विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर

विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर
अन्य निगमित कार्य जो ऊपर स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं हैं ।
विकास गुप्ता,
मुख्य महाप्रबंधक (मा.सं)
अनुबंध-I
मानव संसाधन निदेशालय, गेल
दस्तावेज प्रतिधारण अनुसूची
(निगमित आरटीआई कक्ष)
क्रमांक | कागजात का विवरण | धारणीय की अवधि |
01. | किसी व्यक्ति/भारतीय नागरिकों, सभी विभागों/अनुभागों, संयंत्रों/यूनिटों से निगमित निर्णय और इससे संबंधित फाइल/टिप्पणियों/कागजात/दस्तावेज | 03 वर्ष |
02. | पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार एवं विभिन्न पीएसयू से प्राप्त संदर्भ । | 03 वर्ष |
03 | आरटीआई एवं उसमें संशोधन | सदैव |
04 | आरटीआई अधिनियम के दिशानिर्देश | सदैव |
05. | सीआईसी विनियमन, 2007 | सदैव |
06. | सीआईसी के महत्वपूर्ण निर्णय | सदैव |
निपटान का तरीका : :- स्रेडर द्वारा
अनुबंध-II
मानव संसाधन निदेशालय, गेल
दस्तावेज प्रतिधारण अनुसूची के संबंध में दस्तावेजों के अनुरक्षण हेतु दिशानिर्देश
क). सभी दस्तावेजों का अनुरक्षण वित्तीय वर्ष के आधार पर किया जाना चाहिए ।
ख). प्रतिधारण अनुसूची में गैर सूचीबद्ध दस्तावेजों की प्रतिधारण अवधि आवश्यकतानुसार निर्धारित की जानी चाहिए ।
ग). न्यायालयों के मामलों में संबंधित कागजातों/फाइलों को उच्चतम अपीलीय न्यायालय में निर्णय होने तक संभाला जाना चाहिए ।
दस्तावेजों का प्रतिधारण निपटान और नष्ट करना :
सभी विद्यमान और पुराने दस्तावेजों सहित जिनमें वे भी शामिल हैं विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर जो रिकार्ड कक्ष/डीसीएस में रखे गए हैं, की समीक्षा आवधिक रूप से वित्तीय वर्ष में कम से कम एक बार वरीयत: अनुवर्ती वर्ष के बाद अप्रैल मास में, संबंधित विभाग/दल/कक्ष से संबंधित नामित समिति के सदस्यों द्वारा की जानी चाहिए। संबंधित समूह/विभाग की समिति के सदस्य निपटान के लिए बकाया रिकार्डों की जांच करेंगे और नामित कार्यपालक को निपटान रजिस्टर में सूचना दर्ज करने का अनुदेश देंगें और रिकार्ड के प्रतिधारण/नष्ट किए जाने की संस्तुति करेंगे। नष्ट किए जाने हेतु नियत किए गए दस्तावेजों का इस प्रयोजन हेतु निर्धारित किए गए कार्यपालक के पर्यवेक्षण में निम्न अनुसार विधिवत् प्रमाणित करते हुए एक समुचित तरीके से जिनमें स्रेडि़ंग/अन्य तरीके शामिल हैं, के द्वारा निपटान कर दिया जाएगा समीक्षा की जानी चाहिए और । हार्ड या साफ्ट फार्म में रखे गए सभी दस्तावेज इन दिशानिर्देशों के दायरे में होंगे और तद्नुसार ही उन्हें प्रतिधारित/नष्ट किया किया जाए ।
"प्रमाणित किया जाता है कि उपर्युक्त दस्तावेज दिनांक. /…………. /20 को स्रेडि़ंग / अन्य तरीकों से मेरी उपस्थिति में नष्ट किया गया ।
B'day: अश्लील गानों से लेकर राखी तक, मीका की 'गंदी बात' के भी दीवाने
मुबंई. 'ए गणपत. चल दारू ला', 'बिट्टू सबकी लेगा रे. ', 'इश्क की मां की', 'सारी दुनिया मेरे इस पे' जैसे कंट्रोवर्सियल गानों से कभी अपनी बेपरवाही का नमूना देते मीका तो कभी 'इब्ने-बतूता', 'ढिंक चिका', 'बन गया कुत्ता' और 'दिल में बजी गिटार' जैसे गानों के जरिए अपनी अन-कन्वेंशनल आवाज से सबका ध्यान आकर्षित करने वाले मीका सिंह आज इंडस्ट्री के उन सिंगरों में शुमार है, जिनका एक गीत फिल्म की सफलता को पुख्ता कर देता है।
अन-कन्वेंशनल आवाज, मस्तमौला अंदाज और कॉन्ट्रोवर्सी का चोली-दामन का साथ, शायद यही है मीका की असली पहचान। दुनिया चाहे मीका को अश्लील बोल के गानों को गाने वाला सिंगर कहे या फिर कॉन्ट्रोवर्सी किंग, मीका ने हमेशा ही खुद को जिया। मीका के जीवन में एक, दो या तीन विवाद सामने नहीं आए बल्कि कई विवादों में अलग-अलग समय पर उनका नाम उछला, बावजूद इसके मीका की लोकप्रियता पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
10 जून 1977 को पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में जन्में मीका सिंह पूरे 37 वर्ष के हो गए हैं। मीका का वास्तविक नाम अमरीक सिंह है, लेकिन बॉलीवुड ने उन्हें मीका नाम के साथ एक अलग पहचान दी। मीका एक दौर में अपनी 'तुनक-तुनक धिन ताना ना' की धुन पर युवाओं को मदहोश कर देने वाले मशहूर पंजाबी गायक दलेर मेंहदी के भाई हैं। हालांकि मीका को इसका बहुत ज्यादा फायदा इंडस्ट्री में नहीं हुआ।
अपने भाई दलेर मेंहदी की तरह उन्होंने भी गायिकी को ही अपनी पेशा बनाया और पॉप संगीत की दुनिया में नाम कमाया। आज बॉलीवुड के कॉन्ट्रोवर्सी किंग मीका सिंह की बड़ी डिमांड है। एक समय ऐसा भी था जब लोग गाना देखते समय हीरो की शक्ल देखना पसंद करते थे, लेकिन मीका ने इस ट्रेंड को बदल दिया। आज मीका किसी फिल्म में कोई गाना गाते हैं तो उसका एक वर्जन ऐसा भी बनता है, जिसमें वह खुद गायिकी करते हुए नजर आते हैं।
मीका को कभी अपनी आवाज के चलते करना पड़ा बॉलीवुड में स्ट्रगल
मीका सिंह ने अपने भाई के बैंड में बतौर गिटारिस्ट काम करना शुरू किया था। उन्होंने अपने बड़े भाई दलेर मेहंदी के लिए सुपरहिट गाना 'डर दी रब रब कर दी' कंपोज भी किया था। इसके बाद उन्होंने खुद गाना गाने की सोची। अपनी धुन का पक्का ये पंजाबी गबरू जब गाना गाने की ख्वाहिश लिए स्टूडियों में पहुंचा तो दलेर मेंहदी के नाम के चलते उन्हें सुनने के लिए डायरेक्टर तेयार तो हो गए, लेकिन उनकी अन-कन्वेंशनल आवाज को सुन उन्हें ना कर दी।
मीका का सफर यहीं खत्म नहीं हुआ। मीका ने कई स्टूडियोज के चक्कर काटे, लेकिन उन्हें हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद मीका ने खुद का एल्बम लॉन्च करने का विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर मन बनाया और अपना पहला सुपरहिट गाना 'सावन में लग गई आग' के जरिए श्रोताओं में आग लगा दी। इसके बाद तो मानों मीका की अन-कन्वेंशनल आवाज ही उनका हथियार बन गई। आज आलम यह है कि सालभर में मीका के नाम एक या दो गाने ऐसे होते हैं, जो सफलता की नई परिभाषा लिखते हैं।
मीका और राखी सावंत विवाद
मीका और विवादों का साथ हमेशा चोली दामन का रहा है। कभी को-स्टार्स को किस करना तो कभी उन्हें छेडऩा मीका का नाम अक्सर ऐसे विवादों में आता रहा है। साल 2006 में आयटम गर्ल राखी सावंत को उन्होंने अपने जन्मदिन को मौके पर केक काटने के बाद सरेआम सबके सामने लिपलॉक किया था जिस पर अच्छा-खासा बवाल मचा था। राखी तो इस बात के लिए अदालत तक चली गयी थीं। काफी दिनों तक मामला मीडिया में छाया रहा था।
यही नहीं दूसरी बार मीका सिंह विवादों में तब आये जब एक टीवी शो 'इस जंगल से मुझे बचाओ' में अभिनेत्री और मॉडल निगार खान को उन्होंने किस किया था। इस बात को लेकर भी काफी हाय-तौबा मची थी। मीका को लोगों ने माफी मांगने के लिए कहा था क्योंकि उन्होंने टीवी रियलिटी शो में ऐसी शर्मनाक हरकत की थी, लेकिन मीका को अपनी इस हरकत पर कोई पछतावा नहीं था। बाद में मीका ने अपने भाइयों के साथ राखी का मजाक उड़ाते हुए एक गाना भी बनाया था जिसके बोल थे ऐ भाई तूने पप्पी क्यों ली?
स्टेज शो के लिए सबसे ज्यादा चार्ज करने वाले सिंगर
मीका दुनियाभर में स्टेज शोज करते रहते हैं। उनका गोल्डन पीरियड चल रहा है। वे जो भी गाना गाते हैं, हिट हो जाता है। इतना ही नहीं मीका ऐसे कलाकार हैं जो स्टेज शोज के ही 1.25 करोड़ चार्ज करते हैं। नए साल पर प्रोग्राम के लिए मीका ने कथित तौर पर 1.25 करोड़ रु. चार्ज किया। उनका अधिकतर समय कई देशों में स्टेज शो करते हुए निकलता है। उनके अधिकतर हिट गाने सुपरस्टार्स पर नहीं फिल्माए गए हैं, इसके बावजूद वे हिट हैं। पिछले तीन साल में वे दो दर्जन से ज्यादा हिट दे चुके हैं।
कस्टम चोरी का भी लग चुका है आरोप
पंजाबी गायक मीका सिंह पर कस्टम चोरी के भी आरोप लग चुके हैं। हाल ही के कुछ समय पहले उन्हें कस्टम अधिकारियों ने मुंबई एयरपोर्ट पर रोक लिया था। मीका बैंकाक से मुंबई आते वक्त तय सीमा से ज्यादा की विदेशी मुद्रा लेकर आ रहे थे, इसलिए ग्रीन पैनल पार करते समय उन्हें कस्टम अधिकारियों ने गिरफ्तार किया। हालांकि बाद में उनकी जमानत हो गयी।
एलएचबी कोच के लिए एलएचबी पहियों का रवाना किया सेल ने
नई दिल्ली। सरकारी क्षत्र की इस्पात कम्पनी स्टील अथोरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) ने रेलवे के लिए लिंके होफमैन बुस्च (एलएचबी) कोचों के लिए अत्याधुनिक एलएचबी पहियों वाली पहली खेप रवाना कर दी। सेल ने इस खेप में 30 एलएचबी (lhb) पहियों की आपूर्ति की है। सेल की ओर से कहा गया है कि जर्मन तकनी से बने एलएचबी (lhb) डिब्बों को इंटीग्रल कोच फेक्ट्री (आईसीएफ) डिब्बों से परिवर्तन की योजना के बाद ही एलएचबी (lhb) पहियों का निर्माण शुरू किया गया। रेलवे ने सेल को ट्रायल रन के लिए 1000 एलएचबी विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर पहिए का शुरुआती आर्डर दिया था। इसके बाद ही सेल ने 30 एलएचबी पहिए की पहली खेप के साथ एलएचबी पहियों की आपूर्ति आरम्भ कर दी है।
टक्कर की स्थिति में ट्रेन को पलटने या घूमने नहीं देंगे ये पहिए
सेल की विज्ञप्ति में कहा गया है कि एलएचबी पहिए को सेल के रिसर्च एण्ड डवलपमेंट सेंटर फॉर आयरन एण्ड स्टील (आरडीसीआईएस) और रेलवे के रिसर्च डिजाइन एण्ड स्टैण्डर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की संयुक्त गुणवत्ता के आधार पर तैयार किया गया है। ये पहिए टकराव की स्थित में ट्रेन को पलटने या घूमने से रोकने में पूरी तरह सक्षम हैं। इस अवसर पर सेल के अध्यक्ष अनिल कुमार चैधरी ने दुर्गापुर इस्पात संयत्र के कर्मचारियों की इस उपलब्धि की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर हमारा ध्यान एलएचबी पहियों की आपूर्ति जल्द से जल्द शुरू करने की है।
50 साल सेे रेलवे को पहियों की आपूर्ति
इससे देश में ही एलएचबी पहियों की आपूर्ति होने से आयात कम करने और विदेशी मुद्रा को बचत करने मे मदद मिलेगी। सेल लगभग पिछले 50 साल से भारतीय रेलवे को पहिए एक्सेल, चेसिस आदि की आपूर्ति कर रहा है। सेल भारत का एकमात्र फोर्ज्ड व्हील का उत्पादक है। पिछले दिनों कोलकाता मेट्रो के लिए भी सेल ने पहियों की आपूर्ति की थी। इस मौके पर सेल के अध्यक्ष अनिल कुमार चैधरी ने दुर्गापुर इस्पात संयत्र के कर्मचारियों की सराहना करते हुए कहा है कि हमारा पूरा ध्यान एलएचबी पहियों की आपूर्ति को जल्द से जल्द शुरू करने की है ताकि भारतीय रेलवे को अत्याधुनिक विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर आवश्यकताओ को स्थानीय स्तर पर ही पूरा किया जा सके।
विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर
कोलकाता, 30 मई (वार्ता)। पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री (Chief Minister) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने केंद्र द्वारा सौ दिनों के काम के छह हजार करोड़ रुपये की राशि रोकने के खिलाफ राज्य भर में पांच और छह जून को आंदोलनकारी करने की घोषणा की है। सुश्री बनर्जी ने कहा, “केंद्र सरकार पांच महीनों का पैंसे रोकर गंदी राजनीति खेल रही है। हम इसके हकदार हैं।” मुख्यमंत्री ने सौ दिन के काम की राशि रोकने के मामले में प्रधानमंत्री को एक पत्र पहले भी लिखा है। राज्य सरकार के अनुसार केन्द्र सरकार (central government) ने पिछले साल दिसंबर में इस क्षेत्र में करीब छह हजार करोड़ राशि को रोककर रखा है। इस बार तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र द्वारा रोकी गयी राशि पाने के लिए राजनीतिक कार्यक्रम तैयार किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, “संविधान में एक नियम है कि जिस श्रमिक ने भी सौ दिन काम किया, उसको 15 दिन में ही अपना मेहनताना मिल जाना चाहिए। हम इसके हकदार हैं, लेकिन गरीब लोगों को उनके पांच महीने के काम की राशि नहीं मिल रही है।” मुख्यमंत्री ने पुरुलिया में रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। सुश्री बनर्जी ने पुरुलिया में आज एक प्रशासनिक बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। इससे पहले उन्होंने दुर्गापुर में कहा, बंगाल सौ दिन काम को सुनिश्चित करने वाले पहला राज्य है। मुख्यमंत्री ने पार्टी और अपने सहयोगियों को राजनीति कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निर्देश दिए और कहा, “इस कार्यक्रम में लोगों के सौ दिन काम की राशि क्यों रोकी जा रही है। ‘भाजपा जबाव दो’ ‘प्रधानमंत्री जबाव दो’ हमें यह नारा प्रत्येक गांवों और शहरों तक पहुंचाना होगा।
क्यों नीचे की राख से टेट्रापोड बनाने से मुंबई के समुद्र तट की रक्षा करने में मदद मिल सकती है जानिए कैसे ?
तीन साल पहले, टाटा पावर के कुछ प्रतिभाशाली लोग मुंबई में अपने फोर्ट कार्यालय में विचार-मंथन सत्र के लिए बैठे थे। चिंता का कारण- नीचे की राख, ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की फायरिंग का एक गैर-दहनशील अवशेष, जिसे निपटाने की आवश्यकता है। लंबी बैठकें, अंतहीन सम्मेलन कॉल और आर एंड डी टीम के साथ लगातार आगे-पीछे, आखिरकार जेनरेशन टीम को एक ऐसे विचार पर लाने के लिए लाया, जो मुंबई की तटरेखा को ताकत और जीवन दोनों देकर परिवर्तन-निर्माता होगा। तीन साल बाद सफलता मिली है। टाटा पावर, अपने नवाचार के माध्यम से, अब नीचे की राख से टेट्रापोड-मुंबई के समुद्र तट के लिए आवश्यक है, कुछ ऐसा जो पहले कभी नहीं किया गया है।
टेट्रापोड ठोस संरचनाएं हैं जिनका उपयोग तट को लहर के कटाव से बचाने के लिए किया जाता है। परंपरागत रूप से, वे कंक्रीट और रेत को मिलाकर बनाए जाते हैं, जो जलीय जीवन पर एक अतिरिक्त दबाव डालता है जब बाद की खरीद के लिए ड्रेजिंग किया विदेशी मुद्रा समाचार दुर्गापुर जाता है।
थर्मल पावर प्लांट पर्यावरण में दो प्रकार की राख का उत्पादन करता है- हवा में निलंबित जले हुए कोयले के छोटे काले धब्बे फ्लाई ऐश कहलाते हैं और भट्ठी के तल में एकत्रित सघन और मोटे राख को बॉटम ऐश के रूप में जाना जाता है। जबकि सड़कों और ईंटों के निर्माण में फ्लाई ऐश का उपयोग करने के लिए कई उपाय किए गए हैं, नीचे की राख को पारंपरिक रूप से लैंडफिल सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है।
थर्मल पावर प्लांट पर्यावरण में दो प्रकार की राख का उत्पादन करता है- हवा में निलंबित जले हुए कोयले के छोटे काले धब्बे फ्लाई ऐश कहलाते हैं और भट्ठी के तल में एकत्रित सघन और मोटे राख को बॉटम ऐश के रूप में जाना जाता है। जबकि सड़कों और ईंटों के निर्माण में फ्लाई ऐश का उपयोग करने के लिए कई उपाय किए गए हैं, नीचे की राख को पारंपरिक रूप से लैंडफिल सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अनुसार, भारत में कुल बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 80 प्रतिशत ताप संयंत्रों पर निर्भर है। एक थर्मल पावर प्लांट, बदले में, पर्यावरण में दो प्रकार की राख का उत्पादन करता है, एक जिसे फ्लाई ऐश कहा जाता है जो हवा में जले हुए कोयले के छोटे काले धब्बों के रूप में निलंबित हो जाती है, और दूसरी अधिक सघन और मोटे राख को तल में एकत्र किया जाता है। भट्ठी को नीचे की राख के रूप में जाना जाता है। जबकि सरकार ने इससे छुटकारा पाने के प्रयास में अन्य निर्माण सामग्री के बीच सड़कों और ईंटों के निर्माण में फ्लाई ऐश का उपयोग करने के लिए कई उपायों को शामिल किया है।
एक उपयोगी तरीके से, नीचे की राख को पारंपरिक रूप से लैंडफिल सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) के शोधकर्ताओं द्वारा भारतीय परिप्रेक्ष्य में नीचे की राख पर किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि सामान्य तौर पर, एक बिजली संयंत्र में कोयले की राख में नीचे की राख का 25 प्रतिशत और 75 प्रतिशत होता है। फ्लाई ऐश का प्रतिशत या बॉटम ऐश का 20 प्रतिशत और फ्लाई ऐश का 80 प्रतिशत। फरवरी 2022 से सीईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 197 ताप विद्युत संयंत्रों ने अप्रैल और सितंबर 2021 के बीच लगभग 133.9 मिलियन टन फ्लाई ऐश उत्पन्न किया। राख के दोनों रूप न केवल मनुष्यों के लिए खतरनाक हैं, बल्कि पर्यावरण, वनस्पतियों के लिए भी हानिकारक हैं। और जीव।