शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें

Traders Diary: आज इन 20 Stocks में होगी छप्परफाड़ कमाई! इंट्राडे में मुनाफा के लिए बनाए अपनी लिस्ट
शेयर बाजार की इंट्राडे ट्रेडिंग में रोज की तरह आज भी कुछ शेयर खबरों या किसी नए सेंटीमेंट के चलते जोरदार तेजी दिखा सकते हैं. ज़ी बिज़नेस के रिसर्च टीम से वरुण दुबे और कुशल गुप्ता ने Traders Diary प्रोग्राम पर निवेशकों के लिए कुछ एक्शन वाले स्टॉक्स चुनें हैं.
Volume क्या होता है ? Volume In Share Market?
अक्सर जब हम शेयर बाजार में काम करते हैं तो हमें वॉल्यूम के बारे में सुनने को मिलता है तो आखिर वॉल्यूम होता क्या है और वॉल्यूम का शेयर बाजार पर क्या असर होता है वॉल्यूम को लेकर अक्सर लोगों में बहुत सा कन्फ्यूजन होता है तो आज इस पोस्ट में हम वॉल्यूम के बारे में आसान भाषा में समझने की कोशिश करेंगे.
शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है ?
वॉल्यूम को सामान्य अर्थ में समझने की कोशिश करें तो वॉल्यूम का मतलब होता है कि एक निश्चित समय में कितने शेयर खरीदे और बेचे गए एक निश्चित समय पर ट्रेड हुए कुल शेयरों की संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है. ट्रेडिंग वॉल्यूम में शेयर्स के प्रत्येक लेनदेन को गिना जाता है, भले ही 1 शेयर कितनी भी बार खरीदा या बेचा गया हो.
उदाहरण के लिए यदि किसी कंपनी के 100 शेयर पहले खरीदे गए फिर बेचे गए फिर उसे पुनः खरीद के फिर से बेचा गया तो इस प्रकार चार बार उनमें कारोबार हुआ ऐसे में वॉल्यूम 400 शेयरों का गिना जाएगा भले ही उसमें वह 100 शेयर कई बार शामिल हो.
वॉल्यूम टाइम फ्रेम क्या होता है ?
जब कभी भी आप शेयर ट्रेड करते हैं और जानना चाहते हैं, कि एक निश्चित टाइम फ्रेम में कितने शेयर का कारोबार हुआ या फिर एक निश्चित टाइम फ्रेम में शेयर्स का वॉल्यूम कितना है तो वह टाइम फ्रेम कुछ भी हो सकता है.
चाहे वह 1 मिनट, 10 मिनट, 15 मिनट, 30 मिनट, 1 घंटा, 4 घंटा, 1 दिन, 1 हफ्ता या 1 महीना भी हो सकता है.
आप जो भी टाइम फ्रेम चार्ट पर सेलेक्ट करते हैं तो आपको उस टाइम फ्रेम में हुआ कुल वॉल्यूम दिखाई देता है. जिसे हम वॉल्यूम कहते हैं जो कि उस टाइम फ्रेम के दौरान खरीदा और बेचा गया है या ट्रेड हुआ है.
ट्रेडिंग वॉल्यूम का उदाहरण
मान लीजिए आपने सुबह HDFC बैंक के 100 शेयर खरीदें और उसके कुछ देर बाद आपने शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें 100 शेयर को बेच दिया, तो वहां पर टोटल ट्रेडिंग वॉल्यूम 200 शेयरों का होगा.
क्योंकि ट्रेडिंग वॉल्यूम में हर बार खरीदे और बचे हुए शेयर्स को गिना जाता है जिन भी स्टॉक को ज्यादा खरीदा या बेचा जाता है, उस स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक होता है. इसका मतलब यह होता है कि लोगों का उन स्टॉक्स में इंटरेस्ट बहुत ज्यादा है. जब किसी भी शेयर में वॉल्यूम अधिक होता है, तो उस स्टॉक में ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन की संभावनाएं बढ़ जाती है.
वॉल्यूम कहां से देखते हैं ?
जब कभी भी आप Trading करते हैं तो आप अपने ब्रोकर के प्लेटफार्म में जाकर वॉल्यूम चेक कर सकते हैं. चाहे Computer पर या अपने मोबाइल पर, आप अपने ट्रेडिंग स्क्रीन पर स्टॉक्स के वॉल्यूम देख सकते हैं
आप वॉल्यूम को स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट, किसी न्यूज़ वेबसाइट या फिर किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट और ऐसे बहुत सारे एप्लीकेशन है जहां पर जाकर आप किसी शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें भी शेयर का वॉल्यूम चेक कर सकते हैं.
वॉल्यूम क्यों जरूरी है और वॉल्यूम से क्या समझते हैं ?
शेयर बाजार में वॉल्यूम का एक अहम रोल होता है. वॉल्यूम देखकर ही हमें मार्केट की एक्टिविटी का अंदाजा होता है, साथ ही साथ इस से मार्केट में लिक्विडिटी का पता चलता है.
किसी भी Share में लिक्विडिटी या वॉल्यूम का मतलब होता है की उस Stock में इन्वेस्टर या ट्रेडर का रुझान किस तरीके का है कितनी आसानी से उस Share में खरीदी और बिक्री की जा सकती है.
जिस भी Share में वॉल्यूम अधिक होता है उस Share में लिक्विडिटी उतनी ही ज्यादा होती है और उस शेयर को खरीदने और बेचने में आसानी होती है.
शेयर प्राइस पर वॉल्यूम का क्या प्रभाव पड़ता है ?
किसी भी Share के प्राइस पर वॉल्यूम का बड़ा प्रभाव पड़ता है किसी भी Share में वॉल्यूम के कारण ही उस Share के प्राइस में उतार-चढ़ाव होता है.
जब किसी शेयर में वॉल्यूम High होता है तो इसका मतलब यह होता है कि वहां पर लिक्विडिटी अधिक है और शेयर खरीदने-बेचने वालों का रुझान बहुत ज्यादा है.
इसके विपरीत अगर किसी शेयर में वॉल्यूम कम होता है तो यह समझा जाता है कि निवेशकों का रुझान और शेयर के प्रति बहुत कम है.
ट्रेडिंग वॉल्यूम के द्वारा हमें मार्केट के Trend का भी पता चलता है जब वॉल्यूम धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं और शेयर में तेजी होने लगती है तो यह समझा जाता है कि शहर में खरीदने वालों का रुझान अधिक है.
इसके विपरीत जब शेयर में गिरावट होने लगती है और स्टॉक गिरने लगता है तो यह समझा जाता है शेयर में बेचने वाले लोगों का रुझान अधिक है.
Final Words
दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आपको शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है इसके बारे में सारी कन्फ्यूजन दूर हो गई होगी और आपको आपके सवालों के जवाब मिल गए होंगे.
लेकिन अगर आपका शेयर बाजार से Related और भी कोई सवाल हो या आप किसी Topic के बारे में जानना चाहते हो तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं. अगर आपको यह जानकारी Helpful लगी हो तो आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं जो कि शेयर बाजार के बारे में जानना और सीखना चाहते हो.
Intraday Trading कैसे work करता है :
इंट्राडे ट्रेडिंग उनके लिए है जो सौदा को एक ही दिन के लिए खरीद -बेच करते हैं उन्हें शेयर को होल्ड नहीं करना होता है चाहे फ़ायदा हो या नुकसान वो सौदा को होल्ड नहीं करते है इन्हे जोखिम लेना पसंद होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता होगी जो आप निचे दिए गए लिंक के सहारे ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं।
Intraday trading account खोलने के लिए यहाँ क्लिक करें।
जैसा कि नाम से ही मालूम होता है कि यह “एक दिन का सौदा” है यानि को आपको एक दिन के पुरे ट्रेडिंग सेशन में शेयर को ख़रीदा व् बेचा जाता है उसे अगले दिन के लिए होल्ड नहीं किया जाता हैं। SEBI के द्वारा आपको intraday के लिए आपको मार्जिन दिया जाता हैं जिस शेयर आपको खरीदना या बेचना है उसके वैल्यू का आपके पास 25% का बैलेंस होना चाहिए। इंट्राडे ट्रेडिंग का ब्रोकरेज डेलिवरी ट्रेडिंग के मुकाबले कम है
Intraday trading करते समय आपको MIS option सेलेक्ट करके ट्रेडिंग करना पड़ता है इस सेक्शन में आपके द्वारा खरीदा या बेचा गया माल आपको Square Off करना होता है। अर्थात आपके ट्रेडिंग अकाउंट में शेयर की संख्या को शून्य करना होता हैं चाहे आप शेयर buy या sell किये हों नहीं तो आपका ब्रोकरेज हाउस मार्केट के क्लोज होने के कुछ समय पहले आपके शेयर को auto Square Off कर देता हैं यानी की आपके द्वारा बेचा या ख़रीदा गया शेयर को आपके ट्रेडिंग अकाउंट में quantity शून्य कर देता है शेयर को खरीद या बेच कर।
17 Intraday Trading Tips |17 इंट्राडे ट्रेडिंग फार्मूला:
- Highly volatile स्टॉक में Intraday Trading नहीं करना चाहिए। .
- टी ग्रुप (टी २ टी )NSE पर BE ग्रुप में इंट्राडे ट्रेड नहीं होता है इसमें कोई शेयर buy करने पर compulsory delivery लेना पड़ता है।
- मार्किट में अगर आप शार्ट सेल्लिंग करते हैं तो उसे मार्केट क्लोज होने से पहले स्क्वायर ऑफ करना पड़ता है अगर आप square off नहीं कर पाते हैं तो आपको ऑक्शन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें आपको भारी penalty देना पड़ सकता हैं।
- बाजार के मूड के साथ ट्रेड लें अगर बाजार अपट्रेंड में हो तो long करें ,अगर downtrend में हो तो short करें।
- सही समय का इंतज़ार करे ,जल्दबाज़ी में शेयर न बेचें।
- stop loss का मजबूती के साथ पालन करें।
- इंट्राडे करने से पहले 10 लिक्विड शेयर्स का चयन कर उसपर ग्राफ,RSI ,और भी तकनीकी से स्टडी करें और अपनी योजना बनायें।
- अधिकांशतः लार्ज कैप के शेयर में ही इंट्राडे करें क्योकि उसने ट्रेडिंग जयादा होती हैं।
- ग्राफ का स्टडी 15 ,10 और 5 मिनट के टाइम फ्रेम के ऊपर स्टडी करें की आपका स्टॉक किस पैटर्न पर वर्क करता है ,कहाँ रेजिस्टेंस है कहाँ सपोर्ट लेवल है। स्टॉप लोस्स कहाँ लगाना है।
- प्रॉफिट किस लेवल पर लेना है या कितना प्रतिशत पर सौदा काटना है पलहे से ही निर्धारित करें ,लालच में न पड़ें।
- स्टॉक के खबरों पर विशेष नज़र रक्खे जैसे बोनस , स्प्लिट,डिविडेंट ,रिजल्ट।
- इंट्राडे करते समय योजना के अनुसार कार्य करें इमोशनल न हो धैर्य से काम लें।
- इंट्राडे करते समय सजग रहें और शेयर को वाच करते रहें अगर आपके अनुमान के उल्टा शेयर जा रहा हो तो तुरंत शेयर से निकल जाएँ।
- बाजार के तुरंत खुलने व् बंद होने शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें से 30 मिंट पहले इंट्राडे न करें क्योकि उस समय वोलैटिलिटी बहुत ज्यादा होती है।
- अगर आपके पास होल्डिंग में शेयर पड़ा है तो उससे भी आप इंट्राडे कर सकते है केवल downtrend के समय आप अपना होल्डिंग शेयर बेंच दें और जब वह शेयर और भी निचे गिरकर चला जाये तो आप उसे buy के ले इस तरह आप को शेयर के खरीद व् बेच के बीच के अंतर का आपको फायदा हो जायेगा और शेयर भी आपके पास पड़ा रहेगा।
- इंट्राडे में छोटे प्रॉफिट पर धयान दें ज्यादा के लालच में न पड़े।
- overbought/oversold जोन को देखकर buy और sell करें।
Disclaimer:
आपका निवेश जोखिम के अधीन हैं इस पृष्ठ में निहित जानकारी ,नियम ,शर्त ,टिप्स केवल आपको समझने के लिए हैं न कि आपको निवेश के लिए बाध्य करता है आपका निवेश आपकी समझ और आपकी अपनी जिम्मेदारी पे निर्भर है न की किसी दूसरे पर।
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(हिंदी) Best Mutual Fund 2022| म्यूचुअल फंड क्या है और म्यूचुअल फंड सेलेक्ट कैसे करे | What is mutual fund in simple words
What is Mutual Fund in Simple Words |Best Mutual Fund to Invest in 2022 | How to Select Mutual Fund
दोस्तो म्यूचुअल फंड बहुत सारे लोगो को लगता हैं की यह सिर्फ शेयर बाजार में निवेश करने का तरीका हैं लेकिन अगर चाहे तो आप म्यूचुअल फंड से गोल्ड (Gold) में निवेश कर सकते हैं और चाहे तो रियल एस्टेट(Real Estate) में भी कर सकतें हैं , डेट फंड(Debt fund) में कर सकते है ,या जैसा हमलोग जानते हैं की इक्विटी और स्टॉक्स में निवेश कर सकते है। तो इन चारो में आप चाहे तो म्यूचुअल फंड से इन्वेस्ट कर सकते है । लेकिन ज्यादातर जब म्यूचुअल फंड की रिस्क और रिटर्न की बात होती है कि रिस्क ज्यादा है थोड़ा volatile हो सकती है और रिटर्न भी ज्यादा है तो थोड़ा उपर नीचे भी हो सकती है तो ये सारी चीजों की बात होती हैं इक्विटी (equity) के बात में यानी जो शेयर बाजार में स्टॉक में पैसे लगाते हैं शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें उनके कंटेक्स्ट में।
How to select mutual Fund |म्यूचुअल फंड कैसे चुने |
अक्सर जब हम म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट के बारे में सोचते है तो काफी परेशान रहते है कि किन म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करें (How to select Mutual Fund) । लोग अक्सर पास्ट रिटर्न को देख कर ये निर्णय करते है, लेकिन पास्ट रिटर्न को देखकर ये अंदाजा नहीं लगाना चाहिए की फ्यूचर में भी आपको वो म्यूचुअल फंड उतना ही रिटर्न देगा | एक असलियत में म्यूचुअल फंड में आपको कितना रिटर्न्स मिलता है उसका सीधा कैलकुलेशन होता है की उस टाइम फ्रेम में stock market ने कैसा परफॉर्म किया उसके साथ साथ स्टॉक्स ने कैसा परफॉर्म किया जिस कैटेगरी में वो परफॉर्म करता है |इसलिए किसी भी म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने से पहले आपको कोन से फैक्टर पे ध्यान देना चाहिए और कैसे म्यूचुअल फंड चुन न चाहिए आज हम आपको बताएंगे तो आए देखते है।
• पहला फैक्टर ये हैं की आप डिसाइड करये की आपका इन्वेस्टमेंट गोल क्या है कुछ लोग घर या गाड़ी खरीदने के लिए इन्वेस्ट करते है कुछ लोग रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए जब आपको अपना इन्वेस्टमेंट गोल पता होगा तब आपको ड्यूरेशन ऑफ इन्वेस्टमेंट( कितने समय के लिए निवेश करना है ) और आप कितना रिस्क ले सकते है पता चल जायेगा अगर आपका ड्यूरेशन ऑफ़ शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें इन्वेस्टमेंट ज्यादा है और आप को शॉर्ट टर्म में पैसे की जरूरत नहीं है जो आप निवेश कर रहे है और आप रिस्क ले सकते हैं तो आप अपने पोर्टफोलियो का ज्यादा तर पैसे स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट कर सकते है। वो इसलिए क्युकी शॉर्ट टर्म में शेयर में काफी वॉलिटिलिटी होती है।अगर आपका इन्वेस्टमेंट गोल है की आप तीन साल बाद गाड़ी खरीदनी है या कोई स्पेसिफिक जरूरत है आप चाहते है की आपका कैपिटल प्रोटेक्टेड रहे भले ही आपको रिटर्न्स कम मिले तो ऐसी टाइम में तो आप अपने पोर्टफोलियो का ज्यादा तर पोर्शन म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते है म्यूचुअल फंड्स में रिटर्न्स कम होते है मगर ये शेयर से ज्यादा सेफ माने जाते है।
दूसरा फैक्टर है परफॉमेंस अगेंस्ट बेंच मार्क।कोई भी म्यूचुअल फंड्स अपना एक बेंच मार्क सेट करता है जिसके अगेंस्ट आप उसके रिटर्न को कंपेयर कर सकते है मगर यहां एक इंपोर्टेंट फैक्टर ये है की आप कोन सा बेंच मार्क चुनते है ।काफी बार लोग स्मॉल कैप और मिड कैप स्टॉक्स को निफ्टी 50 से कंपेयर करते है पर निफ्टी 50 के अंदर सिर्फ लार्ज कैप स्टॉक्स ही कंसीडर होते है ,इसका मतलब ये की इसमें रिस्क काफी कम होता है जब आप उसको स्मॉल कैप या मेड कैप से कंपेयर करते हो । स्मॉल कैप या मेड कैप को जब निफ्टी 50 से कंपेयर करते है स्मॉल कैप या मेड कैप को निफ्टी 50 से बिट करना ही चाहिए क्युकी वो रिस्क ज्यादा ले रहे है ।
फंड्स मैनेजर का एक्सपीरियंस और AMC ट्रैक रिकॉर्ड । हमे पता होना चाइए किसे भी किसे भी म्यूचुअल फंड्स का फंड मैनेजर कोन है और उसका पास्ट ट्रैक कैसा है इन्वेस्टमेंट app पे आप किसे भी म्यूचुअल फंड्स के फंड मैनेजर का नाम देख सकते है और आप पता लगा सकते है की वो कोन कोन से फंड्स मैनेज करता है जैसे की हमने आपको पहले ही बताया है की इस परफॉर्मेंस को आप कैटेगरी एवरेज रिटर्न या रिलीवेंट बेंच मार्क्स से कंपेयर कर सकते है ।इसके साथ साथ आपको फंड मैनेजर के कंसिस्टेंस को देखना होगा की कैसे वो बीयर मार्केट में आपके डाउन साइड को प्रोटेक्ट करता है और बुल मार्केट में कैसे आपके लिए अच्छे रिटर्न्स जेनरेट कर पारे है ।इसके अलावा आपके लिए ये भी इंपोर्टेंट है की आप उसके ट्रैक रिकॉर्ड को भी चेक करें मैनेजमेंट कंपनी म्यूचुअल फंड्स की स्कीम को मैनेज करते है । जैसे की hdfc top 100 ,hdfc small caps fund etc. ये सारे स्कीम को एक hdfc एसिड मैनेजमेंट कंपनी मैनेज करते है काफी बार कोन से स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना है ये Amc लेवल पे डिसाइड होता है या जिसमे इन्वेस्ट करना है ये Amc लेवल पे डिसाइड होता है वो स्टॉक्स काफी सारे फंड्स में प्रेजेंट होता है इसलिए Amc के भी पास्ट रिटर्न्स को चेक करना होता है।
(Expense Ratio )एक्सपेंस रेश्यो किसे भी म्यूचुअल फंड्स का कोर होता है तो ये जितना काम हो उतना बेहतर हैं । जनरली किसी भी म्यूचुअल फंड्स के एक्सपेंस रेश्यो 1.5 परसेंट से ज्यादा होता है तो उससे हाई माना जाता है ।एक्सपेंस रेश्यो के फंड्स वैल्यू पे कैलकुलेट किया जाता है इसलिए अगर ये 1 परसेंट तक बढ़ता है तो इसका मतलब आपका प्रोफेट 10 परसेंट तक काम हो सकता है ।
कई सारे Investment app पे आपको बहुत सारे म्यूचुअल फंड्स के रेटिंग मिल जाते है। ये रेटिंग जितना ज्यादा हो उतना अच्छा है ये रेटिंग एक पार्टिकुलर म्यूचुअल फंड के रिस्क एडजस्ट रिटर्न को उसके कैटेगरी के बाकी म्यूचुअल फंड्स के कैटेगरी के साथ कंपेयर करके निकल दी जाते है ।रिस्क एडजस्टेड रिटर्न्स का मतलब होता है की किसी म्यूचुअल फंड्स ने कितना रिस्क लिया है और उस रिस्क को लेके उसने कितने रिटर्न्स कमाए है शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें यानी की अगर किसी म्यूचुअल फंड्स ने बहुत रिटर्न्स कमाए है मगर उन रिटर्न्स को कमाने के लिए किसी म्यूचुअल फंड्स ने बहुत रिटर्न्स कमाए है मगर उस रिटर्न्स को कमाने के लिए उसने बहुत ज्यादा रिस्क लिए है तो उसका रिस्क एडजस्टेड रिटर्न्स कंपार्टेव्ली काम होता है उसके कैटेगरी के बाकी म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले।
तो ये थे वो पांच फैक्टर जिनके बारे में किसी भी म्यूचुअल इन्वेस्टर को पता होना चाहिए किसे भी म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने से पहले अब जान लेते है कुछ अच्छे म्यूचुअल फंड्स 2022 के लिए ।
अब Jio Phone से कर सकेंगे प्रोफेशनल फोटो एडिटिंग, जानें पूरा प्रोसेस
नई दिल्ली: jio फोन को आज की तारीख में ज्यादातर लोग यूज करते हैं, लेकिन उसमें फोटो कैसे एडिट करते हैं यह शायद किसी को भी पता नहीं है। हो सकता है कि कई लोगों को इसकी जानकारी हो भी, लेकिन आज हम आपको बताएं कि आखिरी जियो फोन में शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें किस तरह से फोटो एडिट किया जाता है और उसका नाम बदला जाता है।
10 रुपये की इस चीज से जोड़ सकते हैं मोबाइल की टूटी स्क्रीन, जानें तरकीब
ऐसे करें फोटो एडिट
सबसे पहले अपने जियो फोन की गैलरी में जाएं और जिस फोटो को एडिट करना चाहते हैं उसे सेलेक्ट करें। इसके बाद ऑप्शन बटन को क्लिक करें। इस दौरान आपको डिलीट बटन के बाद एडिट बटन दिखाई देगा, जिसपर आपको क्लिक करना होगा। इसके बाद आप एडिटिंग मोड में पहुंच जाएंगे, जहां आपको 5 विकल्प दिखाई देगा, जिसमें जूम, रोटेट, क्रॉप, ऑटो जैसे फीचर शामिल हैं। इसके बाद आप यहां पर अपनी फोटो को अपने हिसाब से एडिट कर सकते हैं। ऑटो मोड में आपकी फोटो का कलर अपने-आप सेट हो जाएगा।
इतना ही नहीं अगर आप अपनी फोटो के बैकग्राउंड को भी बदलना चाहते हैं तो इसके लिए गूगल पर जाकर photofunia.com टाइप करें और फोटो फनिया ओपेन करें। इसके बाद वेबसाइट पर फोटो अपलोड करें। इसके बाद आप अपने किसी भी फोटो के बैकग्राउंड को अपने हिसाब से एडिट कर सकते हैं। अगर आप अपनी फोटो से वीडियो या जिफ फाइल बनाना चाहते हैं तो e2gif.com टाइप करें और वहां फोटो को अटैच करके जिफ फाइल व वीडियो बनाए।
दरअसल, इन दिनों गूगल पर जियो फोन में फोटो को कैसे एडिट करें और फोटो फ्रेम कैसे लगाए व बैकग्राउंड कैसे बदले जैसे सवाल किए जा रहे हैं। इसके देखते हुए आज आपको जियो फोन में कैसे फोटो एडिट करते हैं इसका टिप्स साझा किया है।