विश्व बाजार शुल्क और सीमा

यस बैंक मामले में समन के बावजूद पांच उद्योगपतियों के ईडी के दफ्तर न आने सहित आज की सुर्खियां
कोरोना वायरस संकट : केंद्र 30 संयुक्त सचिव अलग-अलग राज्यों में भेजेगा | रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है | अन्य सुर्खियां
सत्याग्रह ब्यूरो · 19 मार्च 2020
रंजन गोगोई के राज्य सभा सीट स्वीकारने की वजह बताने सहित आज के अखबारों की प्रमुख सुर्खियां
कोरोना वायरस संकट : योगी सरकार दिहाड़ी मजदूरों को भरण-पोषण का खर्च देगी | यस बैंक का हालात सामान्य होने का दावा | अन्य सुर्खियां
सत्याग्रह ब्यूरो · 18 मार्च 2020
एसबीआई का लोन सस्ता होने सहित आज के अखबारों की प्रमुख सुर्खियां
राणा कपूर की हिरासत 16 मार्च तक बढ़ी | कोरोना वायरस की मार पर्यटन पर भी | अन्य सुर्खियां
सत्याग्रह ब्यूरो · 12 मार्च 2020
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सत्याग्रह ब्यूरो · 09 मार्च 2020
आलोचकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीखे निशाने सहित आज के अखबारों की प्रमुख सुर्खियां
मुआवजा ठुकराने वालों को भूमि अधिग्रहण रद कराने का हक नहीं | बिमल जुल्का मुख्य सूचना आयुक्त बने | अन्य सुर्खियां
सत्याग्रह ब्यूरो · 07 मार्च 2020
कोरोना वायरस से होली की रौनक फीकी होने सहित आज की प्रमुख सुर्खियां
जनगणना और एनपीआर का काम एक अप्रैल से | नरेश गोयल के खिलाफ मुकदमा | अन्य सुर्खियां
सत्याग्रह ब्यूरो · 06 मार्च 2020
क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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हंगामे से व्यथित लोकसभा अध्यक्ष के सदन न आने सहित आज के अखबारों की प्रमुख सुर्खियां
महिला दिवस पर पूरी ट्रेन आधी आबादी के जिम्मे | विवाद से विश्वास विधेयक पारित | अन्य सुर्खियां
सत्याग्रह ब्यूरो · 05 मार्च 2020
अब तक के सबसे बड़े जीएसटी घोटाले के सामने आने सहित आज के अखबारों की प्रमुख सुर्खियां
झारखंड में 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त हुई | एसबीआई ने लॉकर शुल्क बढ़ाया | अन्य सुर्खियां
सत्याग्रह ब्यूरो · 04 मार्च 2020
पीएम के सोशल मीडिया छोड़ने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म होने सहित आज की प्रमुख सुर्खियां
अनुच्छेद 370 का मामला बड़ी पीठ में नहीं भेजा जाएगा | भारत में फिर कोरोना की दस्तक
सत्याग्रह ब्यूरो · 03 मार्च 2020
समाज और संस्कृति
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सत्याग्रह ब्यूरो · 02 मार्च 2020
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उत्तराखंड में 35 साल से हर शनिवार को वकीलों की हड़ताल गैरकानूनी: सुप्रीम कोर्ट | एशिया कप में भारत पाकिस्तान के साथ खेलेगा | अन्य सुर्खियां
सत्याग्रह ब्यूरो · 29 फरवरी 2020
अमेरिका-तालिबान के बीच समझौते के दौरान भारत के भी मौजूद रहने सहित आज की प्रमुख सुर्खियां
International News : नेपाल के प्रधानमंत्री देउबा ने नागरिकों से 20 नवंबर के मतदान को सफल बनाने की अपील की
Kathmandu : काठमांडू। चुनावों को लोकतांत्रिक प्रणाली की आत्मा बताते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने रविवार को होने वाले संसदीय तथा प्रांतीय चुनाव को सफल बनाने की मतदाताओं से अपील की है। नेपाल में संसद और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए मतदान एक चरण में 20 नवंबर को होगा। देश के सात प्रांतों में 1.79 करोड़ से अधिक मतदाता हैं।
संघीय संसद के कुल 275 सदस्यों में 165 का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से और बाकी 110 का आनुपातिक पद्धति से होगा। इसी तरह प्रांतीय विधानसभाओं के कुल 550 सदस्यों में 330 का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से और शेष 220 का आनुपातिक पद्धति से होगा। देउबा ने मतदान से पहले बृहस्पतिवार को प्रसारित एक वीडियो संदेश में जनता को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को मजबूत करते हुए देश को समृद्धि के मार्ग पर आगे ले जाने की जरूरत है।’’
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उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली की आत्मा है और सभी नेपाल वासियों को 20 नवंबर के ऐतिहासिक तथा प्रांतीय विधानसभा चुनावों को सफल बनाना चाहिए। देउबा (76) ने कहा, ‘‘नेपाली कांग्रेस देश में अतीत में हुए सभी सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन में अग्रणी रही है और अब देश को समृद्धि की ओर ले जाने की जिम्मेदारी नेपाली कांग्रेस की है।’’
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नेपाल में पांचवीं बार प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे देउबा ने कहा कि उनकी सरकार युवाओं के लिए काम करेगी। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल सीपीएन-माओवादी सेंटर के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड ने 20 नवंबर के चुनाव को प्रगतिशील तथा दमनकारी ताकतों के विश्व बाजार शुल्क और सीमा बीच जनमत संग्रह बताया।
दहल ने एक वीडियो संदेश में सभी मतदाताओं से अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने और गठबंधन को जिताने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों तक जनता की पहुंच के माध्यम से नेपाल को समृद्ध बनाने और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर आ गयी है।’’
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इस बीच, सत्तारूढ़ गठबंधन के चार प्रमुख दलों के अध्यक्षों ने मतदाताओं से आम चुनाव को राष्ट्रीय महोत्सव मानने और मतदान प्रक्रिया में भाग लेने का आह्वान किया है। उन्होंने एक संयुक्त बयान में सभी मतदाताओं से वाम-लोकतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवारों को चुनाव में विजयी बनाने की अपील की है। इन नेताओं में देउबा, दहल, सीपीएन (यूनीफाइड सोशलिस्ट) के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल तथा राष्ट्रीय जनमोर्चा के अध्यक्ष चित्र बहादुर केसी शामिल हैं।
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नेताओं ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान गठबंधन के पक्ष में राष्ट्रीय स्तर पर जन समर्थन की लहर है। नेपाल के निर्वाचन आयोग ने मतदान सुगमता से संपन्न कराने के लिए अनेक कदमों की घोषणा की है जिनमें नेपाल-भारत सीमा को बंद करने, मतदान केंद्रों पर त्रि-स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाने और हवाई गश्त शामिल हैं।
निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता शालिग्राम शर्मा पौडयाल ने कहा, ‘‘चुनाव के मद्देनजर भारत-नेपाल सीमाओं को पहले ही बंद कर दिया गया है और मतदान संपन्न होने के बाद उन्हें फिर खोला जाएगा।’’ उन्होंने यह भी बताया कि भारत, भूटान, बांग्लादेश और मालदीव के मुख्य निर्वाचन आयुक्त अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में यहां पहुंच रहे हैं। भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की अगुवाई में चुनाव आयोग के अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल 18 नवंबर से 22 नवंबर तक नेपाल में राजकीय मेहमान के रूप में रहेगा।
सीमा शुल्क संघों के माध्यम से आर्थिक एकीकरण का प्रत्यक्ष मूल्य प्रभाव
सीमा शुल्क संघों के माध्यम से आर्थिक एकीकरण का प्रत्यक्ष मूल्य प्रभाव
सीमा शुल्क संघों के माध्यम से आर्थिक एकीकरण का प्रत्यक्ष मूल्य प्रभाव - 971 शब्दों में
एक सीमा शुल्क संघ का गठन और विश्व अर्थव्यवस्थाओं का समायोजन एक लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है। वास्तव में, सीमा शुल्क संघ विश्व अर्थव्यवस्थाओं में निम्नानुसार कई गतिशील प्रभाव पैदा करता है:
1. सीमा शुल्क विश्व बाजार शुल्क और सीमा संघ के निर्माण के कारण बाजार के आकार में वृद्धि से तीव्र प्रतिस्पर्धा होती है। इसलिए संरक्षित उद्योग चुनौतियों का सामना करते हैं। इसलिए उन्हें नयापन और नवीनीकरण करना होगा। इस प्रकार, सीमांत या अक्षम फर्मों विश्व बाजार शुल्क और सीमा को अपनी दक्षता में सुधार करने के लिए मजबूर किया जाता है।
2. इससे बड़े पैमाने की किफायतें पैदा होंगी और सदस्य देशों की विकास दर में तेजी आएगी। यह बाजार के आकार और उत्पादकता की डिग्री के बीच एक स्पष्ट सहसंबंध के कारण होता है। शायद, इसी कारण से, अविकसित देशों के लिए एक सीमा शुल्क संघ की वकालत की जा सकती है।
3. यह तेजी से तकनीकी प्रगति को प्रेरित कर सकता है। क्योंकि, बाजार के आकार में विस्तार के साथ, बड़े औद्योगिक उद्यमों के लिए अनुसंधान और प्रौद्योगिकी की उन्नति पर अधिक खर्च करना संभव और सार्थक होगा।
4. जब सीमा शुल्क संघ के निर्माण के परिणामस्वरूप उत्पादक दक्षता में सुधार होता है, तो सदस्य देशों की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी, जिससे बचत में वृद्धि हो सकती है जिससे उन्हें अधिक निवेश, बड़ा पूंजी निर्माण और आर्थिक विकास में तेजी, पूर्ण रोजगार की प्राप्ति हो सके। सामान्य जीवन स्तर और सामान्य कल्याण में।
5. सीमा शुल्क संघ के परिणामस्वरूप, गैर-सदस्य देशों के खिलाफ एक सदस्य देश की व्यापार की शर्तों में सुधार हो सकता है, जब इन देशों से इसके आयात में कटौती की जाती है, या इसकी सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है, या उन्हें निर्यात की आपूर्ति कम हो जाती है। बेशक, इस तरह का फायदा उस देश को ज्यादा होगा जो विश्व बाजार में प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। जब व्यापार की शर्तों में सुधार होता है, तो भुगतान संतुलन की स्थिति में भी सुधार हो सकता है।
6. जैसा कि डीजी मेयस ने सुझाव दिया है, सीमा शुल्क संघों के माध्यम से आर्थिक एकीकरण के प्रत्यक्ष मूल्य प्रभाव का अनुमान निम्नलिखित सरल मॉडल का उपयोग करके लगाया जा सकता है:
Ph = घरेलू उत्पाद में कीमत
जीएनपी = सकल राष्ट्रीय उत्पाद
यू - उन्हें त्रुटि।
संक्षेप में, सीमा शुल्क संघ के माध्यम से आर्थिक एकीकरण के निम्नलिखित प्रमुख लाभों का आमतौर पर दावा किया जाता है:
1. बेहतर उत्पादकता:
(i) सीमा शुल्क संघ द्वारा अधिक विशेषज्ञता के कारण, सदस्य देशों में उत्पादन अधिक कुशल हो जाता है।
2. बढ़े हुए बाजार के कारण पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं:
सीमा शुल्क संघ सदस्य देशों के निर्यात के लिए बाजार का आकार बढ़ाता है। इसका मतलब है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन का उत्पादन, पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को काटना।
3. व्यापार की बेहतर शर्तें:
सीमा शुल्क संघ सदस्य देशों को वैश्विक बाजार में अधिक सौदेबाजी की ताकत रखने में सक्षम बनाता है जिससे व्यापार में अनुकूल शर्तें हो सकती हैं।
4. जीएनपी की वृद्धि की उच्च दर:
सदस्य देशों के व्यापार के विस्तार के साथ उनकी सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी) की वृद्धि दर में वृद्धि होती है।