निवेश अवधि रखनी चाहिए.
इनमें डेट स्कीम्स की तरह ही टैक्स लगता है. इसका मतलब, अगर आप अपनी इन्वेस्टमेंट को 3 साल से पहले सेल करते हैं, तो रिटर्न आपकी इनकम के साथ जुड़ता है. इस पर उसी हिसाब से टैक्स लगेगा, जिस टैक्स स्लैब में बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन आप आते हैं.
सभी डेट म्यूचुअल फंड मनी मार्केट साधनों में निवेश करते हैं, लेकिन निम्न श्रेणी के डेट म्यूचुअल फंड प्राथमिक रूप से मनी मार्केट साधनों में निवेश करते हैं.
अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड: ये फंड ऐसे साधनों में निवेश करते हैं जिससे उनके पोर्टफोलियो की अवधि 3 से 6 महीने रहती है
अच्छी लिक्विडिटी - इससे जुड़ी स्कीम्स का मैच्योरिटी समय कम होता है. ये फंड आमतौर पर एग्जिट लोड चार्ज नहीं करते.
ब्याज दर से जुड़ा जोखिम कम- मनी मार्केट साधनों में लंबी अवधि के साधनों की तुलना में ब्याज दर का जोखिम कम होता है.
ओवरनाइट और लिक्विड फंडों के मुकाबला ऊंची यील्ड- मनी मार्केट फंडों का यील्ड ओवरनाइट और लिक्विड फंडों के मुकाबले ज्यादा होता है.
नीचे दिए गए चार्ट यह दर्शाते हैं कि मनी मार्केट फंडों की तुलना में अन्य लोकप्रिय फंडों की श्रेणियों में पिछले 5 साल में सालाना औसत रिटर्न कितना मिला है; इस दौरान हमने अलग-अलग ब्याज दरों (बढ़ते और घटते दोनों) का माहौल देखा है. मनी मार्केट फंड पिछले एक साल की निवेश अवधि के दौरान सबसे ज्यादा स्थाई प्रदर्शन वाले रहे हैं. कम अवधि वाले फंडों जैसे अन्य डेट श्रेणियों की तुलना में मनी मार्केट फंडों में उतार-चढ़ाव भी कम होता है.
आपको हमेशा अपनी जोखिम ले सकने की क्षमता और वित्तीय जरूरतों के लिहाज से निवेश करना चाहिए. मनी मार्केट फंड ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो थोड़ा कम जोखिम चाहते हैं. मनी मार्केट फंड में निवेश करते समय निवेशकों को रिटर्न के बारे में तार्किक उम्मीदें ही रखनी चाहिए.
वैसे तो ये फंड तुलनात्मक रूप से ब्याज दरों की कम जोखिम वाले होते हैं, लेकिन ब्याज दर की हालत के हिसाब से कुछ उतार-चढ़ाव हो सकता है. निवेशकों को किसी योजना की अवधि प्रोफाइल को देखना चाहिए और अपनी जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर निवेश करना चाहिए.
मनी मार्केट फंड में क्रेडिट का जोखिम हो सकता है. निवेशकों को निवेश करने से पहले उस योजना की क्रेडिट क्वालिटी पर गौर करना चाहिए. मनी मार्केट साधनों की रेटिंग A1 या A2 होती है और आमतौर पर ये कम क्रेडिट जोखिम वाले होते हैं. निवेशकों को मनी मार्केट फंड निवेश करने के लिए कम से कम 1 साल की तय निवेश अवधि रखनी चाहिए.