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वायदा बाजार हमें क्या बताता है

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सरकार का हस्तक्षेप से इंकार। क्या और बढ़ेंगे गेहूं के भाव ? देखें गेहूं की सटीक रिपोर्ट

किसान साथियो जिन किसान भाइयों के पास गेहूं का स्टॉक पड़ा हुआ है उनकी इस बार चांदी चल रही है। नवंबर महीने में बाजार में गेहूं की आवक 13 वर्षों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। इसके बावजूद भी गेहूं के बढ़ते भाव फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब चर्चा यह चल रही है कि गेहूं के भाव जल्दी ही 3000 रुपये प्रति क्विंटल के पार हो सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम गेहूं के भाव को लेकर बन रही संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। WhatsApp पे भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

क्या है माहौल
किसान साथियो नवंबर महीने के दौरान बाजार में गेहूं की कीमतें 8 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं, जबकि आटा मिल वाले 1 नवंबर से ही वायदा बाजार हमें क्या बताता है 10 प्रतिशत ज्यादा भुगतान कर रहे हैं। एग्रीनेट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2009 में गेहूं की आवक लगभग 8.27 लाख टन हुई थी। साल 2022 की नवंबर की आवक नजदीक 7.48 लाख टन पर पहुंच चुकी है। एग्रीनेट के आंकड़े बताते हैं कि देश की अलग अलग मंडियों में गेहूं की मौजूदा कीमतें 2,538 रू प्रति क्विंटल चल रहीं हैं, जबकि 19 अक्टूबर को यही कीमतें 2,349 रूपए प्रति क्विंटल थीं। नवंबर महीने की दैनिक आवक लगभग 30,000 टन हो रही है। मध्य प्रदेश में भी गेहूं के भाव 2800 तक पहुंच चुके हैं जबकि सरबती गेहूं 3300 के उपर चल रहा है। महाराष्ट्र में पहले ही गेहूं 3000 रुपये प्रति क्विंटल के पार जा चुका है। राजस्थान की बात करें तो बारां मंडी में गेहूं के भाव 2700 तक जा चुके हैं। कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री से मिली जानकारी के अनुसार गेहूं के थोक व खुदरा मूल्य क्रमशः 2,831.92 रूपए प्रति क्विंटल तथा 31.61 रूपए प्रति किलो चल रहे हैं। जोकि बीते महीने की तुलना क्रमश: 5.13 प्रतिशत व 3.54 प्रतिशत ज्यादा हैं। कुछ व्यापारियों का कहना है कि आवक को देखकर पता चलता है कि कुछ लोग गेहूं का स्टॉक कर रहे हैं जिस पर सरकार को लगाम लगाने के उपाय करने चाहिए। बासमती धान वायदा बाजार हमें क्या बताता है के ताजा भाव | Basmati Paddy Rate Today 26 November 2022

दिल्ली लॉरेंस रोड पर आटा मिलर्स का कहना है कि अक्टूबर के शुरू में उन्होंने गेहूं 2,750 प्रति क्विंटल के भाव में खरीदा था, जोकि अब 3,000 रूपए के उपर पहुंच गया है। एक अन्य मिलर का कहना है कि यदि सरकार ने तुरंत कोई कदम नहीं उठाया तो दिसंबर में हालात बेकाबू हो सकते हैं।

सरकार का हस्तक्षेप से इंकार
खाद्य सचिव के बयान के मुताबिक अभी गेहूं के बाजार में हस्तक्षेप करने की सरकार की कोई मंशा दिखाई नहीं देती। खासकर गेहूं के लिए ओएमएसएस के बारे में सचिव ने कहा कि अभी सरकार स्थिति को देख रही है और अब तक इसके बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है। हालांकि उम्मीद की जा रहा है कि राज्यों के चुनावों के चलते अनाज वितरण जारी रहेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार की यह बिक्री नीति है कि जून के बाद सामान्यतया खुले बाजार में ओएमएसएस (OMSS) के माध्यम से रोलर फ्लोर मिल आटा चक्कियों को सस्ता गेहूं मुहैया कराया जाता है, लेकिन इस बार सरकारी अनुमान के मुताबिक केंद्रीय पूल में बफर स्टॉक पर्याप्त होने के बावजूद भी खुले बाजार में नहीं बेचा जा रहा है। इस बात से संदेह हो रहा है कि सरकारी रिकॉर्ड के अनुरूप केंद्रीय पूल वायदा बाजार हमें क्या बताता है में गेहूं का स्टॉक वास्तविकता में नहीं है। यही कारण है कि लॉरेंस रोड पर मिल व चक्की पहुंच के भाव 2885/2895 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। देखें आज के गेहूं/कनक के लाइव रेट wheat kanak gehu Live Rate Today 25 Novenber 2022

दूसरी और व्यापारियों का कहना है कि बाजार में सरकारी गेहूं आने के बाद भी बाजार में बड़ी मंदी नजर नहीं आ रही है। क्योंकि नए गेहूं की आवक में अभी करीब तीन-साढ़े तीन महीने का समय बाकी है और सरकार के पास भी पर्याप्त गेहूं का स्टाक नहीं है।

विदेशी बाजारों से क्या है खबर
व्यापारिक सूत्रों की मानें तो रूस में गेहूं के भारी स्टॉक को देखते हुए सरकार वहां से गेहूं का आयात कर सकती थी, लेकिन अब देर हो चुकी है। अब वहां से कोई डील जनवरी के बाद ही हो सकती है, लेकिन तबतक नई फसल तैयार होने का समय हो जायेगा जिससे किसानों को मिलने वाली कीमत पर असर पड़ेगा। इसलिए आयात की संभावना कम है। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड( )फॉर डिलीवरी इन दिसंबर से मिली जानकारी के अनुसार घरेलू कीमतें वहां से ज्यादा चल रहीं हैं, जबकि इंटरनेशनल ग्रेन्स कॉउन्सिल के मुताबिक यूरोपियन गेहूं हाजिर व्यापार में काफी कॉम्पिटिटिव है। यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर निर्यात की मांग को देखते हुए देश में गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2015 रूपए प्रति क्विंटल से अधिक जा रहीं हैं। दरअसल, युद्ध को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की आपूर्ति घटने से मार्च के महीने में निर्यात की मांग बढ़ गई। निर्यात की मांग बढ़ने से प्राइवेट व्यापरियों ने काफी गेहूं खरीद लिया किसके कारण इस सीजन में सरकारी खरीद पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा है। धान रखा हुआ है तो ये रिपोर्ट देखना जरूरी है, धान के किसानों के लिए जरुरी रिपोर्ट

रोके या बेचें
किसान साथियो नया गेहूं आने में अभी लंबा समय बाकी है, इसलिए यदि सरकार ने खुले बाजार में बफर स्टॉक से गेहूं बेचना शुरू नहीं किया तो मंडियों में भी गेहूं के भाव 3000 के पार हो सकते हैं। हालांकि सरकारी हस्तक्षेप की ख़बरों के चलते मार्किट पिछले 2 दिन में 30-40 रूपए तक गिरा है लेकिन अब सरकार ने फिलहाल इसे टाल दिया है जिसके बाद बाजार थोड़े और सम्भल सकते हैं। इस तेजी में जिन किसान साथियों को माल निकालना है वे यहां पर अपना माल निकाल सकते हैं।

सोना वायदा कीमतों में गिरावट

सोना वायदा कीमतों में गिरावट

बीते कुछ दिनों से तेजी का रुख दिखा रहे सोने ने आज खरीदारों को राहत दी है . कमजोर अंतरराष्ट्रीय रुख के बीच राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में बृहस्पतिवार को सोना सस्ता हो गया . आज के कारोबार में सोना 161 रुपये की गिरावट के साथ 53,235 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया . इससे पिछले व्यवसायी सत्र में सोना 53,396 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था .

चांदी भी टूटी

चांदी की मूल्य भी 1,111 रुपये की गिरावट के साथ 61,958 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई . अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोना गिरावट के साथ 1,770.05 $ प्रति औंस रह गया जबकि चांदी हानि के साथ 21.32 $ प्रति औंस रह गई .

क्यों आई गिरावट ?

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशल सर्विसेज में जिंस अध्ययन विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवनीत दमानी ने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक चिंताओं के कम होने से सुरक्षित-निवेश के रूप में सर्राफा की मांग प्रभावित होने तथा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आनें वाले महीनों में ब्याज रेट के संदर्भ में आक्रामक रवैया नरम करने की आशा के कारण सोने में गिरावट आई . ’’ एचडीएफसी सिक्योरिटीज में अध्ययन विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘अपेक्षा से बेहतर आर्थिक आंकड़ों के बाद अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि के बाद कॉमेक्स में सोने की मूल्य में गिरावट आई .

सोना वायदा कीमतों में गिरावट

कमजोर हाजिर मांग के बीच सटोरियों द्वारा अपने सौदों का आकार घटाने से बृहस्पतिवार को वायदा कारोबार में सोने का रेट 102 रुपये की गिरावट के साथ 52,960 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया . मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में सोने का दिसंबर आपूर्ति वाला अनुबंध 102 रुपये या 0.19 फीसदी की गिरावट के साथ 52,960 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था . इसमें 6,290 लॉट के लिये कारोबार हुआ . बाजार विश्लेषकों ने बोला कि कारोबारियों द्वारा अपने सौदों की कटान करने से सोना वायदा कीमतों में गिरावट आई . अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यूयॉर्क में सोना 0.19 फीसदी की गिरावट के साथ 1,772.40 $ प्रति औंस रह गया .

चांदी वायदा रेट में गिरावट

कमजोर हाजिर मांग के कारण कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को घटाया जिससे वायदा कारोबार में बृहस्पतिवार को चांदी की मूल्य 283 रुपये गिरावट के साथ 61,714 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई . मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में चांदी का दिसंबर डिलिवरी का रेट 283 रुपये यानी 0.46 फीसदी की गिरावट के साथ 61,714 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया . इसमें 13,390 लॉट का कारोबार हुआ . अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यूयॉर्क में चांदी 1.13 फीसदी की गिरावट के साथ 21.28 $ प्रति औंस रह गया .

वायदा बाजार हमें क्या बताता है

घरेलू वायदा बाजार में 57000 रुपये किलो हुई चांदी, रिकॉर्ड स्तर पर सोना

घरेलू वायदा बाजार में 57000 रुपये किलो हुई चांदी, रिकॉर्ड स्तर पर सोना

Newspoint24.com/newsdesk/

मुंबई | वैश्विक बाजार में सोने और चांदी में मंगलवार को आई तेजी से घरेलू बाजार में भी महंगी धातुओं के दाम में जबरदस्त उछाल आया। खासतौर से चांदी का भाव घरेलू वायदा बाजार में 2013 के बाद पहली बार 57,000 रुपये प्रति किलो के पार चला गया। वहीं, सोने ने फिर एक नई उंचाई बनाई। एमएसीएक्स पर सोने का भाव 49576 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है। चांदी के दाम में जोरदार छह फीसदी से ज्यादा की एक दिनी तेजी आई है। चांदी भारतीय वायदा बाजार में 2013 के बाद के ऊंचे स्तर पर है जबकि अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर 2016 के बाद के ऊंचे स्तर पर।

कमोडिटी बाजार विश्लेषक बताते हैं कि डॉलर के कमजोर होने से सोने और चांदी में निवेशकों का रुझान बढ़ा है। कोरोना काल में महंगी धातुओं में निवेश के प्रति बढ़ती लोगों की दिलचस्पी से सोना और चांदी में लगातार तेजी देखी जा रही है। खासतौर से चांदी की चमक कोरोना काल में ज्यादा बढ़ी है।

चांदी न सिर्फ कीमती धातु है बल्कि यह एक औद्योगिक धातु भी है और इसका उपयोग आभूषण के साथ-साथ उद्योग वायदा बाजार हमें क्या बताता है में भी होता है। चांदी का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स और फोटोग्राफी के अलावा कई अन्य सेक्टरों के उद्योगों में भी होता है।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर चांदी के सितंबर एक्सपायरी अनुबंध में में बीते सत्र के मुकाबले 2935 रुपये यानी 5.43 फीसदी की तेजी के साथ 56,940 रुपये प्रति किलो पर कारोबार कर रहा था जबकि इससे पहले कारोबार के दौरान चांदी का भाव एमएसीएक्स पर 57,454 रुपये प्रति किलो तक उछला जोकि 2013 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।

एमसीएक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 437 रुपये यानी 0.89 फीसदी की तेजी के साथ 49,464 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव एमसीएक्स पर वायदा बाजार हमें क्या बताता है 49,576 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है।

उधर, अंतर्राष्ट्रीय बाजार कॉमेक्स में चांदी के सितंबर वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 1.25 डॉलर यानी 6.19 फीसदी की तेजी के साथ 21.442 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि कारोबार के दौरान कॉमेक्स पर चांदी का भाव 21.628 डॉलर प्रति औंस तक उछला, जोकि 2016 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।

कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 24.15 डॉलर यानी 1.33 फीसदी की तेजी के साथ 1841.55 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव कारोबार के दौरान 1843.60 डॉलर प्रति औंस तक उछला।

केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इससे निपटने के लिए राहत के उपायों की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है जिससे निवेश के सुरक्षित साधन के तौर पर सोने और चांदी को सपोर्ट मिल रहा है। उन्होंने कहा कि डॉलर में आई कमजोरी से भी महंगी धातुओं के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ा है।

बाजार के जानकार बताते हैं कि अमेरिकी वायदा बाजार हमें क्या बताता है केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए डॉलर डालने का सिलसिला लगातार जारी है जिससे निवेशकों का रुझान हार्ड एसेट्स व निवेश के सुरक्षित साधन की तरफ है जिनमें चांदी इस समय सबसे अधिक आकर्षक निवेश का साधन बन गई है। उधर, कोरोना वायदा बाजार हमें क्या बताता है के कारण मिल रही आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए यूरोप में राहत पैकेज पर सहमति से भी कीमती धातुओं को सपोर्ट मिलेगा।

कमोडिटी बाजार विश्लेषक अनुज गुप्ता ने कहा कि चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ने की संभावनाओं से इसकी कीमतों में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि ईटीएफ की खरीदारी बढ़ने से भी चांदी को सपोर्ट मिला है।

PPF Account: खाताधारक की मृत्यु के बाद किसे मिलता है पैसा और क्या कहते हैं नियम, जानें पूरी डिटेल

PPF vs ELSS

PPF Account: अगर आपको अपना भविष्य सही रखना है तो कहीं ना कहीं पैसों का निवेश करना जरूरी होता है. अपने रेगुलर खर्चों को किनारे करके हम सभी को मासिक इनकम का कुछ ना कुछ हिस्सा कहीं ना कहीं निवेश करना चाहिए. इसके लिए PPF में निवेश करना अच्छा रिटर्न देता है.

पीपीएफ अकाउंट खोलने के बाद अपनी कमाई का कुछ हिस्सा हर महीने निवेश करने से आपका भविष्य सिक्योर हो सकता है. नौकरी करने वाले लोग पीपीएफ में ही निवेश करते हैं जिससे खाताधारक को मैच्योरिटी के बाद अच्छा रिटर्न मिल सके. मगर सवाल ये है कि पीपीएफ खाताधारक की मृत्यु के बाद उस पैसे का क्या होता है? तो चलिए आपको इसकी पूरी डिटेल्स बताते हैं.

PPF Account से जुड़े नियम

नॉमिनी को मिलेगा पैसा

पीपीएफ में किसी भी योजना की मैच्योरिटी की अवधि 15 साल की होती है. PPF Account मैच्योरिटी से पहले भी बंद हो सकता है. पीपीएफ खाताधारक को स्वास्थ्य और एजुकेशन जैसी इमरजेंसी पर पैसा निकालने की परमिशन देता है. अगर खाता NRI का है तो पीपीएफ खाता खुलने की तारीख से कम से कम 5 साल पूरे होने तक बंद करवाया जा सकता है. मगर इसमें 1 प्रतिशत ब्याज भी कट जाता है. अगर पीपीएफ खाताधारक का मैच्योरिटी के पहले ही निधन हो जाता है तो पैसा नॉमिनी को मिल सकता है.

कैसे होता है क्‍लेम सेटेलमेंट?

नियम के अनुसार, डेथ क्‍लेम का सेटेलमेंट कई आधार पर किया जा सकता है. अगर क्लेम की राशि वायदा बाजार हमें क्या बताता है पांच लाख रुपये तक है, तो सेटलमेंट नॉमिनेशन, कानूनी सबूत या बिना कानूनी प्रूफ के संबंधित अथॉरिटी के विवेक के आधार पर किया जा सकता है. लेकिन पांच लाख रुपये से अधिक की रकम के लिए कानूनी प्रूफ लगाने की जरूरत पड़ती है. अगर नॉमिनी के पास प्रूफ मौजूद नहीं है, तो इस स्थिति में कोर्ट से सक्‍सेशन सर्टिफिकेट प्रस्‍तुत करना होता है.

PPF Account में मिलता है इतना रिटर्न

इसके लिए 15 साल वायदा बाजार हमें क्या बताता है पूरे करने का कोई नियम नहीं लगता है. पीपीएफ पर ब्याज दरों को सरकार ही तय करती है. जो तिमाही के आधार पर ही वायदा बाजार हमें क्या बताता है मिलता है. फिलहाल इस पर 7.1 प्रतिशत की ब्याद दर चल रही है. ये ब्याज चक्रवृद्धि ब्याज ही होता है जिसे निवेश करने वालों को इसका फायदा मिलता है. फिर भी अगर आप 15 सालों के बाद पैसा निकालते हैं तो आपको रिटर्न और भी अच्छा मिलता है.

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