चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें

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कैसे विदेशी मुद्रा ऑनलाइन बातचीत करने के लिए
विदेशी मुद्रा बाजार में ऑनलाइन ट्रेडिंग मुद्राएं, जिसे विदेशी मुद्रा बाजार भी कहा जाता है, एक विद्युतीकरण शौक और निवेश का एक महान माध्यम हो सकता है। इसे परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, प्रतिभूति बाजार में प्रति दिन 22.4 अरब डॉलर का व्यापार होता है - विदेशी मुद्रा बाजार प्रति दिन लगभग 5 खरब डॉलर का कारोबार करता है। आप बड़े प्रारंभिक निवेश का उपयोग किए बिना बहुत पैसा कमा सकते हैं, और बाजार की दिशा का अनुमान लगाते हुए बड़े व्यवसाय हो सकते हैं।
भाग 1
विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग के बारे में
जिस प्रकार की मुद्रा आप बेच रहे हैं, या दलाल को दे रही है वह है आधार मुद्रा. जो मुद्रा आप खरीद रहे हैं उसे कहा जाता है कोटेशन की मुद्रा. विदेशी मुद्रा बाजार में, आप एक और प्रकार खरीदने के लिए 1 प्रकार की मुद्रा बेचते हैं।
विनिमय दर बताता है कि बोली मुद्रा से आपको बेस मुद्रा खरीदने के लिए कितना खर्च करना होगा उदाहरण के लिए, यदि आप पाउंड स्टर्लिंग का उपयोग करके कुछ डॉलर खरीदना चाहते हैं, तो आप इस तरह की विनिमय दर देख सकते हैं: GBP / USD = 1,58 9 इस दर का मतलब है कि आप 1 पाउंड स्टर्लिंग खरीदने के लिए $ 1,58 9 का उपयोग करेंगे।
एक स्थिति लंबे समय तक का अर्थ है कि आप मूल मुद्रा खरीदेंगे और उद्धरण मुद्रा की बिक्री करेंगे। उपरोक्त हमारे उदाहरण में, आप पाउंड स्टर्लिंग खरीदने के लिए अमेरिकी डॉलर बेचेंगे।
एक स्थिति कम इसका मतलब है कि आप मुद्रा खरीदेंगे और आधार मुद्रा की बिक्री करेंगे। दूसरे शब्दों में, आप डॉलर खरीदने के लिए पाउंड स्टर्लिंग बेचेंगे
- कीमत पूछना, या ऑफ़र प्राइस, वह कीमत है जिस पर आपका ब्रोकर बोली मुद्रा के बदले में बेस मुद्रा बेच देगा। कीमत पूछना सबसे अच्छी कीमत है जो आप बाजार से खरीदने के लिए तैयार हैं।
- विस्तार कीमत के बीच अंतर है बोली और कीमत पूछना
एक विदेशी मुद्रा बाजार भाव पढ़ें आपको विदेशी मुद्रा बाजार की बोली में 2 नंबर दिखाई देंगे: कीमत बोली बाएं और मूल्य पूछना सही पर
डेली न्यूज़
मई 2021 में भारत और यूनाइटेड किंगडम ने CoP26 में हरित ग्रिड पहल (GGI) को लॉन्च करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी; हालाँकि अपशिष्ट निपटान के मुद्दों के कारण इस पहल के कार्यान्वयन में पर्यावरणीय लागत में वृद्धि की समस्या उत्पन्न होने की आशंका जताई गई है ।
वन सन,वन वर्ल्ड, वन ग्रिड:
- परिचय:
-
के तहत भारत ने यूनाइटेड किंगडम के साथ साझेदारी में हरित ग्रिड पहल- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (GGI-OSOWOG) की शुरुआत की घोषणा की है।
- ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ की अवधारणा 'द सन नेवर सेट्स' यानी ‘सूरज कभी अस्त नहीं होता’ और यह किसी भी भौगोलिक स्थान पर, विश्व स्तर पर, किसी भी समय स्थिर रहता है, के विचार पर ज़ोर देती है।
- इस पहल का उद्देश्य नवीकरणीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग पर वैश्विक सहयोग के लियेएक ढाँचा तैयार करना और यह सुनिश्चित करने में मदद करना है कि सभी देशों के लिये वर्ष 2030 तक स्वच्छ एवं कुशल ऊर्जा की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एक विश्वसनीय विकल्प मौजूद हो।
- इस परियोजना के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा का दोहन करने और अक्षय ऊर्जा के संक्रमण में तेज़ी लाने के लिये एक वैश्विक इंटरकनेक्टेड बिजली ग्रिड का निर्माण करने की बात कही गई।
- इस पहल के माध्यम से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में 80 से अधिक देशों को सूरज की रोशनी के विभिन्न चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें स्तरों से जोड़ने की उम्मीद है। एक संक्रमणकालीन प्रणाली सूर्य के प्रकाश के निम्न स्तर वाले देशों को इसकी अधिकता वाले क्षेत्रों से ऊर्जा प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी।
- मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई (MESASEA) ग्रिड के साथ भारतीय ग्रिड का इंटरकनेक्शन।।
- MESASEA ग्रिड का अफ्रीकी पावर ग्रिड के साथ इंटरकनेक्शन।
- अंत में, वैश्विक इंटरकनेक्टिविटी।
GGI-OSOWOG का महत्त्व
- यह पहल सीमा पार नवीकरणीय ऊर्जा हस्तांतरण परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाने में मदद करने के लिये अधिक तकनीकी, वित्तीय और अनुसंधान सहयोग प्रदान करेगी, जो OSOWOG को वैश्विक बुनियादी ढाँचा प्रदान करेगा।
- यह स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित दुनिया के लिये आवश्यक नए बुनियादी ढाँचे के निर्माण में तेज़ी लाने के लिये राष्ट्रीय सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय और तकनीकी संगठनों, व्यवस्थापकों तथा बिजली ऑपरेटरों के संगठनों के बीच मजबूती प्रदान करेगी।
- यह परस्पर लाभ और वैश्विक स्थिरता के लिये साझा किये जाने वाले परस्पर नवीकरणीय ऊर्जा के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से तेज़ी से विकास सुनिश्चित करेगी।
- यह कम कार्बन, नवीन सौर परियोजनाओं की दिशा में गति और निवेश का एक पूल प्रदान करेगी तथा कुशल श्रमिकों को सौर ऊर्जा संचालित आर्थिक सुधार के लिये एक साथ लाएगी। यह निवेश को भी बढ़ावा दे सकती है और लाखों नई हरित नौकरियाँ पैदा कर सकती है।
- इससे सभी सहभागी संस्थाओं के लिये कम परियोजना लागत, उच्च दक्षता और बढ़ी हुई संपत्ति का उपयोग होगा।
- इसके परिणामस्वरूप आर्थिक लाभ सकारात्मक रूप से गरीबी उन्मूलन और पानी, स्वच्छता, भोजन एवं अन्य सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को कम करने में सहायता मिलेगी।
- भारत में राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्रों को क्षेत्रीय और वैश्विक प्रबंधन केंद्रों के रूप में विकसित होने में मदद मिलेगी।
भारत के लिये GGI-OSOWOG में चुनौतियाँ और अवसर:
- चुनौतियाँ:
- GGI का दस्तावेज़ीकरण चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें देश में मौजूदा सौर ऊर्जा बुनियादी ढाँचे की दक्षता में सुधार पर टिप्पणी नहीं करता है।
- अधिकांश सौर ऊर्जा अवसंरचनाएँ रेगिस्तानी क्षेत्रों में स्थित हैं, जो पैनलों पर धूल जमा करती हैं।
- धूल की एक परत सौर ऊर्जा रूपांतरण दक्षता को 40% तक कम कर देती है।
- सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ जैसे- बैटरी और पैनल ऊर्जा-गहन कच्चे माल तथा कई रसायनों एवं भारी चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें धातुओं का उपयोग करते हैं जिन्हें सही ढंग से संभालने और निपटाने की आवश्यकता होती है।
- यह मौजूदा बुनियादी ढाँचे को पुन: चक्रित करने और पुनर्व्यवस्थित करने के लिये रणनीतियों को परिभाषित नहीं करता है, जो कि चक्रीय अर्थव्यवस्था लेंस के माध्यम से देखने के लिये एक रोमांचक तरीका हो सकता है।
- सोलर पैनल की लाइफ 20-25 वर्ष होती है, इसलिये कचरे की समस्या भविष्य में चुनौती बन सकती है।
- थर्मल ऊर्जा पर निर्भर देश होने के नाते भारत कई क्षेत्रों में हीटवेव (जब मांग बढ़ जाती है) और कोयलेकीकमी के कारण विद्युत की गंभीर कमी का सामना करता है।
- GGI थर्मल पावर प्लांटों को सौर ऊर्जा में बदलकर पारंपरिक ऊर्जा प्रणाली को बदल सकता है, जिससे भारत चरम मौसमी स्थिति के प्रति अधिक लचीला और जीवाश्मईंधन पर कम निर्भर हो सकता है।
- इसका एक उदाहरण भूजल निकालने के लिये सौर ऊर्जा से चलने वाले कृषि पंप(पीएम-कुसुम) का कार्यान्वयन है, जो पारंपरिक डीज़ल पंपों की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल हैं।
- भारत में डज़जल पंपों की संख्या एक करोड़ है।
- ऐसा अनुमान है कि 10 लाख डीज़ल पंपों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों में बदलने से कृषि उत्पादन में 30,000 करोड़ रुपए का लाभ हो सकता है, साथ ही डीज़ल के उपयोग को भी कम किया जा सकता है।
आगे की राह
- सौर ऊर्जा की पर्यावरणीय लागत, दक्षता के मुद्दे, रूपांतरण और हस्तांतरण के कारण ऊर्जा की हानि, तथा अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या आदि ऐसी बाधाएंँ हैं जिन्हें कार्यान्वयन निकायों द्वारा तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है।
- भारत में अपशिष्ट निपटान के मुद्दों के कारण GGI के कार्यान्वयन में पर्यावरणीय लागत बढ़ जाती है।
- मौजूदा बुनियादी ढांँचे के पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण के लिये विशिष्ट प्रणालियों को विकसित करके इन बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है।
- इसके संशोधनों की योजना उन तरीकों से बनाने की आवश्यकता है जो देश की आवश्यकताओं और संसाधन क्षमताओं के अनुरूप हों।
- इस संदर्भ में इंटरनेशनल सोलर एलायंस (ISA) एक स्वतंत्र सुपरनेशनल संस्थान के रूप में कार्य कर सकता है ताकि यह निर्णय लिया जा सके कि ग्रिड को कैसे चलाया जाना चाहिये और विवादों का निपटारा कैसे किया जाना चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):
प्रश्न. सौर जल पंपों के संदर्भ में निम्नलिखित चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें कथनों पर विचार कीजिये:
- सौर ऊर्जा का प्रयोग पृष्ठीय पंपों को चलाने के लिये हो सकता है, निमज्जनी (submersible) पंपों के लिये नहीं।
- सौर ऊर्जा का प्रयोग अपकेंद्री पंपों को चलाने के लिये हो सकता है और पिस्टन वाले पंपों के लिये नहीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2डेली न्यूज़
मई 2021 में भारत और यूनाइटेड किंगडम ने CoP26 में हरित ग्रिड पहल (GGI) को लॉन्च करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी; हालाँकि चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें अपशिष्ट निपटान के मुद्दों के कारण इस पहल के कार्यान्वयन में पर्यावरणीय लागत में वृद्धि की समस्या उत्पन्न होने की आशंका जताई गई है ।
वन सन,वन वर्ल्ड, वन ग्रिड:
- परिचय:
-
के तहत भारत ने यूनाइटेड किंगडम के साथ साझेदारी में हरित ग्रिड पहल- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (GGI-OSOWOG) की शुरुआत की घोषणा की है।
- ‘वन सन, वन वर्ल्ड, चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें वन ग्रिड’ की अवधारणा 'द सन नेवर सेट्स' यानी ‘सूरज कभी अस्त नहीं होता’ और यह किसी भी भौगोलिक स्थान पर, विश्व स्तर पर, किसी भी समय स्थिर रहता है, के विचार पर ज़ोर देती है।
- इस पहल का उद्देश्य नवीकरणीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग पर वैश्विक सहयोग के लियेएक ढाँचा तैयार करना और यह सुनिश्चित करने में मदद करना है कि सभी देशों के लिये वर्ष 2030 तक स्वच्छ एवं कुशल ऊर्जा की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एक विश्वसनीय विकल्प मौजूद हो।
- इस परियोजना के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा का दोहन करने और अक्षय ऊर्जा के संक्रमण में तेज़ी लाने के लिये एक वैश्विक इंटरकनेक्टेड बिजली ग्रिड का निर्माण करने की बात कही गई।
- इस पहल के माध्यम से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में 80 से अधिक देशों को सूरज की रोशनी के विभिन्न स्तरों से जोड़ने की उम्मीद है। एक संक्रमणकालीन प्रणाली सूर्य के प्रकाश के निम्न स्तर वाले देशों को इसकी अधिकता वाले क्षेत्रों से ऊर्जा प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी।
- मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई (MESASEA) ग्रिड के साथ भारतीय ग्रिड का इंटरकनेक्शन।।
- MESASEA ग्रिड का अफ्रीकी पावर ग्रिड के साथ इंटरकनेक्शन।
- अंत में, वैश्विक इंटरकनेक्टिविटी।
GGI-OSOWOG का महत्त्व
- यह पहल सीमा पार नवीकरणीय ऊर्जा हस्तांतरण परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाने में मदद करने के लिये अधिक तकनीकी, वित्तीय और अनुसंधान सहयोग प्रदान करेगी, जो OSOWOG को वैश्विक बुनियादी ढाँचा प्रदान करेगा।
- यह स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित दुनिया के लिये आवश्यक नए बुनियादी ढाँचे के निर्माण में चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें तेज़ी लाने के लिये राष्ट्रीय सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय और तकनीकी संगठनों, व्यवस्थापकों तथा बिजली ऑपरेटरों के संगठनों के बीच मजबूती प्रदान करेगी।
- यह परस्पर लाभ और वैश्विक स्थिरता के लिये साझा चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें किये जाने वाले परस्पर नवीकरणीय ऊर्जा के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से तेज़ी से विकास सुनिश्चित करेगी।
- यह कम कार्बन, नवीन सौर परियोजनाओं की दिशा में गति और निवेश का एक पूल प्रदान करेगी तथा कुशल श्रमिकों को सौर ऊर्जा संचालित आर्थिक सुधार के लिये एक साथ लाएगी। यह निवेश को भी बढ़ावा दे सकती है और लाखों नई हरित नौकरियाँ पैदा कर सकती है।
- इससे सभी सहभागी संस्थाओं के लिये कम परियोजना लागत, उच्च दक्षता और बढ़ी हुई संपत्ति का उपयोग होगा।
- इसके परिणामस्वरूप आर्थिक लाभ सकारात्मक रूप से गरीबी उन्मूलन और पानी, स्वच्छता, भोजन एवं अन्य सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को कम करने में सहायता मिलेगी।
- भारत में राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्रों को क्षेत्रीय और वैश्विक प्रबंधन केंद्रों के रूप में विकसित होने में मदद मिलेगी।
भारत के लिये GGI-OSOWOG में चुनौतियाँ और अवसर:
- चुनौतियाँ:
- GGI का दस्तावेज़ीकरण देश में मौजूदा सौर ऊर्जा बुनियादी ढाँचे की दक्षता में सुधार पर टिप्पणी नहीं करता है।
- अधिकांश सौर ऊर्जा अवसंरचनाएँ रेगिस्तानी क्षेत्रों में स्थित हैं, जो पैनलों पर धूल जमा करती हैं।
- धूल की एक परत सौर ऊर्जा रूपांतरण दक्षता को 40% तक कम कर देती है।
- सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ जैसे- बैटरी और पैनल ऊर्जा-गहन कच्चे माल तथा कई रसायनों एवं भारी धातुओं का उपयोग करते हैं जिन्हें सही ढंग से संभालने और निपटाने की आवश्यकता होती है।
- यह मौजूदा बुनियादी ढाँचे को पुन: चक्रित करने और पुनर्व्यवस्थित करने के लिये रणनीतियों को परिभाषित नहीं करता है, जो कि चक्रीय अर्थव्यवस्था लेंस के माध्यम से देखने के लिये एक रोमांचक तरीका हो सकता है।
- सोलर पैनल की लाइफ 20-25 वर्ष होती है, इसलिये कचरे की समस्या भविष्य में चुनौती बन सकती है।
- थर्मल ऊर्जा पर निर्भर देश होने के नाते भारत कई क्षेत्रों में हीटवेव (जब मांग बढ़ जाती है) और कोयलेकीकमी के कारण विद्युत की गंभीर कमी का सामना करता है।
- GGI थर्मल पावर प्लांटों को सौर ऊर्जा में बदलकर पारंपरिक ऊर्जा प्रणाली को बदल सकता है, जिससे भारत चरम मौसमी स्थिति के प्रति अधिक लचीला और जीवाश्मईंधन पर कम निर्भर हो सकता है।
- इसका एक उदाहरण भूजल निकालने के लिये सौर ऊर्जा से चलने वाले कृषि पंप(पीएम-कुसुम) का कार्यान्वयन है, जो पारंपरिक डीज़ल पंपों की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल हैं।
- भारत में डज़जल पंपों की संख्या एक करोड़ है।
- ऐसा अनुमान है कि 10 लाख डीज़ल पंपों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों में बदलने से कृषि उत्पादन में 30,000 करोड़ रुपए का लाभ हो सकता है, साथ ही डीज़ल के उपयोग को भी कम किया जा सकता है।
आगे की राह
- सौर ऊर्जा की पर्यावरणीय लागत, दक्षता के मुद्दे, रूपांतरण और हस्तांतरण के कारण ऊर्जा की हानि, तथा अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या आदि ऐसी बाधाएंँ हैं जिन्हें कार्यान्वयन निकायों द्वारा तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है।
- भारत में अपशिष्ट निपटान के मुद्दों के कारण GGI के कार्यान्वयन में पर्यावरणीय लागत बढ़ जाती है।
- मौजूदा बुनियादी ढांँचे के पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण के लिये विशिष्ट प्रणालियों को विकसित करके इन बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है।
- इसके संशोधनों की योजना उन तरीकों से बनाने की आवश्यकता है जो देश की आवश्यकताओं और संसाधन क्षमताओं के अनुरूप हों।
- इस संदर्भ में इंटरनेशनल सोलर एलायंस (ISA) एक स्वतंत्र चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें सुपरनेशनल संस्थान के रूप में कार्य कर सकता है ताकि यह निर्णय लिया जा सके कि ग्रिड को कैसे चलाया जाना चाहिये और विवादों का निपटारा कैसे किया जाना चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):
प्रश्न. सौर जल पंपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
- सौर ऊर्जा का प्रयोग पृष्ठीय पंपों को चलाने के लिये हो सकता है, निमज्जनी (submersible) पंपों के लिये नहीं।
- सौर ऊर्जा का प्रयोग अपकेंद्री पंपों को चलाने के लिये हो सकता है और पिस्टन वाले पंपों के लिये नहीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2अखबार की दुनिया के लिए संजीवनी नेपा पेपर मिल फिर चल पड़ी
शेयर बाजार 23 अगस्त 2022 ,19:45
अखबार की दुनिया के लिए संजीवनी नेपा पेपर मिल फिर चल पड़ी
में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:
केंद्र सरकार से मिले करीब 469 करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज से मिल का नवीनीकरण किया गया है। 2015-16 में इसके रिनोवेशन का काम शुरू हुआ था और अब मिल के अंदर आधुनिक मशीनों को लगाया गया है, जो पूरी तरह से डिजिटल होगी और पेपर की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
इस मिल में पहले अखबार का कागज बनाने के लिए सलाई पेड़ की लकड़ी और बांस का यूज होता था। हालांकि उस वक्त इस क्षेत्र में सलाई के पेड़ और बांस बड़ी मात्रा में होते थे।
इस मिल को एशिया के पहले अखबारी कागज कारखाने के रूप में जाना जाता है। नवम्बर 2021 से कंपनी ने 310 लोगों की भर्तियां भी की हैं और इनमें अधिकतर आस-पास के इलाकों से हैं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा, इस मिल से धुंआ जबतक निकलता रहेगा तब तक नेपानगर के घरों में चुल्हा जलता रहेगा। देश के विभिन्न न्यूज पेपर मालिकों नें फोन किए और अपनी जरूरतों को भी बताया है। यह मील चलती रहनी चाहिए, धुआं जो उठा है, वो बढ़ता ही जाएगा।
कम्पनी की पुनरुद्धार एवं मिल विकास योजना कई कारणों से महत्वपूर्ण है। आज जब भारत सरकार प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने के लिये नित नये कदम उठा रही है। वहीं नेपा लिमिटेड प्रकृति को कोई हानि पहुंचाये बिना पुराने रद्दी कागज को रिसाईकिल कर कागज का निर्माण कर रही है।
उन्होंने आगे कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमने नेपा मिल को तीन चरणों में 770 करोड़ रुपए पुनरुद्धार के लिए दिए हैं। चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें नेपा लिमिटेड पहले से ही कागज निर्माण उद्योग में एक स्थापित ब्रांड है, इसलिये कम्पनी के उत्पाद के लिये बाजार बनाना मुश्किल नहीं होगा।
नेपा लिमिटेड से मिली जानकारी के अनुसार, प्लांट की इंस्टॉल्ड क्षमता 1 लाख टन सालाना है, हालांकि 2016 में जब प्लांट बंद हुआ था तब इसकी इंस्टॉल्ड क्षमता 88,000 टन सालाना थी। कंपनी का टर्नओवर 2015-16 में 72 करोड़ चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें चरणों में आज ही स्वचालित विदेशी मुद्रा व्यापार शुरू करें था। कंपनी ने न्यूजप्रिन्ट के साथ लेखन एवं प्रिंटिंग पेपर के उत्पादन में विविधीकरण की योजनाएं बनाई हैं।
वहीं 512.41 रुपये करोड़ की पुनरुद्धार एवं मिल विकास योजना के साथ नेपा लिमिटेड ने अपनी युनिट को पूर्णतया स्वचालित बना लिया है, साथ ही विभिन्न दायित्वों को खत्म कर लागत कम की गई है, ऐसे में यह देश में फिर से संचालन शुरू करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ ही उपक्रमों में से एक है।
इसके साथ ही कंपनी ने अपनी वीआरएस आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रु 46 करोड़ प्राप्त किए, इसके अलावा वेतन एवं भत्तों के लिए अक्टूबर 2018 में 101 करोड़ एवं नवम्बर 2021 में 31 करोड़ प्राप्त किए गए।
मिल के शुरू होने से आसपास के क्षेत्र भी अब एक बार फिर से समृद्ध होंगे। नेपानगर में कागज सस्ता और अच्छी क्वालिटी का भी मिलता है, इसीलिए अधिकतर कागज खरीदने वाली कंपनियां नेपानगर का रुख करती हैं।
दरअसल नेपा लिमिटेड की शुरूआत 26 जनवरी 1947 को नायर प्रेस सिंडीकेट लिमिटेड द्वारा एक निजी उद्यम के रूप में की गई थी। न्यूजप्रिन्ट उत्पादन के लिए द नेशनल न्यूजप्रिन्ट एण्ड पेपर मिल्स लिमिटेड के नाम गठित यह कंपनी, 1981 तक यह भारत में एकमात्र न्यूजप्रिन्ट मैनुफैक्च रिंग युनिट थी।
अक्टूबर 1949 में कंपनी के प्रबन्धन को मध्य प्रान्त और बरार (वर्तमान में मध्य प्रदेश) की तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया। मिल में कमर्शियल उत्पादन शुरू होने के साथ ही, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 26 अप्रैल 1959 को इसे देश को समर्पित किया। 1958 में भारत सरकार के कंपनी के कार्यभार अपने हाथों में ले लिया। वर्तमान में केन्द्र की हिस्सेदारी है। 21 फरवरी 1989 को कंपनी का नाम बदल कर नेपा लिमिटेड कर दिया गया।