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ग्राफ प्रकार

ग्राफ प्रकार
ग्राफ़ विश्लेषण में कच्चे डेटा और सटीक संख्याओं दोनों का उपयोग करते हुए उनके उपयोग को अधिक पाते हैं।

Biology Handwritten Notes (जीवविज्ञान) By Nitin Sir

वान – डी ग्राफ जनरेटर क्या होता है ? इसका सिद्धांत | कार्यविधि | उपयोग

आज किस इस टॉपिक में एक ऐसे डिवाइस के बारे में पड़ने जा रहे है जिसका उपयोग फिजिक्स वर्ल्ड में बहुत ज्यादा किया जाता है | जो है वान – डी ग्राफ जनरेटर जब भी कही पर उच्च विभवान्तर जनरेट करने की जरुरत पड़ती है तो इस डिवाइस का उपयोग किया जाता है | इसका नाम है वान – डी ग्राफ जनरेटर तो आज हम इसी के बारे में पड़ेंगे की यह क्या होता है | किस प्रकार इसको बनाया जाता है | इसकी कार्यविधि क्या होती है तथा इसका किस प्रकार इसका उपयोग कहा कहा पर किया जाता है | इन सभी बातो को हम एक एक करके समझेंगे | तो सबसे पहले हम यह जानते है की ये क्या होता है किस प्रकार बना होता है –

सन 1931 में अमेरिका के वान – डी ग्राफ नाम के एक वैज्ञानिक ने एक ऐसे डिवाइस की खोज की जिसका उपयोग करके उच्च विभवान्तर को उत्त्पन्न किया जा सकता है और इसका मान लगभग 10 मिलियन वोल्ट के बराबर होता है इस मान तक के वोल्टेज को वान – डी ग्राफ जनरेटर की सहायता से उत्त्पन्न किया जा सकता है | वैज्ञानिक वान – डी ग्राफ के नाम पर ही इस डिवाइस को वान – डी ग्राफ जनरेटर के नाम से जाना जाता है |

वान – डी ग्राफ जनरेटर की सरचना

अब हम बात करते है वान – डी ग्राफ जनरेटर की सरचना किस प्रकार की होती है | इसके अन्दर बैल्ट सिस्टम का उपयोग होता है जो की बहुत ही साधारण सरचना होती है जिसमे निचले रोलर को किसी मोटर या किसी अन्य विधि का उपयोग करके घुमाया जाता है | तथा अन्य उपकरण का उपयोग भी किया जाता है जैसे की इसको बनाने के लिए धातु ( Metal ) का कोई एक खोखला गोला लिया जाता है जिसका व्यास लगभग 5 मीटर होता है | इस खोखले गोले को दो स्तम्भ जिनको P1 तथा P2 कहते है तथा इनकी लम्बाई लगभग 15 मीटर होती है के ऊपर रख दिया जाता है |

इसमें दो कंघियो का उपयोग किया जाता है जिन्हें C1 तथा C2 नाम दिया जाता है जो की धातु की बनी होती है | जिनमे से C1 को फुहार कंघी के नाम से जाना जाता है था C2 को संग्राहक कंघी कहा जाता है | जिनमे से जो कंघी C1 होती है हाई वोल्टेज की बैटरी से जोड़ा जाता है तथा C2 को धातु के गोले के अन्दर ग्राफ प्रकार जोड़ा जाता है |

वान – डी ग्राफ जनरेटर का सिद्धांत

जब हम वान – डी ग्राफ जनरेटर के सिद्धांत के बारे में बात करते है तो हमें पता चलता है की इसका सिद्धांत मुख्य रूप से दो बातो पर निर्भर करता है पहला यह की किसी भी वैद्युत चालक के द्वारा वायु में वैद्युत विसर्जन उसके नुकीले सिरों के द्वारा ही होता है अर्थात किसी चालक चालक के नुकीले सिरे पर आवेश का पृष्ठ घनत्व सबसे अधिक होता है | जब भी हवा इस नुकीले सिरे के संपर्क में आति है तो यह हवा आवेशित होती है और यह आवेशित हवा इस अधिक आवेश के पृष्ठ घनत्व वाले सिरे से दूर हटने लगती है |

तथा दूसरा यह की अगर किसी धातु से बने हुए खोखले को आवेश दिया जाए तो इसको दिया गया सभी धनावेश इस धातु से बने खोखले गोले के बाहरी पृष्ठ पर एक सामान रूप से वितरित हो जाता है | इस प्रकार इन दोनों बिन्दुओ के आधार पर ही इसका सिद्धांत होता है और कार्य करता करता है तथा उच्च विभवान्तर उत्पन्न करता है | तो अब हम इसकी कार्यविधि समझेंगे जिसमे हम देखेंगे की इस सिद्धांत का उपयोग करके किस प्रकार यह इस विभवान्तर को जनरेट करता है जिसका मान लगभग 10 मिलियन वोल्ट के बराबर होता है |

वान – डी ग्राफ जनरेटर की कार्यविधि

अब हम वान – डी ग्राफ जनरेटर ग्राफ प्रकार की कार्यविधि को समझते है की जब एक बार पूरा डिवाइस बनकर तैयार हो जाता है तो किस प्रकार इसकी कार्यविधि होती है अर्थात किस प्रकार यह आवेश को जनरेट करता है | जैसा की हमने इसकी सरचना में देखा की कंघी C1 को हाई वोल्टेज यानि की लगभग 10000 वोल्ट से कनेक्ट किया जाता है जिससे की C1 पर आयन ग्राफ प्रकार उत्त्पन्न होते है | ये आयन प्रतिकर्षण बल की उपस्थिति के कारण बेल्ट पर स्थानांतरित हो जाते है | और चूँकि बेल्ट मूविंग होता है इसलिए इस पर उपस्थित ये आयन कंघी C1 से C2 पर मूव कर जाते है |

कंघी C2 संग्राहक कंघी होती है इसलिए यह इन आयन को एकत्रित करती है | तथा यह आवेश धातु के खोखले गोलेके ग्राफ प्रकार बाहरी प्रष्ठ पर चला जाता है | अब प्रिक्रिया बार बार होती ही क्यूंकि बेल्ट मूविंग होता है और यह इस आवेश को C1 से C2 तक लाता है और C2 धातु के खोखले गोले के बाहरी पृष्ठ पर पहुंचाता है ग्राफ प्रकार | इस प्रकार यह प्रिकिया बार बार होती है और गोले के बाहरी पृष्ठ पर उच्च विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है |

UPSSSC PET 2022: ग्राफ & टेबल DI से पूछे जाते हैं ये 6 प्रकार के सवाल, इन्हें करें तैयार, परीक्षा में दिलाएँगे अधिक अंक

UPSSSC PET 2022 Graph and Table DI: उत्तरप्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानि UPSSSC द्वारा इस वर्ष प्रारम्भिक अर्हता परीक्षा (PET) 15 अक्टूबर व 16 अक्टूबर 2022 को आयोजित कराई जाएगी। जल्द ही इस परीक्षा के एड्मिट कार्ड भी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कर दिये जाएंगे। चूंकि परीक्षा के लिए अब अधिक समय नहीं है, अतः अभ्यर्थियों के लिए लाभप्रद होगा कि वे इस शेष समय में अपनी परीक्षा की तैयारी को एक फ़ाइनल टच देवें।

आपको बता दें, UPSSSC PET परीक्षा में 15 अलग-अलग विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं, इन्हीं में से एक विषय है सांख्यिकी यानि डाटा इंटरप्रिटेशन। आज हम आपको डाटा इंटरप्रिटेशन के प्रश्नों के प्रकार के बारे में बताने वाले हैं, जिससे आपको परीक्षा में प्रश्नों को समझने में सरलता हो।

पहले जान लें क्या है परीक्षा का पैटर्न– UPSSSC PET Exam Pattern

किसी भी परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक आवश्यक है उस परीक्षा के परीक्षा पैटर्न को समझना। अतः अभ्यर्थी के लिए लाभप्रद होगा, कि वे परीक्षा के पैटर्न को जान लें। बता दें, आयोग द्वारा यह परीक्षा ऑफलाइन माध्यम से आयोजित कराई जाएगी। परीक्षा में अभ्यर्थियों को 02 घंटे में कुल 100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न हल करने होंगे। प्रत्येक प्रश्न पर 1 अंक निर्धारित होगा तथा परीक्षा में ¼ अंकों की नेगेटिव मार्किंग भी की जाएगी।

इस परीक्षा में 15 अलग-अलग विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं। किस विषय से कितने प्रश्न पूछे जाएंगे, इसकी जानकारी नीचे तालिका में दी गयी है-

टॉपिक का नाम प्रश्नों कि संख्या कुल निर्धारित अंक
इतिहास (प्राचीन+मध्य) 5 प्रश्न 5 अंक
इतिहास (आधुनिक)5 प्रश्न5 अंक
राजनीति 5 प्रश्न5 अंक
अर्थव्यवस्था 5 प्रश्न5 अंक
भूगोल 5 प्रश्न5 अंक
करेंट अफ़ेयर्स10 प्रश्न10 अंक
विज्ञान 5 प्रश्न5 अंक
गणित 5 प्रश्न5 अंक
सांख्यिकी (ग्राफ)10 प्रश्न10 अंक
सांख्यिकी (टेबल)10 प्रश्न10 अंक
हिन्दी 5 प्रश्न5 अंक
रीज़निंग 5 प्रश्न5 अंक
अंग्रेज़ी5 प्रश्न5 अंक
जनरल अवेयरनेस10 प्रश्न10 अंक
अपठित गद्यान्श10 प्रश्न10 अंक
कुल 100 प्रश्न100 अंक

यहाँ जानें डाटा इंटरप्रिटेशन से पूछे जाते हैं किस प्रकार के प्रश्नUPSSSC PET 2022 Graph and Table DI

UPSSSC PET में पूछे जाने वाले 15 विषयों में से एक है सांख्यिकी यानि डाटा इंटरप्रिटेशन। इस परीक्षा में डाटा इंटरप्रिटेशन (ग्राफ व टेबल दोनों) से कुल 20 प्रश्न पूछे जाते हैं। यदि अभ्यर्थी इस विषयभाग को अच्छे से तैयार कर लें, तो वे परीक्षा में अधिक अंक हासिल कर सकेंगे। आज हम आपको इस विषय से पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार के बारे में बताएँगे, जिससे अभ्यर्थियों को परीक्षा के समय प्रश्नों को समझने में कठिनाई न हो।

परीक्षा में डाटा इंटरप्रिटेशन से निम्न छः प्रकारों से प्रश्न पूछे जाते हैं-

1. Bar Graph- बार ग्राफ में ऊर्ध्वाधर अथवा क्षैतिज सलाखों (बार) के द्वारा डाटा के मान को प्रदर्शित किया जाता है। आमतौर पर ये बार समूहीकृत होते हैं। ग्राफ में बार की लंबाई प्रदर्शित डाटा की मात्रा के समानुपाती होती है, अर्थात बार का आकार जितना बड़ा होगा डाटा की मात्रा भी उतनी ही अधिक होगी।

NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 12 Geography. Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 Use of Computer In Data Processing and Mapping.

अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 (Hindi Medium) 1

प्र० 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए;

(i) निम्नलिखित आंकड़ों के प्रदर्शन के लिए आप किस प्रकार के ग्राफ का उपयोग करेंगे?
(क) रेखा
(ख) बहुदंड आलेख
(ग) वृत्त आरेख
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(ii) राज्य के अंतर्गत ज़िलों का प्रदर्शन किस प्रकार के स्थानिक आंकड़ों द्वारा होगा?
(क) बिंदु ग्राफ प्रकार
(ख) रेखाएँ।
(ग) बहुभुज
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(iii) एक वर्कशीट के सेल में दिए गए सूत्र में वह कौन-सा प्रचालक है जिसका पहले परिकलन किया जाता है|
(क) +
(ख) –
(ग्राफ प्रकार ग) /
(घ) x
(iv) एक्सेल में विजार्ड फंक्शन आपको समर्थ बनाता है|
(क) ग्राफ रचना में
(ख) गणितीय और सांख्यिकीय क्रियाओं को करने में।
(ग) मानचित्र आलेखन में
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

Excel-Difference between Graph and Chart in Hindi

आमतौर पर एक्सेल में ग्राफ और चार्ट एक दूसरे के समान होते हैं , लेकिन वे अलग-अलग होते हैं , ग्राफ ज्यादातर डेटा का एक संख्यात्मक प्रतिनिधित्व होता है क्योंकि यह संख्याओं में परिवर्तन के संबंध को दर्शाता है कि कैसे एक संख्या दूसरे को प्रभावित या बदल रही है , जबकि चार्ट दृश्य प्रतिनिधित्व है जहां श्रेणियां एक-दूसरे से संबंधित हो सकती हैं या नहीं भी हो सकती हैं , यह भी कि जानकारी कैसे प्रदर्शित होती है , ग्राफ़ और चार्ट दोनों में भिन्न होती है।

" सभी ग्राफ़ एक प्रकार के चार्ट होते हैं , लेकिन सभी चार्ट ग्राफ़ नहीं होते हैं।" यह कथन दोनों को बहुत अच्छी तरह से सारांशित करता है और स्पष्ट रूप से परिव्यय करता है कि कौन सा व्यापक है और कौन सा दूसरे का सबसेट है, तो आज की इस पोस्ट में हम ग्राफ और चार्ट के बीच के अंतर को जानेंगे.

Excel-Difference between Graph and Chart in Hindi

ग्राफ क्या है ?

ग्राफ मूल रूप से द्वि-आयामी होता है और नीचे की ओर क्षैतिज रेखा (जिसे X- अक्ष कहा जाता है) और ऊपर की ओर लंबवत रेखा ( Y- अक्ष कहा जाता है) का उपयोग करके एक रेखा , वक्र , आदि के माध्यम से डेटा के बीच संबंध दिखाता है। ग्राफ प्रकार इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार , " एक ग्राफ एक गणितीय आरेख है जो संख्याओं या मापों के दो या दो से अधिक सेटों के बीच संबंध को दर्शाता है।" एक ग्राफ उपयोगकर्ता को दृश्य प्रतिनिधित्व के माध्यम से डेटा में मूल्यों का आसान प्रतिनिधित्व प्राप्त करने की अनुमति देता है। ग्राफ दो प्रकार के होते हैं - बार ग्राफ और लाइन ग्राफ।

चार्ट डेटा के बड़े सेट का एक प्रकार का प्रतिनिधित्व है , जो उपयोगकर्ता को बेहतर तरीके से समझता है , और इसका उपयोग करके मौजूदा डेटा की भविष्यवाणी और वर्तमान डेटा पैटर्न के आधार पर भविष्य के डेटा की भविष्यवाणी करने में मदद करता है। एक चार्ट आरेख या चित्र या आलेख का रूप ले सकता है। डेटासेट को चार्ट का उपयोग करके सूचना ग्राफ प्रकार के सार्थक प्रदर्शन में बदला जा सकता है।

ग्राफ़ और चार्ट के बीच मुख्य अंतर

ग्राफ़ एक प्रकार का चार्ट है जिसका उपयोग डेटा के विभिन्न सेटों के बीच गणितीय संबंध को क्षैतिज ( X- अक्ष) और लंबवत ( Y- अक्ष) पर प्लॉट करके दिखाने के लिए किया जाता है।

एक चार्ट जानकारी का प्रतिनिधित्व करता है जो स्वयं आरेख , तालिका या ग्राफ़ के रूप में हो सकता है , और इसमें बड़ी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न विधियां शामिल हैं।

सभी ग्राफ चार्ट हैं। इसका मतलब यह है कि डेटा प्रदर्शित करने के लिए कोई भी ग्राफ़ किस प्रकार का उपयोग करता है , यह हमेशा चार्ट सबसेट का एक प्रकार होगा।

सभी चार्ट , ग्राफ़ नहीं हैं। इसका मतलब है कि अन्य प्रकार के चार्ट भी हो सकते हैं जो ग्राफ़ नहीं हैं।

ग्राफ़ का उपयोग रॉ डेटा के लिए भी किया जा सकता है और समय की अवधि में डेटा में रुझानों और परिवर्तनों का एक दृश्य प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।

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