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खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?

खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?
केन्द्रीय, राज्य तथा अन्य सरकारें अपने विभागों व अपने द्वारा चलाई जा रही कंपनियों, (सरकारी कंपनियों) के हिसाब-किताब की जांच करवाती है। इस कार्य के लिये अलग से अंकेक्षण विभाग बनाया जाता है। इस विभाग का सर्वोच्च अधिकारी जिसे कम्पट्रोलर एवं ऑडीटर जनरल कहते है राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होता है। यह विभाग जांच के बाद सरकार के सामने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

अंकेक्षण का वर्गीकरण अथवा प्रकार

जब अंकेक्षण कराना किसी विधान द्वारा अनिर्वाय हो तो वह वैधानिक या अनिर्वाय अंकेक्षण कहलाता है। इसमे अंकेक्षण का क्षेत्र विधान द्वारा तय होता है। अंकेक्षण व नियोक्ता इसे किसी समझौते द्वारा खत्म नही कर सकते है। भारत मे कंपनी अधिनियम 1956 के अनुसार," हर कंपनी जिसका रजिस्ट्रेशन इस अधिनियम खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? के अंतर्गत हुआ है उसको अपने खातों का अंकेक्षण किसी योग्य अंकेक्षण से कराना होगा।" इसके अलावा सरकार ने कुछ अन्य अधिनियम भी पास किये है, जिनके अनुसार सार्वजनिक प्रन्यास, बिजली कंपनियों, गैस कंपनियों आदि हेतु अपने खातों का अंकेक्षण कराना अनिवार्य है।

2. निजी खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? या ऐच्छिक अंकेक्षण

जो अंकेक्षण निजी, एकांकी व्यापारी, साझेदारी फर्म अथवा अन्य संस्था के हिसाब-किताब की जांच करने के लिये कराया जाता है, उसे निजी या ऐच्छिक अंकेक्षण कहते है। इस अंकेक्षण मे कार्यक्षेत्र किसी विधान द्वारा निश्चित नही होता बल्कि यह पूर्णतया अंकेक्षण व नियोक्ता के समझौते पर निर्भर होता है।

(ब) अंकेक्षण का लेखों की प्रकृति के अनुसार वर्गीकरण

1. लागत अंकेक्षण

किसी संस्था के लागत लेखों की जांच को लागत अंकेक्षण कहते है। लागत अंकेक्षण का उद्देश्य, गहन जांच करके उत्पादन लागत के औचित्य के बारे मे जानकारी प्राप्त करना है।

2. वित्तीय अंकेक्षण

जब अंकेक्षक प्रारम्भिक पुस्तकों, लाभ हानि खाते व चिट्ठे का अंकेक्षण खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? करता है तो उसे वित्तीय अंकेक्षण कहा जाता है। साधारण भाषा मे अंकेक्षण से तात्पर्य वित्तीय अंकेक्षण से ही लगाया जाता है।

(स) अंकेक्षण का व्यावहारिक वर्गीकरण

1. पूर्ण अंकेक्षण

यदि किसी अवधि विशेष से संबंधित सभी लेखा पुस्तकों की विधिपूर्वक जांच हो, जिससे कोई भी लेन-देन या लेखा न छूट जाये तो इस प्रकार की जांच को पूर्ण अंकेक्षण कहते है।

2. आंशिक अंकेक्षण

यदि संस्था का स्वामी अपने व्यापारिक वर्ष के संपूर्ण लेखो का अंकेक्षण न कराकर उसके स्थान पर उसके कुछ अंश का अंकेक्षण कराता है तो इसे आंशिक अंकेक्षण कहते है। आंशिक अंकेक्षण भी दो प्रकार का होता है--

(A) समयानुसार आंशिक अंकेक्षण

यदि 3 या 4 माह के हिसाब से अंकेक्षण कराया जाये तो उसे समयानुसार आंशिक अंकेक्षण कहते है।

(B) कार्यनुसार आंशिक अंकेक्षण

समस्त लेखा पुस्तकों के स्थान पर किसी विशेष लेखा पुस्तक का अंकेक्षण कराया जाये तो उसे कार्यानुसार आंशिक अंकेक्षण कहते है।

3. सामयिक अंकेक्षण

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पुलिस वेतन पैकेज (पीएसपी)

केंद्रीय पुलिस संगठनों (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और रेलवे सुरक्षा बलके अलावाअन्य), नागरिक पुलिस, सशस्त्र पुलिस और सभी राज्यों के रिजर्व पुलिस, केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बल (केंद्र सरकार के नियंत्रण में), राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) -(राज्य पुलिस बल का हिस्सा) पुलिस पैकेज (पीएसपी) के तहत वेतन खातों का लाभ उठा सकते हैं ।

कर्मियों के पदनाम/ निवल मासिक आय के अनुसार पैकेज वेरिएंट

  • सिल्वरः 10,000 से 25,000 रुपये
  • गोल्डः 25,001 से 50,000 रुपये
  • डायमंडः 50,001 रुपये से 1,00,000 रुपये और एसपी और उच्च रैंक के अधिकारियों को।
  • प्लैटिनम: 1,00,000 रुपये से ऊपर और डीआईजी और उच्च रैंक के अधिकारी।
  • सिल्वरः आशुलिपिक, लिपिकीय स्टाफ, सहायक ग्रेड-2, ड्राईवर, हवलदार, आरक्षक, चपरासी, सिपाही, अर्दली, फॉलोवर
  • गोल्डः रजिस्ट्रार (लेखा अधिकारी), एमटीआई, एमटीओ, सहायक क्वार्टर मास्टर, कार्यालय अधीक्षक, सहायक अधीक्षक
  • डायमंडः कनिष्ठ स्टाफ खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? अधिकारी, जिला कमांडेंट
  • प्लैटिनमः डीजी, आईजी, सहायक कमांडेंट जनरल, वरिष्ठ स्टाफ अधिकारी

खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?

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मुद्रा का वर्गीकरण कैसे किया ज .

Solution : मुद्रा का वर्गीकरण-मुद्रा का वर्गीकरण सामान्य: पाँच भागों में किया गया है।
(i) पूर्ण कार्य मुद्रा-इसका सम्बन्ध उस मुद्रा से है जो सिक्कों के रूप में होती है। यदि सिक्के पर अंकित मूल्य और उसमें लगी धातु का मूल्य बराबर है तो ऐसे सिक्के को पूर्ण कार्य मुद्रा कहा जाएगा।
(ii) प्रतिनिधि पूर्ण कार्य मुद्रा-इसका संबंध कागजी नोटों से है। ये नोट पूर्ण कार्य मुद्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं। वास्तव में यह नोट पूर्ण कार्य सिक्कों का प्रतिनिधित्व करने वाली चिट है जिसे सरकार जारी करती है। उस कागज जिस पर नोट छपे होते हैं का अपना कोई बाजार मूल्य नहीं होता।
(iii)साख मुद्रा-उस मुद्रा को साख मुद्रा कहते हैं। जिसका मौद्रिक मूल्य उसके वस्तु मूल्य से अधिक होता है। इसका कारण यह है कि जिस वस्तु का मुद्रा के लिए प्रयोग किया जाता है वह वस्तु बाजार में कुल पूर्ति का एक छोटा अंश होती है।
(iv)करेंसी मुद्रा-यह वह मुद्रा है जो नोटों और सिक्कों के रूप में बाजार में प्रचलन में है। करेंसी मुद्रा कुल मुद्रा पूर्ति का एक महत्त्वपूर्ण अंश है।
(v)बैंक मुद्रा-बैंक मुद्रा से अभिप्राय बैंकों द्वारा किए गए साख निर्माण से है। बैक इस साख का निर्माण लोगों को रुपया उधार देकर करते हैं। वे इस साख को ऋणियों के खातों में जमा कर देते हैं जिसे वे चैक द्वारा निकलवा लेते हैं।

अंकेक्षण के प्रकार एवं वर्गीकरण (TYPES AND CLASSIFICATION OF AUDIT)

अंकेक्षण एक विधिवत् मूल्यांकन एवं परीक्षण प्रक्रिया है । जिसके द्वारा किसी निश्चित उद्देश्य की खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? पूर्ति हेतु किया जाता है । और अंकेक्षण कार्य के सम्बन्ध में अपनी राय प्रतिवेदन के रूप में सम्बन्धित पक्ष को प्रेषित की जाती है। तथा अंकेक्षण के सम्बन्ध में उपर्युक्त कथन, अंकेक्षण के प्रकारों का वर्णन को बताता है।

अंकेक्षण को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है।

(1) व्यापारिक संस्था के संगठन के अनुसार
(2) व्यावहारिक दृष्टिकोण से

व्यापारिक संस्था के संगठन के अनुसार-
वैधानिक अंकेक्षण
निजी अंकेक्षण
सरकारी अंकेक्षण
आन्तरिक अंकेक्षण

व्यावहारिक दृष्टिकोण से अंकेक्षण –

चालू अंकेक्षण
वार्षिक अंकेक्षण
आंतरिम अंकेक्षण
लागत अंकेक्षण
प्रबंधकीय अंकेक्षण
कर अंकेक्षण
सामाजिकअंकेक्षण
पर्यावरणअंकेक्षण
रोकण अंकेक्षण
निपुणता अंकेक्षण
चिठ्हे का अंकेक्षण
संगामी अंकेक्षण
पूर्ण अंकेक्षण
आंशिक अंकेक्षण

लेखांकन के अन्य कार्य

4. वैधानिक वर्क – वैधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना लेखांकन का अहम् कार्य होता है। कई तरह के कानूनों विधान जैसे की- बिक्री कर अधिनियम, आयकर अधिनियम, कंपनी अधिनियम आदि द्वारा कई तरह के विवरणों को जमा करने पर बल दिया जाता है। उदाहरण में – आयकर रिटर्न, बिक्री कर रिटर्न, अंतिम खाते आदि।यह कार्य तभी पूरा हो सकता है जब लेखांकन ठीक से रखा जाए।

5. व्यवसाय की संपत्तियों को सुरक्षा देना – व्यवसाय की संपत्तियों को सुरक्षा देना यह लेखांकन का महत्वपूर्ण कार्य होता है। यह कार्य तभी सफल हो सकता है जब सभी संपत्तियों का उचित लेखा – जोखा रखा गया हो।

6. निर्णय लेना – लेखांकन करने से किसी भी व्यवसाय में एक महत्वपूर्ण आंकड़ा उपलब्ध होता है । जिससे कि निर्णय लेने में सुविधा होती है। यह लेखांकन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है।

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