लीजिंग और क्रेडिट

क्या यह एक पट्टे पर कार खरीदने लायक है?
उधार लें या लोन कार खरीदें? सबसे दिलचस्प क्या है? आज, लीजिंग आपके लिए उपलब्ध एक अनुबंध है। लेकिन, हम अक्सर खुद से यह सवाल पूछते हैं: क्या लीज पर कार खरीदना उचित है? इस पाठ के माध्यम लीजिंग और क्रेडिट से उत्तरों की खोज करें।
एलओए का सिद्धांत क्या है?
LOA एक रेंटल सिस्टम है जिसमें खरीदने का विकल्प होता है, यानी आप अपने निपटान में एक कार के लिए हर महीने एक निश्चित किराए का भुगतान करते हैं। अनुबंध की अवधि 2 से 5 वर्ष के बीच है। इस अनुबंध के लिए धन्यवाद, आप पैसा कमाते हैं और आपका वाहन बेहतर ढंग से सुसज्जित है। हालांकि, किराये लीजिंग और क्रेडिट की लागत उस वाहन के प्रकार पर निर्भर करती है जिसे आप किराए पर लेना चाहते हैं और किराये की अवधि।
कार किराए लीजिंग और क्रेडिट पर लेना या खरीदना? कौन सा चुनना है?
बिना लोन के सीधे नई कार खरीदना दुर्लभ है। खरीदार प्रस्तावों की तुलना करना पसंद करते हैं ताकि बहुत अधिक ब्याज का भुगतान न करें। दरअसल, कार खरीदते या किराए पर लेते समय ब्याज दर के साथ-साथ मासिक भुगतान की जाने वाली राशि को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए, क्रेडिट संगठन ऑनलाइन सिमुलेटर प्रदान लीजिंग और क्रेडिट करते हैं जो आपको भुगतान किए जाने वाले मासिक भुगतान की राशि, साथ ही जमा राशि की जांच करने की अनुमति देते हैं।
एलओए का लाभ यह है कि यह सभी प्रकार की गुणवत्ता वाली कारों की पेशकश करता है। परिणामस्वरूप, आपको एक विश्वसनीय, उच्च गुणवत्ता वाली कार मिलने का सौभाग्य प्राप्त होगा। LOA सेवाएं सभी के लिए सुलभ हैं, चाहे आप व्यवसाय हों या व्यक्ति। और अनुबंध के अंत में, आपके पास किराये की कार खरीदने का विकल्प होता है। आपको किसी भी प्रकार की कार पर मेंटेनेंस और वारंटी भी मिलेगी।
हालांकि, LOA कार का रेंटल प्राइस साधारण रेंटल कार की तुलना में अधिक होता है। इसके अलावा, किरायेदार को दंडित होने से बचने के लिए अनुबंध में किलोमीटर की संख्या का सम्मान करना चाहिए।
अगर आपको लीजिंग कार या नई कार में से किसी एक को चुनना है, तो जवाब आपके बजट और आपकी अपेक्षाओं पर निर्भर करेगा। वास्तव में, एक कार लीज का बीमा सर्वोत्तम संभव तरीके से किया जाना चाहिए। यदि आप कानूनी दायित्वों से मुक्त होना चाहते हैं, तो लीजिंग कार खरीदने पर विचार करें। इसके अलावा, बैंक या क्रेडिट एजेंसियां आपको कार लीज देने से पहले चुकाने की आपकी क्षमता की जांच करती हैं। हम आपको दृढ़ता लीजिंग और क्रेडिट से सलाह देते हैं कि किसी भी हस्ताक्षर और किसी भी प्रतिबद्धता से पहले अनुबंध को ध्यान से पढ़ें।
SEBI से मिल सकता है 1 करोड़ का इनाम, बस करना होगा ये काम
आने वाले दिनों में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और कंपनियों पर मार्केट रेग्युलेटर SEBI की सख्ती बढ़ने वाली है. इसके लिए SEBI लोगों से मदद लेकर इसके एवज में इनाम देने की तैयारी में है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 21 अगस्त 2019,
- (अपडेटेड 21 अगस्त 2019, 1:00 PM IST)
निवेशकों की सुरक्षा के लिए मार्केट रेग्युलेटर SEBI एक खास पहल करने जा रही है. इसके तहत कंपनियों में इनसाइडर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी देने वाले लोगों को 1 करोड़ रुपये तक का पुरस्कार मिल सकता है. गोपनीय जानकारी देने के लिए एक अलग हॉटलाइन भी रखी जायेगी. जांच में सहयोग करने पर मामूली गलतियों के लिए माफी अथवा निपटान समझौता भी किया जा सकेगा.
यहां बता दें कि जब कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़ा कोई व्यक्ति अंदरूनी जानकारी के आधार पर शेयर खरीद या बेचकर गलत तरीके से मुनाफा कमाता है तो इसे इनसाइडर ट्रेडिंग या भेदिया कारोबार कहा जाता है. इससे कंपनी पर भरोसा करने वाले निवेशकों को नुकसान होता है. अब निवेशकों के इसी नुकसान को बचाने के लिए सेबी कंपनियों पर सख्ती बढ़ाने की तैयारी में है.
इस योजना पर भी हो रहा काम!
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर भी कड़ी निगरानी रखने की योजना पर काम हो रहा है. यही नहीं, नगर निगमों द्वारा धन संसाधन जुटाने के लिए जारी किये जाने वाले म्युनिसिपल या ‘मुनी बांड’ के मामले में भी नियमों को सरल बनाने पर भी फैसला हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो नगर निकायों की ही तरह काम करने वाले दूसरे उद्यम अथवा निकाय भी ‘मुनी बांड’जारी कर धन जुटा सकेंगे और उन्हें शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया जायेगा. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सेबी निदेशक मंडल की बैठक में तमाम मुद्दों पर बात होगी और निर्णय लिया जायेगा.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर सख्ती क्यों?
दरअसल, कर्ज में डूबी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) के मामले में रेटिंग एजेंसियों की भूमिका संदेह के घेरे में है. कुछ रेटिंग एजेंसियों पर आरोप है कि उन्होंने कंपनी के संभावित जोखिम के बारे में नहीं बताया और बढ़ा-चढ़ाकर रेटिंग दी. सेबी का अब रेटिंग एजेंसियों को लेकर अपने नियमों में संशोधन का प्रस्ताव है. इन एजेंसियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी सूचीबद्ध अथवा गैर- सूचीबद्ध कंपनियों को रेटिंग देने से पहले उनके मौजूदा और भविष्य में लिये जाने वाले कर्ज के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त करेगी.
अब बिना कार खरीदे बनें गाड़ी मालिक, महिंद्रा, ह्युंडई के बाद अब मारुति सुजुकी भी कार लीजिंग को तैयार
भारत का ऑटोमोबाइल लंबे समय से बुरे दौर से गुजर रहा है। पहले यह सेक्टर आर्थिक मंदी की मार से जूझता रहा और अब कोरोना की मार ने और ज्यादा मुसीबत में पहुंचा दिया है। लेकिन इस बीच कंपनियां भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह के बिजनेस मॉडल की तलाश में लगी हैं।
फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया
Highlights व्हीकल लीजिंग स्ट्रैटिजी अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित बाजारों में पहले से ही काफी लोकप्रिय बिजनेस मॉडल है। अब भारत में यह सर्विस उपलब्ध होगी। कार लीजिंग के तहत ग्राहक बिना कार खरीदे उसे अपने खुद की गाड़ी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें कंपनी तरफ से तय की गई एक निश्चित रकम चुकानी होती है।
कोरोना वायरस का प्रभाव भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर पर काफी बुरा पड़ा है। लॉकडाउन के दौर में वाहनों की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है ऐसे में वाहन निर्माता कंपनियां बिक्री बढ़ाने के लिए ग्राहकों को कई तरह की स्कीम दे रही हैं। इसी क्रम में अब मारूति सुजुकी ने ग्राहकों के लिए नई स्कीम पेश किया है।
इस स्कीम के तहत कंपनी अपने ग्राहकों को डीलरशिप नेटवर्क के जरिए लीज पर कार की सुविधा प्रदान करेगी। ईटी की खबर के मुताबिक मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कंपनी इस स्कीम पर लगभग एक साल से काम कर रही है।
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया, 'मौजूदा परिस्थिति में ऐसी सर्विस लॉन्च करना मारुति के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। शहरी ग्राहक कार के लीजिंग मॉडल को प्राथमिकता दे सकते हैं।'
व्हीकल लीजिंग स्ट्रैटिजी अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित बाजारों में पहले से ही काफी लोकप्रिय बिजनेस मॉडल है। अब भारत में यह सर्विस उपलब्ध होगी।
इससे पहले मारुति ग्राहकों आकर्षित करने के लिए कई तरह के ईएमआई स्कीम भी पेश कर चुकी है। इसमें लंबे समय तक के लिए लोन और महिलाओं के लिए स्पेशल ऑफर भी शामिल हैं।
ये कंपनियां पहले से दे रही हैं सुविधा
ह्युंडई और महिंद्रा कंपनी साल 2018 में भी व्हीकल लीजिंग सर्विस लॉन्च कर चुके हैं। महिंद्रा ने जूमकार (Zoomcar) में 176 करोड़ का निवेश भी किया है। ह्युंडई ने भी Revv में इंवेस्ट किया है।
इसके अलावा हाल ही में महिंद्रा भी कार खरीदने के बाद पैसा चुकाने के लिए कई तरह की स्कीम पेश कर चुका है। इसमें एक स्कीम तो ऐसी भी है जिसमें आप कार खरीदने के अगले साल से पैसा चुका सकते हैं।
लग्जरी कार कंपनी मर्सेडीज और बीएमडब्ल्यू भी देती है कार लीज सर्विस
लग्जरी कार निर्मता कंपनी मर्सेडीज बेंज और BMW इंडिया भी अपने ग्राहकों को कस्टमाइज्ड लीजिंग ऑप्शन देती हैं। फॉक्सवैगन ने भी हाल ही में व्हीकल लीजिंग और फाइनेंसिंग सर्विस की घोषणा की है।
क्या है कार लीजिंग सर्विस
कार लीजिंग के तहत ग्राहक बिना कार खरीदे उसे अपने खुद की गाड़ी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें कंपनी तरफ से तय की गई एक निश्चित रकम चुकानी होती है। अधिकतर मामलों में यह रकम हर महीने के हिसाब से चुकानी होती है। लीज कार के लिए ग्राहक को कार की सर्विस और बीमा कवर जैसी अन्य लागतों की चिंता नहीं करनी होती है।
यह बिजनेस मॉडल अमेरिका जैसे देशों में पहले से ही काफी लोकप्रिय है, लेकिन भारत में लीजिंग और क्रेडिट अभी चलन में नहीं है। हालांकि भारत में भी कुछ कॉरपोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए इस लीज प्लान का उपयोग करती हैं।
लैंड लीजिंग को कानूनी बनाने के लिए मोदी सरकार ने बनाया मॉडल ऐक्ट
बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने मॉडल ऐग्रिकल्चर लैंड लीजिंग ऐक्ट 2016 तैयार कर दिया है जिसके तहत देश में जमीन लीज पर देना कानूनी हो जाएगा। इस ऐक्ट को मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत देने वाला बताया जा रहा है क्योंकि सरकार लैंड अक्वीजिशन ऐक्ट, 20013 संसद से पास करवाने में नाकामयाब रही है।
लैंड लीजिंग को कानूनी बनाने के लिए मोदी सरकार ने बनाया मॉडल ऐक्ट
खेती और संबंधित कार्यों में फसल उगाने (खाद्यान्न और गैर-खाद्यान्न), चारा या घास उगाने, फल, फूल और सब्जियों की खेती करने, किसी भी तरह की बागवानी और पौधारोपण, पशुपालन और दूध उत्पादन, मुर्गी पालन, मछली पालन, कृषि वानिकी, कृषि प्रसंस्करण और किसानों एवं किसान समूहों द्वारा अन्य संबंधित गतिविधियां शामिल होंगी। पिछले साल नीति आयोग द्वारा गठित टी हक के नेतृत्व वाली समिति ने इस ऐक्ट को तैयार किया जिसे मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत देने वाला बताया जा रहा है क्योंकि लगातार प्रयास के बावजूद सरकार लैंड अक्वीजिशन ऐक्ट, 20013 को संसद से पास करवाने में नाकामयाब रही है।
तेलंगाना, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने लैंड लीजिंग को बैन कर दिया है। हालांकि, विधवा, अल्पसंख्यक, दिव्यांग और सुरक्षा बलों के लोगों को इससे छूट मिली हुई है। केरल में पट्टेदारी लंबे समय से प्रतिबंधित है, लेकिन सिर्फ स्वयं सहायता समूह को हाल ही में लैंड लीज की अनुमति मिली है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और असम जैसे राज्यों में जमीन लीज पर देना बैन नहीं है लेकिन इन राज्यों में किरायेदार को एक तय समयसीमा के बाद जमीन मालिक से जमीन खरीदने का अधिकार मिल जाता है। सिर्फ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में पट्टेदारी के उदार कानून हैं।
नए ऐक्ट के तहत जमीन को लीज पर देते वक्त मालिक को उसके मालिकाना हक की संपूर्ण सुरक्षा मिलती है। साथ ही तय अवधि तक पट्टेदारी को भी जमीन के इस्तेमाल का अधिकार सुनिश्चित होता है। इसमें जमीन मालिक की सहमति से किराएदार को इंशूरंस बैंक क्रेडिट और अनुमानित उत्पादन के आधार पर कर्ज लेकर लैंड इंप्रूवमेंट में निवेश करने की अनुमति मिलती है। साथ ही किराये की अवधि खत्म होने के वक्त पट्टेदार को इस्तेमाल नहीं हो पाई निवेश की राशि वापस पाने का भी अधिकार होगा।
लीजिंग और क्रेडिट
भारत का बैंक क्रेडिट-टू-GDP अनुपात 2020 में बढ़कर 56.075% हो गया, लेकिन फिर भी साथियों से पीछे : BIS
बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में भारत का बैंक क्रेडिट-टू-GDP अनुपात बढ़कर 5 साल के उच्च स्तर लगभग 56.075 प्रतिशत हो लीजिंग और क्रेडिट लीजिंग और क्रेडिट गया (जबकि 2016 में यह अनुपात 59 प्रतिशत था)
- वित्त वर्ष 21 में वृद्धिशील ऋण वृद्धि लगभग 5.56प्रतिशत (109.51 लाख करोड़ रुपये) थी। यह 59 वर्षों में सबसे कम दर्ज की गई वृद्धि थी (जबकि वित्त वर्ष 1962 में यह 5.38 प्रतिशत थी), वित्त वर्ष 20 में, ऋण वृद्धि 58 साल के निचले स्तर 6.14 प्रतिशत पर थी।
- 2020 में कुल बकाया बैंक क्रेडिट 1.52ट्रिलियनडॉलर था।
सुधार और तुलना:
सुधार: 2020 में देश का बैंक क्रेडिट-टू-GDP अनुपात 56.075% हो गया। 2019 में यह 52.7 प्रतिशत, 2018 में 52.4 प्रतिशत, 2017 में 53.6 प्रतिशत थी। 2016 में यह लगभग 59 प्रतिशत और 2015 में 64.8 प्रतिशत (पांच साल का सर्वश्रेष्ठ) था।
तुलना:
- भले ही भारत का बैंक क्रेडिट-टू-GDP 2020 अनुपात 5 लीजिंग और क्रेडिट साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया, फिर भी यह अपने सभी एशियाई साथियों में दूसरा सबसे कम है, G20 अर्थव्यवस्थाओं के अनुपात का सिर्फ आधा है। यह उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के 135.5 प्रतिशत और 88.7 प्रतिशत के अनुपात से कम है।
- अन्य 4 BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) सदस्यों का अनुपात चीन-161.75 प्रतिशत, रूस-88.12 प्रतिशत, ब्राजील-50.8 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका कम 40.1 प्रतिशत है।
बैंक क्रेडिट–टू-GDP अनुपात के बारे में:
i.बैंक क्रेडिट वृद्धि, जो आर्थिक विकास का एक प्रमुख संकेतक है, बैंक क्रेडिट-टू-GDP अनुपात द्वारा दर्शाया गया है।
ii.एक उच्च क्रेडिट-टू-GDP अनुपात वास्तविक अर्थव्यवस्था में बैंकिंग क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को इंगित करता है, बदले में, कम संख्या अधिक औपचारिक ऋण की आवश्यकता का प्रतिनिधित्व करती है।
सकारात्मक पहलुओं:
i.क्रेडिट-टू-GDP गैप अपने दीर्घकालिक रुझान से क्रेडिट-टू-GDP अनुपात का अंतर है। यह किसी देश में दीर्घावधि में व्यवसायों और परिवारों के व्यवसायों को उच्च ऋण लीजिंग और क्रेडिट देने से जुड़े जोखिमों का एक उपाय है।
ii.सकारात्मक पहलू: कम बैंक क्रेडिट-टू-GDP अनुपात -5.7 प्रतिशत (एशिया में सबसे कम) के नकारात्मक क्रेडिट-टू-GDP अंतर की ओर जाता है और यह अर्थव्यवस्था के कर्ज को चुकाने के लचीलेपन को इंगित करता है।
हाल के संबंधित समाचार:
7 अप्रैल, 2021 को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष(IMF) ने COVID-19 अवधि के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात में 74 प्रतिशत (2019 के अंत में) से 90 प्रतिशत (2020 के अंत में) की वृद्धि दर्ज की।
बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के बारे में:
स्थापना – 1930
मुख्यालय – बेसल, स्विट्ज़रलैंड
अध्यक्ष – जेन्स वीडमैन (जर्मनी)
सदस्य – 63 केंद्रीय बैंक और मौद्रिक प्राधिकरण