ब्रोकर को लाभ

ब्रोकर उत्साहित, सुस्ती का साया
सभी क्षेत्रों और वर्टिकलों में शानदार वृद्धि से आईटी दिग्गज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को जुलाई-सितंबर तिमाही में अनुमान से बेहतर परिणाम दर्ज करने में मदद मिली। टीसीएस का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 8.4 प्रतिशत बढ़कर 10,431 करोड़ रुपये हो गया, जबकि उसका राजस्व सालाना आधार पर 18 प्रतिशत बढ़कर 55,309 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का मुनाफा मार्जिन भी तिमाही आधार पर 90 आधार अंक तक बढ़कर 24 प्रतिशत हो गया, क्योंकि उसे परिचालन दक्षता और कम कर्मचारी खर्च से मदद मिली। कंपनी ने कहा है कि उसने ग्राहक बजट में किसी तरह की कटौती नहीं की, लेकिन यूरोपीय ग्राहकों के साथ सौदों को लेकर सतर्कता बढ़ाने पर जोर दिया। आइए, जानते हैं ब्रोकरों की राय
जेफरीज
कीमत लक्ष्य: 3,180 रुपये
ब्रोकरेज फर्म ने टीसीएस के लिए अपना आय अनुमान 2-5 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। उसे उम्मीद है कि कंपनी वित्त वर्ष 202-24 के दौरान 12 प्रतिशत ईपीएस सीएजीआर दर्ज करेगी। ब्रोकर का कहना है कि टीसीएस के महंगे मूल्यांकन की वजह से शेयर में तेजी सीमित हो सकती है।
सीएलएसए
कीमत लक्ष्य: 3,450 रुपये
आपूर्ति दबाव में कम के साथ अल्पावधि राजस्व परिदृश्य मजबूत बना हुआ है।
दीर्घावधि में, हम मांग में कुछ नरमी दर्ज कर सकते हैं, लेकिन यह चिंताजनक संकेत नहीं है। कंपनी के मार्जिन को लेकर हमारा भरोसा बढ़ा है।
क्रेडिट सुइस
कीमत लक्ष्य: 3,300 रुपये
वित्त वर्ष 2024 के लिए मांग परिदृश्य
अनिश्चित बना हुआ है, लेकिन हमने अपने वित्त वर्ष 2023-वित्त वर्ष 2025 के अनुमानित ईपीएस अनुमान को दूसरी तिमाही में बेहतर मार्जिन और मौद्रिक लाभ को ध्यान में रखते हुए 2-4 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
मैक्वेरी
कीमत लक्ष्य: 4,150 रुपये
कंपनी ने मार्जिन दबाव से जुड़ी चिंताओं को नजरअंदाज किया है। हम इन्फोसिस के मुकाबले लगातार टीसीएस को पसंद कर रहे हैं। हमारा मानना है कि कंपनी अपनी कर्मचारी वृद्धि योजनाओं की वजह से इन्फोसिस के साथ मार्जिन अंतर को बढ़ा सकती है।
बर्न्सटीन
कीमत लक्ष्य: 3,850 रुपये
सौदे और ऑर्डर प्रवाह पूरे होने के बारे में अनुमान सकारात्मक हैं, हालांकि कंपनी वृहद जोखिमों को लेकर सतर्क बनी हुई है।
सिटी
कीमत लक्ष्य: बढ़ाकर 2,900 रुपये किया
ब्रिटेन और भारत में वृद्धि से अनुमानों को लेकर उत्साहित होने में मदद मिली है। मांग महत्वपूर्ण बनी हुई है। प्रबंधन की टिप्पणी
वैश्विक घटनाक्रम को देखते हुए मिश्रित रही है।
मोतीलाल ओसवाल
रेटिंग: खरीद बरकरार रखें
कीमत लक्ष्य: 3,580 रुपये
आकार, ऑर्डर बुक, दीर्घावधि ऑर्डरों पर निवेश, और पोर्टफोलियो को देखते हुए टीसीएस कमजोर वृहद परिवेश का मुकाबला करने के लिहाज से अच्छी स्थिति में है। वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में आपूर्ति चिंताएं घटने से मार्जिन में मदद मिल सकती है।
ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग
रेटिंग: खरीद बरकरार रखें
कीमत लक्ष्य: घटाकर 3,600 रुपये किया
कंपनी ने मौजूदा मांग को अच्छी तरह से समझ लिया है, लेकिन ग्राहकों में सतर्कता बनी हुई है। हम बड़े ग्राहकों के साथ जुड़ने की टीसीएस की क्षमता को लेकर आश्वस्त बने हुए हैं। लेकिन टेक बजट में नरमी के बढ़ रहे जोखिम ने हमें वित्त वर्ष 2024 की ईपीएस पर मूल्यांकन मल्टीपल 10 प्रतिशत तक घटाकर 27 गुना (पूर्व के 30 गुना से) करने के लिए बाध्य किया है।
आईडीबीआई कैपिटल
कीमत लक्ष्य: 3,235 रुपये
अल्पावधि में, ब्रोकरेज फर्म को कंपनी की राजस्व वृद्धि मजबूत रहने की संभावना है। हालांकि ऊंची मुद्रास्फीति और मंदी की आशंका के बीच वह राजस्व वृद्धि परिदृश्य पर सतर्क बनी हुई है। ब्रोकर को आगामी तिमाहियों में मार्जिन कमजोर पड़ने की आशंका है।
भारी पड़ी लापरवाही! बस एक क्लिक से स्वाहा हो गए ब्रोकर के 250 करोड़ रुपये, देश में अब तक का सबसे बड़ा मामला
साल 2012 में भी ऐसे ही एक मामले में 60 करोड़ का नुकसान हुआ था.
शेयर बाजार को वैसे तो जोखिम वाली जगह माना जाता है, लेकिन निवेशक अपनी जानकारी और सावधानी के बूते यहां खूब मुनाफा भी कमात . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 03, 2022, 16:04 IST
नई दिल्ली. कभी-कभी जरा सी चूक कितनी भारी पड़ सकती है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. ऐसी ही एक घटना बृहस्पतिवार को NSE पर ट्रेडिंग के दौरान सामने आई, जब ब्रोकर के एक गलत क्लिक से ही करीब 250 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, ब्रोकरेज की भाषा में इसे फैट फिंगर ट्रेडिंग कहते हैं, जहां कोई ब्रोकर ऑर्डर प्लेस करते समय गलती से की-बोर्ड का ऐसा बटन दबा देता है जो उसके पूरे सौदे को तबाह कर देता है. भारत में यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है. अनुमान ब्रोकर को लाभ है कि इसमें ब्रोकर को 200-250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इससे पहले साल 2012 में ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल को भी इसी तरह के एक मामले में 60 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था.
कब और कैसे हुई यह चूक
बृहस्पतिवार दोपहर 2.37 से 2.39 बजे के बीच निफ्टी पर ऑप्शन ट्रेडिंग के समय एक ब्रोकर ने 25 हजार लॉट के लिए बोलियां लगाईं. इस समय प्रत्येक लॉट का बाजार भाव करीब 2,100 रुपये था, लेकिन ब्रोकर ने गलती से काफी कम का भाव लगा दिया. बाजार के जानकारों का कहना है कि ऑर्डर प्लेस होते ही ब्रोकर को 200-250 करोड़ रुपये की चपत लग गई. कुछ बाजार विश्लेषकों का दावा है कि यह रकम किसी भी हाल में 250 करोड़ से कम नहीं है.
एक तरफ ऑर्डर प्लेस करने वाले ब्रोकर को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा तो दूसरी ओर इसी घटना ने कोलकाता के दो ब्रोकर को करोड़ों का फायदा पहुंचाया. बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, एक ब्रोकर को करीब 50 करोड़ का सीधा लाभ हुआ है, जबकि दूसरे को 25 करोड़ मिले हैं.
बीमा से होगी भरपाई
इस घटना के बारे में वैसे तो एनएसई की ओर से ऑफिशियली कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि चूंकि यह मामला दो ब्रोकर के बीच हुआ है और गलती से एक को नुकसान उठाना पड़ा तो इसकी भरपाई पहले से कराए बीमा के जरिये हो जाएगी. हालांकि, एक्सचेंज इस बात की जांच कर रहा है कि इस तरह की गलत ट्रेडिंग का ऑर्डर तकनीकी पकड़ से बचकर कैसे पूरा हो गया.
दरअसल, साल 2012 में जब पहली बार फैट फिंगर ट्रेडिंग का मामला सामने आया था तो सभी ब्रोकरेज हाउस ने ऐसी तकनीक विकसित की थी जिसमें ऐसे गलत ट्रेड के ऑर्डर को पहचान कर स्वयं नष्ट कर दिया जाता था. एनएसई ने भी ऐसी तकनीक विकसित की थी जिसमें मार्केट प्राइस से कम पर कोई ऑर्डर होने पर उसकी पहचान कर ली जाती. लेकिन, इस मामले में एनएसई की यह तकनीक भी काम नहीं आई.
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आढत का शुल्क
ब्रोकरेज शुल्क एक दलाल द्वारा लेनदेन निष्पादित करने या विशेष सेवाएं प्रदान करने के लिए शुल्क लिया जाता है। शुल्क बिक्री, खरीद, परामर्श और वितरण जैसी सेवाओं के लिए है। एक ब्रोकरेज शुल्क एक दलाल को लेनदेन निष्पादित ब्रोकर को लाभ करने के लिए क्षतिपूर्ति करता है। (यह आमतौर पर होता है, लेकिन हमेशा नहीं) लेन-देन मूल्य का प्रतिशत।
ब्रोकरेज फीस उद्योग और ब्रोकर के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है। अचल संपत्ति उद्योग में, ब्रोकरेज शुल्क आमतौर पर एक हैसमतल खरीदार, विक्रेता या दोनों से शुल्क या मानक प्रतिशत वसूला जाता है।
बंधक दलाल संभावित उधारकर्ताओं को बंधक ऋण खोजने और सुरक्षित करने में मदद करते हैं; उनकी संबद्ध फीस ऋण राशि के 1 प्रतिशत से 2 प्रतिशत के बीच है।
वित्तीय प्रतिभूति उद्योग में, व्यापार की सुविधा के लिए या निवेश या अन्य खातों को प्रशासित करने के लिए ब्रोकरेज शुल्क लिया जाता है।
ब्रोकरेज शुल्क का भुगतान करने के प्रकार
ऑनलाइन ट्रेडिंग के उदाहरण पर विचार करें, यहां ब्रोकरेज शुल्क का भुगतान करने के प्रकार हैं:
ट्रेडिंग के रूप में भुगतान
शुल्क का भुगतान उस व्यापार के प्रतिशत के रूप में किया जाता है जो व्यापारी करता है। शेयरों की एक पूर्व निर्धारित संख्या तक कुछ न्यूनतम शुल्क का विकल्प हो सकता है।
प्रीपेड शुल्क
व्यापार करने के लिए ब्रोकर को अग्रिम रूप से एक पूर्व निर्धारित राशि का भुगतान किया जाता है। इसकी वैधता समय भी हो सकता है। लेकिन, जितनी अधिक राशि का अग्रिम भुगतान किया जाएगा, कुल शुल्क उतना ही कम होगा।
निर्धारित शुल्क
यह अवधारणा प्रीपेड शुल्क से अलग है क्योंकि ब्रोकर को एक बार में एक निश्चित राशि का भुगतान करना होगा। यानी ट्रेडिंग का आकार महत्वपूर्ण नहीं है।
अलग-अलग ब्रोकर अलग-अलग फीस लेते हैं। इसलिए, आवश्यकता के आधार पर, लाभ प्राप्त करने के लिए सही विधि और सही विधि का चयन करना आवश्यक है।
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Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें
मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध ब्रोकर को लाभ आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.
ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं तो ब्रोकर चुनने से पहले इन बातों का ध्यान रखें.
1. अपने मार्जिन पर ट्रेड करें
सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर ब्रोकर को लाभ द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.
वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह ब्रोकर को लाभ सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.
Zerodha के COO वेणु माधव कहते हैं, "इन मानदंडों की शुरूआत का मतलब यह होगा कि कोई ग्राहक दूसरे ग्राहकों की सीमा का उपयोग करके उसके द्वारा जमा किए गए मार्जिन से अधिक की पोजीशन नहीं ले सकेगा."
2. फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा
अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.
3. भुगतान में देरी से सावधान रहें
ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.
4. ब्रोकिंग चार्जेज ब्रोकर को लाभ का ध्यान रखें
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.
5. अन्य सेवाओं की जानकारी
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.