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वास्तविक खाता

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नई दिल्ली, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि जनता से 108 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एक निजी फर्म के तीन निदेशकों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

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आयकर से संबंधित सामान्य प्रश्न

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वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए निर्धारण वर्ष 2022-23

वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए निर्धारण वर्ष 2022-23 के लिए लागू विवरणी एवं प्रारूप

अस्वीकरण:इस पेज की सामग्री केवल अवलोकन और सामान्य मार्गदर्शन देने के लिए है और संपूर्ण नहीं है। सम्पूर्ण ब्यौरा और दिशानिर्देशों के लिए कृपया आयकर अधिनियम, नियम और अधिसूचनाएं देखें।

यह विवरणी निवासी ( साधारणतया निवासी नहीं के अलावा) उस व्यक्ति के लिए लागू होता है, जिसकी कुल आय निम्नलिखित स्रोतों से ₹ 50 लाख तक है।

वेतन/ पेंशन एक गृह संपत्ति अन्य स्रोत (ब्याज, परिवार की पेंशन, लाभांश आदि) ₹ 5,000 तक की कृषि-आय

ध्यान दें: आई.टी.आर. - 1 का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है जो:
(a) किसी कंपनी में निदेशक है
(b) जिसके पास पूर्व वर्ष के दौरान किसी भी समय किसी भी गैर-सूचीबद्ध इक्विटी शेयर रहे हों
(c) जिसके पास भारत से बाहर स्थित कोई भी संपत्ति (किसी भी संस्था में वित्तीय हित सहित) है
(d) जिसके पास भारत से बाहर स्थित किसी भी खाते में हस्ताक्षर करने का प्राधिकार है
(e) जिसके पास भारत से बाहर किसी भी स्रोत से आय है
(f) वह व्यक्ति है जिसके मामले में कर धारा 194N के तहत काटा गया है
( g ) वह व्यक्ति जिसके भुगतान का मामला या कर की कटौती को ESOP पर स्थगित कर दिया गया है।
(h) जिसकी आय के किसी भी शीर्ष के तहत अग्रनीत हानि या अग्रानीत की जाने वाली हानि हो

यह विवरणी व्यक्ति और हिन्दु अविभाजित परिवार (एच.यू.एफ.) के लिए लागू है।

यह विवरणी व्यक्ति और हिन्दु अविभाजित परिवार (एच.यू.एफ.) के लिए लागू है।

यह विवरणी एक व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (एच.यू.एफ.) के लिए प्रयोज्य होता है, जो सामान्य रूप से निवासी या फर्म (एल.एल.पी. के अलावा) के अलावा निवासी है, जो एक निवासी है जिसकी कुल आय ₹ 50 लाख तक है और कारोबार या व्यवसाय से आय है जिसकी संगणना अनुमानित आधार पर (धारा 44AD / 44ADA / 44AE के तहत) और निम्नलिखित स्रोतों में से किसी आय से की जाती है:

₹ 5,000 तक की कृषि-आय

ध्यान दें: आई.वास्तविक खाता टी.आर. - 4 का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है जो:
(a) किसी कंपनी में निदेशक है
(b) जिसके पास पूर्व वर्ष के दौरान किसी भी समय किसी भी गैर-सूचीबद्ध इक्विटी शेयर रहे हों
(c) जिसके पास भारत से बाहर स्थित कोई भी संपत्ति (किसी भी संस्था में वित्तीय हित सहित) है
(d) जिसके पास भारत से बाहर स्थित किसी भी खाते में हस्ताक्षर करने का प्राधिकार है
(e) जिसके पास भारत से बाहर किसी भी स्रोत से आय है
(f) वह व्यक्ति है जिसके मामले में ESOP पर कर भुगतान की राशि या कर कटौती को आस्थगित कर दिया गया है
(g) जिसकी आय के किसी भी शीर्ष के तहत अग्रनीत हानि या अग्रानीत की जाने वाली हानि हो

कृपया ध्यान दें कि आई.टी.आर.-4 (सुगम) अनिवार्य नहीं है। यह एक सरलीकृत विवरणी फ़ॉर्म है जिसका उपयोग एक निर्धारिती द्वारा अपनी इच्छानुसार किया जा सकता है, यदि वह कारोबार या व्यवसाय से लाभ और अभिलाभ को धारा 44AD, 44ADA या 44AE के तहत अनुमानित आधार पर घोषित करने के लिए योग्य हो।

‘PM मोदी की मोरबी यात्रा में ₹30 करोड़ खर्च किए गए’: TMC प्रवक्ता साकेत गोखले ने फर्जी न्यूज क्लिपिंग से फैलाई फेक न्यूज, BJP ने रिपोर्ट को नकारा

तथाकथित रिपोर्ट में वास्तविक खाता बताए गए 'आरटीआई कार्यकर्ता दीपक पटेल' के बारे में पूछताछ करने के लिए ऑपइंडिया की टीम ने मोरबी के कुछ निवासियों से भी बात की, लेकिन किसी ने ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं सुना। इसलिए, भाजपा का यह दावा कि यह मनगढ़ंत रिपोर्ट है, सच प्रतीत होता है।

इस तथाकथित रिपोर्ट का हवाला देते हुए गोखले ने दावा किया कि ₹5.5 करोड़ विशुद्ध रूप से ‘स्वागत, कार्यक्रम प्रबंधन और फोटोग्राफी’ के लिए थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘मोदी के इवेंट मैनेजमेंट और पीआर की लागत 135 लोगों के जीवन से अधिक है’, क्योंकि त्रासदी के 135 पीड़ितों के परिवारों में से प्रत्येक को ₹4 लाख की अनुग्रह राशि दी गई, जो कुल ₹5 करोड़ रुपए है।

इस खबर को पोस्ट करने वाले साकेत गोखले अकेले नहीं थे। उनसे पहले डैक्स पटेल नाम के एक ट्विटर यूजर ने कल यही क्लिपिंग पोस्ट की थी। कथित समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि यह खुलासा मोरबी जिला कलेक्टर के कार्यालय ने दीपक पटेल की आरटीआई अर्जी पर किया था। कथित खर्च का ब्रेकअप देते हुए रिपोर्ट में दावा किया गया कि ₹8 करोड़ अस्पताल की पेंटिंग, सफाई, नए बेड और वाटर कूलर पर खर्च किए गए, ₹11 करोड़ नई सड़कों के लिए, ₹3 करोड़ पीएम मोदी के स्वागत के लिए, ₹2.5 करोड़ पीएम की सुरक्षा में, ₹2 करोड़ इवेंट मैनेजमेंट के लिए और ₹50 लाख फोटोग्राफी के लिए खर्च किए गए।

इसके बाद कई ट्विटर यूजर ने इस क्लिप को साझा किया। हालाँकि, गुजरात भाजपा ने कहा है कि यह फेक न्यूज है और इस तरह की कोई आरटीआई दाखिल नहीं की वास्तविक खाता गई और न ही किसी आरटीआई का ऐसा कोई जवाब दिया गया। गुजरात भाजपा ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि नई क्लिपिंग मनगढ़ंत है और वास्तव में ऐसी कोई रिपोर्ट कहीं भी प्रकाशित नहीं हुई थी।

No such RTI has been done.

No such news has been published.

It is fully fabricated.

TMC is a party of liars. It starts from @MamataOfficial to lowly spokespersons like you. https://t.co/759PnBweuK

— BJP Gujarat (@BJP4Gujarat) December 1, 2022

गुजरात भाजपा ने कहा, “टीएमसी झूठों की पार्टी है। यह @MamataOfficial से शुरू होकर आप जैसे नीचे के प्रवक्ताओं तक है।” इस ट्वीट में गुजरात भाजपा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी टैग किया है। वहीं, पश्चिम बंगाल बीजेपी ने भी कहा कि गोखले फर्जी खबरें फैला रहे हैं। ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है और न ही ऐसा कोई आरटीआई जवाब है।

No such RTI has been done.

No such news has been published.

It is fully fabricated. @mamataofficial – your spokespersons are worst than you. Reign them in. https://t.co/08gpEpj2ae

— BJP Bengal (@BJP4Bengal) December 1, 2022

कई अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने भी क्लिपिंग पर संदेह जताया और कहा कि यह फर्जी है। खास बात यह है कि ऑनलाइन सर्च करने पर ऐसी कोई गुजराती रिपोर्ट नहीं मिली। हालाँकि, कई क्षेत्रीय समाचार पत्रों की ऑनलाइन उपस्थिति नहीं होती है और कुछ केवल अपने मुद्रित पत्रों की फोटो को समाचार पत्रों के रूप में प्रकाशित करते हैं। इसलिए उन्हें ऑनलाइन खोजा नहीं जा सकता है। हालाँकि, गोखले द्वारा साझा की गई गुजराती समाचार क्लिपिंग में अखबार का नाम और रिपोर्ट की तारीख नहीं है, जिससे ‘रिपोर्ट’ का पता लगाना और उसे सत्यापित करना मुश्किल हो जाता है।

मूल रूप से इस क्लिपिंग को पोस्ट करने वाले डैक्स पटेल ने दावा किया है कि यह गुजरात समाचार की क्लिपिंग है। एक ट्विटर यूजर द्वारा अखबार का नाम और रिपोर्ट के लिंक के बारे में पूछने पर, डैक्स पटेल ने बिना किसी लिंक के सिर्फ ‘गुजरात समाचार’ कहकर जवाब दिया।

जैसा कि इस रिपोर्ट के लिए कोई लिंक नहीं दिया गया है, इसलिए ऑपइंडिया ने गुजरात समाचार वेबसाइट पर रिपोर्ट के बारे में पता लगाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिली। हमने पिछले वास्तविक खाता हफ्ते के गुजरात समाचार अख़बार के ई-संस्करणों को पढ़ा, लेकिन अख़बार में ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं देखी गई।

उसके बाद ऑपइंडिया की टीम ने गुजरात समाचार के वेब विभाग से बात की कि क्या यह क्लिपिंग वास्तव में उनके अखबार की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके द्वारा ऐसी कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि क्लिपिंग गुजरात समाचार की तरह दिखती है, लेकिन उन्होंने इसे प्रकाशित नहीं किया है।

उल्लेखनीय है कि क्लिपिंग का फ़ॉन्ट और लेआउट गुजरात समाचार के जैसा है, लेकिन ‘रिपोर्ट’ का प्रारूप वास्तविक रिपोर्ट से मेल नहीं खाता है। गुजरात समाचार हमेशा रिपोर्ट की शुरुआत में तारीख या दिन, शहर का नाम और रिपोर्ट के स्रोत को प्रिंट करता है। ये वास्तविक खाता सारी चीजेें इस क्लिपिंग में नहीं हैं।

तथाकथित रिपोर्ट में बताए गए ‘आरटीआई कार्यकर्ता दीपक पटेल’ के बारे में पूछताछ करने के लिए ऑपइंडिया की टीम ने मोरबी के कुछ निवासियों से भी बात की, लेकिन किसी ने ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं सुना। इसलिए, भाजपा का यह दावा कि यह मनगढ़ंत रिपोर्ट है, सच प्रतीत होता है।

ऑपइंडिया ने मोरबी कलेक्टर कार्यालय और गुजरात विभाग के सूचना विभाग से संपर्क किया है और मामले के बारे में और जानकारी माँगी है कि क्या इस तरह का कोई आरटीआई जवाब जारी किया गया था। जवाब मिलने के बाद रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा।

पीएम आवास योजना में वित्तीय अनियमितता का मामला: नगर परिषद सतवास के तत्कालीन प्रभारी CMO कैलाशचंद्र वर्मा निलंबित

नगर परिषद सतवास में प्रधानमंत्री आवास योजना में की गई वित्तीय अनियमितताओं के लिए तत्कालीन प्रभारी सीएमओ कैलाशचंद्र वर्मा को राज्य शासन ने निलंबित कर दिया है। परिषद में हुई अनियमितताओं को लेकर स्थानीय लोग लगातार जांच की मांग कर रहे थे। इसी को लेकर कलेक्टर ने जांच कर लोकायुक्त को पूरा मामला सौंपा था। जांच में पाया कि नगर परिषद में 1 करोड़ 38 लाख 30 हजार रुपए की अनियमितता की गई थी। इस राशि को गलत हितग्राहियों के खातों में डाला गया व अन्य मद में खर्च किया गया। इसके लिए तत्कालीन सीएमओ वर्मा को निलंबित किया गया है। वर्मा वर्तमान में नगर परिषद महिदपुर जिला उज्जैन में पदस्थ हैं।

यह है मामला

तत्कालीन प्रभारी कैलाशचंद्र ​​​​​​​वर्मा ने आवास योजना की प्रथम चरण की 103 व 116 हितग्राहियों की डीपीआर के करीब 33 हितग्राहियों की 50 हजार रुपए के मान से राशि 16.50 लाख का अतिरिक्त भुगतान किया था। साथ ही 527 हितग्राहियों की डीपीआर में 50 लाख का अन्य मद में नगर परिषद के अन्य खाता में अंतरित कर अन्य लोगों को किया था। इसके बाद 28 दिसंबर 2020 को जेके इलेक्ट्रिकल इंदौर फर्म को 30.80 लाख रुपए वास्तविक खाता का भुगतान आवास योजना की आवंटित राशि से किया था। इसके अलावा सातवें चरण की 329 हितग्राहियों की डीपीआर में 39 लोगों को अनुमोदित सूची में नाम नहीं होने के बाद भी प्रथम किस्त राशि 1 लाख के मान से व दो लोगों को दूसरी किस्त का भुगतान होकर कुल 41 लाख का भुगतान किया गया था। इस तरह अनियमित भुगतान होने से कुल अंतर की राशि करीब 138.30 लाख निकाय के खाते में उपलब्ध नहीं होने से वास्तविक हितग्राही भुगतान से वंचित हो गए। इन पात्र हितग्राहियों ने सीएम हेल्पलाइन पर लगातार शिकायत की है।

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ईडी ने 108 करोड़ रुपये के ट्रेडिंग फ्रॉड मामले में चार लोगों को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि जनता से 108 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एक निजी फर्म के तीन निदेशकों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

ईडी ने 108 करोड़ रुपये के ट्रेडिंग फ्रॉड मामले में चार लोगों को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि जनता से 108 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एक निजी फर्म के तीन निदेशकों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

अभियुक्तों की पहचान ब्लूमैक्स कैपिटल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशक आर अरविंद, एस गोपालकृष्णन, एस भारतराज और तूतीकोरिन के उनके सहयोगी जे अमरनाथ के रूप में की गई। उन्हें एक विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें 12 दिनों की हिरासत में भेज दिया है।

ईडी ने ब्लूमैक्स कैपिटल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर के आधार पर अपनी जांच शुरू की।

पुलिस को आम जनता से शिकायतें मिलीं कि उन्हें आरोपियों ने धोखा दिया, जिन्होंने उन्हें उच्च रिटर्न का वादा किया था और उन्हें विदेशी मुद्रा, वस्तुओं और सोने के व्यापार में अपनी मेहनत की कमाई का निवेश करने के लिए कहा था।

ईडी ने कहा कि पीड़ितों से करीब 108 करोड़ रुपये की ठगी की गई।

जांच एजेंसी को पता चला कि निदेशकों ने नकली सुविधाओं के साथ कंपनी की एक वेबसाइट बनाई थी, जो निवेशकों के पैसे के साथ गलत रियल टाइम फॉरेक्स ट्रेडिंग दिखाती थी।

ईडी ने बताया कि, कंपनी की कार्यप्रणाली यह थी कि एक बार जब कोई व्यक्ति पैसे का निवेश करेगा, तो उन्हें एक खाता प्रदान किया जाएगा और कंपनी की वेबसाइट को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि, जब कोई व्यक्ति अपने खाते में लॉग इन करता है, तो उसके अंदर दिखाई गई सबी चीजें झूठी होती है। वेबसाइट को विदेशी मुद्रा में वास्तविक खाता वास्तविक व्यापार, व्यापार चार्ट के माध्यम से वस्तुओं आदि का झूठा चित्रण करके निवेशकों को गुमराह करने के लिए डिजाइन किया गया था।

अक्टूबर 2019 में, निदेशकों ने जानबूझकर अपनी कंपनी के सर्वर की झूठी हैकिंग का मंचन किया और उसके बाद निवेशकों को सूचित किया कि उनका पैसा व्यापार में खो गया है।

उन्होंने तब कुछ निवेशकों को आंशिक धन का सांकेतिक पुनर्भुगतान किया था, दूसरों को परेशानी में डाल दिया था।

ईडी की जांच से पता चला है कि, निवेशकों के पैसे को किसी भी व्यापारिक गतिविधियों में निवेश नहीं किया गया था, जैसा कि वादा किया गया था और अब गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों ने विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं के माध्यम से एक बड़ा हिस्सा डायवर्ट किया था और उनके नाम या उनके नाम पर नए व्यवसायों में निवेश किया था। साथ ही उन्होंने पत्नियों के नाम और गुप्त रूप से क्रिप्टो करेंसी में निवेश भी किया।

यह भी देखा गया कि तीनों निदेशकों ने मिलकर मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात, हांगकांग, बेलीज और यूके में अपतटीय स्थानों में ब्लूमैक्स ग्लोबल लिमिटेड के नाम से कंपनियां और बैंक खाते शुरू किए और उनमें पैसा जमा किया।

इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न व्यवसायों को भी शुरू किया था और धोखाधड़ी करने के लिए विदेशों में उनके नाम पर और अन्य असंबंधित व्यक्तियों के नाम पर बैंक खाते खोले थे।

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