विश्व बाजार शुल्क और सीमा

यूरोपीय संघ प्रदूषणकारी वस्तुओं के आयात पर कार्बन सीमा शुल्क (Carbon Border Tariff) लगाएगा
यूरोपीय संघ ने माना कि यह कदम किसी भी कार्बन रिसाव से बच जाएगा और साझेदार देशों को मजबूत पर्यावरण नियम और कार्बन-मूल्य निर्धारण नीतियों को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इससे यूरोपीय संघ (ईयू) के देशों को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी मदद मिलेगी। यह कार्बन टैरिफ प्रस्ताव यूरोपीय संघ की जलवायु परिवर्तन नीतियों का हिस्सा है जिसका उद्देश्य 1990 के स्तर से 2030 तक यूरोपीय संघ के कार्बन उत्सर्जन विश्व बाजार शुल्क और सीमा को 55% तक कम करना है।
यूरोपीय संघ के देशों और यूरोपीय संसद ने वार्ता की गति बढ़ा दी, क्योंकि 2023 से कार्बन टैरिफ लगाने के लिए तीन साल का विश्व बाजार शुल्क और सीमा संक्रमण चरण शुरू होगा।
तेल, सोना और सरकार
केन्द्र सरकार ने पैट्रोल-डीजल के निर्यात पर टैक्स लगा दिया है। यहां तक कि कच्चे तेल से मिलने वाले लाभ पर भी टैक्स वसूला जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने सोने के आयात पर भी शुल्क बढ़ा दिया है। सरकार द्वारा लगाए गए कर और शुल्क से रिलायंस, नयारा, वेदांता समेत सभी तेल विश्व बाजार शुल्क और सीमा निर्माताओं की कमाई कम हो जाएगी। नयारा पर तो रूसी तेल कम्पनी रोसनफेट का आंशिक स्वामित्व है। सरकार की घोषणा के बाद शेयर बाजार में रिलायंस के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली, वहीं मंगलोर रिफाइनरी और पैट्रो कैमिकल्स के शेयरों में भी गिरावट आई। सरकार के फैसले के बाद इंडियन आयल हिन्दुस्तान पैट्रोलियम जैसी कम्पनियों के शेयर विश्व बाजार शुल्क और सीमा चढ़े हैं।
केन्द्र सरकार द्वारा कर लगाने का कदम पहली नजर में उचित प्रतीत हो रहा है। सरकार ने कुछ नए नियम भी बनाए हैं जिसके तहत गैसोलीन का निर्यात करने वाली तेल कम्पनियों को इस वित्त वर्ष में देश के बाहर बेचे गए गैसोलीन की कुल मात्रा के 50 फीसदी के बराबर मात्रा में गैसोलीन देश के भीतर भी बेचना होगा। डीजल के लिए अनिवार्यता कम से कम 30 फीसदी कर दी गई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जहां दुनिया तेल की बढ़ती कीमतों से परेशान है, वहीं भारत की बड़ी तेल कम्पनियों का जैकपॉट लग गया है। भारत की तेल कम्पनियां विश्व बाजार में सर्वोत्तम क्वालिटी का माने जाने वाले रूसी यूराल ईंधन तेल को भारी मात्रा में खरीद रही है और इसे एशिया और अफ्रीका के बाजारों में उच्च अन्तर्राष्ट्रीय कीमतों पर बेच रही है। भारतीय कम्पनियां लगातार मालामाल हो रही हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध काफी लम्बे समय से चल रहा है और युद्ध जल्दी खत्म होने के आसार भी नहीं हैं।
भारत कभी रूस से तेल का बड़ा खरीददार नहीं रहा। रूस से भारत में तेल आने में 45 दिन का समय लग जाता है। तेल का यह परिवहन काफी महंगा पड़ता है। जबकि मध्यपूर्व के देशों में तेल खरीदना इसलिए प्राथमिकता रहा है क्योंकि वहां से तेल कुछ िदनों में ही भारत पहुंच जाता है। अब क्योंिक अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते रूस रियायती दरों पर तेल बेच रहा है। भारतीय कम्पनियों को 30-40 डालर के बीच छूट मिल रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस और नायरा जैसी प्राइवेट कम्पनियों ने पिछले महीने अनुमानित 250,000 बैरल प्रतिदिन तेल रूस से खरीदा है। हुआ यह कि निजी तेल कम्पनियों ने देश में तेल आपूर्ति पर ध्यान देना बंद कर दिया और सारा का सारा जोर मुनाफा कमाने में लगा दिया। निजी कम्पनियों ने स्थानीय स्तर पर तेल की बिक्री लगभग बंद ही कर दी। हुआ यह कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और कुछ राज्यों में तेल संकट खड़ा हो गया। लोगों को पैट्रोल पम्पों से तेल नहीं मिल रहा था। इससे पहले केन्द्र सरकार ने बढ़ती महंगाई को देखते हुए पैट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी जिस कारण सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ। यह एक सच्चाई है कि प्राइवेट सैक्टर वहीं निवेश करता है जहां उसे लाभ होने की उम्मीद होती है। कोरोना काल के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को राजस्व की जरूरत है। ऐसे में मालामाल हो रही कम्पनियों पर कर लगाने से सरकार को सालाना 7 हजार करोड़ से अधिक की कमाई होगी। उम्मीद है कि देश में पैट्रोलियम उत्पादों की सप्लाई सुनिश्चित होगी।
सरकार ने सोने के आयात पर लगाम लगाने और चालू खाता घाटे को बढ़ने से रोकने के लिए इस मूल्यवान धातु पर आयात शुल्क बढ़ाकर 15 फीसदी कर िदया है। इससे पहले सोने पर मूल सीमा शुल्क 7.5 फीसदी था, जो अब 12.5 फीसदी होगा। 2.5 फीसदी के कृषि अवसंरचना विकास उपकर के साथ सोने पर प्रभावी सीमा शुल्क 15 फीसदी होगा। भारतीयों को सोना बहुत प्यारा लगता है। भारत में सोने का उत्पादन तो होता नहीं इसलिए सोना आयात किया जाता है। हाल ही के महीनों में सोने के आयात में बढ़ौतरी देखी गई। इस वर्ष मई में ही कुल 107 टन सोना आयात किया गया और जून में भी सोने का आयात बढ़ गया। आयात बढ़ने से भारत का आयात बिल चढ़ जाता है और चालू खाता घाटा पर बोझ बढ़ने लगता है। सरकार की कोशिश है कि सोने का आयात कम करके किसी न किसी तरह घाटे को नियंत्रण में रखा जाए। डालर के मुकाबले रुपए में लगातार आ रही कमजोरी को रोकने के लिए भी सरकार ने यह कदम उठाया है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की विश्व बाजार शुल्क और सीमा कीमत बढ़ने से भी इसकी मांग पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि सोने की तस्करी बढ़ जाएगी। अब सवाल यह है कि क्या भारतीय सोने के प्रति मोह को छोड़ पाएंगे क्योंकि सोने को खरीद कर तिजोरियों में बंद रखना उनकी आदत बन चुका है। भारतीय आज भी यही मानते हैं कि परिवार पर सुख-दुख की घड़ी में सोना विश्व बाजार शुल्क और सीमा ही काम आता है। जब तक लोग सोने के प्रति मोह नहीं छोड़ते तब तक सरकार को आयात घटाने में मदद नहीं मिल सकती। सरकार के उपाय कितने कारगर होंगे विश्व बाजार शुल्क और सीमा इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा।
अब नकली आभूषण भी सीमा शुल्क एवं सामाजिक कल्याण अधिभार के दायरे में
आम बजट में सोने के आयात पर 3 प्रतिशत सरचार्ज लगा दिया गया है जबकि 10 प्रतिशत आयात शुल्क पहले से लागू है। हीरो पर सीमा शुल्क 2.5 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत नकली आभूषणों पर आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
सामाजिक कल्याण अधिभार भी लगा दिया गया है। बजट में कर लागू करने से हीरा-आभूषण निर्यातकों की उत्पादन लागत बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धी क्षमता घटेगी। वर्तमान वित्त मंत्री का मानना है कि सोना-चांदी, र| आभूषणों की खरीदी अमीर वर्ग कते हैं उन्हें कर देना चाहिए। सोना जमा करने की नई योजना भी लाई जा रही है। सरकार का प्रयास है कि सोने का आयात कम से कम हो। केंद्र द्वारा घोषित पिछली एक योजना में सिर्फ 3 टन सोना जमा हुआ है, जबकि प्रति वर्ष 800 टन सोने का आयात होता है।
बजट में अमीरों को झटका
बजट में कटे और तराशे हीरो, रंगीन र|ों और प्रयोगशाला में बनाए गए हीरो पर आयात शुल्क दोगुना कर दिया गया है। इससे विश्व का सबसे बड़ा हीरा कारोबार केंद्र बनने की भारत की उम्मीदों को झटका लगता नजर आ रहा है। केंद्रीय बजट में सभी प्रकार के हीरो पर सीमा शुल्क 2.5 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह नकली आभूषणों पर सीमा शुल्क 15 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण अधिभार लगाया गया है। अभी तक शिक्षा उपकर लगा हुआ था, उसे वापस ले लिया गया है। इस तरह से आयात शुल्क पर विश्व बाजार शुल्क और सीमा शुद्ध अधिकार सीमा शुल्क का 7 प्रतिशत होगा। सरकार के इस कदम से हीरा आभूषण निर्यातकों को उत्पादन लागत और वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता के लिहाज से झटका लगेगा। विश्व के देशों से प्रतिस्पर्धा करना कठिन होगा। उल्लेखनीय है कि भारत एक मात्र ऐसा देश है, जहां कटे और तराशे हीरो पर आयात शुल्क लगाया गया है। बेल्जियम, हांगकांग जैसे हीरा कारोबार के प्रमुख केंद्रों ने कीमती र|ों पर आयात शुल्क समाप्त किया है। सरकार का तर्क है कि मुंबई में भारत डायमंड बोर्स (बीडीबी) में विश्व स्तरीय कारोबारी सुविधाएं होने से लघु और मझौले हीरा तराशकारों को बिना विदेश गए अच्छी गुणवत्ता के हीरे खरीदने में मदद मिलेगी। भारत में इस समय विश्व में उत्खनन होने वाले करीब 90 प्रतिशत हीरो को तराशा जाता है।
सराफा बाजारों में हलचल
शहरी क्षेत्रों में आगामी ब्याह-शादियों के लिए आभूषणों की खरीदी अच्छी मात्रा में चल रही है। ग्रामीण इलाकों में पिछले दिनों अच्छी मात्रा में ग्राहकी निकली थी। अब कुछ कमजोर पड़ गई है। गेहूं-चने की फसल अगले 20-25 दिन बाद अच्छी मात्रा में आना शुरू होगी। अभी तक फसलों की स्थिति काफी अधिक संतोषजनक है। संभव है उत्पादकता भी अधिक बैठ सकती है। रबी की फसल खलिहानों में आने में दो माह का समय है। इसमें कुछ अनहोनी नहीं होना चाहिए थी। बाजार धन की तंगी से ग्रस्त है। विदेशों में सोने की तेजी को ब्रेक लगा है। 25 से 30 डॉलर की गिरावट भी आई है। कुछ विशेषज्ञों का मत है कि सोने से निवेशों ने दूरी बनाए रखी है। शेयर बाजार भी झटके खा रहा है। भारतीय शेयर बाजार भी फिलहाल तो जोखिम भरा हो गया है। किसानों की फसलों का रुपया बैंकों में जमा होने से बाहर नहीं आ रहा है। पिछले वर्षों में मंडियों में नकद रुपया मिलता था, हाथ खोलकर खर्च किया जाता था।
सरकार का प्रयास सोने का उपयोग विकास में हो
सराफा व्यापारियों को यह अहसास और शुक्रगुजार होना चाहिए कि उनका कारोबार चल रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ी अहम वजह यह है कि 2 लाख रुपए तक नकदी लेकर आभूषण बेचे जा सकते हैं। यदि इस सुविधा को भी हटा दें और चेक अथवा आरटीजीएस से भुगतान करना अनिवार्य कर दें तो व्यापार पूरी तरह से ठप हो जाएगा। बजट में आयात शुल्क 10 से घटाकर 6 प्रतिशत किया जा सकता है, यह कल्पना ही क्यों आई? वर्तमान सरकार सोने की खरीदी-बिक्री के खिलाफ है। सरकार का मानना है कि सोने का उपयोग तिजोरी में रखने की बजाए देश के विकास में काम आए, किंतु अभी तक जितनी योजनाएं लाई गई हैं वे लगभग असफल हो गई है। इसके अलावा सरकार ने ऐसी योजनाएं बनाई जो निवेश करने वालों को गले नहीं उतर सकीं। शायद सरकार योजनाएं अपने हिसाब से बनाती हैं, जिसमें आम जनता को लाभ नजर नहीं आता है, यही वजह है कि आम जनता बढ़-चढ़कर इन योजनाओं में भाग नहीं ले रही है। पिछले वर्ष मंदिरों में जमा सोने पर भी सरकार ने नजर डाली थी, किंतु अधिक मात्रा में सोना में नहीं निकला सकी।
गोल्ड बोर्ड की स्थापना से भारत में तय हो सकेंगे कीमतें
सराफा कारोबारियों का मत है कि घरेलू स्वर्ण परिषद के साथ स्वर्ण एक्सचेंज की मांग लंबे समय से की जा रही है। भारत में स्पॉट एक्सचेंज और स्वर्ण बोर्ड की स्थापना से भारत में कीमत तय करने वाला देश बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत सर्वाधिक सोने का आयात करने वाला देश है, लेकिन कीमत तय करने उसकी कोई भूमिका नहीं है। व्यापारियों का मत है कि भारतीय स्वर्ण परिषद और स्पॉट गोल्ड एक्सचेंज स्थापित करके सोने की कीमतें तय की जा सकती है। स्वर्ण मुद्रीकरण योजना की घोषणा 2015-16 के बजट में की गई थी। यह योजना स्वर्ण जमा योजना के स्थान पर की गई थी। 5 नवंबर 2015 में योजना शुरू की थी।
3 प्रतिशत सरचार्ज
1 फरवरी को लोकसभा में पेश किए गए बजट में सोने के आयात पर 3 प्रतिशत का सरचार्ज और लगा दिया है। सोने पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क तो पहले से ही लागू है। 3 प्रतिशत सरचार्ज के प्रति 10 ग्राम पर 100 रुपए सोना और महंगा हो जाएगा। इसका सीधा भार ग्राहकों पर पड़ेगा। जिस पड़तल से सोना आएगा, उसी पड़तल से बेचा जाएगा। इसके अलावा बजट में गोल्ड डिमोनेटइजेशन स्कीम में बदलाव की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में स्वर्ण मुद्रीकरण योजना को पुनर्गठित करेगी और बहुमूल्य धातु पर व्यापक योजना लेकर आएगी। बजट भाषण में कहा गया है कि सरकार सोने को एक परिसंपत्ति की श्रेणी में लाने एवं व्यापक स्वर्ण नीति बनाएगी। इसके अलावा देश में सोने के विनियमित आदान-प्रदान की उपभोक्ता हितैषी और व्यापार दक्ष प्रणाली स्थापित करेगी।
भारत से अपना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शुरू करने से पहले 7 चीजें ध्यान में रखें
1996 में, जब ईकामर्स पहली बार भारत में शुरू हुआ, तो कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता था कि यह तेजी से बढ़ेगा। आज, लगभग 26 वर्षों के बाद, eCommerce सभी खुदरा बिक्री में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक बन गया है। भारतीय विक्रेता विदेशों में भी अपने उत्पाद बेच रहे हैं, और पूरी दुनिया एक विशाल वैश्विक बाज़ार है।
स्टेटिस्टा के अनुसार, 2020 में, दुनिया भर में 2 बिलियन से अधिक लोगों ने ऑनलाइन सामान खरीदा। इसका मतलब है कि बाजार तेज गति से बढ़ रहा है, और बैंडबाजे में शामिल होने और एक अप्रयुक्त बाजार को लक्षित करने का यह एक अच्छा समय है जो आपके उत्पादों को खरीदने के लिए समान रूप से उत्सुक है।
अपना अंतर्राष्ट्रीय ईकामर्स व्यवसाय शुरू करने से पहले विचार करने योग्य बातें
थोरो मार्केट रिसर्च
किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले, यह घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय हो, आपको अपने लक्षित बाजार और अपने ग्राहक की मांगों का पूरा विश्लेषण करना चाहिए। जब एक वैश्विक शुरुआत व्यापार या विश्व स्तर पर विस्तार करने के लिए, यह उस बाजार पर शोध करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जिसे आप बेचना चाहते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से विदेशी क्षेत्र है।
बाजार में बिकने वाले उत्पादों, अपने प्रतिस्पर्धियों, ग्राहक वरीयताओं आदि का सावधानीपूर्वक अध्ययन करें। यह जानने के लिए कि आपकी कंपनी कहां खड़ी है और यह समझने के लिए कि आपकी प्रतिस्पर्धा कैसे काम करती है, एक SWOT विश्लेषण करें। अपने उत्पाद के विश्व बाजार शुल्क और सीमा काम करने के लिए, आपको देश की स्थानीय अवधारणाओं को अपनी व्यावसायिक रणनीति में मिलाना होगा। इसलिए अनुसंधान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
एक विश्व स्तर पर ध्वनि वेबसाइट
जब आप अपनी शुरुआत करते हैं वैश्विक ईकामर्स उद्यम, आपकी वेबसाइट ग्राहक के लिए आपका एकमात्र मूर्त संपर्क बिंदु है। इसलिए, इसे उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुकूलित किया जाना चाहिए। उत्पादों को नियमित रूप से अद्यतन किया जाना चाहिए, और आपके पास एक मुद्रा परिवर्तक होना चाहिए जो कीमतों को प्रदर्शित कर सके। साथ ही, वेबसाइट पर अनुवाद सुविधा का होना उपयोगी हो सकता है यदि खरीदार सामग्री का अपनी मूल भाषा में अनुवाद करना चाहते हैं।
विपणन योजना
विदेशों में दुकान स्थापित करना प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है। असली खेल उसके बाद शुरू होता है। यदि आपके दर्शकों को पता नहीं है कि आपके अस्तित्व में हैं तो आपके प्रयासों का कोई महत्व नहीं है। यह वह जगह है जहाँ विपणन में आता है। एक उचित विपणन की योजना अपने ब्रांड की व्यापक पहुंच और जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। इस योजना में ऑनलाइन और ऑफलाइन अभियानों से लेकर सभी पहल शामिल होनी चाहिए। शुरू करने के लिए, आप एक सोशल मीडिया उपस्थिति स्थापित करने के साथ-साथ ऑनलाइन विज्ञापन अभियान चला सकते हैं। आगे बढ़ते हुए, आप आक्रामक सामग्री विपणन में प्रवेश कर सकते हैं और अन्य चैनलों के माध्यम से सूची बनाने के बाद ईमेल भेजना शुरू कर सकते हैं। आप ऑफ़लाइन मोर्चे पर वीडियो या प्रिंट विज्ञापन दिखा सकते हैं। यह थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन अगर आपके पास बजट है, तो आपको इस प्रारूप में निवेश करना चाहिए क्योंकि यह कई नेत्रगोलक को आकर्षित करता है।
रसद और आदेश पूर्ति
एक बार जब ग्राहक डालना शुरू कर देते हैं, तो हाथ में अगला काम आपके खरीदार के दरवाजे पर इन आदेशों को पैक और शिप करना होगा। यदि आपके पास एक पूर्ति योजना नहीं है तो यह संभव नहीं होगा।
अग्रिम में अपने भंडारण स्थान को छाँटना एक बढ़िया विकल्प है। यदि आप अपने व्यवसाय का विस्तार कर रहे हैं, तो एक जगह से सभी अंतर्राष्ट्रीय आदेशों को पूरा करने के लिए अपने गोदाम में कुछ जगह जोड़ें।
शिपिंग के लिए, शिपिंग एग्रीगेटर को चुनना पसंद है शिपरॉकेट Xएकल कूरियर कंपनी के साथ जुड़ने के बजाय फायदेमंद हो सकता है। यह आपको व्यापक पहुंच प्रदान करेगा और सस्ती दर पर ऑर्डर भी शिप करेगा। उदाहरण के लिए, शिपकोरेट एक्स 220+ देशों में ₹ 290/50 ग्राम की शुरुआती दर से जहाज करता है।
सीमा शुल्क और शुल्क शुल्क
सीमा शुल्क और शुल्क शुल्क किसी भी अंतरराष्ट्रीय उद्यम का सबसे भ्रामक पहलू है। यदि आप किसी विशेष देश में अपने व्यवसाय के आस-पास के कानूनों और नियमों के बारे में जानने के लिए अतिरिक्त प्रयास करते हैं, तो आप न केवल किसी भी दुर्घटना के लिए तैयार रहेंगे, बल्कि यह भी जान सकते हैं कि आप अपने व्यवसाय को कैसे लाभ पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, पूर्ण जागरूकता भी आपको किसी भी फर्जी दावे और पोंजी योजनाओं से बचने में मदद करेगी, जो उद्यमियों को घोटाले करने की कोशिश करते विश्व बाजार शुल्क और सीमा हैं।
कीमत निर्धारण कार्यनीति
मूल्य निर्धारण किसी भी ईकामर्स व्यवसाय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, पूरी तरह से बाजार अनुसंधान आपको मूल्य निर्धारण रणनीति का एक उचित विचार देगा जिसे आपको अपनाना चाहिए। विभिन्न लागत परिचालनों पर कड़ी नजर पूर्ति लागत, खरीद लागत और कर इत्यादि आपको उत्पाद के मूल्य निर्धारण का बेहतर विचार देंगे। सुनिश्चित करें कि मूल्य निर्धारण इन सभी खर्चों में शामिल है या फिर आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
सेटअप भुगतान चैनल
अंतिम पर कम नहीं, भुगतान द्वार। जब आप ऑनलाइन भुगतान एकत्र करने का इरादा रखते हैं, तो एक सुरक्षित भुगतान गेटवे होना आवश्यक है। यदि आपका पेमेंट चैनल सुरक्षित नहीं है, तो धोखाधड़ी और घोटाले करने की बहुत अधिक संभावना है। दूसरे, यदि आप सही तरीके से शोध करते हैं, तो आप अतिरिक्त ब्याज शुल्क पर बचत कर सकते हैं जो आप हर ऑर्डर के लिए भुगतान करते हैं। इस प्रकार, एक उचित भुगतान चैनल स्थापित करें और जल्द ही बिक्री शुरू करें।
अंतिम विचार
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विदेशों में एक विशाल दर्शकों तक पहुंचने का एक शानदार अवसर है। लेकिन जब से आप अज्ञात जल का प्रसार कर रहे हैं, यह जरूरी है कि आप अपना शोध करें और आगे बढ़ने से पहले आवश्यक उपाय करें।
डंपिंग रोधी शुल्क: भारत ने 5 चीनी उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया
एंटी-डंपिंग शुल्क बनाम सीमा शुल्क
हालांकि दोनों करों को सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा आरोपित किया एवं एकत्र किया जाता है, दोनों नितांत रूप से भिन्न हैं।