ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स

सेकंडरी बाजार ट्रेडिंग यांत्रिकी, आदेश के प्रकार, लघु बिक्री - Secondary Market Trading Mechanics, Order Types, Short Selling
सेकंडरी बाजार ट्रेडिंग यांत्रिकी, आदेश के प्रकार, लघु बिक्री - Secondary Market Trading Mechanics, Order Types, Short Selling
प्राइमरी बनाम सेकेंडरी मार्केट होता है। कोई कंपनी पहली बार लिस्ट होने के लिए पब्लिक इश्यू लाती है उसे प्राइमरी मार्केट कहते हैं। आईपीओ और पब्लिक इश्यू प्राइमरी मार्केट में लाए जाते हैं। लिस्ट होने के बाद शेयर सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड करते हैं। सेकेंडरी मार्केट में रोजाना शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। भारत में बीएसई - एनएसई सेकेंडरी मार्केट हैं।
सेकेंडरी मार्केट में ट्रेडिंग 2 तरह की होती है। ऑफलाइन ट्रेडिंग और ऑनलाइन ट्रेडिंगा शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए ट्रेडिंग, डीमैट और बैंक अकाउंट आपस में लिंक होना जरूरी होता है। ट्रेडिंग अकाउंट ब्रोकर के पास खुलता है।
ऑफलाइन ट्रेडिंग ट्रेडर्स खुद नहीं करते वह ट्रेडर्स ब्रोकर को फोन पर शेयर खरीदने को कहता है।
कई ट्रेडर्स डीलिंग रूम में बैठकर ब्रोकर के जरिए ट्रेडिंग करते हैं। सुबह साढ़े 9 बजे से शाम साढ़े 3 बजे तक ऑफलाइन ट्रेडिंग संभव है।
ऑनलाइन ट्रेडिंग ब्रोकर की वेबसाइट के जरिए ट्रेडर्स खुद करते हैं। ऑनलाइन ट्रेडिंग में ट्रेडिंग, बैंक और डीमैट अकाउंट आपस में लिंक होना जरूरी है। ऑनलाइन अकाउंट भी ब्रोकर के यहां खोला जाता है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में ब्रोकर से बात करना जरूरी नहीं होता। इन दिनों ऑनलाइन ट्रेडिंग मोबाइल के जरिए भी मुमकिन है। साथ ही कई ब्रोकर मोबाइल पर ट्रेडिंग एप भी मुहैया कराते हैं। मोबाइल के जरिए भी ब्रोकर की साइट से ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स ट्रेडिंग की जा सकती है।
ऑनलाइन ट्रेडर्स भी जरूरत पड़ने पर फोन पर ब्रोकर के जरिए ऑफलाइन ट्रेड कर सकते हैं। लेकिन ज्यादातर ब्रोकर ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेडिंह दोनों सुविधाएं देते हैं।
कॉन्ट्रैक्ट नोट ट्रेडिंग खत्म होने के बाद ब्रोकर शाम तक ट्रेडर्स के पास भेजता है। कॉन्ट्रैक्ट नोट में ट्रेडिंग से जुड़ा सारा हिसाब किताब होता है। कॉन्ट्रैक्ट नोट में शेयर की कीमत संख्या और खरीद-बिक्री की पूरी जानकारी होती हैं। कॉन्ट्रैक्ट नोट ईमेल के जरिए ट्रेडर्स को भेजा जाता है। ट्रेडर्स अगर चाहे तो कूरियर के जरिए कॉन्ट्रैक्ट नोट की हार्ड कॉपी भी भेजी जाती है।
ऑफलाइन ट्रेड दो तरह से होता है। पहले वो जो फोन पर ब्रोकर को ऑर्डर देकर ट्रेड करते है।
और दूसरे वो जो ब्रोकर के ऑफिस में बैठकर ट्रेड करते है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में ब्रोकर फोन पर ट्रेडर्स को लगातार अपडेट करता है।
फोन पर ट्रेडिंग की सारी बातचीत रिकॉर्ड की जाती है। ट्रेडिंग को लेकर विवाद होने पर रिकॉर्डिंग सुनी जाती है। फोन पर ट्रेडिंग हमेशा रिकॉर्डेड लाइन पर ही होनी चाहिए। ट्रेडिंग कन्फर्म होने की जानकारी एक्सचेंज भी ट्रेडर्स को भेजते हैं। ऑफलाइन ट्रेड में कॉन्ट्रैक्ट नोट बेहद जरूरी है। कॉन्ट्रैक्ट नोट ट्रेडिंग का सबूत होता है। ऑफलाइन ट्रेडिंग की जरूरी बातें है। विवाद और कन्फ्युजन से बचने के लिए ट्रेडर्स और ब्रोकर में बातचीत साफ
और स्पष्ट होनी चाहिए। शेयर का नाम सही सही बताया जाना चाहिए। साथ ही शेयर की कीमत स्पष्ट तौर पर बताई जानी चाहिए।
खरीद या बिक्री में शेयरों की संख्या भी साफ और स्पष्ट होनी चाहिए। शेयर खरीदना है या बेचना - ये भी साफ और स्पष्ट तौर पर बताया जाना चाहिए। अगर ब्रोकर और ट्रेडर्स में विवाद होता है तो सेबी के पास जाना चाहिए।
ब्रोकर अपने ट्रेडर्स को ज्यादा शेयर खरीदने के लिए लीवरेज भी देते हैं। जितना ज्यादा लीवरेज उतना ज्यादा फायदा या नुकसान के आसार होते है। पॉजिशन उतनी ही लें जितना फंड हो। लीवरेज ब्रोकर और ट्रेडर्स के रिश्तों पर निर्भर करता है।
रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स वो डॉक्युमेंट है जो पब्लिक इश्यू लाने से पहले सेबी को देना होता है। ये डॉक्यमेंट कंपनी के प्रोमोटर्स की ओर से मर्चेंट बैंकर सेबी को सौंपता हैं।
रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स में कंपनी और उसके प्रोमोटरों के बारे में सारी जानकारी दी जाती है। रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स में कंपनी के फाइनेंस, टैक्स और उससे जुड़े विवाद समेत हर चीज का ब्योरा होता है। रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स मर्चेंट बैंकर और ऑडिटर सर्टिफाइ करते हैं। सेबी की मंजूरी के बाद रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स का नाम बदलकर प्रॉस्पेक्ट्स हो जाता हैं। रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स मंजूर होने के बाद कोई कंपनी अपना आईपीओ ला सकती है। निवेशक को आईपीओ में पैसा लगाने से पहले प्रॉस्पेक्ट्स जरूर पढ़ना चाहिए। प्रॉस्पेक्ट्स में कारोबार से जुड़े रिस्क फैक्टर दिए जाते हैं। निवेशकों को रिस्क फैक्टर पर जरूर गौर करना चाहिए। ईपीएस का मतलब प्रति शेयर आय से हैं। टैक्स घटाने के बाद प्रति शेयर जो मुनाफा होता है उसे ईपीएस कहा जाता है।
कंपनी के मुनाफे को उसके शेयरों की संख्या से डिवाइड करके ईपीएस यानि प्रति शेयर आय निकाली जाती हैं। ईपीएस से भी शेयर की कीमत तय होती हैं। पीई यानि प्राइस टू अर्निंग रेशियो भी ईपीएस के आधार पर ही निकाला जाता है।
डेट यानि कर्ज और इक्विटी के बैलेंस को डेट टू इक्विटी रेशियो कहा जाता हैं। ये कर्ज और निवेश की गई पूंजी के संबंध को भी दिखाता हैं। कम डेट इक्विटी रेशियो वाली कंपनी को अच्छा समझा जाता हैं। अलग अलग सेक्टरों की कंपनियों में डेट टू इक्विटी रेशियो अलग अलग होता हैं। आमतौर पर इंफ्रा और पावर सेक्टर में डेट-टू-इक्विटी रेशियो ज्यादा होता है। जबकि एफएमजीसी और फार्मा सेक्टर का डेट-टू-इक्विटी रेशियो कम होता हैं।
ज्यादा डेट-टू-इक्विटी रेशियो वाली कंपनियों के शेयरों पर ज्यादा रिटर्न नहीं आते। ज्यादा डेट-टू-इक्विटी वाली कंपनियों में लंबे नजरिए निवेश फायदेमंद होता हैं।
ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स
टर्मिनलों आईएफसी बाजार की ट्रेडिंग निम्न आदेश प्रकार निष्पादित हैं: बाजार, लंबित, से लिंक, OCO और आदेश सक्रिय करा पीछे चल बंद करो मोड सर्वर आधारित है, यानी चल रही है यहां तक कि जब क्लाइंट का
Types of Stock Trading in Hindi: शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार से की जाती है? जानिए
Types of Trading in India: अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते है, तो पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते है?(Types of Trading in Stock Market) इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार से होती है। (Types of Trading in Hindi)
Types of Stock Trading in Hindi: शेयर मार्केट ट्रेडिंग में रुचि रखने वालों के लिए अवसरों का सागर है। यह बहुत ही आकर्षक है अगर ट्रेडिंग में सही रणनीति का पालन किया जाए तो आप खूब सारा पैसा बना सकते है। लेकिन एक बात आपको समझना चाहिए कि आप किस प्रकार की रणनीति से स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते है। दरअसल शेयर market में ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके मौजूद है। तो अगर शेयर मार्केट में आप भी निवेश करना चाहते है, तो पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते है?(Types of Trading in Stock Market) इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार से होती है। (Types of Trading in Hindi)
Types of Share Trading in India
1) इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
यह व्यापारियों द्वारा शेयर मार्केट में प्रचलित सबसे सामान्य प्रकार का व्यापार है। इंट्राडे ट्रेडिंग एक ही दिन के व्यापार को संदर्भित करता है। व्यापारियों को बाजार बंद होने से पहले उसी दिन अपने स्टॉक को बेचना और खरीदना या खरीदना और बेचना होता है। ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स इस स्टाइल को "व्यापार बंद करना" के रूप में भी जाना जा सकता है। यह किसी भी अन्य फॉर्मेट की तुलना में हाई ROIs चाहने वालों के लिए सबसे एग्रेसिव प्रकार के व्यापार में से एक है।
2) स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
यह एक प्रकार का शार्ट टर्म ट्रेडिंग है जो आम तौर पर 2 दिनों से 2 सप्ताह के बीच रहता है। जब कोई स्टॉक या ऑप्शन में निवेश करना चाहता है तो स्विंग ट्रेडिंग एक अच्छा विकल्प है। टेक्निकल ट्रेडर्स और चार्टिस्ट जो टेक्निकल टूल का उपयोग करके शार्ट टर्म प्राइस मोमेंटम का निरीक्षण करना पसंद करते हैं, इस कैटेगरी में आते हैं। ओवरनाइट ट्रेडों में अधिक मार्जिन के कारण यहां आवश्यक पूंजी दिन के कारोबार की तुलना में अधिक है।
3) आर्बिट्रेज ट्रेडिंग (Arbitrage Trading)
आर्बिट्रेज ट्रेडिंग एक ऐसी शैली है जो दो या दो से अधिक बाजारों या एक्सचेंजों में मूल्य अंतर का लाभ उठाती है। यह केवल एक विशाल नेटवर्क वाली प्रमुख ट्रेडिंग फर्मों के लिए रिजर्व्ड है क्योंकि इसके लिए कई एनालिटिकल स्किल की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अधिक नेटवर्क स्पीड की आवश्यकता होती है।
4) पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
यह एक लंबी अवधि की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। पोजीशनल ट्रेडर बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि उनकी दीर्घकालिक दृष्टि चीजों को सुलझाती है। व्यापारी हमेशा कंपनी के भीतर बड़े गेम चेंजर की तलाश में रहते हैं ताकि उन्हें उनका वांछित रिटर्न मिल सके, इसलिए होल्डिंग पीरियड सबसे महत्वपूर्ण चिंता का विषय नहीं है।
5) ऑप्शन स्ट्रेटेजीज (Options Strategies)
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए एक ऑब्जेक्टिव और मैथमेटिकल टाइप की सोच की आवश्यकता होती है। चूंकि रणनीति बनाना एक कठिन खेल है, इसलिए किसी को अपनी रणनीति बनाने और उन्हें लागू करने में अच्छा बनने के लिए थोड़ा अभ्यास और समय की आवश्यकता हो सकती है। भारत में, बहुत कम ऑप्शन ट्रेडर्स हैं, ज्यादातर जागरूकता की कमी ऐसा नहीं कर पाते।
6) ट्रेड युसिंग टेक्निकल एनालिसिस (Trade using Technical Analysis)
स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस ट्रेडिंग की किसी भी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। स्टॉक टेक्निकल एनालिसिस टूल का उपयोग आपको शेयर बाजार की मांग और आपूर्ति में निकट परिवर्तनों के बारे में बेहतर जानकारी दे सकता है। एक स्किल के रूप में टेक्निकल एनालिसिस होने से व्यापारियों को सफल दिन के व्यापारी, स्थितीय या यहां तक कि स्विंग व्यापारी बनने में मदद मिलती है।
7) मनी फ्लो बेस्ड ट्रेडिंग (Money Flow Based Trading)
Money Flow Based Trading ओपन इंटरेस्ट एनालिसिस, प्रमोटर डील, स्टेक सेल्स, ग्रॉस डिलीवरी डेटा, एफआईआई इनफ्लो और डीआईआई फ्लो इन और स्टॉक से बाहर पर निर्भर करती है। बाजार में आने वाले रुझानों की पहचान करने के लिए ऐसा डेटा आवश्यक है। यदि आपके पास पैसे के प्रवाह का विश्लेषण करने के लिए एक प्रवृत्ति है, तो यह आपके लिए सही प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति है।
8) ट्रेड ड्रिवेन बाई इवेंट्स (Trade Driven by Events)
इवेंट बेस्ड ट्रेडिंग एक कॉर्पोरेट इवेंट का लाभ उठाता है जो घटित हुई है या होने वाली है। यह विलय और अधिग्रहण, दिवालियेपन, कमाई कॉल आदि के समय बाजार की कीमतों में बदलाव का फायदा उठाने का प्रयास करता है। इस ट्रेडिंग स्टाइल को यह समझने के लिए टेक्निकल एनालिसिस स्किल की आवश्यकता होती है कि इस तरह के परिवर्तन किसी घटना के होने से पहले बाजार को कैसे प्रभावित करते हैं।
9) हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (High Frequency Trading)
हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग स्पीड के बारे में है। निवेश बैंक, संस्थागत व्यापारी, हेज फंड आदि हाई स्पीड वाले कंप्यूटरों का उपयोग हाई स्पीड पर बड़े आर्डर का लेन-देन करने के लिए करते हैं। चूंकि सब कुछ कंप्यूटर आधारित है, इसलिए एनालिसिस के लिए कोई जगह नहीं है और निष्पादन के लिए केवल क्विक कॉल है। इस प्रकार के व्यापार की सलाह व्यक्तियों को नहीं दी जाती है, लेकिन यदि आप रुचि रखते हैं, तो आप ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स अपना स्वयं का फंड शुरू कर सकते हैं या इसके प्रोग्रामर के रूप में एक फंड में शामिल हो सकते हैं।
10) क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग (Quantitative Trading)
क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग क्वांटिटेटिव एनालिसिस पर आधारित है। यह क्वांट फाइनेंस का एक बहुत ही जटिल क्षेत्र है। Statistical या Mathematical बैकग्राउंड के बहुत से लोग कंप्यूटर एनालिसिस और नंबर क्रंचिंग का उपयोग करके अपना स्थान पाते हैं। एक इच्छुक व्यक्ति के पास अच्छी प्रोग्रामिंग और मैथमेटिकल स्किल होना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि आप इस स्टाइल को अपनाने से पहले रिसर्च करें।
शेयर बाजार में लगाए गए पैसे से हर निवेशक की अलग-अलग जरूरतें और मांगें होती हैं। शेयर बाजार में कोई निर्णायक बेस्ट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी नहीं है क्योंकि सफलता उन्हें मिलती है जो अपनी शैली में इक्का-दुक्का होते हैं।
ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है
ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते है ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स आपके मन मे भी ये सवाल जरूर आया होगा की आखिर स्टॉक मार्केट में कितने प्रकार की ट्रेडिंग होती है. मै आपको बता दू स्टॉक मार्केट में चार प्रकार की ट्रेडिंग होती है intraday trading. Swing trading. Short term trading. Long term trading. ये चार प्रकार की ट्रेडिंग कैसे की जाती है ये हम आज आपको बतायेंगे तो चलीये जानते है.शेअर मार्केट मे ट्रेडिंग कैसे होती है. और कितने प्रकार की होती है.
Intraday trading – इंट्राडे ट्रेडिंग
जब मार्केट ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स 9 बजकर 15 मिनिट में शुरू होता है. और 3 बजकर 30 मिनिट मे बंद होता है. उस टाइम के अंदर आप जो कोई भी शेअर्स खरीद लेते है. या बेज देते है उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है. यांनी की आपको इसी टाइम के अंदर शेअर्स खरीद लेना है और बेच देना है. अब हम जानते है इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान
इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे
इंट्राडे ट्रेडिंग मे आपको शेअर बाजार के उतार-चढाव के बारे मे पता होना बेहात जरुरी है. इंट्राडे ट्रेडिंग से अगर अच्छे स्टॉक का शेअर्स आप खरीद लेते है तो आप 8000 रुपये per day से भी ज्यादा कमा सकते हो
इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान
इंट्राडे ट्रेडिंग मे जितना फायदा होता है उतना ही रिक्स और loss होता है,इस ट्रेडिंग मे आपको कोई ये नही बताएगा आखिर इंट्राडे मे ट्रेडिंग कैसे करे अगर आपके पास knowledge नही है और आप नये हो तो मेरी ये राय रहेगी आपके लिए ये ट्रेडिंग नही है. क्युकी नये लोग सबसे पहले यही ट्रेडिंग करना शुरू करते है और बाद में उनको असफलता मिलती है अब हम जानते है स्विंग ट्रेडिंग
Swing trading स्विंग ट्रेडिंग
इस ट्रेडिंग मे कोई भी स्टॉक खरीदकर कुछ दिनो मे या कुछ हप्तो के अंदर बेच सकते हो इसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है .इसे ट्रेडिंग किंग भी कहा जाता है. ये ट्रेडिंग इंट्राडे की तरह नही है लेकिन इसमे आप अपना टारगेट प्राईस लगाकर loss और profit को आसानी से झेल सकते हो
स्विंग ट्रेडिंग के फायदे
अगर आप नये हो तो सुरुवात मे आपको यही ट्रेडिंग करनी चाहिए तभी आप अच्छा स्टॉक select कर पाओगे और शेअर मार्केट के उतार और चढाव के बारे मे आसानी से और बारीकीसे जान पाओगे
स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान
स्विंग ट्रेडिंग मे अगर आप अच्छे स्टॉक को नही चुन, पाओगे तो आपको लॉस ही होगा क्यूकी इस ट्रेडिंग मे अच्छे स्टॉक को चूनना बेहद जरूरी है ताकी आप ज्यादा दिन तक अच्छे से स्टॉक मे invest कर सके
Short term trading शॉर्ट ट्रम ट्रेडिंग
जब कोई ट्रेडिंग कुछ हप्तो से लेकर कूछ महिनो मे complete होता है.उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग मे एक active trade investment हे आपको इसमे अपने स्टॉक पर नजर रखनी पडती है तभी आप अपने स्टॉक को minimise कर सकते है
शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे
वैसे तो इस ट्रेडिंग मे आप अगर पुरी research के साथ stock स्सिलेक्ट करोगे तो आप अपने लॉस ओर प्रॉफिट को मिनिमाईज कर पावोगे
शॉर्ट ट्रेडिंग के नुकसान
अगर आप किसीके कहने पर या YouTube पर video देखकर किसी स्टॉक को खरीद लेते हो तो आपको पक्का लॉस ही होगा क्युकी आप जिस किसी भी स्टॉक को सिलेक्ट करते हो ऊस कंपनी ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स के fundamentals के बारे मे हि आपको पता नही होता तभी आप लॉस मे जाते हो
Long term trading लॉंग टर्म ट्रेडिंग
अब आप इसके नाम से ही जान गये होंग आखिर लॉंग टर्म ट्रेडिंग क्या है. इस ट्रेडिंग में आप जो कोई स्टॉक एक साल या उससे ज्यादा के लिये खरीद लेते हो उसे लॉंग टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है
लॉंग टर्म ट्रेडिंग के नुकसान और फायदे
इसमे अगर आप कोई अच्छा स्टॉक सिलेक्ट नही कर पाओगे तो आपको नुकसान होगा .और रिसर्च करके अगर सिलेक्ट करोगे तो आपको बहुत ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है
दोस्तो आशा करता हु आपको यह आर्टिकल देहत पसंद आया होगा अगर आपका कोई सवाल है ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स तो आप हमे नीचे comment मे जरूर बताये और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे
संबंधित लेख
FAQ
ट्रेडिंग कितने प्रकार कि होती है
ट्रेडिंग चार प्रकार की ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स होती है
1, Intraday trading
2, Swing trading
3, Short term trading
4, Long term trading
नमस्ते दोस्तों आपका स्वागत है आपको इस website पर शेयर मार्केट, म्यूचल फंड, शेयर प्राइस टारगेट, इन्वेस्टमेंट,से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी रिसर्च के साथ हिंदी मे दी जाएगी
LET’S SANITISE OUR MIND AND PULL THE CHARIOT OF MERCY | PART 2 | DAMODAR DAS
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