कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम

11 लाख निवेशक बने धोखाधड़ी के शिकार!
प्रवर्तन निदेशालय ने फर्जी क्रिप्टोकरेंसी के सिलसिले में पिछले सप्ताह देश के 11 स्थानों पर छापेमाारी की थी। मॉरिस कॉइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की तर्ज पर 'आरंभिक कॉइन पेशकश' की थी। जांच एजेंसियां इस घोटाले का आकार 1,255 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगा रही हैं। वहीं इसके शिकार बने स्टॉकिस्ट, जो मॉरिस कॉइन टीम के हिस्सा थे, इस मामले पर न्यायालय में मुकदमा लड़ रहे वकीलों और पुलिस अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के 11 लाख निवेशकों को इस योजना से 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगा है।
जिन कंपनियों पर छापा मारा गया है, उनमें बेंगलूरु की लांग रिच टेक्नोलॉजिज, लांग रिच ग्लोबल और मॉरिस ट्रेडिंग सॉल्यूशंस के अलावा अन्य शामिल हैं। सभी कंपनियां निषाद के चला रहा था, जो कथित रूप से घोटाले का मुख्य आरोपी है और अब विदेश में है।
कन्नूर के सहायक पुलिस आयुक्त और वित्तीय धोखाधड़ी के विशेषज्ञ पीपी सदानंदन ने कहा, 'उन्होंने मनी चेन मॉडल से शुरू किया, जिसे बाद में मॉरिस कॉइन में बदल दिया। दरअसर किसी को उनके खातों में कॉइन नहीं मिला। कुल 1,265 करोड़ रुपये के घोटाले में करीब 1,000 करोड़ रुपये का कारोबार एलआर ट्रेडिंग (मल्टी लेवल मार्केटिंग) से हुआ।' सदानंदन की टीम ने अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है।
घोटालेबाजों ने निवेशकों को बेहतर मुनाफे का लालच देकर फंसाया। न्यूनतम 15,000 रुपये के निवेश पर 300 दिन तक रोजाना 270 रुपये सुनिश्चित मुनाफे का आश्वासन दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि संभवत: कुछ लोगों को भारी नुकसान हुआ हो और काला धन लगाने के कारण वे सामने न आए हों। एमबॉस लीगल सॉल्यूशंस के वकील ओमर सलीम ने कहा, 'मैं करीब 400 क्लाइंट का मुकदमा लड़ रहा हूं, जिन्होंने अवैध रैकेट के खिलाफ शिकायत की है। दिलचस्प है कि ज्यादा शिकायतें आम लोगों से आ रही हैं। जिन लोगों ने 40 लाख रुपये से ज्यादा निवेश किया है, वे कानून का सहारा लेने से हिचकिचा रहे हैं। कंपनी के विज्ञापनों में दावा किया गया है कि उसका ग्राहक आधार 11 लाख लोगों का है, अगर ऐसा है तो घोटाला कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है।' यह धन प्रमुख स्टॉकिस्टों के माध्यम से निवेशकों से एकत्र किया गया। इसे कथित रूप से दक्षिण भारत के प्रमुख बैंकों में निषाद के खातों और लांग रिच के कॉर्पोरेट खातों में ट्रांसफर किया गया। प्रवर्तकों ने बाद में इस धन को 3 राज्यों में अचल संपत्तियों में लगा दिया और कथित रूप से फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में लगाया। एक प्रमुख स्टॉकिस्ट ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'पहले उन्होंने ऑनलाइन एजूकेशन ऐप्लीकेशन स्टडी मोजो शुरू किया। हमसे ऐप्लीकेशन के लिए क्लाइंट लाने को कहा गया। बाद में हम कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम भी इस धोखाधड़ी में फंस गए।'
घोटाले में में तमाम ऐसे निवेशक फंस गए जिन्होंने बैंक से कर्ज लेकर ज्यादा मुनाफे की लालच में धन लगाया था। इनमें ट्रेन में चाय बेचने वालों से लेकर वाहन चालक जैसे कम आय वर्ग के लोग शामिल हैं।
बहरहाल इनमें से कुछ लोगों ने ही पुलिस से संपर्क साधा है। इसकी वजह यह है कि इस तरह की योजनाओं में निवेश करना अपराध की श्रेणी में आता है।
तमाम निवेशक ऐसे हैं, जिन्हें अभी भी भरोसा है कि कंपनी उन्हें उनका धन वापस दे सकती है। ऐसे ही एक निवेशक का कहना है, 'यह मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम है। मैंने अपने बैंक खातों में पैसे वापस पाए। यह अवैध कैसे हो सकता है।'
जानिए क्या है क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)?
Home » जानिए क्या है क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)?
एक समय ऐसा था जब दुनिया में किसी भी प्रकार की मुद्रा नहीं चलती थी। पुराने ज़माने में लेन-देन केवल वस्तुओ के माध्यम से ही किया जाता था। जिसे हम सब Barter System के नाम से भी जानते हैं। लेकिन जेसे-जेसे समय बदलता गया वेसे-वेसे दुनिया अपग्रेड होती रही, और कुछ समय बाद नोट और सिक्कों का निर्माण हुआ जिस से कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम लेन-देन का तरिका पूरी तरह से बदल गया।
और आज के समय में यही नोट और सिक्के हमारे प्रमुख करेंसी है, जिनके आधार पर पूरी दुनिया का लेने-देन चलता आ रहा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं इनके अलावा भी एक करेंसी (Currency) है जो पूरी तरह से डिजिटल है। और इस डिजिटल करेंसी को क्रिप्टोकरेंसी के नाम से जाना जाता है।आज समय एकदम फास्ट फॉरवर्ड हो चुका है, टेक्नोलॉजी (Technology) के साथ हर रोज एक नया आविष्कार कर के लोगो में जागरुकता फेला रहा है। लेकिन कई लोगो के मन में अभी भी ये प्रश्न है की क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) क्या है? और ये करेंसी डिजिटल हो के भी काम कैसे करती हैं? साथ ही इसे इस्तमाल करने के फ़ायदे क्या है?
सारे स्वालो के जवाब जान ने के लिए आर्टिकल (Article) को पूरा जरूर पढ़े।
मुद्रा (Currency) क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को समझने से पहले हम जानेंगे की करेंसी (Currency) क्या है।
देखा जाए तो आज हर देश के पास अपनी-अपनी करेंसी है। जेसे भारत के पास अपनी मुद्रा (Currency) रुपया है, वेसे ही अमेरिका के पास डॉलर है। और हर एक देश के पास ठीक इसी तरह अपनी-अपनी देश की मुद्रा (Currency) है। करेंसी वो है जो देश दवारा मान्याता प्रपात की गई हो। तभी उस करेंसी की असली वैल्यू (Value) मानी जाती है। करेंसी के बदले में कोई भी वस्तु या सेवा खरीदी जा सके, उसे ही करेंसी कहा जाता है। देखा जाए तो करेंसी कागज और धातु के रूप में बनाये जाते हैं जो सरकार द्वार मान्य हो। इन करेंसी को हम आशनी से छू सकते है, पकड़ सकते हैं या फिर पर्स में रख भी सकते हैं। तभी इनको भौतिक मुद्रा (Physical Currency) के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के मामले ऐसा नहीं होता है।
जानिए क्या है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी , जिसे क्रिप्टो-मुद्रा या क्रिप्टो के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार की डिजिटल या आभासी मुद्रा (Virtual Currency) है जो लेनदेन की सुरक्षा के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है। क्रिप्टोकरेंसी ऐसी मुद्रा है जिसे विकेंद्रीकृत प्रणाली (Decentralized System) द्वारा प्रबंधित (managed) किया जाता है।
दूसरे शब्दों में समझे तो ये एक ऐसी करेंसी है जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) पर आधारित है, जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित भी है। जिस कारण से इसे हैक (Hack) करना या कॉपी (Copy) करना बहुत ही मुश्किल है।
देखा जाये तोह क्रिप्टोकरेंसी का Physical कोई भी अस्तित्व नहीं है क्योंकि यह ऐसी डिजिटल करेंसी है जो Computer Algorithm पर बनी है। क्रिप्टोकरेंसी की सबसे खास बात यह है कि ये पूरी तरह से विकेंद्रीकृत है मतलब किसी भी देश या सरकार का इस पर नियंत्रण (Control) नहीं है।
क्या क्रिप्टोकरेंसी की Value है?
क्रिप्टोकरेंसी को भले ही किसी नोट या सिक्को में प्रिंट (Print) नहीं किया जाता। लेकिन आज के समय में इसकी अपनी वैल्यू है। इसे भले ही आप अपने पॉकेट या तिजोरी में रख नहीं सकते लेकिन आप इसका भरपुर इस्तेमाल कर सकते है जैसे आप देश की करेंसी को करते है।
क्रिप्टोकरेंसी से आप सामान खरीद सकते है, Investment कर सकते है, Trade कर सकते है। फर्क सिर्फ इतना है कि आप इसे किसी भी बैंक या लॉकर में नहीं रख सकते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से डिजिट (Digit) पर आधारित है यानी आप इसे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन (Online Transaction) के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसीलिए इसे डिजिटल मनी (Digital Money) और वर्चुअल मनी (Virtual Money) भी कहा जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी का आविष्कार:
दुनिया का सबसे पहले क्रिप्टोकरेंसी “Bitcoin” है। इसका आविष्कार सातोशी नाकामोतो नामक एक इंजीनियर ने 2008 में किया था और 2009 में इसे ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था। कहा जाता है ब्लॉकचेन पे सबसे पहले रन होने वाली करेंसी भी बिटकॉइन “Bitcoin” ही थी।
कुछ विशेषज्ञ (Experts) के अनुसार सन 2008 से लेकर सन 2022 तक अनुमान लगाया जा रहा है की मार्केट में 20,000 से भी ज्यादा क्रिप्टोकरंसी लॉन्च हो चुके हैं। मतलब क्रिप्टोकोर्रेंसी शुरुआती दौर से ही अपनी कामियाबी की छाप छोड़ता जा रहा है। कहा जाता है की आने वाले समय में क्रिप्टोकुरेंसी और भी ज्यदा उपयोगी और फायदेमंद सबित होगा।
Top क्रिप्टोकुरेंसी (Cryptocurrencies)
Bitcoin: हाल ही आपने लेख (Article) में पढ़ा की बिटकॉइन दुनिया की सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी है।
Ethereum: एथेरियम एक विकेंद्रीकृत ओपन-सोर्स ब्लॉकचेन है। CoinMarket Cap के हिसब से यह दुनिया की दुसरी बड़ी क्रिप्टो करेंसी में से है। इसका आविष्कार 2015 में हुआ था और से ईथर (Ether) के नाम से भी जाना जाता है।
Dogecoin: डॉगकॉइन का निर्माण 2013 में दुनिया के सबसे बेहतरीन दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स ने किया था। यह ऐसी क्रिप्टोकरेंसी है जिसका नाम एक Sarcastic meme के आधार पर रखा गया है।
CNF Token: CNF टोकन का निर्माण 2021 में हुआ था। CNF टोकन TRC 20 टोकन है जो ट्रॉन ब्लॉकचेन (Tron Blockchain) पर बनाया गया है।
आज के समय में सभी को क्रिप्टोकरेंसी से वर्चित होना चाहिए क्योकि क्रिप्टोकरेंसी हमारा फ्यूचर मनी (Future Money) है आज नहीं तो कल ये हमारी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण (Important) हिसा जरूर बन जाएगा और तकनीक (Technology) भी तेज गति से आगे बढ़ रही है और आने वाले समय में ये और भी ज्यादा फास्ट (Fast) और उपयोगी (Useful) होने वाला है।
सैलरी और पर्क्स के पेमेंट के लिए कंपनियों ने शुरू किया क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल
देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्थिति बहुत साफ नहीं है. कर्मचारी और कंपनियां दोनों इसे लेकर टैक्स के बारे में चिंतित हैं.
क्रिप्टोकॉइन में पेमेंट की योजना बनाने वाली कंपनियों ने खुद को क्रिप्टो-फ्रेंडली देशों में रजिस्टर कराया है.
यह कैसे काम करता है?
- क्रिप्टो कॉइन में पेमेंट की योजना बनाने वाली कंपनियों ने खुद को क्रिप्टो-फ्रेंडली देशों में रजिस्टर कराया है.
- कंपनियों ने यह भी सुनिश्चित किया है कि रुपया क्रिप्टो कॉइन में कन्वर्ट हो सके और रुपये ट्रांजैक्शन के तौर पर पेमेंट रिकॉर्ड हों.
- ऐसी ज्यादातर कंपनियां टीथर (यूएसडीजी) का इस्तेमाल करती हैं. ये ज्यादा स्थिर क्रिप्टोकरेंसी हैं. इसका कन्वर्जन 1 डॉलर से सीधे 1 यूएसडीटी में हो जाता है.
- अन्य इथीरियम, प्लास टोकन और ऑडियो कॉइन में पेमेंट करती हैं.
देश में स्थिति नहीं है साफ
देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्थिति बहुत साफ नहीं है. कर्मचारी और कंपनियां दोनों इसे लेकर टैक्स के बारे में चिंतित हैं. चेन एसेट्स कैपिटल नाम के क्रिप्टो हेज फंड के प्रमुख उपिंदर प्रीत सिंह ने कहा कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी की मान्यता को लेकर बहुत से नियम हैं. इनमें स्पष्टता का भी अभाव है.
पटना में रहने वाले कंसल्टेंट सुजीत कुमार ने कहा, ''क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के जरिये ऑल्टकॉइन को भुनाने के बाद मैंने इस रकम को टैक्स रिटर्न में कंसल्टेंट फीस के तौर पर इनकम में दिखाया है.''
कुमार को इथीरियम, प्लास टोकन और ऑडियो कॉइन जैसे ऑल्टकॉइन का भुगतान होता है. इसे वह भारतीय क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के जरिये भुनाते हैं. वह कहते हैं, ''मैं अमूमन अपनी जरूरत के अनुसार कॉइंस को कन्वर्ट करता हूं. मेरे ज्यादातर क्लाइंट क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में हैं. लिहाजा, ट्रांजैक्शन आसानी और तेजी से हो जाता है. मैंने पिछले साल का अपना बोनस भी क्रिप्टोकरेंसी के जरिये लिया है.''
एक क्रिप्टोकरेंसी न्यूज वेबसाइट के सीईओ ने कहा, ''हम जहां क्रिप्टाकरेंसी में सैलरी का भुगतान करते हैं, वहां नियमों का पूरा पालन किया जाता है. कर्मचारियों को रुपये में सैलरी स्लिप दी जाती है. यह कर्मचारियों की क्रिप्टो में सैलरी स्लिप की आशंका को दूर सकता है.''
क्या है सरकार का रुख?
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को कहा कि सरकार गवर्नेंस में सुधार के लिए क्रिप्टोकरेंसी सहित नई तकनीकों पर विचार करने को तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गवर्नेंस के विभिन्न पहलुओं में टेक्नोलॉजी को अपनाने के मजबूत समर्थक हैं. इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा था कि सरकार अभी भी क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी राय तैयार कर रही है.
पैसे कमाने, बचाने और बढ़ाने के साथ निवेश के मौकों के बारे में जानकारी पाने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर जाएं. फेसबुक पेज पर जाने के लिए यहां क्लिक करें
देश में Cryptocurrency अब लीगल, कम समय में आप भी कमा सकते हैं मोटा मुनाफा, जानें निवेश का पूरा प्रोसेस
Invest in Cryptocurrency अब इनकम टैक्स के दायरे में आ गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में निवेश तेजी से बढ़ेगा। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के माध्यम से बहुत कम समय में मोटा मुनाफा होने के चलते अब नए निवेशकों के लिए क्रिप्टो आकर्षण का प्रमुख केंद्र होगी। क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि क्रिप्टोकरेंसी में किए गए निवेश ने कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम बहुत कम समय में अच्छा रिटर्न दिया है।
Invest in Cryptocurrency : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने 2022-2023 के बजट में ऐलान किया कि वर्चुअल डिजिटल ऐसेट से आमदनी पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा। इस तरह क्रिप्टोकरेंसी भी इनकम टैक्स के दायरे में आ गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में निवेश तेजी से बढ़ेगा। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के माध्यम से बहुत कम समय में मोटा मुनाफा होने के चलते अब नए निवेशकों के लिए क्रिप्टो आकर्षण का प्रमुख केंद्र होगी। क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि क्रिप्टोकरेंसी में किए गए निवेश ने बहुत कम समय में अच्छा रिटर्न दिया है। कितने ही लोग लखपति से करोड़पति बने हैं। अब निवेशकों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कैसे किया जाता है, तो आज हम आपको स्टेप बाई स्टेप इसमें निवेश का प्रोसेस बताते हैं।
बता दें कि जैसे बीएसई और एनएसई एक्सचेंज पर शेयरों की खरीद फरोख्त होती है। ठीक उसी तरह क्रिप्टो एक्सचेंजों पर बिटक्वाइन, डॉजक्वाइन, कार्डानो और इथेरियम समेत अधिकतर क्रिप्टो को खरीदा और बेचा जाता है। इस तरह आप किसी भी एक्सचेंज के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी के लिए वजीरएक्स (WazirX), यूनोकॉइन (UnoCoin), जेबपे Zebpay, क्वाइनस्विच कुबेर (Coin Switch Kuber) और क्वाइनडेक्स (Coindex) जैसे एक्सचेंज पर निवेश कर सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले किसी भी एक्सचेंज की साइट पर जाकर पर्सनल जानकारी देते हुए रजिस्ट्रेशन यानी अकाउंट खोलना होगा। यह अकाउंट भी डीमैट अकाउंट की तरह ही होता है। इसके बाद आप अपने अकाउंट के माध्यम से क्रिप्टो में निवेश कर सकते हैं।
जानें स्टेप बाई स्टेप पूरा प्रोसेस
सबसे पहले आपको क्रिप्टो करेंसी से संबंधित वेबसाइट खोलते हुए साइन अप करें। यहां ई-मेल वेरिफिकेशन के बाद सिक्योरिटी पेज खुल जाएगा। इसके बाद ऐप, मोबाइल एसएमएस या कोई सिक्योरिटी विकल्प नहीं चुनने का कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम ऑप्शन आएगा। सिक्योरिटी ऑप्शन को क्लिक करने के बाद देश चुनें। इसके बाद केवाईसी का ऑप्शन आएगा। केवाईसी के तहत निजी जानकारी के साथ किसी एक कंपनी के ऑप्शन को चुने। यह बाय डिफॉल्ट पर्सनल पर होता है। केवाईसी के लिए आपको निजी जानकारी जैसे नाम, डेट ऑफ बर्थ, एड्रेस, पैन कार्ड, आधार या ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट की जानकारी के साथ आधार कार्ड की फोटो और पैन कार्ड की फोटो सेल्फी अपलोड की जाएगी। इसके बाद जैसे ही आपका अकाउंट वेरिफाई होता है तो आप क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं। इसके लिए आपको अपने बैंक खाते से भुगतान करना होगा।
निवेश से पहले इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
यहां सबसे जरूरी बात यह है कि अगर आप क्रिप्टो में निवेश करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए क्रिप्टोकरेंसी की पूरी जानकारी लेना भी जरूरी है। क्रिप्टो बाजार में जोखिमों की जानकारी भी जरूर लें। वैसे तो आप इसमें कितना भी निवेश कर सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पहली बार कम ही निवेश से शुरुआत करें।
क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं
केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा. The post क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं appeared first on The Wire - Hindi.
केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा.
(प्रतीकात्मक इलस्ट्रेशन: रॉयटर्स)
भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के कर निहितार्थ के बारे में काफी अनिश्चितता के बाद केंद्र सरकार ने अंततः 2022-23 के केंद्रीय बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत के समग्र कर की घोषणा की.
क्रिप्टो रिसर्च एजेंसी क्रेबैको (CREBACO) ने बताया है कि 30% टैक्स लागू होने के बाद पहले दो दिनों में भारतीय एक्सचेंज में कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम इसके वॉल्यूम में लगभग 55% की और डोमेन ट्रैफिक में 40% से अधिक की गिरावट देखी है. यह कई मायनों में इस बात का संकेत है कि भारतीय क्रिप्टो स्पेस नए कर दिशानिर्देशों पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है.
दूसरी ओर, भारत सरकार ने ग्यारह क्रिप्टो एक्सचेंज से चुकाई नहीं गई जीएसटी के 95.86 करोड़ रुपये (958 मिलियन डॉलर) की वसूली की है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कई क्रिप्टो एक्सचेंज कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम जैसे कॉइन डीसीएक्सम बाई यूकॉइन, कॉइन स्विच कुबेर, अनकॉइन और फ्लिटपे (Coin DCX, Buy Ucoin, Coin Switch Kuber, Unocoin , Flitpay) द्वारा बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी का पता लगाया था. हालांकि, ज़ानमाई लैब्स बड़ी चोरी का पता लगा था, जहां वज़ीरएक्स नाम का एक क्रिप्टो एक्सचेंज संचालित होता था.
जीएसटी की वसूली और क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर 30% कर ने भारत में क्रिप्टो टैक्स पर चल रही बहस को बढ़ाया ही है.
30 प्रतिशत कर का नियम 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी हुआ है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22 की अवधि) के लिए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर भी कर लगाया जाएगा. इसके लिए आयकर अधिनियम, 1961 में एक नई धारा 115 BBH जोड़ी गई है.
वीडीए पर लगे अन्य करों में ट्रांसफर पर एक प्रतिशत टीडीएस, कोई बुनियादी छूट नहीं, किसी नुकसान पर कोई सेट-ऑफ नहीं, होल्डिंग अवधि के बावजूद कोई इंडेक्सेशन लाभ नहीं है और उपहार का लगने वाला टैक्स भी शामिल हैं.
भारत में स्टॉक और इक्विटी फंड से होने वाले लाभ पर 10-15 प्रतिशत और गैर-इक्विटी विकल्प, संपत्ति और सोने पर 20 प्रतिशत या मामूली दर से कर लगाया जाता है. वर्चुअल संपत्तियों पर इतनी ऊंची दर पर टैक्स लगाने को उद्योग के हितधारकों ने आक्रामक कदम माना है.
वीडीए पर लगे नए कर में क्रिप्टो संपत्तियां जैसे बिटकॉइन, डॉगकोइन आदि, नॉन-फंजीबाल टोकन (एनएफटी) और ऐसी कोई भी संपत्ति जो भविष्य में विकसित हो सकती है, शामिल हैं. गौर करने वाली बात यह है कि महज क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों पर टैक्स लगाने से वे भारत में वैध नहीं हो जाते हैं. यहां परिभाषा, कराधान और गणना (computation) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टता का व्यापक अभाव है.
यहां तक कि कुछ समय पहले भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी केंद्र से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार या वर्चुअल डिजिटल मुद्रा वैध है या नहीं.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में वीडीए को विनियमित करने वाला एक कानून पेश किया जाएगा – लेकिन तब जब उनके विनियमन पर वैश्विक सहमति बन जाएगी. सरकार क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में कानून पर काम कर कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम रही है, लेकिन इसे तैयार होने में समय लग सकता है.
क्रेबैको के अनुसार, 105 मिलियन से अधिक लोग, जो भारत की कुल आबादी का 7.90 प्रतिशत है, वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं, जिनकी कुल संपत्ति 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. उच्च कर दर बड़े निवेशकों को प्रभावित नहीं करेगी, जो थे पहले से ही 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट में थे लेकिन छोटे निवेशक और छात्र, जो अब तक क्रिप्टो निवेश पर कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम टैक्स फ्री रिटर्न का लाभ ले रहे थे, अब प्रभावित होंगे.
देश के प्रमुख डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर ज़ेरोधा के संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ का मानना है कि ‘अन्य टोकन या कटौती के खिलाफ नुकसान को सेट-ऑफ करने के विकल्प के बिना 30% टैक्स टर्नओवर में गिरावट का कारण बन सकता है.’
1 जुलाई 2022 से नफे या नुकसान की स्थिति में किसी रेजिडेंट सेलर द्वारा वीडीए के ट्रांसफर पर एक प्रतिशत कर कटौती (टीडीएस) लागू होगा. हालांकि यह कटौती कुल देयता (liability) के साथ एडजस्ट हो जाती है और टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय बाद में रिफंड का दावा किया जा सकता है. लेकिन हितधारकों की शिकायत है कि प्रावधान लिक्विडिटी को प्रभावित कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम कर रहा है और ऐसे व्यापारी, जो ऐसी संपत्ति की लगातार खरीद-बिक्री में शामिल होते हैं, बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगे. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यापारी एक वर्ष में 300 बार ट्रेड कर रहा है, तो उसकी पूरी पूंजी टीडीएस में लॉक हो सकती है.
इस प्रावधान को विभिन्न कारणों से सबसे अधिक समस्याग्रस्त माना जा रहा है. पूंजी का ऐसे लॉक हो जाना और अनावश्यक अनुपालन आवश्यकताओं को बढ़ाने के अलावा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ‘ट्रांसफर’ के दायरे में क्या-क्या आता है.
उल्लेखनीय है कि क्रिप्टो को न केवल खरीदा और बेचा जाता है, बल्कि एयरड्रॉप, फोर्किंग, स्टेकिंग, पी2पी लेंडिंग और वॉलेट ट्रांसफर के माध्यम से भी लेन-देन होता है. इसे वस्तुओं और सेवाओं के बदले भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या ट्रांसफर के ये सभी तरीके उन ट्रांसफर जिन पर टीडीएस कटौती लागू होगी, के दायरे में आएंगे.
2022-23 के केंद्रीय बजट में कहा गया है कि टीडीएस काटने और जमा करने की जिम्मेदारी खरीदार पर होगी. हालांकि, खरीदार के पास विक्रेता डेटा जैसे पैन आदि की अनुपलब्धता सरीखी लॉजिस्टिक कठिनाइयों के कारण यह जिम्मेदारी एक्सचेंज पर आ सकती है.
भारत में वीडीए पर टैक्स देते समय अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी भी व्यय के लिए कोई कटौती की अनुमति नहीं होगी. इसी तरह, ऐसी संपत्ति के ट्रांसफर से लाभ कमाने वाले व्यक्ति पर कर लगाते समय किसी भी छूट पर विचार नहीं किया जाएगा, चाहे उनकी आय या उम्र कुछ भी हो.
हितधारकों ने इन टैक्स प्रावधानों को निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. ऐसा कहा जा रहा है कि इंडेक्सेशन जैसे उपायों के माध्यम से निवेशकों को इस तरह के निवेश को लंबी अवधि के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय सरकार एक प्रतिशत टीडीएस के नियम के जरिये बार-बार व्यापारियों को सजा-सी दे रही है.
ओकेएक्स डॉट कॉम (OKX.com) के सीईओ जय हाओ के अनुसार, ‘क्रिप्टोकरंसी एसेट्स से 30% पर लाभ का कर सभी हितधारकों को समान रूप से खुश नहीं कर सकता है. उच्च कर निवेशकों को क्रिप्टो को निवेश के तरीके के रूप में चुनने के लिए हतोत्साहित कर सकते हैं और इससे भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को बड़े पैमाने पर जनता द्वारा अपनाए जाने में भी देरी हो सकती है.’
उद्योग से जुड़े पर्यवेक्षकों को डर है कि इस तरह के कदम से उद्योग या तो अंडरग्राउंड हो जाएगा, या भारत से बाहर थाईलैंड, यूएई और जापान जैसे देशों, जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी हब बनने के लिए अपनी कर दरों को कम कर दिया है, में स्थानांतरित हो जाएगा. डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी आगे चलकर अर्थव्यवस्था के हर पहलू को परिभाषित करेगी, और यदि भारत सुगम शासन के माध्यम से इस तरह के नवाचारों को अपनाने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान नहीं करता है, तो यह प्रमुख व्यवसायों और निवेशों को खो सकता है.
(वैशाली बसु शर्मा रणनीतिक और आर्थिक मसलों की विश्लेषक हैं. उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट के साथ लगभग एक दशक तक काम किया है.)