दलाल कैसे बने?

राजस्थान: राजनीतिक सरगर्मी के बीच नेताओं में ‘वफादारी’ दिखाने के लिए जुबानी जंग
जयपुर, 29 सितंबर (भाषा) क्षेत्रफल के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच स्थानीय नेताओं में पार्टी के भीतर बने धड़ों के प्रति वफादारी दिखाने की होड़ मची है। इन नेताओं में ‘खुद को आलाकमान का वफादार’ बताने की होड़ सी मची है।
राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष और गहलोत के वफादार धर्मेंद्र राठौड़ ने बृहस्पतिवार को सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले विधायक वेद प्रकाश सोलंकी पर निशाना साधा।
राठौड़ ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं यह साबित करने के लिए साक्ष्य दूंगा कि कौन गद्दार है और कौन वफादार । यह सबके सामने आएगा। सोलंकी ने जिला परिषद चुनाव के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां से एक होटल में मुलाकात की थी।’
उन्होंने सोलंकी की भाजपा अध्यक्ष पूनियां के साथ बैठक का एक वीडियो दिखाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यह जिला परिषद चुनावों के दौरान सदस्यों की खरीद फरोख्त की साजिश थी।
जिला परिषद चुनाव के प्रभारी रहे, मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने पार्टी को नुकसान पहुंचाने में सोलंकी की भूमिका के बारे में शिकायत की थी लेकिन राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने कहा कि सोलंकी ने पार्टी को धोखा दिया जिससे जयपुर में कांग्रेस की जगह भाजपा ने जिला प्रमुख दलाल कैसे बने? का चुनाव जीता।
उल्लेखनीय है कि विधायक सोलंकी ने कल राठौड़ को कांग्रेस और भाजपा का ‘दलाल’ तक कह दिया था। सोलंकी ने कहा था, ‘कौन धर्मेंद्र? धर्मेंद्र राठौड़ भाजपा और कांग्रेस के पंजीकृत दलाल हैं। हर कोई जानता है कि वह कांग्रेस और भाजपा के बीच दलाल कैसे काम करता है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम आलाकमान के साथ हैं। कौन ईमानदार है, कौन झूठा है, कौन गद्दार है, कौन क्या है… सभी जानते हैं । धर्मेंद्र राठौड़ के बारे में बात करने का मतलब समय बर्बाद करना है।‘’
दौसा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा ने उनकी टिप्पणी को लेकर स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा पर निशाना साधते हुए कहा कि 2020 के राजनीतिक घटनाक्रम में सचिन पायलट के साथ मानेसर गए विधायकों के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह खराब है।
मीणा ने कहा, ‘जिस तरह से हमारे लिए देशद्रोही और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह गलत है।’
उन्होंने कहा कि विधायक 2020 में एक महीने तक दिल्ली में रहे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा।
मीणा ने कहा, ’हम घर पर बैठ सकते हैं, लेकिन भाजपा के साथ नहीं जा सकते। हमें दुख है कि हमारे लिए देशद्रोही शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन अब यह बताया जाना चाहिए कि आलाकमान को कौन धोखा दे रहा है ।’’
उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्थिति बनती है तो वह मध्यावधि चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। वहीं सचिन पायलट भी दिल्ली में हैं।
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
INDORE NEWS- 9 रियल स्टेट एजेंटों के खिलाफ वारंट जारी, डायरी पर प्रॉपर्टी का धंधा नहीं चलेगा: कलेक्टर
इंदौर। इंदौर शहर में कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में रियल एस्टेट सेक्टर में सफाई का अभियान चल रहा है। ग्राहकों के साथ वादाखिलाफी करने वाले एवं धोखाधड़ी करने वाले रियल स्टेट एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसी तारतम्य में आज अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी श्री राजेश राठौड़ द्वारा डायरी आधारित धोखाधड़ी की लिखित शिकायत पर 9 दलालों के विरूद्ध गिरफ्तारी वारंटी जारी किये गये है।
इंदौर के 9 प्रॉपर्टी दलालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
दलाल निलेश पिता विरेन्द्र पोरवाल के विरूद्ध थाना छोटी ग्वालटोली, संजय पिता गोवर्धन मलानी के विरूद्ध थाना सराफा, उमेश पिता सुन्दरलाल डेम्बला के विरूद्ध थाना परदेशीपुरा, सुनील पिता मनोहर लाल जैन के विरूद्ध थाना तुकोगंज, प्रशांत (बबल) पिता दिनेश खण्डेलवाल के विरूद्ध थाना पलासिया, गौतम पिता पन्नालाल जैन के विरूद्ध थाना जूनी इंदौर, गणेश खण्डेलवाल के विरूद्ध थाना पलासिया, कमल पिता त्रिलोकचंद गोयल के विरूद्ध थाना भंवरकुआ तथा हर्ष चुघ के विरूद्ध थाना तिलकनगर से गिरफ्तारी वारंटी जारी किया गया है। उक्त सभी दलालों के विरूद्ध पूछताछ उपरांत बॉन्ड ओवर की कार्रवाई की जायेगी।
इंदौर में डायरी पर प्रॉपर्टी का धंधा नहीं चलेगा: कलेक्टर
कलेक्टर श्री सिंह ने इंदौर जिले के सभी अपर कलेक्टर, अनुविभागीय दण्डाधिकारी (राजस्व) एवं तहसीलदारों दलाल कैसे बने? को आमजन भू-खण्ड क्रेताओं के हितों को कॉलोनाइजर/दलालों से सुरक्षित रखने के लिये विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं। जारी आदेशानुसार सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि वे अपने क्षेत्र में विकसित हो रही कालोनियों का सतत् भ्रमण करते रहे, तथा वहां पर उपस्थित हितग्राहियों से चर्चा करे कि उन्हें किसी प्रकार की समस्या तो नहीं है। अपने स्वयं के सूचना तंत्र से, ऐसे कालोनाईजर्स की जानकारी एकत्रित करें जो खुद की वित्तीय क्षमता से अधिक वित्तीय भार वाली कॉलोनी में संलिप्त होकर अवैध डायरियों आदि के धंधे में स्वयं एवं अपने दलालों के साथ संलिप्त है।
प्रॉपर्टी में धोखाधड़ी मामलों में तेजी से कार्रवाई करें: कलेक्टर
डायरी पर विक्रय किए गए किसी भी हितग्राही की कोई शिकायत आती है तो उसे लिखित में प्राप्त करें, ऐसी शिकायत पर कालोनाईजर से तथा उनके दलालों से पूछताछ करें तथा शिकायतकर्ता को कम से कम समय में न्याय दिलाना सुनिश्चित करें। ऐसे सभी प्रकरणों में कालोनाईजरों/दलालों से हितग्राही के पक्ष में वैधानिक रूप से अंतरण कराना सुनिश्चित करना होगा ताकि भूखंड पर क्रेता/आम जनता का अधिकार सुरक्षित रह सके। डायरी के माध्यम से कालोनाईजरों/दलालों को दी गई राशि को हितग्राही को घोषित करना होगा तथा उस राशि पर देय विभिन्न करों का भुगतान किया जा चुका है, यह भी जांच कर सुनिश्चित करना होगा।
पूरे इंदौर में भू-माफिया के खिलाफ अभियान
कलेक्टर श्री सिंह ने निर्देश दिये है कि सभी एडीएम, एसडीएम एवं तहसीलदार अपने दलाल कैसे बने? क्षेत्र में स्थित ऐसी सभी कालोनियों जहां भूखंड डायरी आधारित व्यवस्था पर बेचा होना ज्ञात होता है वह भूखंड क्रेताओं के पक्ष में वैधानिक अनुबंध/दस्तावेज करवाया/दिलवाया जाए। गलत कार्य करने वाले कॉलोनाईजर/दलालों के विरूद सख्त कार्रवाई की जाये। किन्तु वैधानिक रूप से कार्य करने वाले कॉलोनाईजर आदि को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो यह भी सुनिश्चित किया जाए। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि इस सम्पूर्ण कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य यह है कि आमजन/भूखंड क्रेताओं के साथ कोई भी कॉलोनाईजर/दलाल/एजेंट डायरी आधारित धोखाधड़ी न करें। प्लॉट/यूनिट के विक्रय के एवज में प्राप्त राशि हेतु वैधानिक दस्तावेज आमजनों/क्रेताओं को अनिवार्य रूप से दिलवाए जाने की व्यवस्था की जाए।
रियल एस्टेट एजेंट के पास RERA का रजिस्ट्रेशन नहीं मिला तो कानूनी कार्रवाई करें
कलेक्टर श्री सिंह ने सख्त निर्देश दिये है कि सभी दलालों का रेरा पंजीयन होना अनिवार्य है, बिना इस पंजीयन के अगर कोई दलाली करता पाया जाता है तो उसके विरूद्ध प्रभावी वैधानिक कार्रवाई की जायेगी। ऐसे कॉलोनाईजर/दलाल/एजेंट जो किसी भी प्रकार से आमजन के साथ धोखाधड़ी करते हुए पाये जाते है, उनकी विस्तृत राजस्व जांच करते हुए प्रतिवेदन तैयार कराया जाकर संबंधित अपर कलेक्टर से अनुमोदन उपरांत संबंधित थाने में भारतीय दण्ड संहिता की सुसंगत धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाया जायेगा।
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नीचे दी गई वीडियो को ध्यान से देखें क्योंकि ये महत्त्वपूर्ण टिप्स है |
आपको बता दे कि जब भी आप कोई वस्तु या सामान बेचना चाहते है तो सबसे महत्वपूर्ण होता है कि आप उस वस्तु को किस तरह से ग्राहक के सामने प्रस्तुत कर रहे है। किसी भी वस्तु को सिर्फ दिखा भर देने से लाभ नही कमाया जा सकता। उस वस्तु की गुणवत्ता को दिखाने के साथ-साथ उसके गुणों को बताना भी पड़ता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई ग्राहक आपका मकान देखने आता है तो आप सिर्फ चाबी दे देते है कि ये मकान है आप देख लीजिये। इससे ग्राहक पर कोई खास इम्प्रैशन नही बनता।आपको अपने मकान को अच्छे से प्रस्तुत करेंगे तभी तो ग्राहक की सोच आपके मकान के लिए सकारात्मक हो पायेगी। आइये आपको सही तरीका बताते है---
यदि OLX OR ANY COMMERCIAL WEBSITE पर मकान या जमीन बेचनी है तो-----
यदि आप अपना मकान या खाली प्लॉट OLX OR ANY COMMERCIAL WEBSITE पर बेचना चाहते है तो अच्छे कैमरे वाले दलाल कैसे बने? फ़ोन से HD फोटो ही वेबसाइट पर डाले। इसके अलावा घर के हर भाग की फोटो आपके मकान की गुणवत्ता को दर्शाते हुए डाले जैसे कि कमरो की फोटो में अलमारी की फोटो भी ले ताकि ग्राहक को पता चले कि कमरे में आवश्यक सामान रखने के लिए अलमारी भी विद्यमान है। इसके बाद टॉयलेट,बाथरूम,लॉबी आदि की फोटो भी पूरा स्पेस दिखाते हुए डाले ताकि ग्राहक को फोटो देखते ही जगह और गुणवत्ता का अंदाजा आ सके। रसोई की फोटो इस तरह से ले कि सभी सेल्फ,कप्बोर्डस ,सिंक और फ्रिज रखने की जगह भी हाईलाइट हो दलाल कैसे बने? सके। इसी तरह से छत,बालकोनी और घर के सामने वाले हिस्से की फोटो भी डाले और साथ साथ वर्णन करना न भूले कि आपके मकान के हर कमरे या रसोई या लॉबी आदि में क्या खास है। आइये आपको बताये ग्राहक को कैसे दर्शाना है कि आपका मकान या जमीन कैसे खास है।
- ग्राहक का अच्छे से अभिवादन करके विनम्रता से स्वागत कीजिये। आप विनम्रता और मधुरता से बात करेंगे तो मकान की डीलिंग के लिए उसको आपके व्यवहार और विश्वसनीयता के बारे में सोचना नही पड़ेगा। ग्राहक को लगना चाहिए कि आप एक अच्छे और विनम्र इंसान है दलाल कैसे बने? जिस पर मकान जैसे बड़े सौदे के लिए विश्वास किया जा सकता है। इससे आपके दो फायदे होंगे---एक तो मकान बेचने के लिए प्रॉपर्टी डीलर या दलाल को कोई कमीशन अर्थार्त पैसे नही देने पड़ेंगे। दूसरा सीधा लेन-देन सुगमता से होगा और आपकी गुड विल भी बनेगी जो भविष्य में दूसरे सौदे करने में बहुत काम आएगी।
- ग्राहक से अभिवादन के बाद उनको मकान दिखाना प्रारम्भ कीजिये। सबसे पहले कमरे दिखाए और साथ साथ बताते भी रहे कि जैसे कमरे में अलमारियां भी बनी हुई है तो सारा सामान यहां आ जाएगा। ये कमरा इतना बड़ा है कि यहाँ आप ये-ये सामान आसानी से रख सकते है। अलमारी के ऊपर शीशा भी लगा है तो आपको ड्रेसिंग टेबल लाने की जरूरत नही पड़ेगी। इस कमरे का कलर कंट्रास्ट इतना आकर्षक है कि बच्चो को बहुत पसंद आएगा इत्यादि इत्यादि। कहने का तात्पर्य यह है कि सिर्फ दिखाना नही है अपितु मकान की विशेषताएं गिनाकर ग्राहक के मन में मकान की छवि को सकारात्मक रूप देना है ताकि उसको लगे की इस मकान में सब विशेषताएं है जो हमे चाहिए थी।
- कमरो के बाद टॉयलेट और बाथरूम भी दिखाए और बताये कि इनमे अच्छी क्वालिटी की टाइल लगी है और स्टैंडिंग टॉयलेट है ताकि बच्चो और बड़ो सबको सुविधा रहे। या फिर सिटींग टॉयलेट है तो आप बोल सकते है कि पेट अच्छे से साफ़ हो इसके लिए इंडियन टॉयलेट ही बेस्ट होती है। पेट साफ़ होगा तो बीमारियां भी नही होती। अगर कमरे के साथ अटेचैड है तो बोल सकते है कि अलग अलग कमरे में अलग अलग टॉयलेट और बाथरूम अटेचैड है जिससे किसी को भी असुविधा नही होती अपितु कमरे के अंदर ही आराम से तैयार हो सकते है। और यदि कमरे में अटेचैड नही है तो बोल सकते है कि अटेचैड टॉयलेट बाथरूम से तो कमरे में बदबू की समस्या उत्पन्न हो जाती है जो कि असह्य हो जाता है। इसलिए कमरे से बाहर ही टॉयलेट बाथरूम है ताकि कमरे का माहौल सोहाद्र,खुशबूदार और पवित्र बना रहे। कहने का अर्थ है कि कोई भी चीज के अच्छे गुणों की तरफ ही ग्राहक का ध्यान आकर्षित करना है।
- इसके बाद आप घर का खुला स्थान या लॉबी दिखाए और बताये कि यह स्थान इतना बड़ा है कि आप कोई भी छोटी बर्थडे पार्टी या कीर्तन वगैरह यहाँ आराम से कर सकते है। अगर इतने मेहमान आ जाये तो आपको घबराने की जरूरत नही पड़ेगी क्योंकि इस लॉबी में इतने लोग आराम से बैठ सकते है इत्यादि इत्यादि। लॉबी में खिड़की है जिसको खोलकर सीधी धूप का आनंद आप सर्दी के दिनों में ले सकते है। या इस खिड़की से सीधी धूप नही आती तो गर्मियों के दिनों में ठंडी हवा का आनंद आप यही बैठे ले सकते है और घर हवादार बना रहता है इत्यादि इत्यादि।
- इसके बाद आप घर में रसोईघर दिखाए। रसोईघर घर का अहम् हिस्सा होता है क्योंकि एक गृहणी का अधिकतर समय रसोईघर में ही बीतता है तो रसोईघर को बड़े ध्यान से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। आप रसोई दिखाते हुए बता सकते है कि सामान के डिब्बे रखने के लिए रसोई में कपबोर्ड्स बने हुए है जिससे आपके डिब्बे कभी गन्दे भी नही होंगे।इसके अलावा बड़े बॉक्स और बड़ा रखने के लिए जगह बनी हुई है। सेल्फ बढ़िया पत्थर की बनी हुई है जरा सा कपड़ा मारते ही चमकने लगती है। ताजे पानी और टंकी वाले पानी दोनों तरह के नल विद्यमान है। फ्रीज रखने की भी जगह बनी हुई है ताकि आपको बार बार बाहर न भागना पड़े। या अगर फ्रिज रखने की जगह नही है तो बोल सकते है की फ्रिज अंदर रखने से रसोई में गर्मी बढ़ जाती है तो फ्रिज बाहर ही ठीक रहता है। बर्तन साफ़ करने के लिए सिंक भी बड़ी और गहरी बनी हुई है और इसमें पर्याप्त मात्रा में बर्तन साफ़ किये जा सकते है।
- इसके बाद छत ,बालकनी और ऊपर यदि रूम्स वगैरह बने है तो वो भी आप गुणों को दर्शाते हुए दिखा सकते है। जैसे छत पर पर्याप्त मात्रा में धूप आती दलाल कैसे बने? है ताकि कपड़े या कोई भी सामान आप आसानी से सुखा सके। बालकनी से पार्क या बाजार या गली का मनमोहक नजारा आप देख सकते है। इसके अलावा और भी बहुत सारी क्वालिटी आप अपने मकान के हिसाब से देख कर बोल सकते है।
आगरा: दलालों के फर्जीवाड़े की सजा भुगत रहे लोग, स्मार्ट कार्ड बनवाने पहुंचे तो हुआ यह खुलासा
आगरा के आरटीओ में पुराने ड्राइविंग लाइसेंस डायरी पर बनाए जाते थे। ऐसे लाइसेंस वैधता तारीख खत्म होने के बाद नवीनीकरण कराने या फिर इन्हें स्मार्ट कार्ड के रूप में तब्दील कराने के लिए पहुंचते हैं तो आवेदन के दलाल कैसे बने? बाद ऐसे लाइसेंस की जांच की जाती है।
पिछले 15 दिन में आरटीओ में 20 ऐसे प्रकरण सामने आए, जिनके लाइसेंस का रिकॉर्ड ही रजिस्टर में दर्ज नहीं था। या फिर उस लाइसेंस के नंबर पर दूसरे व्यक्ति का लाइसेंस बना हुआ है। उसका फोटो और ब्यौरा भी दर्ज है।
आरटीओ के अधिकारियों ने बताया कि उस दौरान लाइसेंस का ब्यौरा ऑनलाइन नहीं था। ऐसे में दलाल फीस अपनी जेब में रखकर फर्जी मुहर और नंबर विभाग के लोगों से जानकारी करके चढ़ाकर बना देते थे। 2013 में स्मार्ट कार्ड बनने के बाद फर्जीवाड़ा थम सका।
आरटीओ में कई लाइसेंस ऐसे भी आ रहे हैं, जिनका रिकॉर्ड तो रजिस्टर में दर्ज है मगर रसीद बुक पर फीस नहीं जमा है। ऐसे आवेदकों को पुरानी फीस दोबारा जमा करानी होती है। इसको लेकर आवेदक का आरटीओकर्मियों से विवाद होता है कि बगैर फीस जमा कराए उसका लाइसेंस तब कैसे बन गया।
केस 1
सीरियल नंबर पर चढ़ा था दूसरा लाइसेंस
ब्रज विहार के नवल कुमार का लाइसेंस वर्ष मई, 2006 में बनाया गया था। जब वह नवीनीकरण कराने पहुंचे तो सीरियल नंबर 13076 पर दूसरा लाइसेंस चढ़ा हुआ था।
केस 2
. भारी वाहन का लाइसेंस दर्ज
बेलनगंज के संजय शर्मा का लाइसेंस 31 जनवरी में खत्म होने वाला है। वह नवीनीकरण कराने के लिए पहुंचे तो रिकॉर्ड में उनके नंबर पर भारी वाहन का लाइसेंस दर्ज है।
केस 3
कमला नगर के संजीव कुमार का लाइसेंस भी इसी तरह फर्जी निकला। उन्होंने 2005 में लाइसेंस बनवाया था, जो कि 2025 तक वैध था, लेकिन वह स्मार्ट कार्ड बनवाने पहुंचे थे।
प्राथमिकता से बनवाते हैं ऐसे लोगों का लाइसेंस
एआरटीओ (प्रशासन) अनिल कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2005 से 2010 के बीच के कई लाइसेंस ऐसे सामने आते हैं, जिनका रजिस्टर में ब्यौरा दूसरे लोगों के नाम का मिलता है। ऐसे में यह लाइसेंस फर्जी माने जाते हैं। रसीद बुक में भी उसी व्यक्ति के नाम से फीस कटी हुई होती है। ऐसे में हम लोगों को राहत देने की प्राथमिकता से लाइसेंस बनवा देते हैं। यह पुरानी गड़बड़ियां हैं, जिन्हें ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है।
28 कर्मचारियों के फर्जी लाइसेंस बने थे आगरा से
एआरटीओ प्रशासन ने बताया कि आरटीओ आगरा से दिल्ली फायर सर्विस के कर्मचारियों ने लाइसेंस बनवाए थे। जब आगरा कार्यालय से जानकारी मांगी गई तो उनका रिकॉर्ड ही नहीं मिला। इसकी रिपोर्ट दी गई तो सभी को नौकरी से हटा दिया गया। जवानों का केस उच्चतम न्यायालय तक चला मगर अंत में उनकी नौकरी नहीं बची। इसी तरह डीटीसी के 18 चालकों के लाइसेंस भी आगरा से बनवाए गए थे। इन चालकों को भी बर्खास्त कर दिया गया था।
विस्तार
आगरा के आरटीओ में पुराने ड्राइविंग लाइसेंस डायरी पर बनाए जाते थे। ऐसे लाइसेंस वैधता तारीख खत्म होने के बाद नवीनीकरण कराने या फिर इन्हें स्मार्ट कार्ड के रूप में तब्दील कराने के लिए पहुंचते हैं तो आवेदन के बाद ऐसे लाइसेंस की जांच की जाती है।
पिछले 15 दिन में आरटीओ में 20 ऐसे प्रकरण सामने आए, जिनके लाइसेंस का रिकॉर्ड ही रजिस्टर में दर्ज नहीं था। या फिर उस लाइसेंस के नंबर पर दूसरे व्यक्ति का लाइसेंस बना हुआ है। उसका फोटो और ब्यौरा भी दर्ज है।
आरटीओ के अधिकारियों ने बताया कि उस दौरान लाइसेंस का ब्यौरा ऑनलाइन नहीं था। ऐसे में दलाल फीस अपनी जेब में रखकर फर्जी मुहर और नंबर विभाग के लोगों से जानकारी करके चढ़ाकर बना देते थे। 2013 में स्मार्ट कार्ड बनने के बाद फर्जीवाड़ा थम सका।
आरटीओ में कई लाइसेंस ऐसे भी आ रहे हैं, जिनका रिकॉर्ड तो रजिस्टर में दर्ज है मगर रसीद बुक पर फीस नहीं जमा है। ऐसे आवेदकों को पुरानी फीस दोबारा जमा करानी होती है। इसको लेकर आवेदक का आरटीओकर्मियों से विवाद होता है कि बगैर फीस जमा कराए उसका लाइसेंस तब कैसे बन गया।
केस 1
सीरियल नंबर पर चढ़ा था दूसरा लाइसेंस
ब्रज विहार के नवल कुमार का लाइसेंस वर्ष मई, 2006 में बनाया गया था। जब वह नवीनीकरण कराने पहुंचे तो सीरियल नंबर 13076 पर दूसरा लाइसेंस चढ़ा हुआ था।
केस 2
. भारी वाहन का लाइसेंस दर्ज
बेलनगंज के संजय शर्मा का लाइसेंस 31 जनवरी में खत्म होने वाला है। वह नवीनीकरण कराने के लिए पहुंचे तो रिकॉर्ड में उनके नंबर पर भारी वाहन का लाइसेंस दर्ज है।
केस 3
कमला नगर के संजीव कुमार का लाइसेंस भी इसी तरह फर्जी निकला। उन्होंने 2005 में लाइसेंस बनवाया था, जो कि 2025 तक वैध था, लेकिन वह स्मार्ट कार्ड बनवाने पहुंचे थे।
प्राथमिकता से बनवाते हैं ऐसे लोगों का लाइसेंस
एआरटीओ (प्रशासन) अनिल कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2005 से 2010 के बीच के कई लाइसेंस ऐसे सामने आते हैं, जिनका रजिस्टर में ब्यौरा दूसरे लोगों के नाम का मिलता है। ऐसे में यह लाइसेंस फर्जी माने जाते हैं। रसीद बुक में भी उसी व्यक्ति के नाम से फीस कटी हुई होती है। ऐसे में हम लोगों को राहत देने की प्राथमिकता से लाइसेंस बनवा देते दलाल कैसे बने? हैं। यह पुरानी गड़बड़ियां हैं, जिन्हें ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है।
28 कर्मचारियों के फर्जी लाइसेंस बने थे आगरा से
एआरटीओ प्रशासन ने बताया कि आरटीओ आगरा से दिल्ली फायर सर्विस के कर्मचारियों ने लाइसेंस बनवाए थे। जब आगरा कार्यालय से जानकारी मांगी गई तो उनका रिकॉर्ड ही नहीं मिला। इसकी रिपोर्ट दी गई तो सभी को नौकरी से हटा दिया गया। जवानों का केस उच्चतम न्यायालय तक चला मगर अंत में उनकी नौकरी नहीं बची। इसी तरह डीटीसी के 18 चालकों के लाइसेंस भी आगरा से बनवाए गए थे। इन चालकों को भी बर्खास्त कर दिया गया था।