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सोने के दाम किसपर निर्भर

सोने के दाम किसपर निर्भर
नई दिल्ली में 22 कैरेट सोने के रेट 46,130 रुपये और चांदी के रेट 67,600 रुपये प्रति किलो पर हैं. मुंबई में 22 कैरेट सोने के रेट 46,210 रुपये और चांदी के रेट 67,600 रुपये प्रति किलो पर हैं. कोलकाता में 22 कैरेट सोने के रेट 46,200 रुपये प्रति 10 ग्राम पर और चांदी के रेट 67,600 रुपये प्रति किलो पर हैं. चेन्नई में सोने के रेट 44,350 रुपये प्रति 10 ग्राम पर और चांदी के रेट 73,100 रुपये प्रति किलो पर हैं.

सोने के दाम किसपर निर्भर

किसी गैस में ध्वनि की चाल V गै .

किसी गैस में ध्वनि की चाल V गैस के दाब P तथा उसके घनत्व d पर निर्भर करती है ध्वनि की चाल के लिए सूत्र की स्थापना कीजिए।

Updated On: 27-06-2022

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Solution : माना गैस में ध्वनि की चाल V, गैस के दाब P की a घात पर तथा उसके घनत्व d की b घात पर निर्भर करती है
अर्थात `VpropP^(a)` तथा `Vpropd^(b)`
या `" "V=KP^(a)d^(b)," "` जहाँ K एक विमाहीन नियतांक है |
चाल V का विमीय सूत्र `=[M^(0)LT^(-1)],` दाब P का विमीय सूत्र `=[ML^(-1)T^(-2)],` घनत्व d का विमीय सूत्र `=[ML^(-3)T^(0)]`
उपर्युक्त सूत्र में दोनों ओर की राशियों के विमीय सूत्र लिखने पर,
`[M^(0)LT^(-1)]=[ML^(-1)T^(-2)]^(a)[ML^(-1)T^(0)]^(b)`
या `[M^(0)L^(1)T^(-1)]=[M^(a+b)L^(-a-3b)T^(-2a)]`
दोनों ओर M,L तथा T की विमाओं की तुलना करने पर
`a+b=0,-a-3b=1` तथा `-2a=-1`
या `a=(1)/(2),b=-(1)/(2)`
`:." "V=KP^(1//2)d^(-1//2)`
या `" "V=Ksqrt((P)/(d))`
प्रयोगो द्वारा पाया जाता है कि नियतांक K का मान 1 है अतः गैस में ध्वनि की चाल `V=sqrt(P//d)`.

Gold price today, 21 June 2021: 1600 टूटने के बाद आज सोने की कीमतों में मामूली उछाल, चांदी में गिरावट, जानें- आज क्या हैं 10 ग्राम सोने के भाव?

Updated: June 21, 2021 11:32 AM IST

Gold Rate Gold Price June 21

Gold price today, 21 June 2021: पिछले हफ्ते में लगातार दो दिनों तक कुल 1,600 रुपये प्रति 10 ग्राम तक सोने के भाव नीचे आ गए सोने के दाम किसपर निर्भर थे. लेकिन आज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने के वायदा में फिर से बढ़ोतरी देखी गई, जबकि चांदी के वायदा में गिरावट दर्ज की गई. सोना अगस्त वायदा 144 रुपये या 0.31 प्रतिशत की तेजी के बाद सोमवार को 46,728 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रहा.

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चांदी जुलाई वायदा 51 रुपये या 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 67,598 रुपये प्रति किलो पर कारोबार करता हुआ देखा गया है. शुक्रवार को सोना और चांदी का वायदा भाव क्रमश: 47,147 रुपये प्रति 10 ग्राम और 68,417 रुपये प्रति किलोग्राम था.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने – चांदी के रेट

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते 6 फीसदी की गिरावट दर्ज करने के बाद सोमवार को सोने की कीमतों में तेजी आई.

अमेरिकी सोना वायदा 0.3 फीसदी की तेजी के साथ 1,774.7 डॉलर प्रति औंस हो गया, जबकि हाजिर सोना 0330 जीएमटी की तेजी के साथ 0.7 फीसदी की तेजी के साथ 1,775.96 डॉलर प्रति औंस हो गया.

मार्च 2020 के बाद से, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपनी मौद्रिक नीति में जल्द से जल्द कसने की ओर इशारा करने के बाद, पिछले सप्ताह सोने ने अपना सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन देखा. इस बीच, अमेरिकी डॉलर सोमवार को अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले बहु-महीने के शिखर के पास रहा.

रिजर्व बैंक और महंगाई

रिजर्व बैंक और महंगाई

रिजर्व बैंक द्वारा पिछले तीन महीनों के दौरान तीन बार अन्तर्बैंकिंग ऋणों पर ब्याज दरें बढ़ाने के फैसले से ही स्पष्ट है कि देश में बढ़ती महंगाई का खतरा मुंह बाये खड़ा है। फिलहाल भारत में थोक मूल्य सूचकांक में 7 प्रतिशत के लगभग की वृद्धि दर्ज है मगर खुदरा स्तर पर पहुंचते-पहुंचते यह 14 प्रतिशत से भी ऊपर तक हो जाती है जिससे आम जनता की तकलीफें बहुत बढ़ जाती हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकान्त दास को इस हकीकत का एहसास है जिसकी वजह से वह महंगाई का मुकाबला करने के लिए मौद्रिक मोर्चे पर उपाय कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि वह बाजार में रोकड़ा की उपलब्धता ‘कसना’ और महंगी बनाना चाहते हैं जिससे महंगाई पर लगाम लग सके। रिजर्व बैंक की ब्याज दर बढ़ कर अब 5.4 प्रतिशत हो गई है जिसका सीधा असर व्यावसायिक व वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिये जाने वाले कर्जों की ब्याज दरों पर पड़ेगा अर्थात बैंकों से ऋण लेना अब पहले की अपेक्षा महंगा होगा। बैंक जब स्वयं ही रिजर्व बैंक से 5.4 प्रतिशत की दर से ऋण लेंगे तो आगे ग्राहकों को भी बढ़ी हुई दरों पर देंगे परन्तु अपने यहां जमा धन पर भी उन्हें ब्याज दर में आनुपातिक वृद्धि करनी होगी। किसी भी बैंक का मुनाफा और घाटा इस बात पर निर्भर करता है कि वह ब्याज की किस दर पर कर्जा देता है और किस दर पर अपने यहां जमा धन पर ब्याज देता है। इसे तकनीकी वित्तीय भाषा में ‘स्प्रेड’ कहा जाता है। इसके बाद बैंक के खर्चे आते हैं जो कर्मचारियों की तनख्वाहों व रख रखाव के होते हैं। ( यहां जड़ सम्पत्तियों अर्थात नान परफार्मिंग एसेट्स का जिक्र नहीं हो रहा है)। अतः बहुत स्पष्ट है कि जब बैंकों से कर्जा महंगा मिलेगा तो बाजार में रोकड़ा की उपलब्धता कम होगी जिसकी वजह से खुले बाजार में माल की आवक बदस्तूर समुचित रहने से उनके दामों में वृद्धि नहीं होगी। मौद्रिक मोर्चे पर महंगाई थामने के उपाय करने का अर्थ यही होता है। लेकिन जब थोक बाजार में किसी वस्तु के भाव में मसलन एक रुपये की वृद्धि होती है तो खुदरा बाजार तक पहुंचते-पहुंचते यह औसतन तीन रुपये तक हो जाती है। जिसकी वजह दुकानदारों का मुनाफा व परिवहन माल ढुलाई आदि का खर्चा होता है। यही वृद्धि सामान्य उपभोक्ता को मार डालती है और वह महंगाई का दर्द महसूस करने लगता है। लेकिन इससे निपटने के उपाय भी सरकार के पास होते हैं जिसे ‘बाजार हस्तक्षेपनीति’ कहा जाता है। इसके तहत सरकार स्वयं बाजार में अपनी विभिन्न विपणन एजेंसियों की मार्फत व्यापारी बन कर उतरती है और सीधे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर उपभोक्ता सामग्री सुलभ कराती है। परन्तु बाजार मूलक अर्थव्यवस्था के दौर में यह नीति प्रायः छूट सी गई है । इसके बहुत से कारण हैं जिनका खुलासा सीमित शब्दों में किया जाना संभव नहीं है। फिलहाल यह मान कर चला जाना चाहिए कि सरकार बाजार में हस्तक्षेप नहीं करेगी और विविध बाजार मूलक उपायों से महंगाई को नियन्त्रित करने का प्रयास करेगी जिनमें से एक उपाय यही है जो रिजर्व बैंक ने किया है। यहां यह बताना आवश्यक है कि नकद फसलों ( कैश क्राप्स) जैसे सब्जी आदि की महंगाई कोई महंगाई नहीं होती है जबकि सबसे ज्यादा रोना इन्हीं का रोया जाता है। इससे भी ज्यादा दुखद यह है कि देश के लगभग सभी राजनैतिक दलों के छोटे से लेकर बड़े नेता सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए आम जनता का ध्यान भी इन्हीं चीजों की तरफ केन्द्रित करने के प्रयास करते हैं। कैश क्राप्स की कीमत प्रतिदिन सब्जी मंडियों में आने वाली सब्जी की आवक पर निर्भर करती है जिसका सीधा सम्बन्ध किसान से होता है। किसान के खेत में जितनी उपज होती है वह दैनिक आधार पर मंडी में ले आता है और उस उपज को देखते हुए उस सब्जी या फल के दाम नियत हो जाते हैं। यहां से माल खुदरा बाजार में जाता है और प्रत्येक खुदरा कारोबारी के लाभ के अनुसार उसके दाम बढ़ते जाते हैं। लेकिन असली महंगाई स्थायी उपजों जैसे गेहूं, आटा, चावल, दाल, चीनी, तेल, गुड़ , मसालों, दूध, दही, घी आदि की होती है। उत्तर भारत के गांवों में एक कहावत बहुत प्र​चलित हुआ करती थी कि यदि ‘गेहूं महंगा तो सब महंगा’। मगर यह संरक्षणात्मक अर्थव्यवस्था के दौर की कहानी है। पिछले तीन दशकों में भारत बहुत बदला है और इसकी अर्थव्यवस्था के मूल मानकों में भारी परिवर्तन आया है। सेवा क्षेत्र का हिस्सा सकल विकास उत्पाद में लगातार बढ़ रहा है। औद्योगिक व उत्पादन क्षेत्र का अंश भी बढ़ रहा है। अतः हमें लोहों से लेकर सीमेंट व अन्य धातुओं के साथ औषधि क्षेत्र व घरेलू टिकाई उपकरणों ( बिजली उत्पादों समेत) के उत्पादों की महंगाई की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। इन सभी उत्पादों की कीमत बढ़ने का सीधा असर उपभोक्ता सामग्रियों पर पड़ता है। अर्थात अब अर्थव्यवस्था के समीकरण बदलने लगे हैं। भविष्य में यह चलन और गहरा होगा क्योंकि भारत तरक्की की राह पर चल रहा है और डिजिटल दौर में प्रवेश कर चुका है। अब जाकर हमें अपनी अर्थव्यवस्था के आधारभूत मानकों की तरफ देखना होगा जिनकी वजह से महंगाई पर लगाम कसे जाने की संभावनाएं पैदा होंगी। औद्योगिक उत्पादन से लेकर यदि टिकाऊ घरेलू उपभोक्ता सामग्री का उत्पादन बढ़ रहा है तो हमें ज्यादा फिक्र करने की जरूरत नहीं है और यदि सेवा (पर्यटन समेत) क्षेत्र सोने के दाम किसपर निर्भर में भी वृद्धि हो रही है तो सोने पर सुहागा। ये दोनों कारक आय में वृद्धि और उसके वितरण के वाहक होते हैं। बाजार मूलक अर्थव्यवस्था को मोटे तौर पर इससे भी समझा जा सकता है। परन्तु गैस सिलेंडर से लेकर पेट्रोल व डीजल के दाम इस बात पर निर्भर करते हैं कि सरकारें इनके मूल दामों में किस हद तक उत्पादन शुल्क या बिक्रीकर ( वैट) के मामले में समझौता करने को तैयार होती हैं। मगर यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकारों की आमदनी अन्य उत्पादनशील मदों से किस हद तक होती है। पूरा आर्थिक चित्र देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि अगले साल के शुरू तक महंगाई का चक्र उल्टा घूमना शुरू हो जाना चाहिए जैसी कि रिजर्व बैंक के गवर्नर की अपेक्षा है। मगर फिलहाल के लिए कुछ न किया जाये तो बेहतर होगा।

सोने के दाम किसपर निर्भर

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वायु में ध्वनि तरंग की चाल .

Updated On: 27-06-2022

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ताप पर निर्भर नहीं करती है दाब के साथ बढ़ती है आर्द्रता में वृद्धि के साथ बढ़ती है आर्द्रता में वृद्धि के साथ घटती है।

Solution : वायु में ध्वनि तरंग की चाल आर्द्रता में वृद्धि के साथ बढ़ती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नमी की उपस्थिति वायु के घनत्व को घटाती है।

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Aap ko kya acha nahi laga

इस प्रश्न से कहा गया कि वायु में ध्वनि तरंग की चाल फिल्म में यह बताना है कि इसमें से कौन सा विकल्प सही है कौन सा नहीं है तो हमें बताना तो आप पर निर्भर नहीं करती है तो हमारा गलत है सोने की से की ध्वनि की चाल का हमारे सूत्र क्या होता है वही नगर में ध्वनि की चाल निकालनी थी इसके लिए हमारा जो सूट होता है वह तभी बराबर वह बुला के काम आती बटे यहां पर मारा था डीजे के गाना क्या तू गामा मारा रुद्धोष्म नेताओं के जो भी हमारी भाई होगी उस पर दोष नितांत जो होगा वही हमारा गामा गामा दोस्त नियतांक ठीक है कि हमारा गांव है जो भी दाग मारा काहे का वायुमंडल का दाब जिस स्थान पर में धोनी ने आप में ध्वनि का वेग नापने उसी स्थान पर मारा दाम कितना है वह हमारा पीस होता है डी के डी वाई का घनत्व वाइफ का गाना

Dhanteras 2020: कैसे तय होती है सोने के गहनों की कीमत, ज्वेलर के पास जाने से पहले आपके लिए जानना जरूरी

Dhanteras 2020: कैसे तय होती है सोने के गहनों की कीमत, ज्वेलर के पास जाने से पहले आपके लिए जानना जरूरी

Dhanteras 2020: सबसे शुद्ध सोना 24 कैरट का होता है लेकिन इससे कोई गहना नहीं बनता है. (Image-Reuters)

How Gold Price is Calculated: धनतेरस का मौका है. इस दिन बहुत से लोग सोना खरीदते हैं. हालांकि सोने की कीमत को लेकर उन्हें भी उलझन होती है कि हर जगह समान वजन के गहने की कीमत हर जगह अलग क्यों होती है. जैसे कि आपने 10 ग्राम का कोई आभूषण पसंद किया और इसे लेकर कई बाजार में भाव पता किए तो उनके अलग-अलग भाव मिले. ऐसे में आपको यह जरूर जानना चाहिए कि आखिर इनके भाव कैसे तय होते हैं क्योंकि जब आप किसी विपरीत परिस्थिति सोने के दाम किसपर निर्भर में इसे बेचने जा रहे हैं तो इसका दाम कितना मिलेगा, इसका आकलन कर सकेंगे. इस के आधार पर आप सही फैसला ले सकेंगे.

सोने के भाव से ही नहीं तय होती कीमत

ज्वेलरी की कीमत सिर्फ सोने के भाव से नहीं तय होती है बल्कि इसमें और भी फैक्टर काम करते हैं. इसे लेकर फाइनेंसियल एक्सप्रेस ने मूथा ज्वैलर्स के विनोद मूथा से बातचीत किया. उन्होंने इसकी जानकारी दी कि वे किस तरह से इन गहनों की कीमत तय करते हैं.

  • मान लीजिए कि आपको कोई सोने की चेन पसंद आई. उसका वजन मान लेते हैं कि 12 ग्राम है.
  • उस गहने में कितनी शुद्धता का सोना लगा है, इसके आधार पर उस सोने का भाव लगाया जाता है. सबसे सोने के दाम किसपर निर्भर शुद्ध सोना 24 कैरट का होता है लेकिन इसके गहने नहीं बनते है. इसलिए मान लेते हैं कि आपने जो चेन पसंद की है, उसमें 22 कैरट का सोना लगा है.
  • 22 कैरट सोने का भाव 51500 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास है.
  • अब आपने जो चेन पसंद की है, उसका मूल्य निकालते हैं. वह करीब 61,800 रुपये का होगा.
  • इसके बाद इस चेन को बनाने में कितनी सोने के दाम किसपर निर्भर मेहनत लगी, इसका चार्ज जोड़ते हैं. यह निर्भर करता है कि इसका डिजाइन कैसा है. यह 2 फीसदी से लेकर 20 फीसदी तक हो सकता है. मान लेते हैं कि आपने जो चेन पसंद की है, उसकी डिजाइन पर मेकिंग चार्ज 10 फीसदी बैठ रहा है तो अब चेन का मूल्य 67,980 (61,800+61,800*10%) हो गया. एक बात और, मेकिंग चार्ज को लेकर सरकार की तरफ से कोई दिशा-निर्देश नहीं जारी सोने के दाम किसपर निर्भर किया गया है, सुनार अपनी लागत के हिसाब से इसे तय करते हैं.
  • इसके बाद इस पर जीएसटी भी देनी होगी जो 3 फीसदी है. इसका मतलब आपको 12 ग्राम की पसंदीदा चेन के लिए करीब 70109.4 रुपये (67,980*3 %) का भुगतान करना होगा.

नग वाले गहने खरीदते समय रखें ध्यान

जब आप सोने के ऐसे गहने खरीदते हैं जिसमें नग लगे हैं तो उसे खरीदने में सावधानी बरतनी चाहिए. इसकी सोने के दाम किसपर निर्भर सबसे बड़ी वजह यह है कि नग का भाव भी सोने के बराबर देना पड़ता है. हालांकि जब अपने गहने को सुनार के पास वापस बेचने जाएंगे तो नग को निकालकर बाकी सोने का भाव लगाया जाता है.

किसी आर्थिक संकट के दौरान अगर आप अपने गहने को वापस सुनार को बेचते हैं तो आपको उतनी ही राशि नहीं मिलती है. आपको सोने का 30-40 फीसदी काटकर पैसा मिलता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सुनार उस गहने को किसी और गहने के रूप में बनाने के मेकिंग चार्ज के तौर पर आपसे शुल्क लेता है.

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