क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार

DGFT ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘RBI के 11 जुलाई, 2022 के परिपत्र के अनुरूप पैराग्राफ 2.52 (D) को अधिसूचित किया गया है जो भारतीय रूपये में आयात-निर्यात सौदों के निपटान, बिल बनाने और भुगतान की अनुमति देता है।’’
Indian forex reserves: भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार को बड़ा झटका! 2 साल क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार के न्यूनतम स्तर पर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.238 करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी और यह घटकर 570.74 अरब डॉलर पर आ गया था।
रिजर्व बैंक के मुताबिक 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) और स्वर्ण भंडार का कम होना है। साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, सप्ताह में एफसीए 5.77 अरब डॉलर घटकर 501.216 अरब डॉलर रह गयी। इसी तरह, स्वर्ण भंडार का मूल्य 70.4 करोड़ डॉलर घटकर 39.914 अरब डॉलर रह गया।
इस सप्ताह में, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 14.6 करोड़ डॉलर घटकर 17.987 अरब डॉलर पर आ गया। वहीं, आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 5.8 करोड़ डॉलर गिरकर 4.936 अरब डॉलर रह गया।
भारत पर विदेशी मुद्रा के दबाव को कम करने के लिए RBI अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपये में भुगतान की अनुमति देता है।
सारा कुमारी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को भारतीय रुपये में निर्यात / आयात के चालान, भुगतान और निपटान के लिए एक अतिरिक्त ढांचे की घोषणा की। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपये में मूल्यवर्ग के निपटान तंत्र को मंजूरी दे दी।
केंद्रीय बैंक कुछ स्थानीय बैंकों को इस व्यापार-निपटान तंत्र को संचालित करने के लिए अधिकृत करेंगे। आरबीआई का नोट भारतीय पक्ष में ऐसे बैंकों को अधिकृत डीलर बैंक कहता है। दूसरे देश में स्थानीय बैंक आरबीआई के पैसे को अपनी स्थानीय मुद्रा में रखेगा और भारतीय पक्ष में बैंक दूसरे केंद्रीय बैंक के पैसे को रुपये में रखेगा।
ISD 4:1 के अनुपात से चलता है। हम समय, शोध, संसाधन, और श्रम (S4) से आपके लिए गुणवत्तापूर्ण कंटेंट लाते हैं। आप अखबार, DTH, OTT की तरह Subscription Pay (S1) कर उस कंटेंट का मूल्य चुकाते हैं। इससे दबाव रहित और निष्पक्ष पत्रकारिता आपको मिलती क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार है। यदि समर्थ हैं तो Subscription अवश्य भरें। धन्यवाद।
आरबीआई के अनुसार इसके लिए अधिकृत डीलर बैंकों को अपने विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्वानुमति लेनी होगी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देने और भारतीय रुपये में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन करने के लिए यह उपाय किया गया है।
यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए है, और तंत्र ऐसे किसी भी व्यापार को रुपये में निपटाने में मदद करेगा। पहले, आरबीआई के विनिमय नियंत्रण नियमों के तहत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (नेपाल और भूटान के साथ किए गए को छोड़कर) को पूरी तरह से परिवर्तनीय मुद्राओं जैसे अमेरिकी डॉलर, स्टर्लिंग पाउंड, यूरो और येन में तय किया जाना था। यह नवीनतम अधिसूचना व्यापार को भारतीय रुपये में बिल और निपटाने की अनुमति देती है।
आरबीआई ने कहा है कि यह भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए है और क्योंकि भारतीय रुपये में व्यापार के लिए रुचि बढ़ रही है। विशेषज्ञों ने क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार कहा है कि व्यापार-निपटान तंत्र रूस के साथ व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए है, जिसे अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में अपने डॉलर के भंडार से काट दिया गया है।
आरबीआई के नवीनतम नोट के अनुसार, पूरी प्रक्रिया तब शुरू होती है जब किसी दूसरे देश का बैंक भारत में एडी बैंक से संपर्क करता क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार है, और कहता है, ‘हम रुपये में बसे व्यापार के लिए एक “वोस्ट्रो खाता” स्थापित करना चाहते हैं’। फिर भारतीय बैंक उस अनुरोध को मुंबई में केंद्रीय कार्यालय में आरबीआई के विदेशी मुद्रा विभाग में ले जाएगा। भारतीय बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि भागीदार बैंक ‘उच्च जोखिम और गैर-सहकारी क्षेत्राधिकार’ से नहीं है।
बैंकों क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार को केवल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की सूची का उल्लेख करना होता हैं। यहीं से आरबीआई के नोट में उल्लिखित ‘रुपया वोस्त्रो खाते’ आता है। वोस्त्रो का सीधा सा अर्थ है “आपका पैसा हमारे खाते में”, इसलिए ‘रुपया वोस्त्रो खाते’ भारतीय बैंक में विदेशी संस्था की होल्डिंग को भारतीय रुपये में रखते हैं।
जब एक भारतीय व्यापारी निर्यात करता है, तो वह अपने नियमित बैंक से संपर्क कर सकता है, जो भारतीय एडी बैंक को चालान भेज देगा। भारतीय एडी बैंक रुपया “वोस्त्रो खाते” से डेबिट करेगा और निर्यातक के नियमित बैंक में पैसा जमा करेगा, जो बदले में निर्यातक के बैंक खाते में पैसा जमा करेगा। जब कोई भारतीय व्यापारी आयात करता है, तो वह भुगतान को अपने नियमित बैंक में स्थानांतरित कर देगा, जो फिर उसे एडी बैंक में स्थानांतरित कर देगा।
एडी बैंक रुपया वोस्त्रो खाते को क्रेडिट करेगा, और दूसरे देश के निर्यातक को वहां के अधिकृत बैंक के माध्यम से और स्थानीय मुद्रा में भुगतान किया जाएगा।इस प्रकार, धन का केंद्रीय पूल तब तक डेबिट और क्रेडिट किया जाएगा जब तक कि तंत्र मौजूद है, और नियमित अंतराल पर, जिस देश के पक्ष में भुगतान संतुलन है, वह तय करेगा कि पूल में शेष राशि का क्या करना है।
केंद्रीय बैंक ने इसके साथ ‘ऐड-ऑन’ बेनिफिट्स की पेशकश की है। एक निर्यातक इस तंत्र के माध्यम से रुपये में अग्रिम भुगतान प्राप्त कर सकता है। दूसरा, यदि कोई निर्यातक भी अपने विदेशी साझेदार से आयात करता है, तो निर्यातक देय आयात से प्राप्य निर्यात को ‘सेट-ऑफ’ या घटा सकता है। शेष राशि का भुगतान निर्यातक को किया जाएगा। तीसरा, इन व्यापार लेनदेन को बैंक गारंटी के साथ समर्थित किया जा सकता है।
ज्ञान अनमोल हैं, परंतु उसे आप तक पहुंचाने में लगने वाले समय, शोध, संसाधन और श्रम (S4) का मू्ल्य है। आप मात्र 100₹/माह Subscription Fee देकर इस ज्ञान-यज्ञ में भागीदार बन सकते हैं! धन्यवाद!
क्या विदेशी मुद्रा भंडार का 17% फूंक देगा RBI?
आरबीआई 100 अरब डालर खर्च करके रुपये के दाम को स्थिर करने की कोशिश कर रही है
• इस साल जनवरी से अब तक रुपया सात फीसदी टूट चुका है
• पिछले साल सितंबर में विदेशी मुद्रा का भंडार 642 अरब डालर था . अब ये गिरकर 580 अरब डालर हो गया
• यानी साठ अरब डालर विदेशी मुद्रा का भंडार वैसे ही कम हो गया है.
• उपर से क्रूड आयल के इम्पोर्ट पर अंधाधुंध डालर खर्च हो रहा है.
• एक क्वाटर में ही 47 अरब डालर के क्रूड आयल का निर्यात बढ़ चुका है. भी
• क्रूड आयल का इम्पोर्ट 89 परसेंट बढ़ गया है.
• इसका मतलब है कि चार महीने में डालर को ऊपर लाने के लिए आप 100 अरब खर्च करेंगे और अतिरिक्त पेट्रोल खरीदने पर ही मुद्राबाजार में चार महीने में इसका आधा खर्च हो जाएगा यानी मेहनत गई पानी में
• एक क्वाटर में इतनी बढ़ोतरी हुई है
• इसके अलावा पेट्रोलियम प्रोडक्ट भी दस दशमलव सात प्रतिशत इम्पोर्ट हुए हैं
• यानी घरेलू जरूरतों के लिए आपको पेट्रोल बाहर से मंगाना पड़ा है
• दशा ये है क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार कि कच्चे तेल का दाम आसमान छूने वाला है . एक आशंका जताई गई है कि रूसी कच्चे तेल पर अहर
• प्रतिबंध लगते हैं तो वो 200 डालर प्रति बैरल बढ़ जएगा यानी दाम होगा डबल से ज्यादा
• उस हालत में होने वाला है ये ऊंट के मुंह में जीरा
• 580 डालर विदेशी मुद्रा भंडार है
• 100 अरब डालर चार महीने में खर्च किया जा सकता है
• 47 अरब डालर तो एक तिमाही में ही क्रूड इम्पोर्ट का खर्च बढ़ गया.
• अब अगर दाम दो सौ डालर जाता है तो ये संख्या एक तिमाही में ही 100 अरब डालर पार कर जाएगी
• यानी इम्पोर्ट इतने का बढ़ेगा.
• हम किस ओर बढ़ रहे हैं
• भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है यानी आब इम्पोर्ट करने के मुकाबले एक्सपोर्ट ज्यादा कर रहेहैं.
• ये दुगुना हो गया है. 2020 में ये 51000 करोड़ था जो 2021 में एक लाख बारह हजार करोड़ हो गया.
• डालर में ही व्यापारहोता है. जितना ज्यादा व्यपार घाटा उतना डालर का बोझ
• आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक15 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले के सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था। स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 83 करोड़ डॉलर घटकर 38.356 अरब डॉलर रह गया।
• कर्ज चुकाने के लिए भी डालर की जरूरत होती है. जितना विदेशी कर्ज होगा उतने ज्यादा डालर नियमित खर्च होंगे
Vostro Account: Dollar की जगह अब Indian Rupee में कर पाएंगे विदेशी व्यापार, समझिए कानून में हुए इस बदलाव के मायने
RBI ने भारत में अधिकृत बैंकों को Indian Rupee में व्यापार की सुविधा के लिए किसी भी भागीदार व्यापारिक देश के संबंधित बैंकों के विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दे दी है।
Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: September 17, 2022 17:16 IST
Photo:FREEPIK Indian Rupee
Highlights
- भारतीय रूपये में आयात-निर्यात सौदों के निपटान, बिल बनाने और भुगतान की अनुमति
- व्यापारिक देश के संबंधित बैंकों के विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति
- रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका के प्रतिबंधों के चलते रुपये में
Vostro Account: अब भारतीय कारोबारी विदेशी कारोबार में रुपये के जरिए भुगतान कर सकेंगे। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने नीति में बदलावों को अधिसूचित कर दिया है। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने भारत में अधिकृत बैंकों को भारतीय मुद्रा में व्यापार की सुविधा के लिए किसी भी भागीदार व्यापारिक देश के संबंधित बैंकों के विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दे दी है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जुलाई में बैंकों से कहा था कि वे निर्यात एवं आयात सौदे रुपये में संपन्न कराने के लिए अतिरिक्त इंतजाम करें। भारतीय मुद्रा के प्रति वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए आरबीआई ने यह सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। अब सरकार ने भारतीय रुपये में अंतर्राष्ट्रीय बिजनेस इनवॉइस, पेमेंट और सैटलमेंट की अनुमति देने के लिए विदेश व्यापार नीति में संशोधन किया है।
DGFT ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘RBI के 11 जुलाई, 2022 के परिपत्र के अनुरूप पैराग्राफ 2.52 (D) को अधिसूचित किया गया है जो भारतीय रूपये में आयात-निर्यात सौदों के निपटान, बिल बनाने और भुगतान की अनुमति देता है।’’
क्या है नई व्यवस्था
सरकार द्वारा अनुमोदित व्यापार नीति में कहा गया है कि व्यवस्था के तहत, भारतीय आयातक विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के लिए चालाने के बदले साझेदार देश के बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में रुपये में भुगतान करेंगे। इस तंत्र के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को भारतीय रुपये में निर्यात आय का भुगतान भागीदार देश के संबंधित बैंक के वोस्ट्रो खाते में शेष राशि से किया जाएगा।
सरकार की टॉप लिस्ट में था Vostro Account
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते रुपये में प्रस्तावित व्यापार की समीक्षा के लिए एक बैठक की थी और बैंकों से विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की प्रक्रिया क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार को तेज करने को कहा था। वाणिज्य विभाग को भी व्यापारियों तक पहुंचने के लिए कहा गया है ताकि उन्हें इस मार्ग को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
RBI ने जारी किया था पत्र
मालूम हो कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जुलाई 2022 में एक पत्र जारी कर बैंकों से घरेलू मुद्रा (Domestic Currency) में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि को देखते हुए रुपये में निर्यात और आयात (Export and Import) लेनदेन के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने के लिए कहा था। RBI द्वारा रुपये में सीमापार व्यापार लेनदेन की अनुमति देने की घोषणा मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण (Internationalization of currency) की दिशा में उठाया गया कदम है।
क्यों पड़ी वोस्ट्रो खाते की जरूरत Need of Vostro Account
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका और यूरोप के लगाए प्रतिबंधों के चलते रुपये में हो रहा है। केंद्रीय बैंक ने कहा था कि व्यापार लेनदेन के निपटान के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार व्यापारिक देश के बैंकों के विशेष रुपया ‘वोस्ट्रो’ खातों की जरूरत होगी।
क्या है वोस्ट्रो खाता What is Vostro Account
वोस्ट्रो एक ऐसा खाता (Vostro Account) होता है जो एक संपर्ककर्ता बैंक दूसरे बैंक की ओर से रखता है ।उदाहरण के लिए किसी विदेशी बैंक का वोस्ट्रो खाता भारत में किसी घरेलू बैंक द्वारा संभाला जा रहा है। इन खातों का इस्तेमाल विदेशी व्यापार के निपटाने के लिए किया जाता है।
Rupee vs Doller: इन पांच कारणों की वजह से टूट रहा रुपया, इस तरह हल्की होगी आम आदमी की जेब
रुपया इस साल करीब 7.5 फीसदी कमजोर हुआ है. यह 74 प्रति डॉलर से 79.85 प्रति डॉलर पर आ गया है. रुपये में कमजोरी से आम आदमी के ऊपर दोहरी मार पड़ेगी. भारत जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल लैपटॉप समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है.
डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 15 जुलाई 2022,
- (Updated 15 जुलाई 2022, 1:21 PM IST)
डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया
रुपया इस साल करीब 7.5 फीसदी कमजोर हुआ है.
भारतीय रुपया टूटकर अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. गुरुवार को रुपया 79.87 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह रुपया के लिए अबतक का सबसे निचला स्तर है. रुपया इस साल करीब 7.5 फीसदी कमजोर हुआ है. यह 74 प्रति डॉलर से 79.85 प्रति डॉलर पर आ गया है. रुपये में आ रही लगातार गिरावट को थामने की आरबीआई हर मुमकिन कोशिश कर रहा है.
क्यों टूट रहा रुपया
वैश्विक बाजार में डॉलर की मांग में तेजी- दुनियाभर में 85 प्रतिशत व्यापार अमेरिकी डॉलर से होता है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की जरूरत होती है. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह इसी मुद्रा में अन्य देशों को ऋण देता है और वसूलता क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार है. इसके अलावा दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64 प्रतिशत अमेरिकी डॉलर होते हैं. इसलिए दिन प्रतिदिन डॉलर की मांग बढ़ रही है और Dollar के आगे रुपया पस्त हो रहा है. यदि अमेरिकी डॉलर की मांग ज्यादा है, तो भारतीय रुपये का गिरना तय है.
भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों की निकासी
भारतीय इक्विटी और बॉन्ड बाजारों से लगातार डॉलर की निकासी हो रही है. इससे डॉलर की मांग बढ़ रही है. विदेशी निवेशकों का पैसे निकाल लेना इस बात का संकेत है कि वो भारत में निवेश सुरक्षित नहीं समझ रहे हैं.
वैश्विक मंदी की आशंका
अमेरिका सहित कई विकसित देशों में मंदी की आशंका बढ़ती जा रही है. महंगाई को काबू में करने के लिए दुनियाभर के देशों के केंद्रीय बैंकों (RBI) ने प्रमुख ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. दुनिया के सामने खाद्य संकट की स्थिति है. अमेरिका में बढ़ती महंगाई व मंदी की आशंका का असर साफ देखा जा सकता है.
रूस यूक्रेन युद्ध
रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनियाभर के देशों को प्रभावित किया है. जो रुपया 24 फरवरी को डॉलर के मुकाबले 75.3 स्तर पर चल रहा था, युद्ध के इतने महीने बाद 79.85 प्रति डॉलर पर आ गया है. इसका असर आयात पर भी पड़ा है. रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया में महंगाई को भी कई गुना बढ़ा दिया है.
यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में राजनीतिक उथल पुथल
दुनिया के कई देशों में हो रही राजनीतिक उथल पुथल का प्रतिकूल प्रभाव रुपया पर पड़ रहा है. दुनियाभर में हो रही तमाम आर्थिक गतिविधियों का असर भारतीय रुपये पर पड़ता नजर आ रहा है. यह भी भारतीय रुपये के गिरने के पीछे का मुख्य कारण है.
इस तरह आपकी जेब हल्की होगी
रुपये में कमजोरी से आम आदमी के ऊपर दोहरी मार पड़ेगी. भारत जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल लैपटॉप समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है. ज्यादातर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्यू पूर्वी एशियाई शहरों से होता है. ज्यादातर कारोबार डॉलर में होता है, विदेश से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय माना जा रहा है. रुपया के कमजोर होने से विदेशों में पढ़ाई महंगी हो जाएगी. इसके अलावा कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल डीजल की कीमतें भी बढ़ेंगी. अमेरिकी फेड रिजर्व ने महंगाई को काबू में लाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. इस बढ़ोतरी के बाद डॉलर और ज्यादा मजबूत हुआ है. इसका खामियाजा रुपया को भुगतना पड़ रहा है. रोजगार के अवसर पर भी रुपया के कमजोर होने का असर पड़ता है. गिरते रुपये को उठाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि से लोन लेना महंगा हो सकता है.