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मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

Free Trade Agreement: सुनक के PM बनने से एफटीए की वार्ता को मिलेगी तेजी? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

ऋषि सुनक और नरेंद्र मोदी

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की समयसीमा दीपावली तक रखी गई थी। लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक परिवर्तन के बीच इस समझौते की समयसीमा पार हो गई। हालांकि, इस बीच भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन गए। इससे समझौते के लिए बातचीत में तेजी की उम्मीद की जा रही है।

जॉनसन के भारत दौरे के दौरान तय हुई थी समयसीमा

नरेंद्र मोदी, बोरिस जॉनसन के साथ

इसी साल अप्रैल में पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने इस समझौते को पूरा करने की समयसीमा तय की थी। वहीं, नए प्रधानमंत्री सुनक ने भी एफटीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। सुनक ने वित्तीय सेवाओं को द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के विशेष रोमांचक पहलू के रूप में चिह्नित किया है। उन्होंने वित्तीय प्रौद्योगिकी व बीमा क्षेत्र में दोनों देशों के लिए भारी अवसरों की ओर इशारा किया है।

एफटीए को लेकर सुनक ने जुलाई में क्या कहा था?

ऋषि सुनक

सुनक ने इससे पहले जुलाई में कहा था, मैं इस क्षेत्र और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की बढ़ती प्रभावशाली भूमिका का समर्थन करता हूं। इस दिशा में एफटीए एक बड़ा कदम साबित होगा।

एफटीए को सही दिशा में जाएगा : सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन

सिटी ऑफ लंदन कॉर्पोरेशन

वहीं, लंदन के वित्तीय केंद्र 'सिटी ऑफ लंदन कॉर्पोरेशन' ने उम्मीद जताई है कि सुनक का मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई वित्तीय सेवाओं पर ध्यान एफटीए को सही दिशा में ले जाएगा। सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन के पॉलिसी चेयरमैन क्रिस हेवर्ड ने कहा, भारत के साथ व्यापार समझौता ब्रिटेन के लिए सबसे महत्वकांक्षी और व्यावसायिक रूप से सार्थक समझौतों में से एक हो सकता है।

इसके अलावा, अब विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि ब्रिटेन में राजनीतिक स्थिरता अब समझौते के लिए बातचीत को तेज करने में मदद करेगी। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

सुनक का प्रधानमंत्री बनना एफटीए वार्ता को रफ्तार देने में मदद करेगा

लंदन, 25 अक्टूबर (भाषा) भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना दोनों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की वार्ता को जरूरी रफ्तार देने में मदद करेगा। इससे पहले भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए समझौते के लिए समयसीमा दीपावली तक रखी गई थी। लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह समयसीमा पार हो चुकी है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस साल अप्रैल में भारत की यात्रा के दौरान अक्टूबर तक इस समझौते के पूरा करने की समयसीमा तय की थी। वहीं, सुनक ने एफटीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की

इससे पहले भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए समझौते के लिए समयसीमा दीपावली तक रखी गई थी। लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह समयसीमा पार हो चुकी है।

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस साल अप्रैल में भारत की यात्रा के दौरान अक्टूबर तक इस समझौते के पूरा करने की समयसीमा तय की थी।

वहीं, सुनक ने एफटीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उन्होंने वित्तीय सेवाओं को द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के विशेष रूप से ‘रोमांचक’ पहलू के रूप में चिह्नित किया है और वित्तीय प्रौद्योगिकी तथा बीमा क्षेत्र में दोनों देशों के लिए भारी अवसरों की ओर इशारा किया है।

सुनक ने इससे पहले जुलाई में कहा था, ‘‘मैं इस क्षेत्र और दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की बढ़ती प्रभावशाली भूमिका का समर्थन करता हूं। इस दिशा में एफटीए एक बड़ा कदम साबित होगा।’’

ब्रिटेन की राजधानी के वित्तीय केंद्र सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन ने उम्मीद जताई कि सुनक का वित्तीय सेवाओं पर ध्यान एफटीए को सही दिशा में ले जाएगा।

सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन के पॉलिसी चेयरमैन क्रिस हेवर्ड ने कहा, ‘‘भारत के साथ व्यापार करार ब्रिटेन के लिए सबसे महत्वाकांक्षी और व्यावसायिक रूप से सार्थक समझौतों में से एक हो सकता है।’’

विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रिटेन में राजनीतिक स्थिरता अब समझौते के लिए बातचीत को तेज करने में मदद करेगी। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

भारतीय निर्यातकों के प्रमुख संगठन फियो के वाइस चेयरमैन खालिद खान ने कहा, ‘‘यह भारत के लिए एक बहुत ही सकारात्मक खबर है। यह घटनाक्रम निश्चित रूप से एफटीए को लेकर बातचीत को जरूरी गति देने में मदद करेगा।’’

हालांकि, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने कहा कि ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री पहले घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘संकट की स्थिति में व्यापार करार नहीं होते। ये तब होते हैं जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही होती है।’’

इससे पहले वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने 20 अक्टूबर को कहा था कि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते के लिए बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है और दोनों पक्षों के जल्द ही एक समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। दीपावली यानी 24 अक्टूबर तक तक बातचीत को पूरा करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन ब्रिटेन में राजनितिक अस्थिरता के बीच इस समयसीमा तक बातचीत पूरी नहीं हो सकी।

भारत को ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए FTA से मिलेगी नई पोजीशन

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार का समझौता हो चुका है। 21 नवंबर, 2022 को ऑस्ट्रेलिया की संसद ने इस समझौते को अपनी मंजूरी दे दी है। दोनों ही देशों के लिहाज से इस समझौते को काफी अहम समझा जा रहा है। दरअसल, इस समझौते से सर्विस मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई सेक्टर को नई ऊंचाई मिलने वाली है। केवल इतना ही नहीं इस समझौते से नौकरियों के भी अनेक अवसर पैदा होंगे। विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं इससे विश्व में भारत की स्थिति में और अधिक सुधार होगा। इसलिए इस समझौते के कई मायने समझे जा रहे हैं जिन्हें हम विस्तार से आगे समझेंगे, लेकिन पहले समझ लेते हैं कि आखिर ‘मुक्त व्यापार समझौता’ यानि ‘FTA’ (Free Trade Agreement) किसे कहते हैं.

क्या है मुक्त व्यापार समझौता ?

आसान शब्दों में कहें तो जब हमारे देश से कोई भी सामान दूसरे देश में भेजा जाता है या निर्यात किया जाता है तो वहां की सरकार उन सामानों या उन सर्विसेज पर कुछ टैक्स लगाती है जिन्हें ‘इम्पोर्ट ड्यूटी’ के तौर पर वसूला जाता है। इसे टेक्निकल भाषा में ‘टैरिफ’ कहा जाता है, लेकिन मुक्त व्यापार समझौते में व्यापार करने वाले देशों के बीच एक ऐसी लिस्ट तैयार की जाती है जिसमें कि उन सामानों पर या कुछ वस्तुओं पर शुल्क में छूट दी जाती है और अगर कोई ऐसा समझौता हो जिसमें कि शुल्क बिलकुल भी न लिया जाए तो उसे ‘मुक्त व्यापार समझौता’ कहा जाता है। हाल ही में ऐसा मुक्त व्यापार समझौता भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ है।

1 दशक में पहली बार किसी विकसित देश से मुक्त व्यापार समझौता

उल्लेखनीय है कि बीते एक दशक में ऐसा पहली बार है जब भारत ने किसी विकसित देश के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया है। इससे पहले जापान के साथ यह समझौता हुआ था जो विकसित राष्ट्र है। वहीं ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में यह पहली बार है कि उसने किसी देश के लिए 100 प्रतिशत टैरिफ लाइन खोलने का फैसला लिया है। ऐसे में इस फैसले से भारत को बड़ा लाभ मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई मिलने वाला है। आइए विस्तार से जानते हैं कैसे…?

वैश्विक कारोबार को लेकर बदला भारत का नजरिया

बदलते दौर के साथ वैश्विक कारोबार को लेकर भारत का नजरिया अब बदल चुका है। भारत अब द्विपक्षीय कारोबारी संबंधों पर ज्यादा जोर दे रहा है। यूएई (UAE) के साथ ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते के बाद अब ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते को अमलीजामा पहनाने का वक्त आ गया है।

समझौते को लेकर क्या बोले ऑस्ट्रेलियाई पीएम ?

गौरतलब हो, भारत व ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए इस ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बीते दिनों ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने एक ट्वीट करके यह जानकारी दी थी कि ऑस्ट्रेलियाई संसद ने इसे मंजूरी दे दी है। बीते मंगलवार को उन्होंने ट्वीट में लिखा ”भारत के साथ हमारा मुक्त व्यापार समझौता संसद से पारित हो गया है।”

भारत में भी इस समझौते को कैबिनेट की मिल चुकी है मंजूरी

वहीं भारत में भी इस समझौते को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है और इसे राष्ट्रपति की अनुशंसा के लिए भेजा गया है। भारत ने इस समझौते को ऐतिहासिक करार दिया है। पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के ट्वीट के जवाब में ट्वीट करते हुए कहा, आपका बहुत धन्यवाद। ये जो समझौता लागू होगा उसका दोनों ही देशों की बिजनेस कम्यूनिटी द्वारा स्वागत किया जा रहा है और यह भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस समझौते के संबंध में मीडिया को बताया कि आईटी क्षेत्र भारत-ऑस्ट्रेलिया FTA का सबसे बड़ा लाभार्थी होगा क्योंकि इस तरह के व्यापार समझौते में सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आगे जोड़ते हुए उन्होंने यह भी कहा कि “आज सेवाएं अर्थव्यवस्थाओं का एक प्रमुख हिस्सा हैं। बातचीत के दौरान हमारा ध्यान माल और सेवा दोनों पर है। उन्होंने आगे कहा “मुझे यकीन है कि हमारा आईटी उद्योग फॉर्म में इस बड़ी उपलब्धि से बेहद मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई खुश होगा। केवल इतना ही नहीं पहली बार, भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौता भारतीय शेफ और योग प्रशिक्षकों को भी वीजा प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि एफटीए के तहत हर बच्चे के प्रति प्रतिबद्धता है जो भारत से ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए जाता है, उसे वहां काम करने का अवसर मिलेगा, जो उसके शिक्षा के स्तर पर निर्भर करता है। एफटीए भारत में दवा उद्योग को भी बड़ा बढ़ावा देगा।

अब दोनों देशों के बीच नई शर्तों पर शुरू होगा कारोबार

बताना चाहेंगे कि दोनों ही देशों के बीच साझा नोटिफिकेशन जारी होने के एक महीने के बाद दोनों ही देशों के बीच नई शर्तों पर कारोबार शुरू जाएगा। दरअसल, पीएम मोदी और ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज के बीच बाली में G20 की बैठक के दौरान इस पर वार्ता हुई जिसके बाद यह फैसला लिया गया।

ऑस्ट्रेलिया के बाजार में भारत को मिलेगी 100 फीसदी पहुंच

ज्ञात हो, 2 अप्रैल 2022 को दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत ऐसा पहली बार हो रहा है कि भारत को ऑस्ट्रेलिया के बाजार में 100 फीसदी पहुंच मिलने से कारोबार में फायदा होगा।

इन सेक्टर को मिलेगा बूस्ट-अप

इस समझौते से जेम्स एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, फर्नीचर, कृषि उत्पादों के निर्यात में फायदा होगा। इसके साथ-साथ इंजीनियरिंग गुड्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी मदद मिलेगी।

सस्ते दाम पर मिलेगा रॉ मटेरियल

भारत-ऑस्ट्रेलिया को कोयला, मिनरल अयस्क और वाइन आदि के एक्सपोर्ट में तरजीह देगा जो भारत को सस्ते दाम पर मिलेंगे जिससे भारतीय उद्योगों को भी बड़ा लाभ मिलेगा। बताना चाहेंगे दोनों देशों के बीच साल 2022 में 31 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ, जो आगामी पांच साल में 45-50 अरब डॉलर तक जा सकता है।

10 लाख रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीद

इस समझौते से अगले कुछ साल में भारत में 10 लाख रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। महज इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए 4 साल तक का वीजा दिए जाने का भी प्रावधान है। इस कदम से 1 लाख छात्रों को मदद मिलेगी। साथ ही हर साल योगा और शेफ के काम के लिए 1,800 वीजा को जारी करने की भी मंजूरी दे दी गई है।

फ्री ट्रेड के रास्ते पर बढ़ेंगे भारत-जर्मनी

भारत और जर्मनी ने इस साल के अंत तक अपने बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने का फैसला किया है.

बर्लिन।। भारत और जर्मनी ने इस साल के अंत तक अपने बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तीन दिवसीय जर्मनी यात्रा के अंतिम दिन शुक्रवार को इस बात पर सहमति बनी। हालांकि, बीजेपी इस तरह के समझौते के खिलाफ है और उसकी मांग है कि संसद में इसका फैसला होना चाहिए।

पर रास्ते में हैं कई बाधाएं
दोनों देशों के बीच एफटीए को लेकर भले ही आपसी सहमति बनती दिख रही हो, लेकिन इसकी राह में कई बाधाएं भी हैं। मर्केल ने भी गुरुवार को इस तरफ ध्यान दिलाया था। उन्होंने जहां भारत के इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने की मांग की थी वहीं यूरोप से भारत आयात किए जाने वाले ऑटोमोबाइल्स पर टैरिफ घटाने की बात कही थी। इधर, मुख्य विपक्षी पार्टी भी एफटीए को लेकर खुश नहीं है। उसने इस कदम को विवादास्पद करार देते हुए संसद में इस मुद्दे पर आखिरी फैसला कराए जाने की मांग की है। पार्टी को डर है मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई कि यह समझौता होने से भारतीय बाजारों में यूरोप के डेरी, चीनी, गेहूं और अन्य सामानों की बाढ़ आ जाएगी।

पीएम भारत के लिए रवाना
जर्मनी की तीन दिनों की यात्रा पूरी कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शुक्रवार को स्वदेश के लिए रवाना हो गए। यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच जहां आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए बातचीत हुई वहीं कुल छह समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इनमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान के लिए अगले चार साल में 70 लाख यूरो खर्च करने का समझौता और जर्मनी द्वारा भारत में हरित ऊर्जा गलियारा की स्थापना के लिए एक अरब यूरो का रियायती कर्ज प्रदान करने का समझौता भी शामिल है। यात्रा के बीच पीएम ने साफ किया कि भारत आथिर्क वृद्धि में तेजी लाने के अपने संकल्प पर 'दृढ़' है।

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