नौसिखिया निवेशक के लिए एक गाइड

पारदर्शी और उचित व्यापार

पारदर्शी और उचित व्यापार
Coal Auction: बोली लगाने में सांठगांठ की चर्चा के बीच सरकार की कार्रवाई।

ककून किसानों को मिले अधिक दाम

3 दिसम्बर 2022, भोपाल । ककून किसानों को मिले अधिक दाम – नर्मदापुरम जिले के मालाखेड़ी में ककून बाजार खुलने से किसानों को ककून के वाजिब दाम मिल रहे हैं। प्रदेश और बाहर के व्यापारी अब मालाखेड़ी ओपन मार्केट से ककून की खरीदी कर रहे हैं। भुगतान भी तत्काल होने से कृषकों में बहुत उत्साह है। रेशम संचालनालय द्वारा नर्मदापुरम जिले के मालाखेड़ी में अक्टूबर 2022 से ककून मंडी शुरू की गई है। मंडी में किसान निरंतर अपने उत्पाद की बिक्री कर रहे हैं। रेशम कृषकों को ककून की सर्वाधिक दर 641 रुपये प्रति किलोग्राम प्राप्त हुई है।

राज्य सरकार द्वारा रेशम की खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे, जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सके और उन्हें इसका उचित दाम भी मिले। ओपन ककून मार्केट में बनखेड़ी, गूजरबाड़ा के रेशम कृषकों ने विक्रय प्रक्रिया में भाग लिया। ककून खरीदने के लिए मालदा, बैंगलुरू एवं स्थानीय बैतूल, इटारसी बनखेड़ी के व्यापारियों ने भाग लिया। प्राप्त उच्च दरों से रेशम कृषकों में हर्ष एवं उत्साह पारदर्शी और उचित व्यापार है। मध्यप्रदेश सिल्क फेडरेशन द्वारा पिछले कुछ वर्षों में ककून धागा एवं अन्य उत्पादों का विक्रय ऑफ लाइन किया जा रहा था। व्यापारियों एवं कृषकों की सुविधा के लिये खुली ककून मंडी की स्थापना 6 अक्टूबर 2022 को की गई।

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से व्यापारियों द्वारा कृषकों से उत्पादित ककून सीधे मंडी से प्राप्त किया जा रहा है। इस पारदर्शी प्रक्रिया से रेशम उत्पादक कृषकों को उनके उत्पादों की गुणवत्ता के आधार पर अधिकतम मूल्य प्राप्त हो रहे हैं। कृषक गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के प्रति जागरूक और उत्साहित है। प्रमुख सचिव कुटीर एवं ग्रामोद्योग श्री मनु श्रीवास्तव द्वारा बाजार की सतत मॉनीटरिंग की जा रही है। इसके अलावा धागा एवं अन्य रेशम उत्पादों को भी ऑनलाइन ई-आक्शन प्रक्रिया से विक्रय किये जाने के उद्देश्य से ऑनलाइन टेंडर किये जा रहे हैं। अन्य उत्पादों का उचित मूल्य मिलने से अनेक कृषकों द्वारा रेशम विभाग की योजनाओं को अपनाने हेतु लगातार संपर्क किया जा रहा है। इससे भविष्य में क्षेत्र में रेशम क्लस्टर विकसित होने की संभावना भी बढ़ रही है। जबलपुर में बनेगा ककून मार्केट रेशम संचालनालय द्वारा ककून उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए जबलपुर जिले में मार्केट भी बनाया जाएगा। इससे नरसिंहपुर, शहडोल, मंडला, बालाघाट सहित अन्य क्षेत्रों में उत्पादित ककून को विक्रय के लिए ककून मंडी में लाया जा सकेगा।

इस पारदर्शी प्रक्रिया से रेशम उत्पादक कृषकों को उनके उत्पादों की गुणवत्ता के आधार पर अधिकतम मूल्य प्राप्त हो रहे हैं।

क्या शिक्षक शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए व्यक्तिगत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते है

Shahram Warsi

आज की शिक्षा प्रणाली में व्यक्तिगत शिक्षा की मांग को समझते हुए, पूर्वानुमानित विश्लेषण समग्र छात्र अनुभव में सुधार करने के लिए जरूरी माना जाता है। फ़्रैंचाइज़र इसे विशेषताओं के अनुसार छात्रों को लक्षित करने और पहचानने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग कर सकते हैं। यह टूल सीखाने के लिए और समर्थन सेवाओं को और अधिक आरामदायक बनाने के लिए फायदेमंद हो सकता है।

कुछ शिक्षक बजट की बाधाओं के कारण इस दृष्टिकोण पर विचार नहीं करते, इसी कारण से फ़्रैंचाइज़र को व्यक्तिगत शिक्षा के महत्व को समझने की आवश्यकता है, जो छात्रों और व्यापार दोनों के लिए फायदेमंद है।

पेशेवर सेवा प्रदान करते है

व्यक्तिगत शिक्षा अधिक कुशलतापूर्वक लक्षित संसाधनों के साथ छात्र के अनुभव को बढ़ाती है। यह टूल छात्रों की सोच को समझने, शैक्षिक प्रस्ताव को गढ़ने और अकादमिक समर्थन को समझने के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके द्वारा छात्रों से खुले मन से बात करके, शिक्षकों के लिए अधिक अर्थपूर्ण रास्ता तैयार हो सकता है। इसके अतिरिक्त, पारदर्शी और उचित व्यापार आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसमें सारी प्रक्रियाएं कर्मचारी, छात्र और फैकल्टीज के लिए पारदर्शी हों।

शिक्षकों को पूर्वानुमानित एनालिटिक्स की सराहना करने की आवश्यकता क्यों है

एज्युकेटर्स का मानना है कि विभिन्न छात्रों की विशेषताओं का स्ट्रक्चर बनाने में, यह टूल उनके लक्षित दृष्टिकोण को सपोर्ट देगा, प्रतिधारण में तथा व्यस्तता के दर में सुधार लाएगा। यह शिक्षकों को छात्रों के वास्तविक व्यवहार और प्रदर्शन का जवाब देने, उनकी आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझने की अनुमति देता है।

पेशेवर सलाहकार बनता है

यह उपकरण जिन्हें मार्गदर्शन की आवश्यकता हो, उन छात्रों को समर्थन देने में पेशेवर और अकादमिक सलाहकार के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षकों का मानना है कि मार्गदर्शन से उनका क्लासरूम से जुड़ाव बढ़ेगा और उनके परफॉर्मेन्स में अच्छा परिणाम मिलेगा। यह सुनिश्चित करता है कि छात्रों को उचित सलाहकारों को सौंपने से और सलाह से उनको लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी और एज्युकेटर के निवेश पर अच्छा रिटर्न भी हांसिल होगा।

भविष्य

ऐसा माना जाता है कि विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण आने वाले समय में एक बेहतर शिक्षण वातावरण का नेतृत्व करेगा। शिक्षक इससे छात्रों को अच्छे से समझकर, पाठ्यक्रम की समाप्ति और परिणामों की बेहतर आगाही कर सकेंगे। छात्र के बेहतर अनुभव के लिए शोध-आधारित रणनीतियों का पालन किया जा सकता है।

कोयला नीलामी की सफलता से साबित हुआ, घोटाला हुआ था: वेंकैया

धातु व सीमेंट कंपनियों द्वारा कोयला ब्लॉकों के लिए आक्रामक बोली के बीच संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि नीलामी की सफलता से साबित होता है कि घोटाला हुआ था, और यह केवल नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की कल्पना नहीं था। नायडू ने कहा कि इससे भाजपा का रुख सही […]

कोयला नीलामी की सफलता से साबित हुआ, घोटाला हुआ था: वेंकैया

Coal Auction: बोली लगाने में सांठगांठ की चर्चा के बीच सरकार की कार्रवाई।

धातु व सीमेंट कंपनियों द्वारा कोयला ब्लॉकों के लिए आक्रामक बोली के बीच संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि नीलामी की सफलता से साबित होता है कि घोटाला हुआ था, और यह केवल नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की कल्पना नहीं था। नायडू ने कहा कि इससे भाजपा का रुख सही साबित होता है।

नायडू ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘भाजपा का इस मामले की गहराई से जांच का रुख सही साबित हुआ। तत्कालीन वित्त मंत्री की दलील की इसमें शून्य नुकसान हुआ, गलत साबित हुई।’’

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि कोई घोटाला नहीं हुआ। ‘‘लेकिन अब यह साफ हो गया है कि देश को 1.86 लाख करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ था।’’

नायडू ने कहा कि मोदी सरकार के 20 खानों के लिए उचित व पारदर्शी बोली के फैसले से देश को फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि सिर्फ चार दिन में पेशकश 60,000 करोड़ रुपए को पार कर गई है और इससे खान के धनी राज्यों को सबसे अधिक फायदा होगा। देश की पहली खानों की नीलामी के लिए 19 ब्लॉकों की पेशकश की गई है। 14 खानें करीब 80,000 करोड़ रुपए में बिक चुकी हैं।

कोविड-19 पर नरेंद्र सिंह तोमर का ब्लॉग: चुनौती को अवसर में बदलने का समय

कोविड-19 के संक्रमण ने संपूर्ण विश्व की परिस्थितियों को परिवर्तित करके रख दिया है. ऐसे में हमारी चिंता इस बात पर है कि लाइसेंस व्यवस्था और खंडित आपूर्ति श्रृंखला मांग और आपूर्ति के संतुलन को बिगाड़ न दे. यदि ये अवरोध रहे तो किसानों की आय निश्चित तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है.

Narendra Singh Tomar's blog on Covid-19: Time to turn challenge into opportunity | कोविड-19 पर नरेंद्र सिंह तोमर का ब्लॉग: चुनौती को अवसर में बदलने का समय

प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया

विगत दस दिनों में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे केंद्र सरकार ने किसानों के हित में चार बड़े निर्णय किए हैं. ये निर्णय भविष्य के लिए एक नया इतिहास बनने जा रहे हैं. देश का सबसे बड़ा उत्पादक किसान है. वह अन्न उपजाता है तो अर्थव्यवस्था का चक्का घूमता है. इन चार निर्णयों में जहां किसानों को दिए गए ऋण की अदायगी की सीमा बढ़ाकर राहत देने का प्रयास किया गया है, वहीं खरीफ फसलों का समर्थम मूल्य बढ़ाकर किसानों की आय में सीधी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया गया है. ‘एक देश एक बाजार’ और मंडी एक्ट में संशोधन भी किसानों को उनकी उपज के उचित दाम दिलाने के लिए वैश्विक रास्ते खोलने में सहायक होंगे. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया और इसी दिशा में सरकार सतत कार्य कर रही है. इन निर्णयों को इसी आलोक में देखा जाना चाहिए. हमारा लक्ष्य किसान को सबसे पहले आत्मनिर्भर बनाना है ताकि राष्ट्र आत्मनिर्भर बन सके.

केंद्रीय कैबिनेट ने दो अध्यादेशों को मंजूरी दी है. इसमें किसानों का उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 और मूल्य आश्वासन व कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षण अध्यादेश, 2020 शामिल है. इन अध्यादेशों के माध्यम से सरकार ने किसानों के लिए ‘एक देश एक बाजार’ नीति को लागू किया है. एक तरह से किसानों की उन्नति में सबसे बड़ा अवरोध यही था कि उनके लिए अपनी फसल को बेचने के निर्धारित दायरे और माध्यम थे. ये जंजीर किसानों को उनकी उपज के उपयुक्त और उत्तम दाम दिलाने से रोकती रही है. यहीं से बिचौलिए व मुनाफाखोर विकसित होते थे, जो किसानों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दबा लेते थे. बाधा मुक्त बाजार के परिणाम आने वाले कुछ महीनों में किसानों की समृद्धि पारदर्शी और उचित व्यापार और उनकी बढ़ती आय के रूप में सभी को नजर आएंगे.

कोविड-19 के संक्रमण ने संपूर्ण विश्व की परिस्थितियों को परिवर्तित करके रख दिया है. ऐसे में हमारी चिंता इस बात पर है कि लाइसेंस व्यवस्था और खंडित आपूर्ति श्रृंखला मांग और आपूर्ति के संतुलन को बिगाड़ न दे. यदि ये अवरोध रहे तो किसानों की आय निश्चित तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने किसानों का उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 लागू किया है। किसान अपनी फसल अब देश में कहीं भी बेच सकेंगे. व्यापारी को किसान की उपज का भुगतान अधिकतम तीन दिनों में करना होगा. यदि आवश्यक भुगतान का उल्लेख रसीद में है तो उसी दिन किसान को उसकी उपज का भुगतान मिलेगा.
कृषि उपज के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्यापार और ई-प्लेटफार्म की व्यवस्था किसानों की भौतिक दूरियों से आने वाली कठिनाइयों को समाप्त कर देगी. किसान को जिस व्यापारी से और जिस राज्य में उचित दाम मिलेंगे वह घर बैठे वहां अपनी फसल बेचने के लिए मुक्त है.

अब चर्चा दूसरे अध्यादेश की करते हैं. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षण अध्यादेश, 2020 भी सरकार का एक ऐतिहासिक निर्णय है. इसका मुख्य उद्देश्य किसानों और प्रायोजकों के बीच कृषि करारों के लिए एक विधिक व्यवस्था स्थापित करना है, जिससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके.

भारत में खेती लघु जोतों के कारण विखंडित श्रेणी में वर्गीकृत की जाती है. मौसम की मार, कभी कम उत्पादन से संकट तो कभी बहुत ज्यादा उत्पादन से उचित मूल्य नहीं मिलना और बाजार के जोखिम किसानों पर हावी हैं. इस अध्यादेश से न केवल कृषि करारों में एक विधिक व्यवस्था स्थापित होगी बल्कि संग्रहण के लिए माडल कृषि करारों का प्रावधान भी हो सकेगा.
यह अध्यादेश किसानों को कृषि उत्पाद और गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित करने के लिए उचित और पारदर्शी तरीके से प्रोसेसर, एग्रीगेटरों, बड़े खुदरा विक्र ेताओं एवं निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम करेगा. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मंडी की अप्रत्याशितता का जोखिम अब किसान की जगह प्रायोजक पर आएगा, जिससे किसान की मुश्किलें कम होंगी.

यहां यह भी बताना उचित होगा कि एक जून को केंद्रीय कैबिनेट ने किसानों की अल्पावधि कृषि ऋण अदायगी की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ाने का निर्णय भी लिया है. कोरोना संक्रमण से प्रभावित किसानों के लिए सरकार का पारदर्शी और उचित व्यापार पारदर्शी और उचित व्यापार यह निर्णय बड़ी मदद साबित होगा. उसी दिन सरकार ने खरीफ फसलों की उत्पादन लागत पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 से 83 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय भी लिया. किसानों की आय में वृद्धि के लिए ये दोनों निर्णय अहम भूमिका निभाएंगे.

मोदी सरकार ब्याज छूट योजना के अंतर्गत किसानों को बैंकों के माध्यम से 2 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज छूट के साथ रियायती स्टैंडर्ड अल्पावधि कृषि ऋण दे रही है. समय पर अदायगी करने वाले किसानों को 3 प्रतिशत अतिरिक्त लाभ भी केंद्र सरकार दे रही है.
वर्ष 2020-21 विपणन मौसम की खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की गई है. उत्पादन लागत का 50 प्रतिशत से लेकर 83 प्रतिशत तक मुनाफा जोड़कर एमएसपी निर्धारित की गई है. इसका सीधा लाभ देश के करोड़ों किसानों को मिलेगा.

सरकार के चार निर्णयों ने किसानों के लिए चार नए आधार स्तंभ खड़े कर दिए हैं. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यह कोविड-19 की चुनौती को अवसर में परिवर्तित करने का समय है. आत्मनिर्भरता की राह यहीं से प्रारंभ हो रही है. इसके मूल में अन्नदाता है और उसकी चिंता सबसे पहले की गई है. सरकार के ये निर्णय निकट भविष्य में कृषकों के चेहरों पर समृद्धि की आभा बिखेरते नजर आएंगे.

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