क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है?

इससे पहले की स्थिति सामान्य होती और पर्यटन उद्योग रफ्तार पकड़ता, कोविड -19 ने श्रीलंका समेत पूरे विश्व को प्रभावित कर दिया। हालांकि पहली दो लहरों ने श्रीलंका में कम बर्बादी मचाई लेकिन तीसरी लहर ने तो पूरे द्वीप को बर्बाद ही कर दिया। हालांकि कोविड महामारी के शुरुआती लहरों के दौरान श्रीलंका की स्थिति अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अच्छी रही, लेकिन चीन और यूरोपीय संघ के देशों जैसे इसके प्रमुख निर्यात गंतव्य स्वास्थ्य संबंधी गंभीर आपात स्थितियों से जूझ रहे थे। इसलिए, इन देशों में श्रीलंका से किया जाना वाला निर्यात स्वाभाविक रूप से प्रभावित हुआ। परिधान के कई कारखाने, जो निर्यात की एक प्रमुख वस्तु और श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत हैं, महीनों तक बंद पड़े रहे।
क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है?
10 लाख रूपये तक अर्जित किए गए ब्याज पर टीडीएस दर- 30.90%
10 लाख रूपये से अधिक अर्जित किए गए ब्याज पर टीडीएस दर- 33.99% अधिभार शुल्क सहित
- दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों (धारक प्रतिभूतियों के अतिरिक्त), कोषागार बिलों, घरेलू म्यूचुअल फंडों में
- पीएसयू (PSUs) द्वारा जारी बॉन्डों में
- भारत सरकार द्वारा विनिवेशित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के शेयरों में ऐसे निवेशों के लिए निधि विदेशी प्रेषण अथवा एनआरआई/एफसीएनआर खातों के माध्यम से प्राप्त होनी चाहिए.
- निवेशी कंपनी, भारतीय रिर्ज़व बैंक के स्वचालित माध्यम के अतिरिक्त किसी क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? अन्य गतिविधि में संलग्न न हो
- निवेश भारतीय रिर्ज़व बैंक के विनिर्दिष्टानुसार सेक्टरवार सीमाओं के अंतर्गत हो
- निवेशों के लिए निधियां, विदेशी आंतरिक प्रेषण के माध्यम से या एनआरई/एफसीएनआर खातों के माध्यम से प्राप्त हुई हो.
- विनिवेश राशि के आगम किसी शेयर दलाल के माध्यम से प्रचलित बाजार मूल्य पर किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा भारतीय करों को काटकर भेजी जानी हो.
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रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, 1466 अंक टूटा सेंसेक्स, समझिए रुपया गिरते ही क्यों मच जाती है हाय-तौबा
डॉलर के मुकाबले रुपया 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. आइए समझते हैं रुपया गिरता है तो क्या होता है.
रुपया.. रुपया.. रुपया.. आज फिर से हर तरफ रुपये की ही बात हो रही है. एक दिन पहले ही सुपरटेक का ट्विन टावर जमींदोज हुआ है और अब रुपया अपने ऑल टाइम लो के लेवल पर जा पहुंचा है. पूरी मीडिया में ट्विन टावर छाया हुआ था, लेकिन रुपये की गिरावट ने ट्विन टावर के गिरने की खबर को थोड़ा फीका बना दिया है. रुपये ने 29 अगस्त को रेकॉर्ड निचला स्तर छुआ है और डॉलर के मुकाबले 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? वजह से शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया है. शेयर बाजार में सेंसेक्स करीब 1466 क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. रुपये ने आज हर तरफ हाय-तौबा मचा दी है.क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है?
कितना गिर गया शेयर बाजार?
रुपये में गिरावट की वजह से सुबह सेंसेक्स करीब 1499 अंक गिरकर खुला. हालांकि, बाद के कारोबार में सेंसेक्स ने काफी हद तक रिकवर किया, लेकिन दोपहर तक भी सेंसेक्स 700-800 अंक से अधिक गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था. गिनी-चुनी कुछ कंपनियों को छोड़ दें तो सेंसेक्स की करीब 80 फीसदी कंपनियां लाल निशान में कारोबार कर रही थीं. शाम होते-होते सेंसेक्स की गिरावट 861 अंक रह गई और बाजार 57,972 अंकों क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? पर बंद हो गया.
इस हफ्ते की शुरुआत रुपये में गिरावट के साथ हुई है. सोमवार को रुपया करीब 28 पैसे गिरकर 80.12 रुपये के स्तर पर पहुंच गया. हालांकि, बाद में रुपये में तेजी से रिकवरी भी देखने को मिली, जिसकी एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि रिजर्व बैंक ने कुछ डॉलर्स बेचे हों. इस गिरावट की वजह है डॉलर में आई मजबूती. इसके चलते सिर्फ रुपया ही नहीं, बल्कि बाकी देशों की करंसी भी कमजोर हुई है. डॉलर को मजबूती मिली है अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान से. उन्होंने साफ कहा है कि केंद्रीय बैंक की सख्ती से परिवारों और कंपनियों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है.
रुपया गिरने का क्या है मतलब?
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिका मुद्रा (डॉलर) के मुकाबले रुपया गिरने का मतलब है कि भारत की करंसी कमजोर हो रही है. इसका मतलब अब आपको आयात में चुकाई जाने वाली राशि अधिक देनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्लोबल स्तर पर अधिकतर भुगतान डॉलर में होता है. यानी रुपया गिरता है हमे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है, जिससे हमारा विदेशी मुद्रा भंडार कम होने लगता है. यही वजह है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट आते ही सबसे पहले तमाम देश आयात पर रोक लगाते हैं.
एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपको कुछ आयात करने में 1 लाख डॉलर देने पड़ रहे हैं. साल की शुरुआत में डॉलर की तुलना में रुपया 75 रुपये पर था. यानी तब जिस आयात के लिए 75 लाख रुपये चुकाने पड़ रहे थे, अब उसी के लिए 80 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले रुपया 80 रुपये के भी ऊपर निकल चुका है.
Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया रेकॉर्ड लो लेवल पर, जानिए क्याें चढ़ी अमेरिकी करेंसी की कीमत
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ रिजर्व्स को बुलाया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका है जब रूस ने रिजर्व सैनिकों को बुलाया है। इससे डॉलर के खिलाफ यूरो 20 साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। अभी इसका भाव 0.9807 डॉलर चल रहा है। डॉलर के मजबूत होने से दुनिया के अधिकांश देशों की करेंसीज में गिरावट आई है। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, सिंगापुर और चीन की करेंसीज दो साल के निम्नतम स्तर पर है जबकि ब्रिटिश पौंड 37 साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई है। जापानी की करेंसी येन भी डॉलर के खिलाफ 24 साल के निम्नतम स्तर पर है।
Foreign exchange reserves: रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत को लगी 80 अरब डॉलर की चपत! जानिए कैसे
क्यों आई गिरावट
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का स्थानीय मुद्रा पर असर पड़ा। इसके अलावा कच्चे तेल के दामों में मजबूती और निवेशकों की जोखिम न लेने की प्रवृत्ति ने भी रुपये को प्रभावित किया। रुपया बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 22 पैसे की कमजोरी के साथ 79.96 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने यह भी कहा है कि महंगाई से सख्ती से निपटा जाएगा। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.49 प्रतिशत बढ़कर 90.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14.73 अरब डॉलर बढ़कर 544 अरब डॉलर के पार
नई दिल्ली। आर्थिक र्मोचे (economic front) पर सरकार के लिए अच्छी खबर है। विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) में एक साल से ज्यादा की सबसे तेज बढ़ोतरी (fastest rise) दर्ज हुई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11 नवंबर को समाप्त हफ्ते के दौरान 14.73 अरब डॉलर (increased by $ 14.73 billion) बढ़कर 544.72 अरब डॉलर (cross $ 544.72 billion) के पार पहुंच गया है।
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के जारी आंकड़ों के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार 11 नवंबर को समाप्त हफ्ते के दौरान 14.73 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में अगस्त 2021 के बाद यह सबसे ज्यादा बढ़ोतरी रही है। इससे पहले बीते 4 नवंबर को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 529.99 अरब डॅालर रहा था।
आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान मुद्रा भंडार का अहम घटक विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) भी 11.8 अरब डॅालर की वृद्धि के साथ 482.53 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इसी तरह देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 2.64 अरब डॉलर बढ़कर 39.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरूआत में अपना विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्तर पर था, लेकिन रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक को डॉलर खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखने को मिल रहा है। हालांकि, 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॉलर था। तब से रुपये में गिरावट का माहौल है। (एजेंसी, हि.स.)
भारतीय वैश्विक परिषद
अपनी वर्तमान विदेशी मुद्रा संकट के बीच श्रीलंका ने अगस्त 2021 में देश क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? में आपातकाल की घोषणा की थी। श्रीलंका के ज्यादातर बैंक आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए क्या विदेशी मुद्रा है और कैसे यह कारोबार कर रहा है? धन मुहैया कराने हेतु विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहे हैं। देश के राजस्व में करीब 80 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई है। [i] सेंट्रल बैंक ने एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 200 रुपये से अधिक की दर से वायदा कारोबार और रुपये के स्पॉट ट्रेडिंग (हाज़िर कारोबार) पर प्रतिबंध लगा दिया है [ii] । इसके कारण इस द्वीपीय राष्ट्र में विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है। हालांकि, यह स्थिति रातोंरात नहीं बनी है। इसके कई कारण हैं जैसे 2019 में ईस्टर बम हमले, कोविड-19 महामारी का फैलना और कई राजनीतिक फैसले जिन्होंने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए। आसन्न संकट को भांपते हुए सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही वाहनों, खाद्य तेलों और कुछ अन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाकर इसे टालने की कोशिश की लेकिन इससे कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ। इस संकट की ओर ले जाने वाले कई महत्वपूर्ण कारकों में से कुछ महत्वपूर्ण कारकों का विश्लेषण इस लेख में किया गया है।