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विदेशी मुद्रा मूल बातें

विदेशी मुद्रा मूल बातें

मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा मूल बातें आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.

Rajasthan Crime: जयपुर हवाई अड्डे पर विदेशी मुद्रा सहित तीन पकड़े गए

हवाई अड्डे पर जांच के दौरान कस्टम अधिकारियों ने इनके बैग की जांच की तो उसमें 900 दिरहम (20 हजार रुपये) 22500 रियाल (5 लाख रुपये)सात हजार डॉलर (5.79 लाख रूपये) मिले हैं। कस्टम विभाग के अधिकारियों ने विदेशी मुद्रा को दुबई ले जाते हुए तीन यात्रियों को पकड़ा है।

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की राजधानी जयपुर हवाई अड्डे पर कस्टम विभाग के अधिकारियों ने विदेशी मुद्रा को दुबई ले जाते हुए तीन यात्रियों को पकड़ा है। इनके बैग की जांच की तो उसमें 900 दिरहम (20 हजार रुपये), 22, 500 रियाल (5 लाख रुपये), सात हजार डॉलर (5.79 लाख रूपये ) मिले हैं। इनमें दो पुरुष और एक महिला यात्री शामिल हैं। तीनों यात्री भारतीय मूल के हैं। स्पाइस जेट की फ्लाइट से दुबई जा रहे थे।

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कस्टम अधिकारियों ने विदेशी मुद्रा ले जाते यात्रियों को पकड़ा

हवाई अड्डे पर जांच के दौरान कस्टम अधिकारियों ने इनके बैग की जांच की तो उसमें 900 दिरहम (20 हजार रुपये), 22,500 रियाल (5 लाख रुपये), सात हजार डॉलर (5.79 लाख रूपये) मिले हैं। कस्टम विभाग के अधिकारियों विदेशी मुद्रा मूल बातें ने विदेशी मुद्रा को दुबई ले जाते हुए तीन यात्रियों को पकड़ा है। पूछताछ के दौरान तीनों यात्री विद्रेशी मुद्रा अपने साथ ले जाने का संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इस पर तीनों यात्रियों को विमान में बैठने की अनुमति नहीं दी गई। उनसे पूछताछ की जा रही है। इसके बाद न्यायालय में पेश किया जाएगा। इनके पास मिले पासपोर्ट से पता चला है की ये काफी बार विदेश यात्रा कर चुके हैं।

जयपुर में पेट्रोल पंप कर्मचारी की हत्या। चुरु में बीएसएफ जवान की संदिग्ध मौत। फाइल फोटो

विदेश में हर सामान को लाने और ले जाने के मानक तय

कस्टम अधिकारियों ने बताया कि विदेश में हर सामान को लाने और ले जाने के मानक तय किए गए हैं। उससे ज्यादा मानकों पर अगर सामान लाया या ले जाया जाता है तो वह कानूनी अपराध है। तय मानकों से अधिक रकम होने के कारण तीनों यात्रियों को दुबई जाने से रोक दिया गया। आगे के अनुसंधान के लिए कोर्ट में पेश किया जाएगा।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा

विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. The post भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा appeared first on The Wire - Hindi.

विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है.

Reserve Bank Reuters


मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.

इससे पहले के सप्ताहांत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.76 अरब डॉलर घटकर 406.06 अरब डॉलर रह गया था.

इससे पूर्व विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल 2018 को 426.028 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया था. आठ सितंबर 2017 को मुद्रा भंडार पहली बार विदेशी मुद्रा मूल बातें 400 अरब डॉलर के स्तर को लांघ गया था लेकिन उसके बाद से उसमें उतार-चढ़ाव बना रहा.

रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में कुल मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा, विदेशी मुद्रा आस्तियां 7.39 करोड़ डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 380.792 अरब डॉलर की हो गईंं.

डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले मुद्राभंडार में रखे गये विदेशी मुद्रा आस्तियां, यूरो, पॉंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की मूल्य वृद्धि अथवा उनके अवमूल्यन के प्रभावों को भी अभिव्यक्त करता है.

समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार 32.99 करोड़ डॉलर घटकर 21.039 अरब डॉलर रह गया.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार 29 लाख डॉलर बढ़कर 1.489 अरब डॉलर हो गया.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि आईएमएफ में देश का मुद्राभंडार भी 49 लाख डॉलर बढ़कर 2.489 अरब डॉलर का हो गया.

व्यापार घाटा 43 माह के उच्चस्तर पर

वहीं, देश का निर्यात कारोबार जून में 17.57 प्रतिशत बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पेट्रोलियम और रसायन जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. हालांकि, कच्चे तेल का आयात महंगा होने से व्यापार घाटा 43 महीने के उच्च स्तर 16.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

वाणिज्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन महीने में आयात भी 21.31 प्रतिशत बढ़कर 44.3 अरब डॉलर रहा.

जून, 2018 में व्यापार घाटा नवंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. उस समय व्यापार घाटा 16.86 अरब डॉलर रहा था. जून, 2017 में व्यापार घाटा 12.96 अरब डॉलर था.

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में निर्यात 14.21 प्रतिशत बढ़कर 82.47 अरब डॉलर रहा है. पहली तिमाही में आयात 13.49 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 127.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा 44.94 अरब डॉलर रहा.

जून में पेट्रोलियम उत्पादों, रसायन, फार्मास्युटिकल्स, रत्न एवं आभूषण तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ.

हालांकि, इस विदेशी मुद्रा मूल बातें विदेशी मुद्रा मूल बातें दौरान कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, पॉल्ट्री, काजू, चावल और कॉफी के निर्यात में गिरावट आई.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे चालू खाते का घाटा (कैड) प्रभावित होगा, जिससे राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की परेशानी बढ़ेगी.

जून माह के दौरान कच्चे तेल का आयात 56.61 प्रतिशत बढ़कर 12.73 अरब डॉलर रहा.

वहीं, सोने का आयात तीन प्रतिशत घटकर 2.38 अरब डॉलर रह गया.

इसके बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मई में सेवाओं का निर्यात 7.91 प्रतिशत घटकर 16.17 अरब डॉलर रह गया. माह के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन 5.97 अरब डॉलर रहने का अनुमान है. मई में सेवाओं का आयात 10.21 अरब डॉलर रहा.

Rajasthan Crime: जयपुर हवाई अड्डे पर विदेशी मुद्रा सहित तीन पकड़े गए

हवाई अड्डे पर जांच के दौरान कस्टम अधिकारियों ने इनके बैग की जांच की तो उसमें 900 दिरहम (20 हजार रुपये) 22500 रियाल (5 लाख रुपये)सात हजार डॉलर (5.79 लाख रूपये) मिले हैं। कस्टम विभाग के अधिकारियों ने विदेशी मुद्रा को दुबई ले जाते हुए तीन यात्रियों को पकड़ा है।

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की राजधानी जयपुर हवाई अड्डे पर कस्टम विभाग के अधिकारियों ने विदेशी मुद्रा को दुबई ले जाते हुए तीन यात्रियों को पकड़ा है। इनके बैग की जांच की तो उसमें 900 दिरहम (20 हजार रुपये), 22, 500 रियाल (5 लाख रुपये), सात हजार डॉलर (5.79 लाख रूपये ) मिले हैं। इनमें दो पुरुष और एक महिला यात्री शामिल हैं। तीनों यात्री भारतीय मूल के हैं। स्पाइस जेट की फ्लाइट से दुबई जा रहे थे।

Rajasthan News: राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक ने कहा कि रिश्वत लेने के तरीके बदल गए हैं।

कस्टम अधिकारियों ने विदेशी मुद्रा ले जाते यात्रियों को पकड़ा

हवाई अड्डे पर जांच के दौरान कस्टम अधिकारियों ने इनके बैग की जांच की तो उसमें 900 दिरहम (20 हजार रुपये), 22,500 रियाल (5 लाख रुपये), सात हजार डॉलर (5.79 लाख रूपये) मिले हैं। कस्टम विभाग के अधिकारियों ने विदेशी मुद्रा को दुबई ले जाते हुए तीन यात्रियों को पकड़ा है। पूछताछ के दौरान तीनों यात्री विद्रेशी मुद्रा अपने साथ ले जाने का संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इस पर तीनों यात्रियों को विमान में बैठने की अनुमति नहीं दी गई। उनसे पूछताछ की जा रही है। इसके बाद न्यायालय में पेश किया जाएगा। इनके पास मिले पासपोर्ट से पता चला है की ये काफी बार विदेश यात्रा कर चुके हैं।

जयपुर में पेट्रोल पंप कर्मचारी की हत्या। चुरु में बीएसएफ जवान की संदिग्ध मौत। फाइल फोटो

विदेश में हर सामान को लाने और ले जाने के मानक तय

कस्टम अधिकारियों ने बताया कि विदेश में हर सामान को लाने और ले जाने के मानक विदेशी मुद्रा मूल बातें तय किए गए हैं। उससे ज्यादा मानकों पर अगर सामान लाया या ले जाया जाता है तो वह कानूनी अपराध है। तय मानकों से अधिक रकम होने के कारण तीनों यात्रियों को दुबई जाने से रोक दिया गया। आगे के अनुसंधान के लिए कोर्ट में पेश किया जाएगा।

कानून जानें: अगर विदेशी करेंसी में करते है व्यापार तो रखें बातों का ध्यान

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विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 भारत में विदेशी मुद्रा से संबंधित समेकित कानून है. यह बाहरी व्यापार और भुगतान की सुविधा प्रदान करता है और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देता है.फेमा का मुख्य उद्देश्‍य देश के विदेशी मुद्रा संसाधनों का संरक्षण तथा उचित उपयोग करना था. इसका उद्देश्‍य भारतीय कंपनियों द्वारा देश के बाहर तथा भारत में विदेशी कंपनियों द्वारा व्‍यापार के संचालन के कुछ पहलुओं को नियंत्रित करना भी है. यह एक आपराधिक विधान था, जिसका अर्थ था कि इसके उल्‍लंघन के परिणामस्‍वरूप कारावास तथा भारी अर्थ दंड के भुगतान की सजा दी जाएगी.

फेमा कानून को नए रूप में लाने के पीछे मुख्य उद्देश्य विदेशी विनिमय बाजार और व्यापार को और अधिक सरल बनाना है. संवैधानिक रूप से फेमा में लिखित प्रावधान के अनुसार भारत से बाहर रह रहा वो व्यक्ति जो कभी भारत का नागरिक था, वह भारत में अधिग्रहण व अचल संपत्ति में निवेश कर सकता है.

फेमा के कानूनों के बारे में जानना महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि सरकार के वर्तमान मूड और व्यवसाय देश में बहुत से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को आमंत्रित करते हैं और आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप ऐसे कानूनों को समझें जिनके अंतर्गत ऐसे विदेशी लेनदेन हो सकते हैं या कार्य शुरू किये गए हो.

फेमा की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं में शामिल हैं:

यह पूर्णरूप से चालू खाते की परिवर्तनीयता के अनुरूप है और इसमें पूंजी खाते के लेन-देन हेतु प्रगतिशील उदारीकरण के प्रावधान हैं.

इसकी आवेदन प्रक्रिया बहुत पारदर्शी है और इसमें विदेशी मुद्रा के अधिग्रहण/ जमाखोरी पर रिजर्व बैंक या भारत सरकार के निर्देश बिलकुल स्पष्ट हैं.

फेमा के तहत विदेशी मुद्रा लेनदेन को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है:

पूंजी खाता
चालू खाता

  1. यह भारत में रहने वाले एक व्यक्ति को पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है कि वह भारत के बाहर संपत्ति को खरीद सकता है मालिक बन सकता है और उसका मालिकाना हक़ भी किसी और को दे सकता है (जब वह विदेश में रहता था)
  2. यह अधिनियम एक सिविल कानून है और अधिनियम के उल्लंघन के मामले में असाधारण मामलों केवल गिरफ्तारी हो सकती है.
  3. फेमा, भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिक पर लागू नहीं होती है.

फेमा को विदेशी मुद्रा लेनदेन में आसानी लाने के लिए अधिनियमित किया गया है क्योंकि भारत में विदेशी निवेश के माध्यम से भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए यह आवश्यक हैं.

अधिनियम में निर्दिष्ट विदेशी लेनदेन के लिए आरबीआई से अनुमति की आवश्यकता वाले कुछ लेन-देन में शामिल हैं:

  • किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूति का लेन देन करना या अंतरित करना जो अधिकृत व्‍यक्ति नहीं है;
  • भारत के बाहर निवासी किसी व्‍यक्ति को या उसके क्रेडिट के लिए किसी भी तरीके से कोई भुगतान करना;
  • चालू खाता लेनदेन पर उनके लिए उचित प्रतिबंध हैं जबकि विदेशी मुद्रा को किसी भी अधिकृत व्यक्ति से पूंजी खाता लेनदेन के लिए बेचा या खरीदा जा सकता है.

आरबीआई द्वारा रखे गए कुछ प्रतिबंधों में शामिल मामले :

भारत के बाहर रहने वाले किसी भी व्यक्ति को किए गए किसी भी विदेशी सुरक्षा को स्थानांतरित करना.

भारत के निवासी होने वाले किसी भी व्यक्ति को किए गए किसी भी विदेशी सुरक्षा को स्थानांतरित करना .

भारत के बाहर रहने वाले व्यक्ति के लिए भारत में किसी भी शाखा, कार्यालय या एजेंसी को किसी भी विदेशी सुरक्षा को स्थानांतरित करना.

अज्ञात नाम के तहत विदेशी मुद्रा उधार लेना और उधार देना.

भारत के बाहर रहने वाला व्यक्ति और भारतीय निवासी के बीच रुपये के मूल्य के तहत उधार लेना और उधार देना.

एक गैर आवासीय भारतीय और एक भारतीय निवासी के बीच जमा के सभी रूप.

मुद्रा या मुद्रा नोट्स का आयात या निर्यात.

आरबीआई के पास भारत में किसी भी प्रतिष्ठान को प्रतिबंधित या विनियमित करने का अधिकार है जो मूल रूप से किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए भारत के बाहर रहने वाले व्यक्ति द्वारा आयोजित किया जाता है. भारत में किसी भी सामान या सेवाओं को निर्यात करने में सक्षम होने से पहले व्यक्ति को निम्नलिखित का पालन करना आवश्यक है:

आरबीआई द्वारा निर्धारित फॉर्म के अनुसार घोषित करना जिसमें माल के सही और सही विवरण शामिल हैं, माल का पूरा निर्यात मूल्य या वर्तमान बाजार स्थितियों पर विचार करने वाले निर्यातक द्वारा निर्धारित मूल्य.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्यात की जाने वाली सभी जानकारी को निर्यात करने के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि निर्यात की प्राप्ति निर्यातक द्वारा की गई है.

फेमा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि केवल अधिकृत व्यक्तियों को विदेशी मुद्रा या विदेशी सुरक्षा में सौदा करने की अनुमति है. ऐसे अधिकृत व्यक्ति केवल अधिकृत डीलर, मुद्रा परिवर्तक, ऑफ-किनारे बैंकिंग इकाई या किसी अन्य व्यक्ति को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिकृत किया जा सकता है. विदेशी मुद्रा से निपटने वाला कोई अन्य व्यक्ति फेमा के तहत दंड के लिए उत्तरदायी होगा.

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NRI भी भारत में खरीद सकते हैं लाइफ इंश्योरेंस प्लान, इन बातों का रखें ध्यान

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के तहत अनिवासी भारतीय के साथ ही भारतीय मूल के लोगों को भी भारत में एक लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीदने की अनुमति दी गई है.

NRI के लिए भारतीय लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के कुछ बड़े फायदे होते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों को रेग्युलर टर्म प्लान का तत्काल फायदा मिलता है.

अनिवासी भारतीय यानी एनआरआई व्यक्ति अब भारत में टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीद सकते हैं और इसके विदेशी मुद्रा मूल बातें प्रीमियम भी दुनिया में सबसे कम होते हैं. वैसे तो यह एक अच्छी पहल है, लेकिन ऐसी कई बातें हैं जो एनआरआई व्यक्तियों को ऐसा प्लान खरीदते वक्त ध्यान में रखनी चाहिए.

एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस द्वारा कराए गए एक हालिया सर्वेक्षण में पता चला है कि लाइफ इंश्योरेंस एक ऐसा साधन है, जिसे लोग बीमा सुरक्षा में रहने के साथ ही एक सुरक्षा कवच बनाने के लिए सबसे अधिक प्राथमिकता देते हैं.

पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के लाइफ इंश्योरेंश के चीफ बिजनेस आफिसर संतोष अग्रवाल ने एनआरआई द्वारा भारत में लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीद पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए भारतीय लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के कुछ बड़े फायदे होते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों को मृत्यु लाभ (रेग्युलर टर्म प्लान) का तत्काल फायदा मिलता है. लाइफ इंश्योरेंस द्वारा ग्राहकों को एक कर मुक्त मृत्यु लाभ और संपत्ति निर्माण में सहायता भी की जाती है और यह उनके लिए अपनी वसीयत की योजना बनाने (होल लाइफ टर्म इंश्योरेंस) और अपने वारिस के लिए संपत्ति छोड़ जाने का एक उत्कृष्ट आर्थिक साधन भी विदेशी मुद्रा मूल बातें बनता है. अच्छी बात यह है कि भारत में ऐसी कई प्रमुख लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां हैं जो एनआरआई व्यक्तियों को भी लाइफ इंश्योरेंस की पेशकश करती हैं.

NRI ले सकते हैं लाइफ इंश्योरेंस प्लान
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के तहत अनिवासी भारतीय के साथ ही भारतीय मूल के लोगों को भी भारत में एक लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीदने की अनुमति दी गई है. यह लोग, चाहे भारत में रहते हों या नहीं, खुद को और अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा करने की अपनी जरूरतों के अनुसार कोई भी प्लान खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं.

लाइफ इंश्योरेंस कवर के प्रीमियम के भुगतान की बात आने पर ऐसे व्यक्ति एक एनआरओ बैंक अकाउंट या एनआरई/एफसीएनआर बैंक अकाउंट के जरिये विदेशी मुद्रा मूल बातें या फिर विदेशी मुद्रा में भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं. अगर आप विदेशी मुद्रा में भुगतान कर रहे हैं, तो पहले यह पता कर लें कि आपकी पॉलिसी किस मुद्रा में जारी की गई थी.

मेडिकल जांच जरूरी
भारत में टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के लिए एक एनआरआई व्यक्ति को अपने निवास के देश में मेडिकल परीक्षण कराना होगा और इसकी रिपोर्ट भारत में मौजूद बीमा कंपनी को भेजनी होगी. इन रिपोर्ट्स की जांच करने के बाद बीमा कंपनी द्वारा पॉलिसी जारी करने और प्रीमियम राशि के बारे में अंतिम फैसला किया जाता है.

फोन पर भी हो सकता है मेडिकल
कुछ बीमा कंपनियां टर्म पॉलिसी जारी करने के लिए एनआरआई ग्राहकों को टेली-मेडिकल से गुजरने की अनुमति भी प्रदान करती हैं. इस प्रक्रिया में एनआरआई ग्राहक को फोन कॉल पर कुछ निश्चित सवाल पूछे जाते हैं और उसके आधार पर पॉलिसी जारी कर दी जाती है.

अगर किसी एनआरआई ने भारत की एक बीमा कंपनी से एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है, तो इस पॉलिसी के लिए बीमित व्यक्ति की मृत्यु को कवर करना अनिवार्य होगा, फिर चाहे यह घटना किसी भी देश में हो. पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर उसके लाभार्थियों को भुगतान किया जाने वाला मृत्यु लाभ पॉलिसी दस्तावेज में उल्लेखित मुद्रा में होगा, यानी कि या तो भारतीय रुपये में या फिर किसी अन्य विदेशी मुद्रा में. मृत्यु दावा करने के लिए पॉलिसी के नॉमिनी को पॉलिसी शर्तों के अनुसार सभी दस्तावेज जमा करने होंगे.

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गौरतलब है कि आवश्यक दस्तावेजों की सूची हर बीमा कंपनी के लिए अलग हो सकती है. दावा करने के लिए अनिवार्य कुछ आम दस्तावेजों में - पॉलिसी की कॉपी, बीमित व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र, नॉमिनी का पहचान प्रमाण समेत अन्य शामिल हैं. सबसे जरूरी बात यह है कि अगर बीमित व्यक्ति की मौत किसी दूसरे देश में होती है, तो उसके नॉमिनी को संबंधित देश के भारतीय दूतावास से औपचारिक रूप से मृत्यु प्रमाण पत्र सत्यापित करा कर जमा करना होगा.

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