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आरओआई क्या है?

आरओआई क्या है?
अत: संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति नहीं मिलनी चाहिए थी। इसे सेलेक्ट कमेटी या संसद की स्थायी समिति के पास पुनर्विचार के लिए लौटाया जाना चाहिए था। साथ ही, इस पर सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श की भी जरूरत थी। इन सब की अवहेलना सूचना के मौलिक अधिकार पर हमला है।

सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है? Right to Information, RTI Meaning in Hindi

हर नागरिक सरकार को अलग-अलग तरीक़े से टैक्स देते हैं। जनता के पैसों से सरकार चलती है, देश का विकास होता है और जन-कल्याण से संबंधित तमाम कार्य किए जाते हैं। ऐसे में सभी लोगों को यह जानने का हक़ है कि उनके पैसे कहाँ-कहाँ और कैसे इस्तेमाल हो रहे हैं। ऐसे में हमारे संविधान में एक कानून है, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 जिसके माध्यम से आप सरकार से आप आरओआई क्या है? यह जानकारी माँग सकते हैं।

जनता के पैसों से ही जनता के लिए विकास और कल्याण की योजनाएँ चलती हैं। इसलिए जनता को यह जानने का हक़ है कि उसके द्वारा दिए गए पैसे का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं! और आज हम Right to Information मतलब RTI Act के बारे में विस्तार से बात आरओआई क्या है? करेंगे कि सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है?

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RTI Meaning in Hindi

RTI का full-form होता है Right to Information यानी सूचना का अधिकार। RTI आरओआई क्या है? एक कानून है जिसके माध्यम से आप सरकार के किसी भी योजना से संबंधित जानकारी माँग सकते हैं। जैसे उदाहरण के लिए, आप जानना चाहते हैं कि आवास योजना के तहत किसी खास वर्ष कितने लोगों को लाभ मिला, तो इसकी जानकारी के लिए आप एक RTI file कर सकते हैं।

इसकी जरुरत क्यों है? तो किसी भी देश के समुचित विकास के लिए यह जरुरी है कि विकास के कार्यों में कुछ भी छिपा हुआ न रहे। योजनाएँ सही ढंग से चलें। पैसों का दुरुपयोग न हो। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। सूचना के लेन-देन में पारदर्शिता लाई जा सके। विकास के कार्यों में जनता की ज़िम्मेदारी और भागीदारी बढ़े।

सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है?

सूचना का अधिकार अधिनियम एक कानून है जिसके तहत हर किसी को अपनी जरुरत की हर सूचना पाने का अधिकार है। Right to Information Act, 2005 के नाम से जाना जाने वाला यह कानून 12 अक्टूबर, 2005 को पूरे देश में लागू किया गया था। इसके हर नागरिक को अपने जीवन को किसी भी रूप में प्रभावित करने वाले किसी भी निर्माण, नीति, कार्यक्रम व परियोजना के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।

  • कोई भी नागरिक किसी विभाग के दस्तावेज या काग़ज़ात देख सकता है। सरकारी भवनों व इमारतों के निर्माण के लिए मिले पैसों तथा खर्च का ब्यौरा माँग सकता है।
  • किसी भी दस्तावेज की नकल ले सकता है।
  • किसी कार्य में प्रयोग की गई सामग्री के नमूने ले सकता है।
  • मज़दूरों के मस्टर रोल, लॉग बुक, टेंडर के दस्तावेज और कैशबुक आदि देख सकता है।
  • विभाग की योजनाओं, खर्च की गई धनराशि, लाभ लेने वालों की सूची, व्यय-वाउचर और ऑडिट रिपोर्ट देख सकता है।
  • काम करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के अधिकार, वेतन-भत्ते और उनके भुगतान की जानकारी भी ले सकता है।

आर.टी.आई क्या है?

आर.टीय.आई. याने जिसे अंग्रेजी में Right to Information कहते है और इसे हिंदी मे सुचना का अधिकार भी कहते है। सूचना का अधिकार यह किसी भी लोकतांत्रीक देश को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत देश यह एक लोकतंत्र देश है। इस देश को और भी मजबूत करने के लिए और शासन के काम काजों में पारदर्शिता लाने के उद्देश से सन 2005 में भारतीय संसद द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम यह कानून पारित किया गया। जिसे हम सब आर.टी.आई के नाम से जानते है। इस सूचना के अधिकार यानी आरटीआई का अर्थ यह है कि कोई भी भारतीय नागरिक द्वारा राज्य या केंद्र सरकार के कार्यालयों और विभागों से किसी भी प्रकार कि जानकारी जिसे सार्वजनिक सूचना माना जाता है। उसको प्राप्त करने का आरओआई क्या है? अनुरोध कर सकता है। इस कानून के इस्तेमाल से भारत देश में 2 प्रतिशत घोटाला कम हुवा है और सन 2010 में जो कॉमनवेल्थ गेम का घोटाला हुआ था उसकी सच्चाई आरटीआई के माध्यम से ही सभीके सामने आई।

आर.टी.आई. के मुख्य प्रावधान क्या है।

  1. भारत देश का कोई भी नागरिक हो वह किसी भी सरकारी विभाग से चाहे वह केंद्र सरकार हो अथवा राज्य सरकार हो वह उन कर्यालयोंसे जो चाहे सूचना प्राप्त करने हेतू अनुरोध कर सकता है और आरओआई क्या है? वह सूचना उसे 30 दिनों के अंदर उपलब्ध करानी होती है। यदि आवेदन कर्ता द्वारा मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसे सूचना को 48 धंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है इस कानून मे दिया गया है। ध्यान दें कि इस अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना अगर देश की रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा अथवा किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत सूचना से संबंधित नहीं होना चाहिये।
  2. सभी प्रकार के सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा अपने दस्तावेजों का संरक्षण करने हेतू उन्हे कंप्यूटर में सुरक्षित रखना जरूरी होता है।
  3. प्राप्त सूचना की विषयवस्तु के संदर्भ में यदी कोई व्यक्ति असंतुष्ट होता है तो वह उसके असंतुष्टि निर्धारित अवधि में उस सूचना प्राप्त न होने आदि जैसी स्थिती में स्थानीय से लेकर राज्य एवं केंद्रीय सूचना आयोग में अपील कर सकता है।
  4. इस अधिनियम के माध्यम आरओआई क्या है? से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद व राज्य विधानमंडल के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक और निर्वाचन आयोग जैसे संवैधानिक निकायों व उनसे संबंधित पदों को भी सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है।

आरटीआई ऑनलाइन

  1. इस पोर्टल के माध्यम से किसी भी भारतीय नागरिक द्वारा केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों और अंन्य प्राधिकारी को आरटीआई के आवेदन का प्रथम अपील कीया जा सकता है।
  2. यह आरटीआी का पोर्टल आवेदन या प्रथम अपील का यह ऑनलाइन आवेदन करने के लिए पैमेंट गेटवे युक्त पोर्टल है। भारतीय स्टेट बैंक की इंटरनेट बैंकिंग मास्टर/विजा के डेबिट कार्ड तथा रूपे कार्ड के माध्यम से इसका भुगतान किया जा आरओआई क्या है? सकता है।
  3. इस पोर्टल के माध्यम से केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन अंन्य राज्य के लोक प्राधिकरणों को आरटीआई आवेदन नहीं की जानी चाहिए। क्योंकी, कुछ राज्यों ने अलग से आरटीआई ऑनलाईन के अपने पोर्टल बनाए हुए हैं जहां से आप राज्य स्तर की आरटीआई ऑनलाइन लगा सकते हैं। जैसे किः

इसके साथ ही काफी सरकारी विभगों ने अपने-अपने अलग से ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल आम नागरिकों के लिए उपलब्ध करा रखे हैं।

आरटीआई एक्ट में संशोधन: सूचना आयुक्तों के दर्जे को लेकर संशय

By M Sridhar Acharyulu
Published: Wednesday 07 August 2019

Photo Credit: Creative commons

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आगे पढ़ें-

1993 में संसद ने सभी राज्यों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोगों (एनएचआरसी) की स्थापना के लिए प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स एक्ट लागू किया। 8 जनवरी, 1994 को इसकी अधिसूचना जारी की गई थी। यह कानून जम्मू एवं कश्मीर के अलावा सभी राज्यों में लागू हुआ। वहां इस तरह की संस्था 1997 में राज्य विधानमंडल के एक अधिनियम द्वारा बनी। इस अधिनियम के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश को मिलने वाले वेतन और सदस्य सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के बराबर वेतन और भत्ते प्राप्त करने के हकदार हैं। एनएचआरसी और सूचना आयोग, दोनों ही वैधानिक संस्था है, जो संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का काम करते हैं।

मध्य प्रदेश: गृह मंत्रालय ने आरटीआई कानून के तहत पूछे गए सवालों का जवाब देने से किया इनकार

इंदौर, मध्यप्रदेश। देश में कोविड-19 का प्रसार रोकने में रात के कर्फ्यू की उपयोगिता को लेकर सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए सवालों के जवाब आरओआई क्या है? देने से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रावधानों का हवाला देते हुए इनकार कर आरओआई क्या है? दिया है। मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बृहस्पतिवार को बताया, …

इंदौर, मध्यप्रदेश। देश में कोविड-19 का प्रसार रोकने में रात के कर्फ्यू की उपयोगिता को लेकर सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए सवालों के जवाब देने से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रावधानों का हवाला देते हुए इनकार कर दिया है। मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बृहस्पतिवार को बताया, महामारी का प्रसार रोकने में रात के कर्फ्यू की उपयोगिता को लेकर मेरी आरटीआई अर्जी के जवाब में गृह मंत्रालय का मत है कि इसमें पूछे गए सवाल स्पष्टीकरण मांगे जाने की श्रेणी में आते हैं और आरटीआई कानून के प्रावधानों के आरओआई क्या है? तहत आवेदक को किसी विषय पर सरकार की ओर से स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सकता।

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