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आसान विदेशी मुद्रा

आसान विदेशी मुद्रा
बता दें कि राजधानी के लाल किला इलाके में हाल ही में एक व्यक्ति के पास से तीन लाख रुपए मूल्य के नकली नोट जब्त किए गए हैं। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ने बताया था कि विशेष शाखा को यह सूचना मिली थी कि पश्चिम बंगाल के मालदा के जरिए उच्च गुणवत्ता के नकली नोटों की आपूर्ति की जा रही है। पुलिस उपायुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) पी एस कुशवाह ने बताया था कि 12 जनवरी को गुप्त सूचना के आधार पर 45 वर्षीय नरेंद्र को गिरफ्तार किया गया। उसके पास से तीन लाख रुपए मूल्य के नकली नोट जब्त किए गए। सारे नोट 2000 रुपए के हैं।

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आखिर, अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार जमा क्यों करता है रिजर्व बैंक, क्या आप जानते हैं?

विदेशी मुद्रा भंडार

नई दिल्ली : किसी भी देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार उतना ही आवश्यक है, जितना कि किसी घर में सोना का जमा होना जरूरी है. विदेशी मुद्रा भंडार जमा रहने के बाद कोई भी आवश्यक वस्तुओं का आसानी से आयात करने में सक्षम होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट की स्थिति या आड़े वक्त में ठीक उसी तरह काम करता है, जिस तरह किसी घर में पैसों की कमी होने या विपत्ति के समय में सोना या गहना काम आता है. श्रीलंका की विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने का ही नतीजा है कि उसे आज आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. महंगाई चरम पर है और दूसरे देशों से आवश्यक वस्तुओं का आयात पूरी तरह से प्रभावित है. विदेशी मुद्रा भंडार जमा करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कंधों पर होती है.

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा या विदेशी मुद्रा भंडार अनिवार्य रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित के रूप में रखी गई संपत्ति है, जिसका इस्तेमाल आर्थिक संकट या आड़े वक्त में किया जाता है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल विनिमय दर का समर्थन करने और मौद्रिक नीति बनाने के लिए किया जाता है. भारत के मामले में विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, सोना और विशेष आहरण अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कोटा शामिल है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय प्रणाली में मुद्रा के महत्व को देखते हुए अधिकांश भंडार आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में रखे जाते हैं. कुछ केंद्रीय बैंक अपने अमेरिकी डॉलर के भंडार के अलावा ब्रिटिश पाउंड, यूरो, चीनी युआन या जापानी येन को भी अपने भंडार में रखते हैं.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रकार के लेनदेन अमेरिकी डॉलर में तय किए जाते हैं. आयात का समर्थन करने के लिए किसी भी देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना आवश्यक है. अगर किसी देश के पास विदेशी मुद्रा या उसके पास डॉलर नहीं होगा, तो वह आवश्यक वस्तुओं का दूसरे देशों से आयात नहीं कर सकता है, जैसा कि श्रीलंका के साथ हुआ. श्रीलंका में आर्थिक संकट आने के पीछे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आना है. कोरोना महामारी के दौरान उसका पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ. विदेश पर्यटकों के आगमन थम जाने से श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी आ गई, जिसकी वजह से वह अपने देश की जनता की रोजमर्रा की वस्तुओं का आयात करने में विफल हो गया. इसलिए महंगाई चरम पर पहुंच गई.

भारत ने श्रीलंका को दिया सहयोग

आलम यह कि आर्थिक संकट के इस दौर में भारत में पेट्रोलियम पदार्थ और खाद्य पदार्थों के अलावा दूसरे प्रकार की सहायता भी उपलब्ध कराई है. वहीं, अगर उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता, तो संकट के इस दौर में उसका आवश्यक वस्तुओं का आयात प्रभावित नहीं होता और देश में महंगाई चरम पर नहीं पहुंचती.

इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार घरेलू स्तर पर मौद्रिक और आर्थिक नीतियां तैयार करने में सरकार और रिजर्व बैंक के लिए अहम भूमिका निभाता है. विदेशी पूंजी प्रवाह में अचानक रुकावट आ जाने की वजह से हमारी आर्थिक और मौद्रिक नीतियां प्रभावित होने के साथ ही आम जनजीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर घर में जब पैसे और पूंजी या फिर आमदनी में कमी आ जाती है या किसी की नौकरी अचानक छूट जाती है, तो घर में रखा हुआ सोना ही आड़े वक्त में काम आता है. सोना या गहनों को बेचकर घर का मुखिया परिवार की जरूरतों को पूरा करता है और स्थिति सामान्य होने के बाद वह फिर उतने ही या उससे अधिक सोने का भंडारण कर लेता है. नकदी विदेशी मुद्रा जमा करने से इस तरह की चुनौतियों से निपटने में आसानी होती है और यह विश्वास दिलाता है कि बाहरी झटके के मामले में देश के महत्वपूर्ण आयात का समर्थन करने के लिए अभी भी पर्याप्त विदेशी मुद्रा होगी.

मई के आखिर सप्ताह में 3.854 अरब डॉलर बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार

बता दें कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 27 मई को समाप्त हुए सप्ताह में 3.854 अरब डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर हो गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में हुई बढ़ोतरी के कारण हुई है. इससे पिछले सप्ताह, विदेशी मुद्रा भंडार 4.230 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर हो गया था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में वृद्धि होना है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक है. आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 3.61 अरब डॉलर बढ़कर 536.988 अरब डॉलर हो गई.

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नकली नोटों की पहचान करना हुआ आसान, चेकफेक ने पेश किया ऐप, विदेशी मुद्रा भी जांचें

नकली नोटों की पहचान करना हुआ आसान, चेकफेक ने पेश किया ऐप, विदेशी मुद्रा भी जांचें

इस तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किया गया है।

ऑनलाइन प्रौद्योगिकी कंपनी चेकफेक ब्रैंड प्रोटेक्शन सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने ‘चेकफेक’ ऐप पेश किया है, जिससे विश्व की किसी भी मुद्रा के नोट की जांच की जा सकती है। चेकफेक के निदेशक और सहसंस्थापक तन्मय जयसवाल ने इस मौके पर कहा, “चेकफेक एक आॅनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां कोई भी विश्व के किसी भाग में प्रचलित मुद्रा की जांच कर सकता है। यह ऐप आईओएस और एंड्रॉयड पर नि:शुल्क उपलब्ध है।” मौजूदा समय में विश्व भर में फैले जाली नोटों की कुल कीमत 170 अरब डॉलर आंकी गई है, जो इन्हें विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है।

विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार फिर लुढ़का

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और आसान विदेशी मुद्रा स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में गिरावट के बाद पिछले सप्ताह दर्ज हुई बढ़त के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में इस बार बढ़त दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से होता है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।

सालाना बिक्री से ज्यादा भारत की मासिक कार सेल

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Image Source : FILE

अब पाकिस्तान के ऑटोमोबाइल सेक्टर का रुख कर लेते हैं। पाकिस्तान ने 2021-22 में करीब हर साल करीब 2,79,267 कारों की बिक्री की थी। भारत से मुकाबला करें तो यह कहीं नहीं टिकती। सिर्फ जुलाई 2022 के आंकड़ों की बात करें तो भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियों ने 2,93,865 कारों की बिक्री की थी। भारत में सिर्फ मारुति ही करीब 1.5 लाख कारें हर महीने बेच देती है।

लगातार 9वें हफ्ता घटा विदेशी मुद्रा भंडार, क्या होगा घटते रिजर्व का असर

लगातार 9वें हफ्ता घटा विदेशी मुद्रा भंडार, क्या होगा घटते रिजर्व का असर

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: Oct 08, 2022 | 10:23 AM

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला लगातार 9वें दिन भी जारी रहा है. गिरावट के साथ अब देश का भंडार 2 साल के निचले स्तरों पर पहुंच गया है. रिजर्व बैंक पहले ही कह चुका है कि देश के रिजर्व में आ रही गिरावट का अधिकांश हिस्सा एक्सचेंज रेट की वजह से है. डॉलर के मुकाबले रुपया फिलहाल रिकॉर्ड निचले स्तरों पर पहुंच गया है. रिजर्व में लगातार आ रही गिरावट की वजह से चिंताएं बढ़ी हैं. हालांकि रिजर्व बैंक कह चुका है कि गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा के मामले में भारत की स्थिति काफी मजबूत है. जानिए अगर रिजर्व एक सीमा आसान विदेशी मुद्रा से ज्यादा गिरता है तो अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ता है.

कहां पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रहने के बीच 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया है. भंडार इससे पिछले सप्ताह में 8.134 अरब डॉलर कम होकर 537.518 अरब डॉलर पर रहा था. माना जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपये दर में गिरावट को रोकने के जारी प्रयासों के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी आई है. देश की विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.

आरबीआई की तरफ से शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट के कारण 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल पूरे भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 4.406 अरब डॉलर घटकर 472.807 अरब डॉलर रह गया. डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या आसान विदेशी मुद्रा मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है.

क्या है कमजोर रिजर्व का असर

उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए घटता हुआ विदेशी मुद्रा भंडार बेहद चिंता का विषय है.दरअसल विदेशी मुद्रा की मदद से केंद्रीय बैंक घरेलू करंसी में तेज गिरावट के नियंत्रित कर सकते हैं. जब उतार-चढ़ाव का दौर रहता है तो तेज गिरावट की स्थिति में बैंक अपने भंडार का इस्तेमाल कर करंसी को संभाल सकते हैं. इससे अनिश्चितता के बीच करंसी को नियंत्रित दायरे में रखा जा सकता है. और आयात बिल देश के नियंत्रण में रहता है. हालांकि रिजर्व घटने ये क्षमता खत्म हो जाती है और करंसी में तेज गिरावट अर्थव्यवस्था में दबाव बढ़ा देती है.

वहीं मजबूत रिजर्व से विदेशी कारोबारियों और निवेशकों के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा बढ़ता है. क्योंकि इससे संकेत जाता है कि अर्थव्यवस्था किसी छोटे मोटे झटके को आसानी से सहन कर सकती है. मजबूत रिजर्व विदेशी निवेश बढ़ाने और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का भरोसा जीतने में काफी मददगार साबित होता है. ऐसे जितने भी देश जिनका भंडार खत्म होने के करीब पहुंच गये हैं वहां से न केवल निवेशकों ने दूरी बना ली है साथ ही क्रेडिट रेटिंग घटने से नए कर्ज जुटाने में भी समस्या आ रही हैं.

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