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प्रमुख संकेतकों के लाभ

प्रमुख संकेतकों के लाभ

मनमाना और भेदभाव बढ़ाने वाला: ईडब्ल्यूएस कोटा

भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित की अध्यक्षता में एक संविधान पीठ इन दिनों 103वें संविधान संशोधन की वैधता की जांच कर रही है। यह संविधान संशोधन अन्य पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, जिन्हें पहले से ही उच्च शिक्षा संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण हासिल है, को छोड़कर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है। प्रमुख संकेतकों के लाभ पीठ ने सुनवाई के लिए अंतिम रूप से तीन मुद्दों को चुना है - क्या इस संशोधन ने सरकार को विशेष प्रावधान करने की अनुमति देकर संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है; क्या यह संशोधन निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश के संबंध में ऐसा करता है और आखिरी, क्या ओबीसी / एससी / एसटी समुदायों को इस कोटा के दायरे से बाहर रखना संविधान के मूल ढांचे को क्षति पहुंचाता है। ये सभी वाजिब सवाल हैं और यह तर्क दिया जा सकता है कि 2019 में आरक्षण का कानून अपनाए जाने वाले मानदंडों का उचित निर्धारण किए बिना जल्दबाजी में लाया गया था। मसलन, कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित है या नहीं, यह निर्धारित करने के लिए आठ लाख रुपये की सालाना पारिवारिक आय की सीमा साफ तौर पर अजीबोगरीब है। अगर एनएसएसओ रिपोर्ट, ‘घरेलू उपभोक्ता व्यय के प्रमुख संकेतक, 2011-12’ जैसे उपलब्ध उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षणों पर भरोसा किया जाए, तो न सिर्फ वास्तव में हकदार गरीब व्यक्ति बल्कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा “आठ लाख रुपये से कम” वाले ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आरक्षण का पात्र होगा। सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति ने यह राय दी कि यह सीमा उचित है, लेकिन वह पर्याप्त रूप से यह बता पाने में विफल रही कि ओबीसी क्रीमी लेयर के लिए आय के मानदंड “अधिक कठोर” क्यों हैं। इसके अलावा, आठ लाख का यह आंकड़ा आबादी में ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आने वाले लोगों की अनुमानित संख्या और उनसे संबंधित आय के किसी भी डेटा के अनुरूप नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया है कि पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को ईडब्ल्यूएस से बाहर करने का कुल जमा नतीजा यह रहा है कि उन्हें अब सामान्य वर्ग में 10 फीसदी की सीमा प्रमुख संकेतकों के लाभ तक प्रतिस्पर्धा करने के अवसर से वंचित कर दिया गया है और हकीकत में, इस कोटा को “अगड़े तबकों” के लिए सीमित कर दिया गया है। यह मुनासिब तर्क है। भले ही अदालत यह मानने के लिए सहमत हो जाए कि आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान किया जा सकता है, तब भी ईडब्ल्यूएस से संबंधित होने के बावजूद कुछ समुदायों के लोगों को इसके लाभ के दायरे से बाहर करना इस कानून को भेदभावपूर्ण बनाता है। हालांकि आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान करने की कवायद को अब तक स्पष्ट रूप से नकारा गया है, क्योंकि संविधान में सिर्फ सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का जिक्र है और इस तथ्य को कई फैसलों में दोहराया भी गया है। हाल के यूपीएससी और जेईई जैसे भर्ती व प्रवेश परीक्षाओं में अर्हता के वास्ते ईडब्ल्यूएस कोटे के लिए कट-ऑफ अंक ओबीसी की तुलना में कम थे। संक्षेप में, अगर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की पहचान के लिए आय के मानदंड को आधार बनाना है, तो यह सीमा आठ लाख रुपये के आंकड़े के उलट एक स्पष्ट रूप से परिभाषित आंकड़े के आधार पर तय होना चाहिए। साथ ही, जाति के बंधन से परे समाज के सभी वर्गों को इस श्रेणी के तहत आरक्षण के लाभ का पात्र होना चाहिए।

दूसरी तिमाही में जीडीपी 5.8 फीसदी रह सकती है: एसबीआई रिसर्च

एक कमजोर विनिर्माण क्षेत्र का हवाला देते हुए, एसबीआई रिसर्च ने दूसरी तिमाही के लिए देश की जीडीपी वृद्धि को 5.8 प्रतिशत पर रखा है, जो औसत अनुमान से 30 आधार अंक कम है। सरकार 30 नवंबर को आधिकारिक संख्या जारी करेगी।

सौम्य कांति घोष की अध्यक्षता वाली एसबीआई रिसर्च ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि कॉर्पोरेट परिणाम, कंपनियों के परिचालन लाभ, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर, Q2FY22 में 35 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले Q2FY23 में 14 प्रतिशत की गिरावट आई, हालांकि शीर्ष रेखा जारी रही स्वस्थ गति से बढ़ें। शुद्ध बिक्री में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले की अवधि से नीचे की रेखा लगभग 23 प्रतिशत कम थी।

इसके अलावा, कॉर्पोरेट मार्जिन दबाव में प्रतीत होता है, जैसा कि लगभग 3,000 सूचीबद्ध संस्थाओं के परिणामों में परिलक्षित होता है, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर, ऑपरेटिंग मार्जिन में प्रमुख संकेतकों के लाभ गिरावट के साथ उच्च इनपुट लागत के कारण Q1FY22 में 17.7 प्रतिशत से Q2FY23 में 10.9 प्रतिशत।

घोष ने तिमाही जीडीपी आंकड़ों में दो महीने के अंतराल का हवाला देते हुए कहा कि इसे देखते हुए और दूसरी तिमाही के जीडीपी नंबरों के संबंध में बाजार की सहमति (6.1 प्रतिशत) में व्यापक विचलन को देखते हुए, एसबीआई अर्थव्यवस्था को 5.8 प्रतिशत पर प्रिंट करता हुआ देखता है। यह पूरे वर्ष की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत, आरबीआई के अनुमान से 20 आधार अंक कम है।

एसबीआई का पूर्वानुमान, इसके कंपोजिट लीडिंग इंडेक्स पर आधारित है, प्रमुख संकेतकों के लाभ जो मासिक डेटा के आधार पर 41 प्रमुख संकेतकों की एक टोकरी है, जो जून और सितंबर के बीच आर्थिक गतिविधियों में गिरावट को दर्शाता है, लेकिन अक्टूबर में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है, जिससे तीसरी तिमाही की वृद्धि अधिक आशावादी हो गई है।

हालांकि, घोष ने कहा, कई संकेतक बताते हैं कि अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही के बाद से वैश्विक स्पिलओवर, उच्च मुद्रास्फीति और बाहरी मांग में कुछ कमी के बावजूद भू-राजनीतिक विकास के कारण विश्व व्यापार पर अपना प्रभाव डालती है।

Betul News: विधायकों ने दिया आश्वासन, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए दूर कराएंगे सड़कों की खामियां

Betul News: सड़कों के निर्माण में हुई तकनीकी गड़बड़ी और उसके बाद सुरक्षा के उपाय न किए जाने से अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं। विधायक भलावी ने भरोसा दिलाया कि खामियों को प्राथमिकता से दूर कराने के लिए संबंधित विभागों और कलेक्टर को पत्र लिखा जाएगा।

Betul News: विधायकों ने दिया आश्वासन, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए दूर कराएंगे सड़कों की खामियां

Betul News: बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। सड़कों के निर्माण में हुई तकनीकी गड़बड़ी और उसके बाद सुरक्षा के उपाय न किए जाने से अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं। जिम्मेदार विभागों के द्वारा सुधार करने की जहमत तक नहीं उठाई जा रही है। यह स्थिति जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग, राजमार्ग और जिला स्तरीय मार्गों पर 'नवदुनिया' द्वारा सड़क सुरक्षा अभियान के तहत 350 किमी लंबाई में किए गए आडिट के दौरान सामने आई है। तकनीकी विशेषज्ञों की मौजूदगी में किए गए आडिट में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए छोटे-छोटे प्रयास करने का सुझाव भी दिया गया है।

विधायकों ने दिया आश्वासन

जिले के विधायकों ने भी स्वीकार किया है कि अधिकांश हादसों के पीछे सड़क पर सुरक्षा के साधनों का अभाव ही प्रमुख कारण रहता है। मुलताई विधायक सुखदेव पांसे से अक्षय सोनी के द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर चर्चा की। विधायक पांसे ने बताया कि फोरलेन पर कई ऐसे स्थल हैं जहां लगातार दुर्घटना होने के बावजूद एनएचएआई ने डेंजर जोन घोषित नही किया है। ऐसे स्थलों को सबंधित विभाग के संज्ञान में लाकर वहां तकनीकी तौर पर सुधार कार्य कराए जाएंगे ताकि दुर्घटनाओं पर अंकुश लग सके।

इन उपायों से कम हो सकते हैं हादसे

विधायक पांसे ने कहा कि परमंडल जोड़ से लेकर खंबारा टोल नाके तक कई स्थल ऐसे हैं जहां भीषण दुर्घटनाएं हुई हैं । फोरलेन मार्ग निर्माण के समय उनके द्वारा मोही पर ब्रिज का मामला रख कर निर्माण कराया गया जिसका लाभ ग्रामीणों को मिला। इसके अलावा वीआईपी स्कूल के सामने दुर्घटनाएं होने से वहां क्रासिंग बंद कराई गई। उन्होंने कहा कि स्टेट हाइवे छिंदवाड़ा मार्ग पर भी दुर्घटनाएं होती है जहां संकेतक का अभाव है इसलिए वे प्रमुखता से प्रमुख संकेतकों के लाभ दुर्घटना स्थलों के पास संकेतक लगाने का विभाग से कहेंगे। उन्होंने कहा कि फोरलेन मार्ग पर जगह जगह डिवाइडर तोड़ कर लोग मार्ग क्रास कर रहे हैं जो खतरनाक है। विभाग द्वारा ऐसे टूटे डिवाइडर की तत्काल मरम्मत करना चाहिए ताकि लोग कहीं से भी रोड क्रास नही कर सकें।

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तय नहीं की जाती जवाबदेही

घोड़ाडोंगरी के विधायक ब्रम्हा भलावी ने सचिन शुक्ला से हुई चर्चा में 'नवदुनिया' के सड़क सुरक्षा अभियान की सराहना करते हुए कहा कि क्षेत्र की प्रधानमंत्री सड़कों का निर्माण करने के बाद उसकी ओर पलटकर न तो ठेकेदार देखता है और न ही अधिकारी। प्रमुख संकेतकों के लाभ हालत यह है कि अक्सर वाहन हादसे होते हैं लेकिन जवाबदेही तय नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि बैतूल-भोपाल राष्ट्रीय राजमार्ग 69 पर बरेठा घाट में रैलिंग जगह-जगह से टूट गई है। अंधे मोड़ पर संकेतक तक नहीं लगाए जा सके हैं। कुछ स्थान तो ऐसे हैं जहां पर पहाड़ी को काटकर मार्ग की चौड़ाई और अंधे मोड़ को खत्म किया जा सकता है। इस संबंध में न तो एनएचएआई के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई की जा रही है और न प्रशासन चिंता कर रहा है। पाढर से जाखली के पास अंधा मोड़ अक्सर हादसों का कारण बनता है। यहां पर न तो स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं और न ही संकेतक ही लगाए जा सके हैं।

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क्षेत्र के चोपना मार्ग पर तवा पुल के पास सड़क का हिस्सा धंस गया है। इससे वाहन अचानक ही अनियंत्रित हो जाता है। लोहे की छड़ से भरा ट्रक इसी कारण से नदी में गिर गया था। इस घटना के बाद प्रशासन को सुधार के लिए कहा गया था लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया। मंडई मार्ग, केसिया से रामपुर जोड़ के पास और केसिया से कान्हेगांव तारा मार्ग पर भी संकेतक न होने से अक्सर हादसे होते रहते हैं। विधायक भलावी ने भरोसा दिलाया कि नवदुनिया द्वारा उजागर की गई खामियों को प्राथमिकता से दूर कराने के लिए संबंधित विभागों और कलेक्टर को पत्र लिखा जाएगा।

Road Safety Campaign Alirajpur: 70 फीसद हादसे ग्रामीण क्षेत्र में, सीख दे रहे, दुर्घटनाओं में कमी आई

Road Safety Campaign Alirajpur: सड़कों पर सफर को सुरक्षित बनाने के लिए नईदुनिया द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में हमने जिले के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह से सीधी बात की। उन्होंने कहा कि जिले में 70 फीसद हादसे ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे हैं।

Road Safety Campaign Alirajpur: 70 फीसद हादसे ग्रामीण क्षेत्र में, सीख दे रहे, दुर्घटनाओं में कमी आई

Road Safety Campaign Alirajpur: आलीराजपुर। सड़कों पर सफर को सुरक्षित बनाने के लिए नईदुनिया द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में हमने जिले के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह से सीधी बात की। उन्होंने कहा कि जिले में 70 फीसद हादसे ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे हैं। इनके जो कारण हैं, उन्हें प्रमुख संकेतकों के लाभ लेकर लगातार अभियान चला रहे हैं। यह प्रयासों का ही नतीजा है कि अक्टूबर और नवंबर में दुर्घटनाओं में कमी आई है। सड़क सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर सभी विभाग समन्वय बनाकर काम कर रहे हैं। आगामी दिनों में निश्चित रूप से इसका लाभ नजर आने लगेगा। पढ़िए नईदुनिया के सवालों पर एसपी सिंह ने क्या कहा-

प्रश्न- सड़कों पर लोगों का सफर सुरक्षित बने इसके लिए विभाग क्या-क्या कदम उठा रहा है?

जवाब- जिले के ग्रामीण क्षेत्र में जितने भी हाट बाजार लगते हैं, जहां भी लोगों की भीड़ होती है, वहां जाकर हम समझाइश देते हैं। उन्हें बताया जाता है कि अपना वाहन धीरे चलाएं। नशा करके कभी-भी वाहन न चलाएं। दोपहिया वाहन सदैव हेलमेट लगाकर ही चलाएं। क्योंकि हमारे जिले में जितनी भी दुर्घटनाएं हुई हैं, उनमें 70 फीसद मामले ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। यहां ट्रैफिक की कोई समस्या नहीं होती। मगर लापरवाही या तेजी से वाहन चलाने अथवा नशे में गाड़ी चलाने से हादसे होते हैं। हेलमेट नहीं लगाना हादसा होने पर मृत्यु का प्रमुख कारण है। उक्त सभी बिंदुओं को लेकर पुलिस लगातार अभियान चला रही है। पिछले दिनों पुलिस द्वारा हेलमेट की अनिवार्यता को लेकर कई चालान बनाए गए। उक्त सभी प्रयासों का ही नतीजा है कि इस साल अक्टूबर और नवंबर में हादसों में कमी आई है। जाहिर है, लोग जागरूक हो रहे हैं।

प्रश्न- नईदुनिया ने जिलेभर की सड़कों पर आडिट किया है। इसमें सामने आया है कि कई स्थानों पर संकेतकों तक का अभाव है। ऐसा क्यों?

जवाब- आलीराजपुर जिला पहाड़ी और ग्रामीण बहुल है। जब भी सड़क सुरक्षा समिति की बैठक होती है, उसमें ये मुद्दे पुलिस द्वारा उठाए जाते हैं। जो पहाड़ी इलाके हैं, वहां ट्रैफिक भले ही कम होता है, मगर हादसे सामने आते हैं। ऐसे स्थानों पर भी संकेतक, स्पीड ब्रेकर और ब्लैक स्पाट चि-ति करने की कमी रही है। पुलिस द्वारा इसे लेकर संबंधित विभागों को पत्र भी लिखे गए हैं। लोक निर्माण विभाग, नगरीय निकाय व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ इसे लेकर बैठकों में भी गंभीरता से चर्चा की गई है। इसे लेकर कार्रवाई चल रही है। निश्चित तौर पर आगामी दिनों में इसका फायदा मिलने लगेगा।

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प्रश्न- जिले में ओवरलोडिंग एक आम समस्या है। यह भी हादसों का बड़ा कारण है। इसे लेकर परिवहन विभाग क्या कर रहा है।

जवाब- जब से जिले में आया हूं ओवरलोडिंग की समस्या देख रहा हूं। इसका प्रमुख कारण जिले के ग्रामीण में लोक परिवहन साधनों का अभाव है। ग्रामीण क्षेत्र में लोग मजबूरी में ओवरलोड वाहनों में सफर करते हैं। कई बार मैंने खुद ऐसे वाहनों को रोककर समझाइश दी और चालान भी बनवाए। इसको लेकर जिले में आंतरिक लोक परिवहन के साधनों की योजना बनाने की आवश्यकता है। इसे लेकर वरिष्ठ स्तर चर्चा चल रही है, जल्द ही योजना अमल में लाने का प्रयास है।

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प्रश्न- कई अनफिट वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इससे भी हादसों की आशंका बनी रहती है।

जवाब- वाहनों की फिटनेस की जांच का जिम्मा परिवहन विभाग का है। परिवहन विभाग ही फिटनेस सर्टिफिकेट प्रदान करता है। परिवहन अधिकारी से इस संबंध में चर्चा की है कि जिले में आवागमन करने वाले वाहनों की सामूहिक रूप से फिटनेस की जांच कराई जाए। विशेषकर यात्री बसों की। इसमें अनफिट पाए जाने वाले वाहनों के चालान बनाए जाएं।

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प्रश्न- यह देखने में आया है कि कई चालकों को यातायात के नियमों का सही ज्ञान ही नहीं होता। चालकों के प्रशिक्षण की विभागीय व्यवस्था क्या है। क्या हमारे पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं।

जवाब- शासन के नियमानुसार लाइसेंस जारी करते समय प्रशिक्षण के माध्यम से समस्त नियमों की जानकारी दी जाती है। लाइसेंस जारी करने से पूर्व दक्षता का परीक्षण भी किया जाता है। पिछले दिनों पुलिस ने जिले में यातायात रथ भी चलाया था। इस दौरान चालकों को नियमों की जानकारी दी गई। कुछ वाहन चालकों की पुलिस नियंत्रण कक्ष में बैठक भी ले चुके हैं। इसमें भी चालकों को नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया था। निश्चित ही इसका असर नजर आएगा।

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प्रश्न- देखा गया है कि हेलमेट की अनिवार्यता प्रमुख संकेतकों के लाभ का पालन नहीं हो रहा है। सरकारी कार्यालयों तक में बाइक पर आने वाले कर्मचारी हेलमेट पहनकर नहीं आ रहे। जबकि इसे लेकर पुलिस ने पत्राचार भी किया था।

जवाब- सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को नियम का पालन कर दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। जब तक हम खुद नियम का पालन नहीं करेंगे, दूसरों को प्रेरित नहीं कर सकते। सभी विभागों को इसके लिए पत्र लिख चुके हैं। कार्यालय प्रमुखों को इसका पालन कराना प्रमुख संकेतकों के लाभ चाहिए। यह पुलिस के अभियान का ही असर है कि पिछले दो माह में अनिवार्य रूप से हेलमेट लगाने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ी है।

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